सुहागरात को को कमरे में जाने से पहले सुरेश का दिल बड़ी जोर से धड़क रहा था।सोच रहा था,न जाने कैसी होगी उसकी जीवन संगनी।बिना देखे और मील मा के जोर देने पर उसने शादी कर लज थी।तरह तरह के विचार,बाते उसके मन मे आ रही थी।और वह आखिर कमरे में पहुच ही गया।निशा पलंग पर लम्बा से घुघट निकाल कर पलंग पर बैठी हुई थी।अपनी नई नवेली दुल्हन को इस रूप में देखते ही सुरेश का माथा ठनका था।मा ने बताया था,निशा बी ए पास है।गांव की लड़की चाहे जितनी ही पढ़ ले लेकिन संस्कार जाते नही।निशा बी ए है फिर वो ही गंवारपन,दिकयानुसी सींच।मन मे गुस्सा तो बहुत आया पर वह बोला नही।चुपचाप पकनग पर उसके पास जाकर बैठ गया।
"क्या चांद में दाग है/"
सुरेश बोला लेकिन उसे कोझ जवाब नही मिला तो उसने हाथ बढ़ाकर उसका घूंघट उलट दिया।घुघट उठाते ही ऐसा लगा मानो घुघट रूपी बदलो कोचीरकर कमरे में चांद निकल आया हो।वह अपने सामने बैठी निशा को निहारने लगा।
लम्बा कद,छरहरा बदन,साफ गोरा रंग,बड़ी बड़ी कजरारी आंखे,गुलाब कज फँकुड़ी से नरम नाजुक गुलाबी होठ।उसको देखते ही बोला,"मैने सोचा भी नही था,मुझे अप्सरा सी सुंदर बीबी मिलेगी।"
और सुरेश ने उसको बाहों में भरकर उसके होठो को चूम लिया था।अप्सरा सी रूपसी पत्नी को पाकर उसका चेहरा खुशी से खिल उठा था।वह तो निशा को देखते ही उसका दीवाना हो गया था।सुरेश उसे बाहों में भरकर चूमने लगा।फिर ज्यो ही उसने निशा के शरीर से साड़ी को अलग करना चाहा।निशा बोली थी,"बत्ती बुझा दो।"
"क्यो?."मुझे शर्म लग रही है।"
"शर्म।किस्से।
"आप से
"मिया बीबी में कैसी शर्म
और सुरेश ने एक एज करके सारे वस्त्र उतार दिए
वह सेक्स का स्वाद पहले ही चख चुका था।लेकिन आज एक नया अनूभव उसे हुआ था।एक कुंवारी औरत और एज विवाहिता से शारीरिक सम्बन्ध का अंतर उसे मालूम हुआ था।
सुरेश निशा के रूप और यौवन का ऐसा दीवाना हुआ कि उसे पता ही नही चला कि कब शादी के बाद का एज महीना गुजर गया।वह रात दिन उसके पास ही रहता।और सुरेश की छुट्टियां खत्म हो गयी।और उसके जाने का समय आ गया।वह निशा से बोला,"मैं अकेला नही जाना चाहता।
"तो
"तुम्हे अपने साथ लेकर जाना चाहता हूँ।पर
"पर क्या/निशा ने उससे पूछा था
"निशा तुम भी गांव से ही हो इसलिए गांव के माहौल से पूरी तरह वाकिफ हो।शहर में चाहे प्रगति की बयार बाह रही हो।शहर केलोगों की मानसिकता और सोच बदल गयी हो।लेकिन गांव में अभी परिवर्तन नही आया है।,"सुरेश बोला,"अगर मैं अभी तुम्हे साथ ले जाऊंगा तो गांव के लोग ही नही घर के लोग भी बाते बनाने लगेंगे।"
"तुम्हारी भावनाओं को मैं समझ सकती हूँ।"निशा पति की बात सुनकर बोली थी।
"अभी तुम्हे कुछ दिन गांव में ही रहना होगा।मैं बहुत जल्दी तुम्हे अपने साथ ले जाऊंगा।"
सुरेश जाने लगा तो निशा की आंखों में आंसू आ गए थे।सुरेश उसे बाहों में भरकर उसके होठो को चूमते हुए बोला,"पगली रोओ मत। कुछ दिन तक धीरज धरो।मैं अकेला नही जा रहा हूँ।"
"तो?
"मैं तुम्हारे साथ गुजारे पल की यादें अपने साथ लेकर जा रहा हूँ।और ये यादे ही मुझे हर पल तुम्हारी याद दिलाती रहेगी।"
और सुरेश,निशा से विदा लेकर चला गया था।