two women - 4 in Hindi Moral Stories by Kishanlal Sharma books and stories PDF | दो औरते - 4

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दो औरते - 4

"पहली बार या पहले किसी औरत के साथ
तुम पहली हो
"तुम अनाड़ी नही पूरे खिलाड़ी लगते हो।"
"धीरे धीरे और बन जाऊंगा
"तो आगे का इरादा जाहिर कर रहे हो
"शेर के मुह खून लग गया है
विभा उठने लगी तो सुरेश बोला,"अभी कहा चली।"
"क्यो
"अभी जी भरा नही
"जी नही भरा लेकिन न तुमने देखा न मैने
"क्या?
"दरवाजा बंद नही किया।कोई बच्चा आ जाता तो
"ओहो--सुरेश ने दरवाजा बंद कर दिया था।
सुरेश ने अपना बदन फिर विभा के नंगे जिस्म से सटा दिया।विभा ने उसके गले मे अपनी बाहों डालदी।बाहर अभी भी बरसात हो रही थी कमरे में विभा और सुरेश के प्यार की बरसात होने लगी।एक बार फिर से दोनो जिस्म एक दूसरे में समा गए।
सुरेश और विभा दोनो के लिए यह एक नया अनुभव था।सुरेश ने पहली बार किसी नारी के शरीर को निर्वस्त्र देखा था और नारी शरीर का पहली बार स्वाद चखा था।वह औरत थी विभा।विभा जो किसी और कि पत्नी थी।उस औरत के जिस्म को उसने भोगा था।विभा के लिए भी नया अनुभव था।अभी तक उसके शरीर को उसका पति रामु ही भोगता था।लेकिन पहली बार एक पर पुरुष ने उसके शरीर को भोगा था।भोगने वाला कुंवारा मर्द था।इसलिए उसे बहुत मजे के साथ सन्तुष्टि मिली थी।
सुरेश ने पहली बार जिस्म का स्वाद चखा था उसे इसमें इतना मजा आया कि उसे इसका चस्का पड़ गया।विभा अब द्रोपदी बन गयी।रामु की पत्नी रहते हुए वह सुरेश की भोग्या भी बन गयी।सुरेश उससे ऐसे वव्यहार करने लगा मानी उसने विभा से गन्दरव विवाह कर लिया हो।विभा भी बड़ी सफाई से अभिनय करने लगी।जब रामु घर मे होता तो वह पूर्णतया पतिव्रता बनी रहती।उसी तरह का व्यहार करती जैसा एक पत्नी को करना चाहिए।पति के घर से चले जाने पर वह सुरेश जे प्रति इस तरह समर्पित हो जाती मानो उसकी पत्नी हो।रामु के रहने पर रामु और उसके चले जाने पर सुरेश उसका होता।और विभा बड़ी खूबी से दोहरा रोल प्ले कर रही थीं।
सुरेश गांव का रहने वाला था।उनके परिवार का पुश्तेनी धंधा खेती था।उसके दोनों बड़े भाइयो ने गांव के स्कूल में शिक्षा पाने के बाद अपना पुश्तेनी धंधा अपनाया था।लेकिन सुरेश ने ऐसा नही किया।उसका मन पढ़ने का था।इसलिए गांव में शिक्षा के बाद वह उच्च शिक्षा के लिए शहर गया और ग्रेजुएशन किया था।फिर उसने खेती को न अपनाकर नौकरी कर ली थी।
उसके पिता पुराने ख्यालो और सोच के थे।वह बेटा बेटी की शादी करना अपना अधिकार समझते थे।इसलिए उन्होंने अपने दोनों बेटों की शादी अपनी मर्जी से कर दी थी।सुरेश का ख्याल था कि उसके साथ ऐसा नही होगा।पर हो गया था।उसका रिश्ता कर दिया गया पर उससे पूछा भी नही गया।उसे इस बात का पता तब चला जब वह गांव गया।
उसे पितां के इस फैसले पर बहुत गुस्सा आया था।उसने सोचा था।वह पितां के खिलाफ विद्रोह कर दे और शादी से इनकार कर दे पर मा उसे समझते हुए बोली,"बेटा ऐसा मत करना
सुरेश अपनी माँ से बहुत प्यार करता था।इसलिए मा जे समझाने पर वह चुप्प रह गया था।और उसे न चाहते हुए भी शादी करनी पड़ी