Allah Dekh raha he ? - 3 in Hindi Love Stories by Altaf Raja books and stories PDF | अल्लाह देख रहा है ? - भाग 3

Featured Books
  • स्वयंवधू - 31

    विनाशकारी जन्मदिन भाग 4दाहिने हाथ ज़ंजीर ने वो काली तरल महाश...

  • प्रेम और युद्ध - 5

    अध्याय 5: आर्या और अर्जुन की यात्रा में एक नए मोड़ की शुरुआत...

  • Krick और Nakchadi - 2

    " कहानी मे अब क्रिक और नकचडी की दोस्ती प्रेम मे बदल गई थी। क...

  • Devil I Hate You - 21

    जिसे सून मिहींर,,,,,,,,रूही को ऊपर से नीचे देखते हुए,,,,,अपन...

  • शोहरत का घमंड - 102

    अपनी मॉम की बाते सुन कर आर्यन को बहुत ही गुस्सा आता है और वो...

Categories
Share

अल्लाह देख रहा है ? - भाग 3

मुलाक़ात ⛳️




दानिश वहाँ से उठ कर बाहर चला गया ।

साहिल : अरे तू पारा पढ़ने बैठा था ना इतनी जल्दी ख़त्म कर दिया ?

रेहान : हस्ते हुए , इतनी जल्दी और ये शर्त लगा लो इसने आधा भी नही पढ़ा होगा ।

दानिश : अबे नहीं बे वो मैंने आयशा को दे दिया वो पढ़ रही है मेरा पारा ।

रेहान : आयशा और तेरा पारा पढ़ रही है ?? मैं मान ही नहीं सकता ज़रूर तो झूट बोल रहा है ।

दानिश : अरे सच में मैंने अपनी बहन को बोला की पढ़ दो तो उसने आयशा का नाम ले लिया तो उसने बोला दो पढ़ देती हूँ ।

साहिल : अच्छा ये सब छोड़ो और चलो चौराहे पर चलते है आज कुछ चाय शूटा पिया जाये साम को जा नहीं सकते कही काम है ना घर पे ।

दानिश : हाँ चलो चलते है ।


फिर तीनों साहिल के बाइक पे चौराहे पर चले गये ।


उधर रसोई घर में साहिल की अम्मा दानिश की अम्मी से अच्छा बाज़ी दानिश आज कल कर क्या रहा है ।

दानिश की अम्मी : B.A में नाम लिखवा लिया है उसने अभी पिछले महीने लिखवाया है बोल रहा था बिज़नेस करेगा , पता नहीं मुझे इसका समझ नही आता दिन भर दोस्तों के साथ घूमता रहता है पढ़ाई नाम की कोई चीज इसके दिमाग़ में तो है ही नहीं ।



साहिल की अम्मी : अरे कोई बात नहीं कर लेगा बहुत होनहार लड़का है ।


दानिश , रेहान और साहिल चौराहे पर चाय पी रहे थे मगर दानिश का दिल और दिमाग़ में सिर्फ़ आयशा ही दिखायी दे रही थी तभी रेहान बोलता है अरे दानिश किन सोचो में डूबा हुआ है , तब दानिश , अरे नहीं कुछ नहीं चलते है ना घर पर काम होगा कुछ साहिल और रेहान हँसने लगे अबे तू ये बता आज तुझे हो क्या गया है तू कब से घर के कामो में ध्यान देने लगा चाय पी चुप चाप क्या हो गया है तुझे , दानिश , कुछ नहीं ।


तभी पास में बरगद के पेड़ के नीचे बैठा एक मलंग ( जोगी ) बोलता है नादान को इतना भी नहीं पता इसको ना ठीक होने वाला रोग लग गया है ।


दानिश की नज़र मलंग पर पड़ती है , कुछ कहा आपने ? तब मलंग :


हाल बेहाल है ,

इश्क़ में गिरफ़्तार है ,

ख़ुद तो बच जायेगा ,

उसका नुक़सान हैं ।


दानिश : क्या मतलब क्या कहने चाहते है आप ?


मलंग : इंकार कर , करता रह एक दिन तड़पेगा सुकून ढूँढते ढूँढते दिन रात भटकेगा ।


साहिल : अबे दानिश क्या कर रहा है यार छोड़ इसे मलंग है इनका काम ही होता है बिना मतलब की बाते करना चल चलते है उठ ।


दानिश उठा और पलट कर मलंग को देखा , मलंग अपनी ही दुनिया में झूम रहा था दानिश थोड़ा परेशान हुआ फिर तीनों बाइक पर बैठ कर वहाँ से चले गये ।


घर पहुँच कर दानिश अपने रूम में चला जाता है और बेड पर लेट कर आयशा के बारे में सोचने लगता है उसकी दिल ओ दिमाग़ में आयशा ही आयशा दिखायी देने लगती है ,


अब दानिश सोचने लगता है क्या करूँ कैसे आयशा से बात करूँ तभी दानिश की बहन आवाज़ लगती है , भाई कहा है आप नीचे आइए अम्मी बुला रही है ।


हाँ अम्मी बोलिये क्या हुआ ।

दानिश की अम्मी : बेटा एक काम तो ठीक से कर लिया कर ना तुने पारा पढ़ा वहाँ साहिल के घर और ना ही घर के किसीकाम में तेरा ध्यान रहता है मैंने कल तुझे बोला था ऊपर वाले कमरे की लाइट ठीक करा देना वो भी नही कराया तूनेआख़िर कब ज़िमेदारियो का अहसास होगा तुझे अभी भी वक्त है सुधर जा आवरगर्दी छोड़ दे और अपने मुस्तकबिल के बारे में सोच ,

दानिश की बहन : मुस्कुराते हुए अम्मी आप समझा भी किसको रही है भाई एक कान से सुनते है दूसरे से निकल देते है .

दानिश : चुप कर बिना मतलब बीच में ना बोला कर मैंने क्या किया है अब किसने सिकायत लगा दी आपको आपको तोबस मैं ही दिखता हूँ थोड़ा बहुत घूम लेता हूँ तो आप लोग मुझे आवारा ही समझ लेते है ।

दानिश की अम्मी : अच्छा तो ऊपर का लाइट ठीक करने को बोली थी उसका क्या किए ,

दानिश : हाँ वो सोरी अभी जा के ठीक कर देता हूँ , छोटी चल मेरे साथ कुछ मदद कर देना ।

ऊपर रूम में जाके दानिश बोलता है अरे इस रूम की साफ़ सफ़ाई क्यों नहीं की तुम ने ????

हाँ जैसे की हाथ में टोर्च लेके साफ़ सफ़ाई कर दु ना अंधेरा था कैसे करती आप ठीक करिए ना जल्दी ।

अच्छा ठीक है वो बॉक्स उठा के दो , अरे इसका तो बल्ब ही फ्यूज हो गया है इतना सा काम है तुम ख़ुद नही कर सकती थी ?

दानिश की बहन : मुझे क्या पता था सिर्फ़ बल्ब फ्यूज हुई है आप बदल दे इसको घर पे एक बल्ब रखी है मैं लेके आती हूँ

हाँ जाओ जल्दी लेके आओ ।



लीजिए भाई ,,,,, अब वो स्विच ऑन करके देखो ,,,, हाँ देखो आ गई ना लाइट चलो अब जल्दी से एक चाय बना के मेरे कमरे में लेके आओ ।

कमरे में दानिश बेड पर लेटा था और सोच रहा था मेरी शिकायत किसने लगायी होगी अम्मी से तभी उसकी बहन चाय लेके आती है लीजिए भाई चाय . अच्छा ये बताओ अम्मी को मेरी शिकायत किसने लगायी थी पता है तुम्हें ???? नही भाई मुझे नही पता मगर साहिल भाई के घर पर गये थे ना आज तो वही पे किसी ने लगायी होगी , आप भी तो दिन भर इधर उधर रहते है सुधर क्यों नहीं जाते आप .

दानिश : क्या करता हूँ मैं बस दोस्तों के साथ थोड़ा टहल लेता हूँ तो इसमें क्या बुराई है .

दानिश की बहन : अच्छा छोड़िये कल ना मुझे आप मार्केट लेके चलिएगा एक जोड़ा सूट दिला दीजियेगा ।

दानिश : क्यों सूट का क्या करोगी तुम और मेरे पास पैसे नहीं है

दानिश की बहन : अरे क्या करूँगी का क्या मतलब पहनूँगी , और पैसों की चिंता मत कीजिए अब्बा से मैंने माँग लिया है .

दानिश : वाह भाई वाह मैं माँग दु पैसे तो एक दम से मना कर देते है और तुम्हें देखो तुरंत दे दिये .

दानिश की बहन : अच्छा न आप भी रख कीजिएगा पैसे जो बचेगा उसमे से अब मान जाइए ना कल ले चलिए प्लीज़ ।

दानिश : मुझे तुम्हारे पैसे नही चाहिए थैंक यू , अच्छा ठीक है कल तैयार रहना के चलूँगा .

दानिश की बहन : थैंक यू थैंक यू थैंक यू लव यू अब चाय पीजिए ठंडी हो जाएगी बाय ।

आयशा अपने रूम में बैठ कर किताबें पढ़ रही होती है तभी उसके ज़हन में दानिश का ख़्याल आता है , वो सोचती है सब कहते है दानिश अच्छा लड़का नहीं है दिन भर आवारा गर्दी करता है हाँ सच ही है आज कैसे मुझे घूर घूर के देख रहा था ख़ैर मुझे क्या मैं उसपे अपना समय क्यों ख़राब करूँ .

सुबह का वक्त हो गया था आयशा की अम्मी बोलती है अरे आयशा कहा हो यहाँ आओ ,,, हाँ अम्मी बोलिये ,, जाओ जल्दी तैयार हो जाओ बाज़ार चलना है .

आयसा : बाज़ार क्या करने जाना है अम्मी कुछ चाहिए क्या आपको .

आयसा की अम्मी : हाँ वो कपड़े लेने है और तुम भी देख लेना कुछ पसंद आये तो तुम भी ले लेना चलो अब तैयार हो के आओ मैं बाहर रिक्शा देखती हूँ तब तक ।

ठीक है अम्मी बस अभी आयी ।

अरे नहीं भाई ये अच्छा नहीं है कोई दूसरा दिखाओ , आयसा देखो कुछ पसंद आ रहा है तुम्हें , नही अम्मी ये सब पुराने डिज़ाइन लग रहे है ।

दानिश : अरे नहीं मिल रहा है तो छोड़ दो ना कितनी दुकाने घुमाओगी पैर दुख गये है मेरे चलो घर चलते है .

दजिश की बहन : भाई आप तो बस थोड़ी देर में ही घर चलो घर चलो बोलने लगे अच्छा इस दुकान में आइए यहाँ नहीं पसंद आया तो घर चले जाएँगे ।

अच्छा चलो बोल के दानिश दुकान में चला जाता है और बोलता है भाई इसको थोड़ा अच्छे कपड़े दिखा दीजिए ।

दानिश की बहन : अरे खाला आप अस्सलम वालैकुम अरे वाह आयशा भी साथ आयी है क्या लेने आये है आप लोग

आयसा की अम्मी : वालैकुम सलाम बेटा कुछ नहीं सोचा कुछ जोड़े कपड़े ले लेते है आयसा के पास भी नये जोड़े नही थे ।

दानिश आयशा को देखता है और वही रुक सा जाता है नक़ाब में बैठी आयशा जिसकी आखे मानो एक झील जैसी होफिर घबरा कर बोलता है असलाम वालैकुम खाला .

आयशा की अम्मी : वालैकुम सलाम बेटा तुम भी आये हो अच्छा है अकेली कैसे आती ये ठीक किया जो साथ लाए ।

आयशा नज़रे उठा कर दानिश को देखती है दानिश उसको लगातार देखे ही जा रहा था ये देख आयशा अपनी नज़रे फ़ेरलेती है और नीचे देखने लगती है फिर दानिश बोलता है छोटी तुम्हें कुछ पसंद नही आ रहा है तो आयशा की मदद ले लो सायद पसंद आ जाये ।

हाँ भाई ठीक कह रहे है आप अच्छा आयशा तुम ही पसंद कर दो कोई मेरे लिए ।

मैंने कैसे करूँ मुझे तो ख़ुद कुछ पसंद नहीं आ रहा ।

अच्छा चलो साथ में कपड़े देखते है । अच्छा ठीक है ।

।।।।।।।।।।।।।।।।।।।।।।।।।।

ये एपिसोड यही समाप्त होता है अगर आप लोगो को कहानी पसंद आ रही है तो हमे रिव्यू करके ज़रूर बताये ताकि आगे की कहानी हम जल्द अपलोड करे शुक्रिया ♥️ ।