कहानी - ये हवेली नहीं बिकेगी
दादी माँ अपने पोते अनिल की शादी गाँव की पुरानी हवेली से संपन्न कराना चाहती थीं . अनिल तीन सप्ताह के लिए अमेरिका से अपनी शादी के लिए दिल्ली आया था . उसके माता पिता वर्षों यहीं सेट्ल कर चुके थे . उसकी बड़ी बहन रमा की शादी हो चुकी थी और वह भी दिल्ली में ही सेट्ल्ड थी . पर दादी ने जिद पकड़ ली थी कि शादी दिल्ली में नहीं गाँव से होगी .सभी लोग उन्हें समझाने में लगे थे , फिर उन्होंने अपनी भरपूर आवाज में कहा “ अगर मेरी जिंदगी में अनिल की शादी होगी तब गाँव की हवेली से होगी . रमा की शादी तुम लोगों ने मेरी मर्जी के विरुद्ध दिल्ली से किया है . पर इस बार मैं नहीं मानने वाली हूँ . “
रमा ने दादी से कह “ यहाँ दिल्ली में शादी के लिए सभी प्रकार की सुविधाएं उपलब्ध हैं . यहाँ शादी बड़े धूमधाम और शानशौकत से होगी . गाँव में बहुत परेशानी होगी . आप भी तो दस साल से व्हीलचेयर पर हैं . आपको भी तो वहां उतनी ही दिक्कत होगी . “
“ नहीं , इन दस सालों में गाँव अब पहले जैसा नहीं रहा है . वहां से लोग अक्सर आ कर हमसे मिलते हैं . उनका कहना है कि गाँव अब बहुत बदल गया है . पक्की सड़क , बिजली , पानी आदि की सुविधाएँ वहां भी उपलब्ध हैं . बाकी जो भी जरूरत पड़ती है सब पांच दस किलोमीटर के अंदर में मिल जाती हैं . इसके अलावा तेरे दादाजी सालों तक सरपंच रहे थे . लोग अभी भी उनका नाम आदर से लेते हैं . “ दादी ने कहा
“ दादी , पर बिजली और पानी अभी तक हवेली में नहीं है . इसके अलावा मेहमानों को काफी दिक्क़त होगी आने जाने और वहां रहने में . ऊपर से वर्षों से गांव वालों से संपर्क नहीं रहा है . क्या पता उनका सहयोग मिलेगा या नहीं ? “
“ जो अपने हैं और शादी में आना जरूरी समझते हैं वे थोड़ी तकलीफ झेल कर भी शादी में जरूर आएंगे . नहीं आने वालों के लिए सैकड़ों बहाने हैं . वैसे भी शादी के बाद यहाँ पर हमलोग रिसेप्शन कर ही रहे हैं , जो छूट गए यहाँ आएंगे ही . “
अंत में अनिल ने खुद कहा “ आप सभी दादी की बात क्यों नहीं मान रहे हैं ? मुझे कोई प्रॉब्लम नहीं है .पर क्या लड़की वाले भी इसके लिए यैयार हैं ? “
“ हाँ , बिना किसी तिलक दहेज़ के उन्हें अमेरिकन दामाद मिल रहा है , कैसे तैयार नहीं होते ? मैंने पहले ही उनसे बोल दिया था कि तेरी शादी गाँव से होगी . “
“ और तुम्हारे अमेरिकी कुछ दोस्तों को यह अच्छा लगेगा ? “ रमा ने टोका
“ मैं उन्हें मैनेज कर लूँगा . उन्हें शहर में होटल में ही ठहराऊंगा . शादी की सभी रस्में दो दिन में हो जानी चाहिए . शादी की ख़ास रस्मों के लिए उनके पास कैब रहेगा . वैसे भी हमारा गाँव मात्र 40 किलोमीटर ही दूर है . मैं कल ही गाँव जा कर देख आता हूँ कि हमें क्या क्या इंतजाम करना होगा . मैं दो तीन बाद ही आऊंगा . मैं जब पांच साल पहले वहां गया था उस समय हवेली की स्थिति उतनी बुरी भी नहीं थी . देखता हूँ कैसे इम्प्रूव हो सकता है . अब ये चैप्टर यहीं पर खत्म करो आप लोग . “
“ तुमने बहुत अच्छा सोचा है . आखिर पुश्तैनी जमीन जायदाद को भूलना नहीं चाहिये . तुम सामने वाले पंडितजी के परिवार से मिलना . वे तीन पुस्तों से हमारे पारिवारिक पुरोहित रहे हैं . शादी ब्याह के अलावा हमारे मंदिर में वही पूजा कराते आये हैं . अभी भी मंदिर के रख रखाव और पूजा के लिए उन्हें हर महीने हम पैसे भेजते रहते हैं . तुम जा रहे हो तो मंदिर भी देख लेना ठीक ठाक है या नहीं . जरूरत हो तब थोड़ा चूना आदि करा देना . “
अनिल एक SUV से गाँव के लिए रवाना हुआ . साथ में उसने कुछ लेबर ले लिए जिनमें पेंटर इलेक्ट्रीशियन और प्लंबर थे . इसके लिए अनिल ने कुछ सामान भी साथ रख लिए थे .
गाँव पहुँच कर अनिल ने देखा कि पिछले पांच सालों में हवेली की हालत और ख़राब हो गयी थी . ऐसा पिछले वर्ष आयी भरी बरसात और बाढ़ के कारण था . गनीमत थी कि मुख्य हवेली या कुछ मुख्य कमरे थोड़े रिपेयर के बाद कामचलाऊ हो जायेंगे क्योंकि दादाजी ने हवेली की नींव जमीन से चार फ़ीट ऊपर थी . पर वहाँ तक पहुँचने वाली सीढियाँ बाढ़ में बह गए थे . सड़क , पानी और बिजली सभी गाँव में थे .
अनिल हवेली के सामने वाले पंडित जी के यहाँ गया . पुराने पंडित तो नहीं रहे , उनके बेटे भी अब बूढ़े हो चले थे . उनके भी दो बेटे शहर में नौकरी कर रहे थे जिनमें एक आई पी एस था और सबसे छोटा गौतम गाँव में रह गया . वही खेती बारी देखता था और सुबह शाम मंदिर में पूजा आरती किया करता .इत्तफाक से आई पी एस बेटा निशांत गाँव आया हुआ था .निशांत और अनिल दोनों एक ही कॉलेज में पढ़ते थे पर निशांत पढ़ाई के बाद सिविल सर्विसेज में कम्पीट कर आई पी एस बना . दोनों ने आपस में बात की फिर निशांत बोला “ तुम ज्यादा परेशान मत हो . मैं भी कुछ आदमी तुम्हें दूंगा जो एक सप्ताह के अंदर घर रहने लायक हो जायेगा . बिजली और पानी की टेम्पररी लाइन तुम मेरे यहाँ से ले लो . बाद में पक्का करते रहना . और हाँ , स्टैंड बाइ के लिए जनरेटर जरूर रखना . “
“ ठीक है . “
“ एक बात और , अगर हवेली बेचनी हो तो मुझसे बात करना . “
“ ओके मैं दादी के बात करूँगा क्योंकि वसीयत के अनुसार मालिकाना हक़ उन्हीं को है . “
अनिल को गाँव में एक सप्ताह रुकना पड़ा पर इस बीच हवेली में अस्थायी पानी और बिजली की लाइन भी बिछा दी गयी . कुछ जगहों पर टूटी दीवारों को कनातों से ढक दिया गया . हवेली में तो कुल चौदह कमरे थे जिसमें सात को ठीक कर रहने लायक बना दिया गया . दो कमरे अनिल ने अपने दोस्तों के लिए रिज़र्व रखा और उनके आने जाने का रास्ता अलग था . दो एक्स्ट्रा मोबाइल शौचालय का इंतजाम हुआ . मंदिर की देखभाल पंडित करते थे इसलिए वहां सिर्फ चूना कराना पड़ा . हवेली की दोनों ओर काफी खाली जमीन पड़ी थी . एक में किचन बनवाया और दूसरे में दो शामियाने लगे . एक में खाने पीने की और दूसरे में एंटरटेनमेंट का इंतजाम था .
दूसरी तरफ अनिल ने निशांत और गाँव के सरपंच आदि से मिल कर कुछ दिनों के लिए पंचायत भवन के एक हिस्से में लड़की वालों के ठहरने का प्रबंध किया और एक स्कूल में जनवासे का प्रबंध किया .
अनिल ने आते समय चाभी निशांत को दिया , निशांत बोला “ तुम बेफिक्र हो कर जाओ . बचा खुचा हमलोग देख लेंगे . मैं दो दिनों में चला जाऊँगा पर गौतम और मेरे आदमी मिल कर सब संभाल लेंगे . “
अपने शहर वापस आने पर अनिल ने यहाँ होटल में अपने दोस्तों के लिए सुइट बुक किया . शहर का बेस्ट बैंड बाजा और बत्ती आदि यहीं से ट्रक में ले कर गाँव जाना था . घर के लोगों के गाँव पहुँचने के पहले शहर से केटरर के वहां पहुँचने और खाने पीने की व्यवस्था सुनिश्चित किया .
देखते देखते शादी का दिन भी नजदीक आया . अनिल का पूरा परिवार एक सप्ताह पहले ही गाँव आ गया , अनिल अभी शहर में ही था . वह अपने दोस्तों के आने के बाद आने वाला था . अनिल के परिवार ने देखा कि वर्षों से अनदेखी हवेली भी सजी धजी थी और आसपास के माहौल में भी रौनक थी . दादी कार में से व्हीलचेयर से उतर कर एक नजर हवेली को देखा . फिर एक नजर मंदिर को देखा वह भी चूना के बाद सफेद चमक रहा था . वे बोलीं “ देखा पोते ने इतने कम समय में हवेली का कायाकल्प कर दिया है . “
अमेरिका से अनिल के दो अमेरिकी दोस्त सपत्नीक आये थे , कुछ गेस्ट उसके सहपाठी थे . कुछ आराम के बाद उन्हें अपने शहर घुमाया . अगले दिन वे गाँव जा रहे थे . अमेरिकन दोस्तों के मन में भारत के गाँव के पिछड़ेपन , अनपढ़ आदि की जो तस्वीर थी , गाँव पहुंचते पहुँचते बदल गयी . यहाँ भी सब कुछ था - पक्की सड़क , बिजली , और इंटरनेट . वहां पहुँचने पर उनका भव्य स्वागत हुआ . गाँव के लोगों को भी हिंदी और लोकल भाषा के अलावे अंग्रेजी बोलते देख उन्हें बहुत आश्चर्य हुआ , वे बोले “ तुम्हारा गाँव तो बहुत अच्छा है और हम जो सूना करते थे उसके विपरीत है . यहाँ का अतिथि सत्कार का क्या कहना ? लाजवाब , ऐसा पहले कभी नहीं देखा है . इसके अलावा यहाँ के किसान भी बहुत कुशल और मेहनती हैं . अमेरिका जितना आधुनिक सुविधाएं और साधन तो उन्हें नहीं उपलब्ध हैं फिर भी वे खेती के मामले में किसी से कम नहीं हैं . “
विदेशी मेहमान के विदा होते समय दादी ने पूछा “ आप लोगों को यहाँ आ कर अच्छा तो नहीं लगा होगा पर हम अपनी परम्परा और संस्कृति को बिल्कुल दर किनारा नहीं कर सकते हैं . “
दोनों विदेशी महिलाओं ने कहा “ नो ग्रैंडमा , हमें तो बहुत मज़ा आया . हमलोगों ने जी भर कर एन्जॉय किया . आपको सच कहूँ तो ऐसा अतिथि सत्कार हमने पहले कभी न देखा था न सुना था . और तो और यहाँ आपलोगों के खिलाने का नया स्टाइल हमने पहली बार देखा . सभी को एक पंक्ति में बैठा कर एक एक अतिथि को उनके पसंद की चीजें भर पेट खिलाने का नया अंदाज़ अनोखा था . “
“ अरे यह नया नहीं है , यह तो सैकड़ों वर्षों का पुराना रिवाज़ है . ये आजकल के लड़के इसके लिए तैयार नहीं थे पर हमने भी जिद कर लिया था कि अगर ऐसा नहीं हुआ तो हम अनिल की शादी में एक दाना भी अन्न नहीं ग्रहण करेंगे . “ दादी ने कहा
“ बहुत अच्छा किया ग्रैंडमा वर्ण कुछ नया देखने या सीखने को नहीं नहीं मिलता . अच्छा , अब हमें इजाजत दें . “
“ अरे ऐसे कैसे ? अनिल बेटे इन चारों विशिष्ट मेहमानों के विदाई गिफ्ट ला कर देना . “
दादी ने अपने हाथों से चारों को गिफ्ट दे कर विदा किया . उन्होंने भी दोनों हाथों को जोड़ दादी एवं अन्य लोगों को नमस्कार किया .
अनिल के परिवार और लड़की वालों दोनों तरफ के लोगों को डर था कि गाँव से शादी करने में बहुत परेशानी होगी पर ऐसा कुछ नहीं हुआ . शादी बहुत धूमधाम से सम्पन्न हुई . सभी मेहमान जा चुके थे . अनिल के आई पी एस मित्र ने काफी सहयोग दिया था . दादी भी बहुत खुश हुई .
निशांत ने अनिल से कहा “ तो अब हवेली बेचने के बारे में बात हो जाए . “
अनिल बोला “ मैंने दादी से बात की थी पर उस समय उन्होंने कुछ भी उत्तर नहीं दिया . मैं उन्हें ले कर आता हूँ , तुम एक बार सीधे बात कर के देखो . “
थोड़ी देर में अनिल दादी को व्हीलचेयर पर ले कर आया . निशांत ने सादर चरण स्पर्श कर उन्हें प्रणाम किया फिर कहा “ दादी , इस हवेली में वर्षों से कोई नहीं आया है . गाँव के सारे खेत आपने मुझे ही बेचा है . उम्मीद है ये हवेली भी मुझे बेचने में आपको कोई एतराज नहीं है . “
दादी ने सीरियस हो कर कहा “ नहीं , ये हवेली नहीं बिकेगी . “ फिर अनिल के पापा की तरफ देख कर कहा “ यह हक़ मैं किसी को नहीं दूँगी न तुम्हें न तुम्हारे बेटे को . “
“ तब इस हवेली का क्या होगा तुम्हारे बाद ? अनिल के पापा ने पूछा
“ मैं शहर जाते ही अपनी वसीयत बनाऊंगी . मेरे मरने के बाद इस हवेली में गांव वालों के लिए एक हेल्थ सेंटर खुलेगा जिसके लिए कुछ पूँजी तुम्हारे पिताजी छोड़ गए हैं . मैं बस अपने पोते की शादी यहाँ से करना चाहती थी . बस मेरी एक ही शर्त है कि इस हेल्थ सेंटर का नाम अनिल के दादा के नाम पर होगा . इसलिए ये हवेली नहीं बिकेगी . “
समाप्त