009 SUPER AGENT DHRUVA - 5 in Hindi Adventure Stories by anirudh Singh books and stories PDF | 009 सुपर एजेंट ध्रुव (ऑपरेशन वुहान) - भाग 5

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009 सुपर एजेंट ध्रुव (ऑपरेशन वुहान) - भाग 5

सी 19 वायरस की प्रलयंकारी दूसरी लहर से मची त्राहि से भारत अभी उबरता जा रहा था, धीरे धीरे स्थिति सामान्य हो रही थी........शॉपिंग मॉल,पर्यटन स्थल,बाजार,एयरपोर्ट,रेलवेस्टेशन आदि स्थानों पर भीड़ की चहलकदमी फिर से होने लगी थी....इन्ही बदलती हुई परिस्थितियों के बीच तमिलनाडू राज्य के 'सलेम' शहर को कर्नाटक के 'बंगलूरू' से जोड़ने वाले राष्ट्रीय राजमार्ग NH 44 पर बंगलौर से कुछ ही दूर पहले कर्नाटक पुलिस द्वारा वाहन चेकिंग की जा रही थी,जिससे सड़क पर वाहनों की एक लंबी कतार लग चुकी थी......आमतौर पर इस रूट पर इस प्रकार की वाहन चेकिंग न के बराबर ही होती थी, पर विगत एक महीने से शहर में बढ़ रहे ड्रग्स एवं अन्य प्रतिबंधित नशीले पदार्थो की तस्करी के मामलों के कारण बंगलौर के नए पुलिस कमिश्नर ने हाल ही में इस प्रकार का सख्त कदम उठाया था।

चेकिंग नाके पर कुछ पुलिसकर्मियों के साथ नारकोटिक्स के कुछ अफसर भी मौजूद थे.....प्रत्येक वाहन को बारीकी के साथ चेक किया जा रहा था.....इसी क्रम में अगला नम्बर एक विशालकाय ट्रक का था, जिस पर इंडियन ऑयल कम्पनी का लोगो लगा हुआ था.....ट्रक ड्राइवर ने जो दस्तावेज दिखाए उनके अनुसार इस ट्रक में एक कैमिकल था ,जिसका उपयोग कम्पनी द्वारा पेट्रोलियम को अधिक समय तक सुरक्षित रखने में किया जाता था,और इसको कम्पनी के बैंगलोर स्थित वर्कशॉप में तमिलनाडू की नागापट्टनम फैक्ट्री से लाया जा रहा था........पुलिस कर्मियों ने ट्रक का पिछला दरवाजा खोल कर चेक किया तो उसमें बहुत सारे बड़े कनस्तर रखे हुए थे.......सन्तुष्ट हो जाने पर ट्रक को आगे जाने की स्वीकृति दी गयी...…
तभी अचानक से वहां मौजूद एक नारकोटिक्स अफसर वी. रंगनाथ रेड्डी को शक हुआ,और उसने ट्रक को साइड से पार्क करवा दिया.......दरअसल रेड्डी की पिछली पोस्टिंग नागापट्टनम में ही थी, और इंडियन ऑयल की जिस फैक्टरी का जिक्र ट्रक ड्राइवर द्वारा दिखाए गए दस्तावेजों में किया गया था,वहां अक्सर उसका जाना आना था.…...उस फैक्ट्री के मैनेजर से रेड्डी के सम्बंध काफी घनिष्ठ थे.......मैनेजर ने उन्हें बताया था कि किस तरह से ट्रक ड्राइवर लालचवश दूसरी पेट्रोलियम कम्पनियों से मिलकर उनकी अच्छी क्वालिटी के पेट्रोल एवं दूसरे महंगे केमिकल्स की एक बड़ी मात्रा को रास्ते मे ही
बदलकर उसमें नकली पदार्थो की मिलावट कर देते हैं......और यह सब अधिकांशतः तमिलनाडू -कर्नाटक के बॉर्डर के आसपास ही किया जाता है।

रेड्डी अपने मैनेजर मित्र को ट्रक की लोकेशन एवं स्टेट बॉर्डर क्रॉस किये जाने की सूचना देना चाह रहे थे......
जैसे ही रंगनाथ रेड्डी ने फोन पर बात करनी स्टार्ट की ,ड्राइवर के चेहरे की हवाइयां उड़ना शुरू हो गयी......
फोन कट करते ही रेड्डी अपने साथियों की तरफ देख कर चीखे......."ये डॉक्यूमेंट्स फेक है.....रंगपट्टनम वाली फैक्ट्री से कोई भी केमिकल नही भेजा गया......चेक करो इस केमिकल को.....कही इसमें भी तो कोई नशीला पदार्थ नही"

इतना सुनकर वहां मौजूद पुलिसकर्मियों ने ट्रक ड्राइवर को पकड़ लिया.....पर उस से पहले ट्रक ड्राइवर अपने मोबाइल से कोई नम्बर डायल कर चुका था.....

नारकोटिक्स की टीम धड़धड़ाते हुए ट्रक के बेसमेंट में चढ़ गई......और एक कनस्तर के ढक्कन को खोलने का प्रयास करने लगी.....ढक्कन खोलते ही वातावरण में एक अजीब सी तीखी गन्ध फैल गयी.......अपने अपने मास्क को संभालते हुए रेड्डी ने एक इंजेक्शन को कनस्तर में डाल कर उसमें केमिकल भर लिया.....फिर अपने साथी द्वारा हाथ मे पकड़े एक डिजिटल उपकरण के पैनल पर कुछ बूंदे डाल दी.....
यह सभी प्रकार के केमिकल्स एवं अन्य पदार्थो की सूक्ष्मता से जांच कर के उनका विश्लेषण करने वाला एक विशेष उपकरण था.......थोड़ी ही देर बाद यंत्र की डिसप्ले पर इस केमिकल का बायोलॉजिकल फॉर्मूला दिखाई पड़ा "CSH2SO8CH"

"ये कैसा अजीब कैमिकल है सर.....हमारी इस डिवाइस में दुनियाभर के सभी कैमिकल्स के रिकॉर्ड मौजूद है...पर तब भी इसका नाम नही दिखा.....बस ये फॉर्मूला ही दिख रहा है...."

रेड्डी के सहयोगी ने आश्चर्य के साथ उनकी ओर देखते हुए कहा.

"लगता है यह कोई नया केमिकल है,जिसका रिकॉर्ड हमारी डिवाइस के डेटा में उपलब्ध नही है. ....पर किसी नए कैमिकल का इतनी बडी मात्रा में निर्यात कोई भला क्यों करेगा......दाल में जरूर कुछ काला है.......मैं हेडक्वॉर्टर सूचना करता हूँ......तुम लोग तब तक इस ट्रक को सीज करवाओ....."

इसी के साथ रेड्डी ने इस केमिकल के बारे में अपने वरिष्ठों को सूचना दी और फिर स्वयं भी इस कैमिकल को सीज किये जाने की प्रक्रिया में जुट गए .......तभी अचानक एक बार फिर से उनका फोन बजा,फोन नारकोटिक्स हेडक्वार्टर से ही था।

"मिस्टर रेड्डी....नारकोटिक्स चीफ सुबन कुमार लाइन पर है आपसे बात करना चाहते है"

चीफ स्वंय बात करेंगे यह सोच कर रेड्डी उत्साह से भर गए थे।

फिर कुछ ही सेकेंड्स के बाद सुबन कुमार लाइन पर थे।

"रेड्डी.....आर यू स्योर.....यह CSH2SO8CH ही है?"

जबाब में रेड्डी ने कॉन्फिडेंस के साथ "यस सर" कहा।

"ओह माय गॉड......रेड्डी अलर्ट रहना......हम जल्दी ही बैकअप भेज रहे है।"

नारकोटिक्स चीफ के इन शब्दों ने रेड्डी को सकते में डाल दिया।

"सर......एवरीथिंग इज ओके?"

"रेड्डी.....यह फॉर्मूला रैबिट्रोजोम का है.....दुनिया भर में सी 19 वायरस को घातक रूप देकर हाहाकार मचाने को मजबूर कर देने का जिम्मेदार यही कैमिकल है.....चाइना का एक खतरनाक जैविक हथियार"

यह सुनकर मानो रेड्डी के पैरों तले जमीन खिसक गई हो।

फोन कट हो चुका था....रेड्डी ने पलट कर ट्रक की ओर देखा.....उसके सहयोगी एवं पुलिस कर्मी मिलकर उस कैमिकल को सीज करने में जुटे थे,और शेष पुलिसकर्मी अभी भी पूर्ववत वाहन चेकिंग कर रहे थे।

इस से पहले कि रेड्डी अपने साथियों के पास पहुंच कर उन्हें कुछ बता पाते.....एक जोरदार धमाका हुआ......चेकिंग के लिए लगाए गए बेरिकेड और उनके आस पास मौजूद कुछ पुलिसकर्मियों के चीथड़े हवा में उड़ गए.......चारो तरफ अफरातफरी मच गई.......लोग अपने अपने वाहनों से उतर कर यहां वहां भागने लगे......
यह धमाका रॉकेट लॉन्चर से किया गया था.....बैरीकेडिंग से कुछ ही दूर सड़क पर बुलेट प्रूफ जैकेट और मशीन गनों से लैस कुछ मुस्टंडे खड़े हुए थे......उनके ही ठीक बीच में मास्क से फेस कवर किये हुए एक और शख्श खड़ा था, जिसके हाथों में रॉकेट लॉन्चर था......इसी ने पहला अटैक किया था।

इस से पहले कि पुलिसकर्मी इस अप्रत्याशित हमले का प्रतिउत्तर देने के लिए तैयार हो पाते.....आग उगलती मशीनगनों से निकली गोलियों ने उन्हें सम्भलने का मौका दिए बिना एक एक करके उनके जिस्मों को छलनी कर दिया......इन्ही में से एक गोली रेड्डी के सीने को भी चीरते हुए निकल गई।
बमुश्किल चंद मिनटों में ही अधिकांश पुलिसकर्मी जमीदोंज हो चुके थे.....कुछ ही भाग्यशाली ऐसे थे,जो भाग कर अपनी जान बचानें में कामयाब हो सकें.......

पुलिस और नारकोटिक्स के जवानों के कुछ मुर्दा और कुछ तड़पते हुए अधमरे शरीरों को कुचलते हुए वह लोग कैमिकल से लोडेड उस ट्रक को ड्राइवर सहित वहां से ले गए।
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लगभग आधे घण्टे बाद वहां भारी पुलिसफोर्स और मीडिया का जमावड़ा था......सारे इलाके में पुलिस और सेना के द्वारा इस हत्याकांड के आरोपियों की सर्चिंग की जा रही थी.......ड्रोन एवं हेलिकॉप्टरो के द्वारा इलाके का चप्पा चप्पा छाना जा रहा था......कुछ घण्टो के बाद पास की एक नदी में क्रेन की मदद से ट्रक को बरामद कर लिया गया.....पर वह पूरी तरह खाली था.....शायद ट्रक को नदी में गिराने से पहले ही उस कैमिकल को कहीं और शिफ्ट कर दिया गया था।

अब तक रॉ और आईबी के वह सभी जिम्मेदार अधिकारी भी घटनास्थल पर आ चुके थे,जिनको इस घातक कैमिकल को ढूंढने का जिम्मा दिया गया था।

"
कितनी शर्मिंदगी महसूस हो रही है आज......जिनको ढूंढने के लिए हम दिन रात एक कर रहे है.....वह हमारे घर मे ही तांडव मचा कर बड़ी आसानी से निकल भी गए......"

इस ऑपरेशन को लीड कर रहे कैप्टन विरा ने अपनी झुंझलाहट टीम के अन्य सदस्यों से जाहिर की।

"विराज सर.....इतनी बड़ी क्वांटिटी में उस केमिकल को लेकर वह ज्यादा दूर नही जा पाए होंगे......उम्मीद है हम जल्दी ही उनको ढूंढ निकालेंगे"

इस टीम के ही एक अन्य सदस्य ने अपने लीडर का हौंसला बढ़ाया।

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उधर बैंगलुरू शहर सटे हुए घने जंगल में जमीन के अंदर बना एक बेहद सुरक्षित ठिकाना......

परिंदा भी पर न मार सके ऐसे घने जंगल में इस प्रकार का भूमिगत बेसमेंट भी हो सकता है,इसकी कल्पना शायद कोई न कर सकें.......अपने मेहमानों को उनके पास मौजूद सेंसर से पहचान कर पेड़ ऑटोमैटिकली एक तरफ हट कर सामने का रास्ता साफ करते है,और फिर पास रखी हुई विशालकाय चट्टान में छिपी हुई लेजर बीम आंखों की रेटिना को पढ़कर सिक्योरिटी सिस्टम को व्यक्ति की पहचान सुनिश्चित कराती है.......और फिर बिना आवाज किये खुलता है जमीन पर बना हुआ वह विशाल दरवाजा,जिसके रास्ते एक साथ कई बड़े वाहन भी उस बेसमेंट में दाखिल हो सकते है.........इस बेसमेंट के सिक्योरिटी फीचर्स इतने जबरदस्त थे कि इस जगह पर हो रहे मूवमेंट को किसी भी प्रकार से ट्रेस किया जाना सम्भव नही था.......
बेसमेंट के अंदर मौजूद ढेर सारे अत्याधुनिक उपकरण,कई चार पहिया गाड़िया,जगह जगह मौजूद सिक्योरिटी गार्ड्स,चमचमाता हुआ प्रकाश,कुछ विशेष लोगो की चहलकदमी...और एक बड़ी सी लैब......इसी लैब के बीच खड़ा है वह शख्स जो कुछ घण्टो पहले हाथ मे रॉकेट लांचर लिए पुलिस पर आग उगल रहा था......अब उसके चेहरे पर कोई मास्क नही था........उसके चेहरे की बनावट साफ इशारा कर रही थी कि यह कोई चाइनीज है.........पर चाइनीज होने के बावजूद उसकी जुबां से निकली शुध्द हिंदी बोली......उसके टैलेंट को भी साफ बयां कर रही थी......हां यही था चांग ली.......वह चाइनीज एजेंट,जिसने हमारे देश मे दहशत मचा रखी थी........

"प्रोफेसर कुम्भलकर.......अब हम जो काम एक हफ्ते बाद करना चाह रहे थे,उसका आरम्भ आज से ही करेंगे....इन मूर्ख भारतीयों ने हमारा रास्ता रोक कर अच्छा नही किया..... हमारी ताकत का अंदाजा इनको अब होगा......शमशान बना देंगे इंडिया को।"

सामने खड़े हुए शख्श आंध्रप्रदेश के प्रसिद्ध न्यूक्लियर साइंटिस्ट डॉक्टर अनन्त कुम्भलकर थे....जो पिछले कई सालों से न्यूक्लियर के साथ साथ वायो वेपन्स पर भी शोध कर रहे थे.......कुछ महीनो पहले उनका सारा परिवार चेन्नई से गायब हो गया था.…...पुलिस भी लाख कोशिशों के बावजूद कोई सुराग नही लगा पाई थी।

"चांग ली......गलत है ये सब.....तुम और तुम्हारा देश इंसानियत का गला घोंट रहे हो........मैं अब और गद्दारी नही कर सकता अपने लोगो से......"

"प्रोफेसर.....मत भूलो मेरे एक इशारे पर तुम्हारे बीबी ,बच्चों के साथ तुम्हारी चार साल की वह मासूम पोती, जिसको तुम सबसे ज्यादा प्यार करते हो......सबकों एक दर्दनाक मौत दे दी जाएंगी.......चिता भी नसीब नही होंगी उनको.......इसलिये जो मैं कहता हूँ करते चलो....काम खत्म होने पर आजादी भी मिलेंगी और मुंह मांगी कीमत भी......चाइना हमेशा अपने सहयोगियों का ख्याल रखता है।"

यही धमकी सुनकर तो प्रोफेसर मजबूर हो जाते थे,चांग की के हाथों की कठपुतली बनने को।

"तुम सच मे हैवान हो चांग ली"

"फालतू बकवास छोड़ो प्रोफेसर, और काम मे लग जाओ.......कन्याकुमारी में छिपा कर रखा हुआ रैबिट्रोजोम कैमिकल की एक बड़ी खेप हम सफलतापूर्वक ले आये है......इतना केमिकल समूचे दक्षिण भारत को बर्बाद करने के लिए पर्याप्त होगी........आज हमारा इशारा मिलते ही चाइनीज सैटेलाइट्स द्वारा दक्षिण भारतीय क्षेत्रो में भ्रूण अवस्था में सी-19 वायरस के कुछ नए वैरिएंट की वर्षा की जाएगी.......सामान्यतः यह वायरस सिर्फ मानवीय शरीर मे जीवित रह सकता है,पर इसके जीन्स में हमारे वैज्ञानिकों ने गजब के परिवर्तन किए है, उनके कारण इस वायरस की भ्रूण अवस्था को 72 घण्टो तक बिना इंसानी शरीर के किसी भी माध्यम में सुरक्षित रखा जा सकता है.....मानवीय शरीर के सम्पर्क में आते ही यह वायरस स्वतः ही अपनी अवस्था परिवर्तन कर लेते है.....और फिर शुरू हो जाती है कभी न टूटने वाली एक लम्बी चेन.......इस वायरस को जानलेवा बनाने वाले इस रैबिट्रोजोम कैमिकल को उपयोग से ठीक पहले फ्यूजन इग्निशन(नाभिकीय संलयन) प्रक्रिया से गुजरना होता है......इस प्रक्रिया के सम्पन्न होते ही यह प्रभावी हो जाएगा........और फिर हमारे ठीक बगल से निकली साऊथ की सबसे बड़ी वाटर पाइपलाइन में इंजेक्ट करके एवं खुले वातावरण में ऑक्सीजन से रिएक्शन करवा कर इसके खतरनाक स्वरूप को तबाही का मंजर बनाने के लिए छोड़ देंगे.............. चूंकि भारत का क्षेत्रफल काफी बड़ा है,इसलिए इतना होने के बाद हम यह जगह छोड़ कर अपने अगले ठिकाने पर चलेंगे......हमारा अगला निशाना होगा मध्य भारत...अर्थात सभी हिंदी भाषी राज्य......तो प्रोफेसर लग जाओ काम में.......तीसरी लहर की शुरुआत आज से ही होगी.....और अगले एक हफ्ते में इसके आगोश में हम ले लेंगे सारे इंडिया को....."

सच मे उम्मीद से ज्यादा खतरनाक था चाइना का यह प्लान........।

पर उनके इरादों को नेस्तनाबूद कर देने की कोशिशें हमारी ओर से भी जारी थी, हमारी कहानी का हीरो ध्रुव ,जेनिफर के साथ चाइना के बीजिंग एयरपोर्ट पर लैंड हो चुका था, इस बार उसकी नई पहचान पी.कुमारस्वामी के रूप में थी, जो कि भारतीय तमिल मूल का एक कैनेडियन बिजिनेस मैन और सॉफ्टवेयर कम्पनी का मालिक था.....और अपनी असिस्टेंट के साथ एक महत्वपूर्ण 'आईटी मीट्स' में भाग लेने चाइना आया था।

.........कहानी जारी रहेगी.........