कहानी का नाम सुन कर सभी को लग रहा होगा की ये कोई लव स्टोरी है एक लड़का और लड़की की। जी मगर ऐसा नहीं है। ये प्यारी सी कहानी एक पापा और उसकी प्यारी सी बेटी की है। वैसे हर पापा अपने बच्चो के लिए हीरो ही होते है, उसी तरह इस कहानी में एक पापा अपनी बेटी के लिए कैसे हीरो बनते हैं ये जानने के लिए आपको पढ़ना पड़ेगा "MY HERO"।
आकाश दो भाई है, आकाश छोटा भाई है और उनके बड़े भाई का नाम रवि है। रवि के दो लड़के है। और आकाश की बीवी मां बनने वाली हैं।
गांव वाली काकी आ कर आकाश की की बीवी को बोलती है, "और छाया तू अच्छे से खाना तो खा रही है न"।
तब छाया बोलती है, "जी काकी अच्छे से खाना खा रही हूं"।
तब काकी बोलती है, "वैसे अपना ज्यादा ध्यान रखा कर और घर का काम ज्यादा मत किया कर"।
तब छाया बोलती है, "अगर काम नही करुंगी तो खाना केसे बनेगा और ये क्या खायेंगे"।
तब काकी बोलती है, "अरे अपनी जेठानी को बोल दिया कर की कुछ काम तेरे यहां पर भी आ कर कर दिया करे"।
तब छाया बोलती है, "वो तो खुद ही सारा दिन काम करते रहती हैं दो दो बच्चो को संभालती हैं"।
तब काकी बोलती है, "देख तेरा चेहरा कितना निखर रहा है आखिर निखरे क्यो न बेटा जो होगा तुझे"।
तब छाया बोलती है, "क्या बेटा क्या बेटी काकी कोई भी हो बस अच्छे से हो तंदरुस्त"।
तब काकी बोलती है, "अरे ये क्या बोल रही है, तेरे को ऐसे वक्त पर ये नही बोलना चाहीए, लड़के के लिए दुआ मांग समझी"।
तब छाया बोलती है, "अच्छा ठीक है समझ गई काकी"।
तभी वहा पर छाया की जेठानी आती हैं और काकी चली जाती हैं। तब छाया की जेठानी बोलती है, "क्या बोल रही थी काकी"।
तब छाया बोलती है, "वो बोल रही थी की लड़के के लिए दुआ मांगने के लिए"।
तब छाया की जेठानी बोलती है, "इसमें दुआ मांगने की क्या जरुरत है, वैसे भी इस खानदान में सभी को बेटा होता है बेटी नही, मुझे ही देख लो, मेरे दो दो बेटे हैं "।
तब छाया बोलती है, "ये क्या है दीदी "।
तब छाया की जेठानी बोलती है, "अरे ये मेवे मखाने के लड्डू है मेने तुम्हारे लिए बनाए हैं, ताकी तुम खाओ और एक अच्छा सा लड़का हो "।
तब छाया बोलती है, "इसकी क्या जरुरत थी "।
तब छाया की जेठानी बोलती है, "जरुरत क्यों नहीं थी, अभी सास ससुर भी यहां पर नही है और बड़ी मैं ही हूं तो सारी जिम्मेदारी मेरे ऊपर ही है न "।
तब छाया बोलती है, "वैसे मम्मी जी और पापा जी को जाने की क्या जरूरत थी "।
तब छाया की जेठानी बोलती है, "जरुरत क्यों नहीं थी लड़के की चाहत इनसान से सब कुछ करा देती हैं, वैसे तुम कितनी खुश नसीब हो की तुम्हारे सास ससुर तुम्हारे लिए गए हैं ताकि तुम्हे ल़डका हो, मेरे बारी में भी वो गए थे तभी तो दो दो लड़के हुए, वैसे अच्छा ही है की कोई बेटी नही है मेरी वरना भई हमारी जिंदगी तो बरबाद हो जाती"।
तब छाया बोलती है, "जिंदगी केसे बरबाद हो जाती दीदी "।
तब छाया की जेठानी बोलती है, "एक तो लड़कियो को संभाल कर रखो और फीर आधी जिंदगी उसके लिए दहेज इकट्ठा करो मगर वो भी कम ही होता है "।
तब छाया बोलती है, "दीदी मगर मैं चाहती हूं मेरी बेटी हो "।
ये सुनते ही छाया की जेठानी उसे एक थप्पड़ मारती हैं...........