Banzaran - 3 in Hindi Thriller by Ritesh Kushwaha books and stories PDF | बंजारन - 3

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बंजारन - 3

रोमियो की बात सुन अमर और रितिक काफी ज्यादा हैरान हो गए थे। उन दोनो को हैरान परेशान देख करन चिड़ते हुए रोमियो से कहता है–" अबे साले तेरा मुंह कभी बंद रहता है या नही, हर समय फालतू बकवास करता रहता है। वो दोनो अभी अभी यहां आए है और तू पहले ही उन्हें डरा रहा है।"

इतना कहकर करन रितिक और अमर से कहता है–" इसकी बात पर ध्यान मत दो, ये तो कुछ भी बोलता रहता है।"

" मुझे क्या पता था ये दोनो इतने डरपोक निकलेंगे, मैं तो बस इन्हे वार्न कर रहा था ताकि रात में समय घर से बाहर ना निकले, क्योंकि अब तो ये यही रहने वाले है ना और गांव में इस बात की साफ मनाही है कि कोई भी रात के समय घर से बाहर नहीं निकलेगा।"

रितिक हैरानी के साथ करन से पूछता है–" ये रोमियो क्या कह रहा है?"

करन कहता है–" हा ये सही कह रहा है, इस गांव का नियम है कोई भी रात में घर से बाहर नहीं निकलेगा।"

" ऐसा क्यूं?" रितिक करन से पूछता है और करन आगे कहता है–" कोई खास वजह नही है, ये जंगल और पहाड़ियों वाला इलाका है इसीलिए यहां पर जंगली जानवर खुले में घूमते रहते है इसीलिए यहां रात में बाहर निकलने पर रोक है।"

"अच्छा तो ये बात है।" अमर और रितिक को करन की बात समझ आ जाती है और फिर आगे वो उससे कुछ नही कहते है।

करन हस्ते हुए उन दोनो से कहता है–" वैसे तुम्हे पता है, हमारे रोमियो भाई साहब को किसी से प्यार हो गया है?"

करन की बात सुन रितिक और अमर दोनो को झटका लगता है और वो दोनो रोमियो की ओर देखने लग जाते है। इधर करन की बात सुन रोमियो अपनी बत्तीसी दिखाने लग जाता है और उसके साथ ही अमर और करन जोर जोर से हसने लग जाते है जैसे किसी पागल इंसान को बीन की धुन पर नाचते हुए देख लिया हो।

रोमियो को उन दोनो का इस तरह से उसका मजाक बनाना ठीक नही लगता और वो मुंह बनाते हुए उन दोनो से कहता है–" इसमें हसने वाली क्या बात है, प्यार किया हूं कोई मजाक थोड़ी है।"

रितिक अपनी हसी कंट्रोल करते हुए उससे कहता है,–" क्या कहा तुझे प्यार हो गया है, अच्छा..जरा हमे भी तो बता, वो लड़की कौन है?"

रोमियो शरमाते हुए कहता है–" वो यहां के स्कूल में टीचर है, उसका नाम "कमली" है, मुझे उससे फर्स्ट साइट लव हो गया है, वो बहुत खूबसूरत है और पढ़ाती भी बहुत अच्छा है।"

रोमियो खुद में ही बोलते जा रहा था और रितिक और अमर उसकी बातो पर हैरान होते जा रहे थे।

अमर रोमियो की ट्रेन को बीच में रोकते हुए उससे कहता है–" क्या कहा वो टीचर है, तुझे टीचर का टी भी आता है, उसका दिमाग थोड़ी खराब है जो वो तुझ्से दोस्ती करेगी? ना तो तू पड़ा लिखा है और ना तेरे पास कोई नौकरी है, वो तो किसी पड़े लिखे और नौकरी वाले लड़के से शादी करेगी।"

अमर की बात सुन तो रोमियो का रोना ही निकल आता है। कहा तो लोगो के दोस्त उन्हें हौसला देते थे और कहा उसका दोस्त है जो उसका ही कॉन्फिडेंस गिराने पर लगा हुआ था, अगर मदद नही कर सकता तो ना कर।

रोमियो की हालत से अंजान अमर बोलता ही जा रहा था की तभी रोमियो की सबर का बांध टूट पड़ता है और वो गुस्से के साथ अमर से कहता है–" तू मेरा दोस्त है या दुश्मन और क्या कहा मेरे पास नौकरी नहीं है, मैं अनपढ़ हूं, तो तू क्या है, अरे तेरे जैसे इंसान जब पैदा हुए तभी से कलयुग की शुरवात हो गई थी।"

" मेरी वजह से कलयुग।" अमर शौक हो जाता है लेकिन रोमियो का बोलना अभी बंद नहीं होता वो आगे कहता है–" तुझ जैसे लोगो को प्यार की कदर नही है, प्यार को नौकरी या ज्ञान से नही तोला जाता, प्यार तो बस हो जाता है, चाहे वो किसी से भी हो, मेरे प्यार एकदम गंगा की तरह पवित्र है।"

"पवित्र.." तीनों हैरान हो जाते है और रोमियो को ऐसे देखने लगते है जैसे कोई भूत देख लिया हो। उन्हें तो यही नहीं समझ आ रहा था कि हुआ क्या? वो अपने दोस्त को बचपन से जानते थे, उसका दोस्त एक नंबर का नकारा और बेकार इंसान था और अब वो उन्हें ही गीता का पाठ पड़ा रहा है। रितिक रोमियो को शांत करते हुए कहता है–" हा हा चल मान लिया तेरा प्यार सच्चा है। अब शांत होजा और पूरी बात बता, कब हुआ तुझे प्यार और हो कैसे गया?"

रितिक का सवाल सुन रोमियो बुरा सा मुंह बना लेता है। रितिक का सवाल तो सही था लेकिन उसके पूछने का तरीका रोमियो को अच्छा नहीं लगा, भला ये भी कोई पूछने वाली बात थी कि प्यार हो कैसे गया? फिर भी सवाल पूछे जाने पर रोमियो उन सभी को बताता है और कहता है–" वो एक दिन में नदी किनारे जा रहा था। इतना कहकर रोमियो उन्ही पलो में पहुंच जाता है जब वो नदी की ओर जा रहा था। गांव से निकलकर कुछ दूरी पर ही एक बड़ा सा हरा भरा मैदान था, जहा से पूरा आसमान साफ साफ दिखाई देता था और सामने ही वहा की तीन पहाड़ियों नजर आ रही थी जिसे देखकर ऐसा लग रहा था जैसे वो स्वर्ग तक जा रही हो। उन पहाड़ियों के चारो ओर सफेद बादल मंडरा रहे थे। वही पास ही में एक छोटा सा ढाबा बना हुआ था जिसके बाहर कई सर मेज और कुर्सियां पड़ी हुई थी, जिन पर कुछ पर्यटक बैठे हुए थे। थोड़ा आगे जाने पर ही एक नदी पड़ती थी। नदी ज्यादा बड़ी थी, उसमे घुटने तक पानी था। उसी नदी के किनारे एक खूबसूरत लड़की बैठी हुई थी, जो अपने घड़े में पानी भर रही थी। उसके पीले रंग का लहंगा पहना हुआ था और माथे पर काली बिंदी। वो अपने मटके में पानी भरके उठी ही थी कि तभी उसे अपने पीछे किसी के होने का अहसास होता है। वो तुरंत पीछे पलटती है और अपने सामने खड़े इंसान को देख घबरा जाती है, जिस कारण उसका मटका जमीन पर गिरकर टूट जाता है। सामने खड़ा आदमी और कोई नही बल्कि रोमियो था जो मटका टूटने पर भी उस लड़की की ओर देखकर मुस्कुराए जा रहा था।। रोमियो की नजर बार बार उस लड़की के उभरे हुए वक्षों और कमर पर जा रही थी और ये बात वो लड़की नोटिस कर लेती है। एक तो रोमियो की वजह से उसका मटका टूटा था और अब उसकी हरकत देख उस लड़की का चहरा गुस्से से लाल हो जाता है और वो चिल्लाते हुए उससे कहता है–" तुम्हे शर्म नही आती, मुझे ऐसे घूर रहे हो।"

रोमियो कुछ नही कहता है, उसका सारा ध्यान तो उस लड़की के वदन पर था जैसे बरसो बाद किसी भिकारी को भीख मिली हो और बस फिर क्या था?, उस लड़की ने पास में पड़ा एक डंडा उठाया और लगी रोमियो को मारने। डंडा उसकी ओर आता देख रोमियो की तो सिट्टी पिट्टी गुल हो गई, उसे तो समझ ही नही आ रहा था कि हुआ क्या और जब तक उसे समझ आता तब तक एक डंडा उसकी कमर पर लग चुका था और उसी के साथ उसके मुंह से चीख निकल गई " मार दिया रे.."

" रुक.. अभी तुझे बताती हूं " इतना कहकर वो लड़की रोमियो को मारने दौड़ पड़ती है और इसी के साथ रोमियो अपने यादों के पलो से बाहर आ जाता है और एक लंबी आह भरते हुए कहता है–" तो ये थी मेरी पहली मुलाकात।"

रोमियो की अजीब और गरीब यादों को सुनकर तो उन तीनो की हसी छूट रही थी। उन्हें तो लगा था कि कोई नॉर्मल मुलाकात होगी लेकिन ये तो बड़ी एंटीक निकली।

रितिक आपको हसी कंट्रोल करते हुए रोमियो से कहता है–" इसे पहली नही आखिरी मुलाकात कहते है।"

रितिक के इतना कहते ही वे तीनों अपना पेट पकड़कर हसने लगते है और रोमरो का तो सर ही फटा जा रहा था। कहा तो वो अपने प्यार को दासता सुना रहा था और कहा अगले ही पल उसका मजाक बन के रह गया। लोग सही कहते है अपने प्यार को कोई दूसरा नहीं समझ पाता।

अमर हस्ते हुए रोमियो से कहता है–" ये प्यार नही हवस है तेरी, क्या कहा था तूने, तेरा प्यार गंगा जितना पवित्र, अरे तेरी बातो से ही पता चल रहा है कितना पवित्र है?, तेरे प्यार की पवित्रता देख तो गंगा भी सूख जाए।"

रोमियो चिड़ते हुए कहता है–" जो भी है कमली मुझे पसंद है और तुम लोग उससे दोस्ती करने में मेरी मदद करोगे।"

रितिक चिड़ते हुए जवाब देता है–" हम मदद करेंगे, हमे पिटना थोड़ी है, हमे भी अपनी इज्जत का खयाल है, नही हम तेरी मदद नही करने वाले, तुझे जो करना है कर, हमे बीच में मत घसीड़।"

रितिक और करन भी रितिक की बातो में हामी भर देते है।

" हा और नही तो क्या, हमे भी अपनी इज्जत का खयाल है।" अमर कहता है

" तो फिर ठीक है, नही करनी मदद तो मत करो, वैसे भी तुम लोग मदद की वजह परेशानी ही खड़ी करोगे।" रोमियो कहता है और रोमियो की बात सुन सब लोग हामी में अपना सिर हिला देते है। उसके बाद वे लोग कुछ देर और बात करते है और वही पड़े सोफे पर सो जाते है। वही दूसरी ओर चांदनी हवेली के एक कमरे में आइने के सामने बैठी हुई थी और पास ही में उसकी सहेली शालिनी खड़ी हुई थी। शालिनी चांदनी से कहती है–" अच्छा किया जो तू यहां आ गई।"

चांदनी खड़ी होते हुए कहती है–" यार मुझे कुछ ठीक नही लग रहा, कही मैने कुछ गलत तो नहीं कर दिया।"

शालिनी उसके दोनो कंधो पर हाथ रखते हुए कहती है–" कुछ गलत नहीं किया तूने, सबको अपनी जिंदगी जीने का हक है, तेरी जगह मैं भी होती तो यही करती।"

शालिनी की बात सुन चांदनी को थोड़ा अच्छा महसूस होता है और वो हामी में अपना सर हिला देती है।

शालिनी आगे कहती है–" अब तू आराम कर और ज्यादा मत सोच, सब ठीक हो जाएगा।" इतना कहकर शालिनी वहा से चली जाती है और चांदनी भी बैड पर जाकर सो जाती है। सुबह के सात बज रहे थे, सूरज को रोशनी चारो ओर फैल चुकी थी। शालानी हॉल में खड़ी चांदनी का इंतजार कर रही थी। उसके हाथ में पूजा की थाल थी। वे दोनो मंदिर जाने की तैयारी में थी। कुछ ही देर में वहा चांदनी आ जाती है। उसके काले रंग का लहंगा पहना हुआ था और उसके माथे पर छोटी सी काली बिंदी थी, जो उसकी खूबसूरती में चार चांद लगा रही थी। चांदनी आते ही शालिनी से कहती है–" चल..."

शालिनी हामी में अपना सिर हिलाती है और उसके बाद वे दोनो हवेली से बाहर आ जाती है। हवेली से बाहर निकलकर वे सीधे मैदान की ओर जाने लगती है और कुछ ही देर में वे दोनो मंदिर के सामने पहुंच जाती है। मंदिर से घंटियों की आवाजे आ रही थी। लोग मंदिर के अंदर आ जा रहे थे। चांदनी रोशनी से कहती है–" लगता है सुबह की आरती शुरू हो गई है।" इतना कहकर चांदनी और रोशनी जल्दी जल्दी मंदिर के अंदर जाने लगती हैं। मंदिर की सीढ़ियों से होते हुए दोनो अंदर चली जाती है और गर्भ गृह में प्रवेश कर जाती है। गर्भ गृह वो जगह होती है जहा भगवान की प्रतिमा लगी होती है और पुजारी वही पर भगवान की आरती करते है। गर्भ गृह में लोगो की भीड़ जमा थी, ऐसा लग रहा था जैसे गांव के आधे लोग वहा पर उपस्थित हो। गर्भ गृह काफी बड़ा था इसीलिए जगह की कोई कमी नहीं थी। सरपंच की बेटी को आते देख लोग उसके लिए जगह बनाने लगते है और वे दोनो लोगो के बीच से होते हुए महादेव की शिवलिंग के आगे पहुंच जाती है। मंत्रो और घंटियों की आवाजों से वहा के माहौल में एक सकारात्मक ऊर्जा फैली हुई थी। सब लोग आरती में पूरी तरह से लीन थे। कुछ ही देर में आरती समाप्त हो जाती है और सब लोग एक एक कर वहा से जाने लगते है। दोनो लड़किया भी महादेव का आशीर्वाद लेती है और मंदिर से बाहर आ जाती है। मंदिर से बाहर आते ही वे दोनो कुछ दूर ही चली थी कि चांदनी को कुछ नजर आता है और वो शौक हो जाती है।