invisible magistrate in Hindi Short Stories by milan ji books and stories PDF | अदृश्य दंडाधिकारी

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अदृश्य दंडाधिकारी

अशोक अपना नाश्ता लेकर टीवी के सामने बैठ जाता है और टीवी ऑन करके न्यूज़ देखने लगता है। न्यूज़ में दिखाया जा रहा था कि किसी अदृश्य व्यक्ति ने सी.एम. के बेटे को बहुत पीटा है। एक पुलिस अफ़सर उसपे बोलता है, "हमने सर सी.एम. के बेटे से पूछा तो हमे वही सुनने को मिला जो पिछले एक हफ़्ते से अलग–अलग बड़े–बड़े गुंडों से हमे सुनने को मिल रहा है। वो कह रहे हैं कि उन्होंने गुनाह की है, उन्हें जेल में डाल दिया जाए और वे उस दंडाधिकारी के हाथों मरना नहीं चाहते।"

अशोक अपना नाश्ता खतम करता है और सोफे पे लेट जाता है। उसकी आंख लग जाती है। वो एक सपना देखने लगता है। सपने में वो देखता है कि रात के १२ बज रहे होते हैं और बारिश होनेवाली होती है। उसका एक्सीडेंट हो गया होता है, पूरा शरीर उसके गाड़ी के अंदर फंसा हुआ होता है और वो उससे निकलने की कोशिश कर रहा होता है। वो धीरे–धीरे अपना सिर बाहर निकालता है। फ़िर वो अपना आधा शरीर निकाल लेता है । पर उसके बाद वो जो देखता है, वो देखकर उसकी रूह कांप जाती है। चारों तरफ़ खून ही खून और उसकी गर्भवती बीवी की बेजान आंखें उसकी तरफ देख रही होती हैं। अशोक को जिसका सबसे ज़्यादा डर था वो हो चुका था। उसकी बीवी और बच्चे दोनो मर थे। वो निकलकर अपनी बीवी के पास जाता है। तभी अचानक उसपर बिजली कड़ककर गिरती है। गाड़ी में आग लगकर एक ज़ोरदार धमाका होता है और अशोक दूर जा गिरता है। वो उठकर चिल्लाता है, "नहीं........."। पर सब खतम हो चुका था। वो कुछ घंटों तक वहीं पड़ा रोता रहता है।

उसकी नज़र उसके हाथों पर पड़ती है तो वो घबरा जाता है। वो अदृश्य हो चुके होते हैं। वो अपने शरीर को देखता है। वो पूरी तरह से अदृश्य हो चुका होता है। वो पागल होने लगता है और ज़ोर से एक बड़े से पत्थर पर लात मारता है तो वो पत्थर खिसक जाती है। उसमे बेशुमार ताकत भी आ गई होती है। अब वो असमंजस में पड़ जाता है की अब क्या करें?

तभी उसका सपना टूट जाता है। वो एक गहरी सांस लेकर उठता है। उसके आंखों से आंसू निकलने लगते हैं और वो निकलते ही जाते हैं। वो फूट फूट कर रोने लगता है क्योंकि यह सपना सिर्फ़ एक सपना नहीं बल्कि एक याददाश्त थी।

अशोक खुदको संभालते हुए उठता है। बिजली गिरने के कारण उसमे जो अदृश्य और ताकतवर होने की शक्तियां आ गई होती हैं, वो उनको एक वजह देना चाहता है। इसीलिए वो दंडाधिकारी बनकर उसी नाम से गुंडों को सबक सिखाने निकल पड़ा था।

रात को किसी सुनसान सड़क पर एक बूढ़ा व्यक्ति कुछ महंगे सामान लिए चला जा रहा होता है। तभी कुछ बदमाश गुंडे उसके सामने आ जाते हैं। वो बूढ़े व्यक्ति को पीटकर गिरा देते हैं और उसका सारा सामान ले लेते हैं। वो वहां से भागने ही वाले होते हैं कि घने कोहरे में उन्हें किसीके होने का एहसास होता है। पहले गुंडे के हाथों से सामान गिर जाते हैं। दूसरे गुंडे के हाथों से भी सामान गिर जाते है। तीसरा गुंडा थोड़ी सी हिम्मत करके चिल्लाते हुए पूछता है, "क्–क्–क्–कौन है वहां?" तो उसको अपने सामने से और बहुत पास से एक भारी–भरकम आवाज़ आती है — "दंडाधिकारी"।