Jog likhi - 6 in Hindi Love Stories by Sunita Bishnolia books and stories PDF | जोग लिखी - 6

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जोग लिखी - 6

‘‘आप बताओ भइया, हमसे कब मिलवा रहे हैं शगुन जी… हमारी होने वाली…भौजी से ।’’
"‘हमारा बस चले तो अभी मिलवा दें ,पर वो पहले हमसे तो बात करे।"
"भइया एक बार कीजिए ना कॉल।’’
चलो मैं मैसेज करता हूँ .... वाट्सअप ऑन करते हुए -" अरे! ऑनलाइन है अभी पूछता हूँ।"
सागर ने शगुन को मैसेज किया कि-
"बात करनी हैं, वीडियो कॉल.... !!"
शगुन ने साफ मना कर दिया, ‘‘बात तो हो जाएगी पर वीडियो कॉल नहीं।’’
इस पर सागर के फोन करते ही शगुन ने फोन उठा लिया जैसे ही सागर ने हैलो..! कहा शगुन चालू हो गई-
‘‘उस दिन तो अंजलि से बड़ा कह रहे थे बात करनी है, बात करनी है, बात भूल गए थे क्या ? वैसे आज याद आ गई आपको बात। चलिए बताइए क्या जरूरी बात करनी थी आपको।"
दूसरी तरफ सागर के फोन शंभू ने ले लिया था इसलिए शगुन की बात खत्म होने पर शंभू बोला-" खूब खबर लीजिए भईया की पर हम सागर भैया के छोटे भाई शंभूनाथ बोल रहे हैं।". इतना सुनते ही शगुन ने फोन काट दिया।
सागर ने दुबारा फोन किया तो शगुन ने शर्माते हए फोन उठाया और जब निश्चिंत हो गई कि फोन पर सागर ही है तो उसने कहा- "आप हमें बता तो देते।"
घबराहट के कारण वो ज्यादा देर बात नहीं कर पाई और फिर बात करने का वादा कर फोन रख दिया और शाम को पुतुल को फोन कर सारी बात बताकर खूब हँसी।
रात को बुआ के साथ मस्ती मजाक और हृदय में सागर के नाम की लहरों के उछाल से भीगी शगुन अपनी दादी से चिपक कर सो गई।
वो घर के कामों में माँ और चाची की मदद करती और छोटे भाई - बहनों को शहर से सीख कर आई खाने की नई-नई चीजें बनाकर खिलाती। उस दिन हमेशा की तरह अम्मा ने सुबह-सुबह घर का सारा काम कर लिया। शगुन गाय-भैसों को चारा डालने और उन्हें पानी पिलाने में माँ की मदद करने लगी।
शगुन को बड़ा आश्चर्य हुआ कि आज अम्मा-बाबा, चाचा-चाची खेत में काहे नहीं जा रहे बात क्या है। फिर भी कुछ विचार कर कुछ नहीं पूछा कि- ‘चलो- अच्छा है, एक दिन घर में रहकर आराम तो करेंगे। ’’
ऐसा सोचती हुई वो घर के पिछवाड़े में बने टीन के कमरे के नीचे से चारपाई उठाकर बाहर बरामदे में खड़े शहतूत के पेड़ के नीचे डालकर बैठ गई । शगुन की माँ भी वहीं शगुन के पास आकर बैठ गई थी। लगभग दस पंद्रह मिनिट बाद वो घर के अंदर गई और फ्रिज से पानी की बोतल निकाल कर लाई। वो ये देखकर हैरान थी कि लाली बुआ आज पूरे घर की धूल-झाड़ने में लगी है जबकि कल ही उसने बुआ के सामने खुद घर की अच्छी तरह धूल झाड़ी थी।
बाहर बाबा के कमरे की दोनों खाटों पर चद्दर तकिए भी बदले गए है और मुड्डियाँ भी लगाई गई है।
वाह... बुआ ने आज तो टेबल पर खुद का कढ़ाई किया हुआ मेजपोश बिछाया है।
अम्मा भी खुशी-खुशी उन्हें सारा सामान निकाल कर दे रही है। नई प्लेटें, नई चम्मच, गिलास और आज तो अम्मा ने शहर से शगुन के लाए हुए कप भी निकाले हुए है।
क्रमशः..
सुनीता बिश्नोलिया