MY HERO - 2 in Hindi Moral Stories by shama parveen books and stories PDF | MY HERO - 2

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MY HERO - 2

छाया बोलती है, "दीदी मैं तो चाहती हूं की मेरी एक बेटी हो"।

तभी छाया की जेठानी उसे एक थप्पड़ मारती हैं और बोलती है, "तुम्हे शर्म नही आ रही है , तुम्हारे लिए सास ससुर इतनी दूर गए हैं लडके की दुआ मांगने और तुम हो की ऐसी बाते कर रही हो, शुक्र है की ये बात किसी और ने नही सुनी वरना पता नहीं आज तुम्हारे साथ क्या होता, आइंदा ये कभी भी मत बोलना समझी"।

तब छाया बोलती है, "जी दीदी ठीक है "।

उसके बाद छाया जा कर बैठ जाती हैं और उसकी जेठानी बोलती है, "अच्छा ठीक है अब मैं चलती हूं मुझे बहुत ही काम है जैसे ही बच्चे स्कूल से आ जायेंगे मैं उन्हें भेज दूंगी तुम्हारे पास "।

तब छाया बोलती है, "जी दीदी "।

उसके बाद छाया की जेठानी वहा से चली जाती हैं।

आकाश अपने खेत में काम कर रहा होता है, तभी वहा पर एक आदमी आता है और बोलता है, "और आकाश अब तो तुम भी बाप बनने वाले हो, अब तुम्हे भी दिन रात एक करना पड़ेगा क्योंकि अब तुम दो से तीन होने वाले हो, और तुम्हारा क्या है वैसे भी तुम्हारे खानदान में आज तक किसी को लड़की नही हुई है, बड़े ही किस्मत वाले हो तुम, तुम्हे भी लड़का ही होगा "।

तब आकाश बोलता है, "अब इसमें किस्मत की क्या बात है, अब भगवान जो भी दे, लड़का या लड़की "।

तब वो आदमी बोलता है, "अरे भाई शुभ शुभ बोलो, भगवान न करे की तुम्हे लङकी हो, अरे सबको छोड़ो मुझे ही देख लो, लड़के की चाहत में पांच पांच लड़किया हो गई है, मेरी तो जिंदगी ही बर्बाद हो रखी है, मेरी मां तो मुझे बार बार बोलती है कि दूसरी शादी कर ले, मगर मैं अपनी बीवी से बहुत प्यार करता हूं, इसलिए मैं दूसरी शादी नही कर पाता हूं "।

तब आकाश बोलता है, "अरे भला ये भी कोई बात हुई, की एक बीवी से लड़का नही हुआ तो दूसरी से होगा,, अरे भाई भगवान जो भी देता है उसे उसका आशीर्वाद समझ कर रख लेना चाहिए क्योंकि लड़का हो या लड़की बनाया तो भगवान ने ही है न "।

तभी वो आदमी बोलता है, "अरे भई तुम मेरा दर्द नही समझ सकते हो"।

उसके बाद वो आदमी वहा से चला जाता हैं।

दोपहर हो जाती हैं, आकाश घर जाता हैं खाना खाने के लिए तभी देखता है कि उसके भाई के दोनो बच्चे वहा पर खेल रहे होते हैं।

तभी वो छाया को खाना लगाने के लिए बोलता है। और अपने भाई के बच्चो को भी अपने साथ खाना खिलाता है तभी उसके भाई का छोटा बेटा बोलता है, "चाचा मेने सुना है कि हमारे घर में एक छोटा सा भाई आने वाला है"।

तब आकाश बोलता है, "बिलकुल सही सुना है"।

तब वो बच्चा बोलता है, "फिर तो वो भी हमारे साथ खेलेगा"।

तब आकाश बोलता है, "नही बेटा वो अभी केसे खेल सकता है वो तो अभी छोटा सा होगा न"।

तब वो बच्चा बोलता है, "तो फिर वो बड़ा कब होगा"।

तब आकाश बोलता है, "कुछ दिन बाद, चलो अब चुप चाप से खाना खा लो "।

छाया बैठी बैठी काम कर रही होती है, तभी वो चक्कर खा कर गिर जाती हैं। ये देख कर आकाश घबरा जाता हैं.......