इंसान और भावनाएं दो अलग चीजे नहीं हैं जैसे शरीर और आत्मा एक साथ चलते हुए शव को सजीव किए रहते हैं उसी तरह भावनाएं इंसान को सुख, दुख का एहसास कराती है जिससे वह अनुभूति के शिखर पर पहुंचता है लोक परलोक संवारने का जतन करता है
विज्ञान जब असफल होता है तो आध्यात्म अपनी कमान खुद संभाल लेता है यूनिवर्स अपने सिस्टम से काम करती है और संपूर्ण ब्रम्हांड का कैलकुलेशन उसके आधीन है ।
जब एक डॉक्टर किसी दवा को पर्ची पर लिखता है तो दवा के नाम से पहले कोड वर्ड Rx का प्रयोग करता है , वहीं इसका सामान्य मायने है लेना अर्थात आप दवा का सेवन करें और डॉक्टर के परामर्श को मानें ।
Rx कोड का यूनानी चिकित्सकों द्वारा बड़ा सुंदर डिकोडिंग किया जाता है कि यूनान के देवता ' होरस ' की आंखे दिखने में Rx के आकार की दिखती है जो यह दर्शाता है स्वास्थ्य के बेहतर स्वरूप को । और इसे ही चिकित्सकीय भाषा में कोड का रूप दे दिया गया कहीं ना कहीं मिश्रित रूप में कोड व्याख्या करता है कि हे ईश्वर दवा हम दे रहे हैं ठीक आप कर रहे हैं । बहुत आश्चर्य होता है जब हम सुनते हैं कि रोगी अंतिम समय में होता है और जीवन रक्षक प्रणाली पर लेटा होता है ICU में जीवन मौत से जूझता है तब उसकी आत्मा या विज्ञान की भाषा में कहें तो एनर्जी निकलने वाली हो तो डॉक्टर परिजनों को यही कहता है कि हम अपनी पूरी कोशिश कर रहे हैं बाकी आप लोग दुआ कीजिए ।
यानि दुआओं का महत्व भारतीय संस्कृति में मायने रखता है
रेकी उनमें से एक है या यूं कहूं कि अध्यात्म चिकित्सा पद्धति है भारत से शुरू हुआ अथर्ववेद में गुरु शिष्य के बीच स्पर्श चिकित्सा का अंश मिलता है , भगवान बुद्ध की पुस्तक ' कमल सूत्र ' भी प्रमाणित करता है जो चीन , तिब्बत जैसे देशों में भी खूब प्रचार में है । कहने का मतलब अध्यात्म सिर्फ हमारी भारतीय संस्कृति में ही नहीं बल्कि विज्ञान के क्षेत्र में इतिहास रचने वाले देशों ने भी स्वीकार किया है तो कैसे हम अध्यात्म को (चिकित्सा, तकनीकी विज्ञान) से दूर कर सकते हैं
आज के आधुनिक हथियार रूस का जॉर बॉम्बा हो या ऋषियों का ब्रह्मास्त्र अद्वितीय हैं। रामायण में चर्चित पुष्पक विमान जो मन की गति से चलता था, आग और हवा के सम्मिश्रण से उड़ान भरता था विश्वकर्मा द्वारा रचित पुष्पक विमान आज के आधुनिक हवाई जहाज के टक्कर में ही था । ब्रह्मास्त्र, शिव अस्त्र, विष्णु अस्त्र , यम अस्त्र आदि आधुनिक मिसाइलों का ही रूप था । ऋषियों का ज्ञान ,चरक संहिता,सुश्रुत संहिता,वागभट्ट ,अष्टांग, तीसरे नेत्र की शक्ति,साहित्य और शल्य चिकित्सा जैसे भारतीय आयुर्वेद, चिकित्सा विज्ञान ,ज्योतिष विज्ञान , मानसागरी, होरा शास्त्र ,आदि आधुनिक विज्ञान में अनुसंधान और नए तरीके से खोज का विषय रहा है ।
अब गंगा जल की बात करूं तो गंगा का जल यदि अमृत है तो दूसरी तरफ सामान्य पानी है जिसमे सिर्फ H2 O सूत्र है जो हाइड्रोजन , ऑक्सीजन का मिश्रण है जिसका वैज्ञानिक PH मान है जो क्षार, लवण के मान को दर्शाता है । इससे अधिक कुछ नहीं है वहीं गंगा देवलोक की धारा है यह भागीरथ धारा पृथ्वी लोक के लिए अध्यात्म की नजर में मुक्ति दायनी है ।
ये सभी उदाहरण और तथ्य रेकी चिकित्सा को समझने के लिए है
जिसकी एक शाखा है कोर्ड कटिंग यानी इमोशन से जुड़ी हर बुरी स्मृति, दुख,संताप और मानसिक कष्ट को दूर करना , उन टॉक्सिक यादों से निकलना जो हमें निराशा में धकेलती है जिसमे मन को केंद्रित करके ध्यान द्वारा दुख के कारण या व्यक्ति पर केंद्रित करके सूक्ष्म आह्वान और मन की शक्ति से काटना होता है जिसमे किसी स्पेशलिस्ट रेकी मास्टर की आप मदद लेते हैं या अपने खुद के इच्छाशक्ति से अपने बिखरे हुए औरा को केंद्रित करके दो मोमबत्ती के बीच एक धागे , रस्सी को रखकर इमोशन या नकारात्मक , दुखद एनर्जी को व्यक्ति विशेष या किसी को रिश्ते से आप काट देते हैं
तब पुनः मन में छिपे उस खाली जगह को भरने के लिए मेडिटेशन जारी रखकर सकारात्मक रुख अपनाते हैं और खुद को हील करते हैं । कुछ मायनों में लॉ ऑफ अट्रैक्शन काम करता है
जो लोग सन्यास ग्रहण करते हैं या कंदराओं ,गुफाओं में चले जाते हैं, वैरागी हो जाते हैं उनके लिए भी रिश्ते खत्म करना आसान नहीं होता चूंकि मेडिटेशन की शक्ति से अपने आप ही इमोशन के धागे वह काटने में सक्षम होता है ।
असल में इंसान के रिश्ते नाते सबसे गहरा संबंध जुड़ा होता है माता के नाभी से जैसे बालक जुड़ा है ठीक उसी तरह हर रिश्ते शरीर , मन , आत्मा से बंधे हैं
इसे रामायण के प्रसंग से समझते हैं कि इमोशन कैसे जुड़े रहते हैं और हमे आभास कैसे होता है कि इस जुड़ाव का आभास सुखद होगा या दुख का प्रवाह होगा ??
जब लव कुश का जन्म होता है तो राम को सीता के स्वप्न आते हैं और सीता के स्वर में उल्लास का भाव महसूस करते हैं स्वप्न से जागते ही लक्ष्मण जी प्रश्न पूछते है और आशंका भी जताते हैं कि सीता माता जरूर किसी संकट में होंगी ।तब प्रभु राम उन्हे करेक्ट करते हैं और सीता के मन से जुड़े कॉर्ड के उल्लास भरे प्रवाह लक्ष्मण को बताते हैं कि सीता संकट में नहीं हैं वह खुशी जाहिर कर रही है।
और मानव के संबंधों के इन्ही सूक्ष्म डोरों पर इमोशनल रेकी कॉर्ड कटिंग काम करता है ।
अब बात करूं चिकित्सकीय ईलाज की तो चिकित्सा विज्ञान इसे ट्रॉमा, इमरजेंसी में ना रखकर अपनी दूसरी शाखा मनोविज्ञान की शाखा को सौंप देगा जिसमे शॉक थेरेपी या मानसिक हार्मोनल डिसबैलेंस को मेंटेन करेगा । दवा और काउंसलिंग द्वारा लेकिन ज्योतिष विज्ञान ग्रहों के गड़बड़ होने के संकेत और उपाय आदि का सुझाव देगा चंदा को मनाओ, सुंदर काण्ड पढ़ो , राम दरबार पूजो, शम्मी पूजो शनि पूजो पीपल पूजो ,आदि अनेकों उपाय लेकिन इन उपायों का भी फल तभी होगा जब सही जन्मपत्री मालूम होगा ।
क्योंकि जब तक जन्म नक्षत्र, चरण , मुख्य राशि सही ज्ञात ना हो तो उपाय व्यर्थ है और आप केवल भ्रमित और निराश ही होंगे। उत्सुकतावश हम अपना नुकसान करा बैठते हैं और ठीक वही हाल होता है जैसे झोला छाप डॉक्टर द्वारा एमबीबीएस डॉक्टर की डिग्री और उसके अनुभव को ही महत्वहीन करार दे दिया जाता है और भीड़ बिना तर्क ,जांच पड़ताल किए गलत झोला छाप , हकीमो के बहकावे में फंस जाती हैं ।
वहीं अध्यात्म विज्ञान पूजा पाठ और इष्ट देव , देवी की उपासना का रास्ता बताएगा ।
फिर से इस श्रृंखला में एक कड़ी और जोडूंगी जिसमें आता है ' रेकी हीलिंग '! जब ईसा मसीहा द्वारा , संत मदर टेरेसा द्वारा चमत्कार दिखाए गए यही रेकी प्रक्रिया है यानी उनके संपर्क में आने वालों के दुख दर्द दूर किए जाने के किस्से जो ईसाई धर्म में विद्यमान है ऐसे ही अन्य धर्मों में भी है राम द्वारा परशुराम के क्रोध को हरना , उनके मानसिक क्रोध के रोग को ज्ञान रूपी दवा और परामर्श ,से राहत देना , भरत को चरणपादुका और आशीर्वाद देकर उनके मानसिक संताप को हर लेना , रावण के नाना और मंदोदरी के शोक को हरना ,मरणासन्न जटायु के सिर पर हाथ फेरना उनके अंतिम क्षण के दुख को हरना यह सभी प्रक्रियाएं जो संतो और महापुरुषों ने दोहराया उन्हे रेकी ग्रैंड मास्टर की श्रेणी में रखा जाता है ।
यह एक विशेष कृपा है और विशेष उपलब्धि है जिसमे सात्विकता , मन, वचन कर्म की महानता से ,ध्यान, योग ,आत्मज्ञान द्वारा
प्राप्त किया जाता है ।
आधुनिक बड़े बड़े रेकी ग्रैंड मास्टर मिल जायेंगे जो रेकी के प्रत्येक 5 चरणों में एक्सपर्ट तो हैं लेकिन वे लोग सिर्फ रेकी मास्टर ही हैं ग्रैंड रेकी मास्टर सिर्फ महापुरुष और संत हुए हैं जिनकी तुलना रेकी मास्टर से नहीं किया जा सकता परंतु ग्रैंड का टैग लगाना आधुनिक प्रचलन और प्रतिष्ठा का विषय बन गया है ।
फिर भी रेकी का प्रसार और प्रचार बहुत आनंददायी है । यह एक शांतिपूर्ण हल है जिसमें दवा का प्रयोग नहीं होता।
' क्रिस्टल हीलिंग ' भी एक मध्यम बन गया है आधुनिक स्पा , मसाज प्रक्रिया में शरीर के थकान को दूर करने के साथ मानसिक शांति के लिए क्रिस्टल प्रयोग किया जाता है यह मान्यता मेसोपोटामिया सभ्यता से प्रचलित हुई है क्योंकि उस सभ्यता के लोग नकारात्मक ऊर्जा से बचने के लिए क्रिस्टल पहनते थे चीन में ' ची क्वि ' माध्यम अपनाते है। तो बौद्ध धर्म , हिंदू धर्म में शरीर के चक्रों को बैलेंस करने का सिद्धांत मानते हैं पेंडुलम धारण करना, क्रिस्टल रोज क्वार्ट्ज , सनस्टोन, मूनस्टोन, गोल्डन क्वार्ट्ज, जैसे अनेक क्रिस्टल आपके चक्रों को बैलेंस करते हैं
विज्ञान इस पर क्या कहता है बहुत दिलचस्प है मास एनर्जी इक्विवैलेंस सिद्धांत से आइंस्टीन ने क्रिस्टल और इंसान के बीच अदृश्य एनर्जी के प्रवाह को , अलौकिक प्रदान को नकार दिया है
अंततः विज्ञान एक सिरे से क्रिस्टल हीलिंग को खारिज कर देता है किंतु विज्ञान तो विज्ञान है वह कोई भी शाखा से संबंधित हो अपने आप में अद्वितीय और बेहद खास है । हम किस माध्यम को चुनते हैं यह हम पर निर्भर करता है कि भावनाओं के समुंद्र में डूबे रहें या खुद को उबार कर जीवन को बैलेंस कर सकें।