Indian - 2 in Hindi Spiritual Stories by Dikshadixit books and stories PDF | इंडियन - 2

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इंडियन - 2

दस साल पहले...

जगत– जंगल की ओर देखते हुए, "खुशी" रुको बेटा मत जाओ मैं वादा करता हूं कि तुमको मुझसे दूर कोई नही कर सकता कोई नही ले जाएगा तुमको तुम्हार जगत भईया तुमको बहुत प्यार करते हैं, कोई कुछ नही बोलेगा तुमको मेरे पास आओ "खुशी" प्लीज बेटा आ जाओ भईया आपको कुछ नही होने देगा।

खुशी– रोते हुए, नही मुझे पता है आप झूट बोल रहे हैं मुझे जेल में डाल देंगे आप झूट हो मैं मर जाऊंगी भईया आप मुझे छोड़ दो जाओ यहां से आप मुझे मार देंगे मैं नही आऊंगी।

जगत– नही नही रुको खुशी मेरी बात सुनो मैं आपको बहुत प्यार करता हूं मेरे पास आओ।

खुशी– जमीन पर बेहोश होते हुए, भईया मुझे बचा लो।

जगत– चिल्लाते हुए, "खुशी"

शर्मा हाउस.....

पुलिस इंस्पेक्टर– देखिए मिस्टर विजय मैं जानता हूं खुशी के दिल को बहुत ठेस पहुंची है आप परेशान ना हों आप खुशी को हमारे हवाले कर दो मैं वादा करता हूं कैस की पूरी छान बीन मैं खुद करूंगा।

विजय– पर खुशी अभी ठीक नही है आप उसे कुछ नही पूछ सकते आप देख रहें है उसकी हालत वो आपकी आवाज से ही डर जाती है, बह अभी बेहोश है मेरी बच्ची अभी होश में भी नही आई है,
और आप उसे ले जाने की बात कर रहें हैं।

पुलिस इंस्पेटर – ठीक है सर आप हमारे सीनियर हैं पर मर्डर पॉइंट पर आपकी खुशी को ही देखा गया है, आप जो कहेंगे हम करेंगे पर मेरी ड्यूटी है मेरे ऊपर दवाब है। सर मैं किया करू आप चाहते हैं तो मैं कल आता हूं।

"रात का समय"

सरोज– विजय आप जानते है ना हमारी खुशी कितनी मासूम है बह किसी को जान नहीं ले सकती आप उसे कुछ नही होने देंगे,

खुशी – नींद में चिल्लाते हुए मां मेने कुछ भी नहीं किया आप मुझे कही नही बेजना वो पुलिस मुझे मार देगी मुझे बचा लो मां वो मुझे मार देंगे।
सभी लोग खुशी के कमरे की ओर देखते हुए खुशी,खुशी, खुशी

जगत– खुशी को गले लगाते हुए कुछ नही होगा आपको कोई नही ले जायेगा आपको मैं हूं आपके पास।
खुशी के सोते ही सब चले जाते हैं

फिर से खुशी की नींद खुली बह जल्दी जल्दी उठी और अपना बैग लिया उसमे चुपके,चुपके कपड़े लगाए अपनी सभी जरूरी चीज रख रही हैं, बह अपने कमरे से बाहर की ओर झांक कर देखती है कि कोई है तो नही।
बह घर से भाग रही है उसने गेट पर जा कर पीछे मुड़ कर देखा कि रुद्र उसके पीछे खड़ा है, बह सहमी और नमी आंखो से उसकी तरफ देखता है, और कहता है

रुद्र – जाओ खुशी और कभी लोट कर मत आना, जाओ जल्दी चली जाओ बरना य सब तुमको मार देंगे कभी यहां मत आना जल्दी जाओ अपना ख्याल रखना, मैं तुमको बहुत मिस करूंगा मुझे भूल नही जाना।

खुशी – रोते हुए रुद्र भईया उसको गले लगा लेती है, और जाने को होती है रुद्र खुशी को भगाने में सामिल हो गया खुशी नही
जानती बह कितनी बड़ी गलती कर रही है बह बस अपने घर को ही नही अपने सपने, अपने बचपन अपनी खुशी अपना परिवार सब छोड़ रही है। खुशी घर से भाग गई।।

"दस साल बाद"
( शहर ऋषिकेश)
क्रमश: