नववधू
नववधू सी धरती खिली है l
हर कहीं हरियाली लिली है ll
देर से ही सही कई दिन बाद l
सखी मौसम आज गुलाबी है ll
रंगों की सजावट न्यारी ही है l
देख सरसों की खेत पीली है ll
सूरज की किरनों की वजह l
आकाश में बदली नीली है ll
महादेव की बात ही निराली l
शंकर को पसंद बिली है ll
१-४-२०२३
पैग़ाम
मुद्दतों के बाद पैगाम आया है l
आज फ़िर एप्रिलफुल बनाया है ll
प्रियतम के आने की खबर से l
जूठा ही सही सुकून पाया है ll
साथ साथ चलने के लिए लो l
आज दो क़दम आगे बढ़ाया है ll
वक़्त की नजाकत को देखकर l
दिल फेंक ने वादा निभाया है ll
परवाह तो है पर झुकेंगे नहीं l
अब रूह का सहारा भाया है ll
ताउम्र चाहते रहेगे बेपनाह यूँही l
दिलों दिमाग पे जोर जो छाया है ll
२-४-२०२३
आशा
आशा का दीपक जलाये रखना l
दिल में उम्मीदों को जगाये रखना ll
गिले शिकवे को मिटाकर सखी l
अपनों से रिश्तेदारी बनाये रखना ll
वादा करके गये हैं तो लौटेंगे जरूर l
दिल को अरमानो से सजाये रखना ll
सीने में धड़कनों को चालू रखने l
यादों को दिल से लगाये रखना ll
दीमक की तरह खा जायेगी दिल को l
उदासी को जरा दूर हटाये रखना
२-४-२०२३
सखी
दर्शिता बाबूभाई शाह
आज दिल के सारे अरमान पूरे कर लो l
झोली दामन की खुशियों से भर लो ll
दिल में यादों का उफान आया हुआ है l
अश्कों के बादल से आसमाँ तर लो ll
न लम्हे वापिस आते हैं न वो प्यारे पल l
जाने वाले का हाथ कसके पकड़ लो ll
किस्मत जितना लिखा है उतना ही मिलेगा l बात इतनी सी बस जान लो समज लो ll
दुनिया में कौन तेरा है जानने के लिए l
कंचन हो या आदमी एकबार परख लो ll
जिंदगी इनायत हुईं हैं तो गुजर ही जायेगी l
जहां इज्जत न मिले वहां से तुरंत सरक लो ll
३ -४-२०२३
वादा किया है तो इंतजार करेगे ताउम्र l
उफ़ न करेगे दर्द जुदाई का सहेंगे ताउम्र ll
न परेशान करेगे न आवाज़ देगे कभी भी l
तेरी यादों के साथ अकेले रहेगे ताउम्र ll
लम्हे लम्हे को लिखकर अपनेआप को l
सखी दर्दे दिल की दास्ताँ कहेगे ताउम्र ll
नाज़ है जो पाया तकदीर की बात है l
अपनी मुहब्बत का दम भरेंगे ताउम्र ll
ख़ामोशी से दिन बिता देगे जिंदगी के l
खुद का चैन ओ सुकून हरेगे ताउम्र ll
४-४-२०२३
कहानी में हकीकत होनी चाहिये l
थोड़ी सी शरारत होनी चाहिये ll
चाहे जो भी कहो जो कहना है l
कहने में शराफत होनी चाहिये ll
मुहब्बत की इन्तहा भले ही हो l
अदा में नजाकत होनी चाहिये ll
शब्द सुनने में अच्छे हो वो बोले l
बातों में रवायत होनी चाहिये ll
दिल को बहलाने के लिए सखी l
यादो में सजावट होनी चाहिये ll
५-४-२०२३
पहचान तो है पहचान नहीं l
सच्चाई से अनजान नहीं l
चंद खुशी ढेरों ग़म मिलेगे l
इश्क़ यूँही बदनाम नहीं ll
ए खुदा कायनात मे तेरी l
आबाद हूँ बरबाद नहीं ll
तुम जो मिल गये हों तो l
अब कोई अरमान नहीं ll
साथी साथ निभाना ये l
फर्माइश है फ़रमान नहीं ll
६-४-२०२३
प्रियतम
अब कयामत की घड़ी आ गई l
सो प्रियतम की चिठ्ठी आ गई ll
सरहद पर दिल बहलाने देख l
आज गाँव से मिट्टी आ गई ll
क़दम खुदबखुद लड़खड़ा गएँ l
लो मयखाने की गली आ गई ll
फरेब ही सही दिल तो बहला l
ख्वाबो में रुबरु परी आ गई ll
दामन खुशियों से भरने के लिए l
अहद-ए-वफ़ा सखी आ गई ll
६-४-२०२३
हक़ीक़त
ज़िंदगी बन गई है अब फ़साना l
और आखरी साँस पर ये जाना ll
दिल फेंक नादाँ नासमझ इंसा पे l
आँखें बंधकर लुटाते रहे खजाना ll
७-४-२०२३
ग़म-ए-ज़िंदगी की हक़ीक़त कुछ और है l
सुनो कहानी की असलियत कुछ और है ll
हर लम्हा नया रूप रंग दिखती है वो l
हर अंदाज की कैफ़ियत कुछ और है ll
जो जिस तरह लेता है उस तरह की वो l
है कुछ, उसकी शख्सियत कुछ और है ll
विधाता ने अच्छा ही लिखवाया पर l
लिखी गई हुईं वसीयत कुछ और है ll
८-४-२०२३
मुनासिब नहीं बार बार रूठना l
दर्द भारी पड जाता है सहना ll
घुट घुट जीने से दम घुट जाएगा l
दिल की बात हमेशा से कहना ll
अकेले जीने की आदत डाल दो l
जरूरत नहीं है वहाँ ना रहना ll
टूटे हुए को ज्यादा तोड़ते हैं लोग l
सखी भावनाओमें कभी ना बहना ll
२१-४-२०२३
बादलों में छिप गया है चाँद देखो l
सागरों में छिप गया है चाँद देखो ll
माँ की ममता की अनुभूति के वास्ते l
आँचलो में छिप गया है चाँद देखो ll
प्यास जन्मों की बुझाने को झांकता l
गागरों में छिप गया है चाँद देखो ll
शेर, ग़ज़लों और कविता संग साथी l
काग़जों में छिप गया है चाँद देखो ll
खूबसूरत महबूबा की आँखों की सखी l
झामरों में छिप गया है चाँद देखो ll
२२-४-२०२३
निगोड़ी निगाहों ने किया है बदनाम l
महफिल में ज़रा तो रखा करो लगाम ll
लोगों की नजारों को बांधने की l
आज सभी कोशिशे हुई है नाकाम ll
दोस्त हो तो आखिर तक साथ देते l
एकबार फिर हाथों को लेते थाम ll
कुछ हक़ीक़तें मुझे करती हैं बदनाम,
लोग भी कहाँ रखते है मुँह पे लगाम।
बंध रखो कहीं पढ़ न ले सखी सहेली l
सखी लिखा न करो महेंदी में मेरा नाम ll
२३-४-२०२३
चल उठ आगे बढ़ शख़्सियत को दमदार बना l
क़ायनात में शान से जीने के लिए सरदार बना ll
रुक जाना नहीं चलता चला जा मुसाफिर है तू l
हौसलों से खुद की कमजोरी को हथियार बना ll
कभी कभी मेहनत रंग लाती है मान कहना तू l
किस्मत को बदल के अपनी खुद हक़दार बना ll
बहोत सी मुश्किलें और कठिनाईयाँ आएँगी l
जिंदगी को जानकर समझकर तू पतवार बना ll
बहोत सी आरज़ू अधूरी रह जाती है जीवन में l
ख्वाइशों और तमन्नाओ को जोड़ मझधार बना ll
२४-४-२०२३
उजाला करके तीरगी को रोशन कर l
गाँव गाँव शहर शहर उम्मीदों को भर ll
जो है वहीं सामने आया है समझ l
सच्चाइयों का स्वीकार से न ड़र ll
जो होना है वो होकर ही रहता है l
कल की चिता में आज चैन न हर ll
दुनिया गम देने वालो से भरी पड़ी है l
खुश रहना है तो हो जा सबसे पर ll
हौसला रख अच्छे दिन भी आएँगे l
संसार सागर को खुशीयों से तर ll
२५-४-२०२३
चुपचाप निस्बते निभा l
दिल से दिल को मिला ll
लोग तो है कुछ तो कहेंगे l
किसी से न रख गिला ll
दुःख को सहना सीख ले l
दर्द से दिलको न छिला ll
दुनिया में आने जाने का l
चलता रहेगा सिलसिला ll
सब कुछ मुमकिन है बस l
हौसलों से उम्मीद हिला ll
२५-४-२०२३
अब तो आजा इंतज़ार है तेरा l
बार बार दिल धड़कता है मेरा ll
तिरंगी हो जाते हैं दिन मेरे l
तेरे आने से होता है सवेरा ll
क़ायनात में कहीं पे भी नहीं l
तेरे दिल में मेरा है बसेरा ll
तेरे आने से पहले था आराम l
चैन और सुकूं का है लुटेरा ll
चाहत की चिंगारी जलाकर l
दिल में तूने कर दिया है डेरा ll
२७-४-२०२३
बूँदों का है सफ़र समंदर से साहिल तक l
ग़ज़लो का सफ़र साहिर से ग़ालिब तक ll
बाहिर तो कहीं न मिला अब अंदर ही l
ढूंढते रहेगे बारहा खुदा को हासिल तक ll
हौसला कभी भी न हारेगे यूँही राहों में l
सखी आख़िर में चलते रहेगे मंजिल तक ll
जो चाहिये हासिल करेगे देख लेना यारों l
उम्मीद का दामन न छोड़ेगे आख़िर तक ll
देने वाला भी थक जायेगा देते देते l
सहते रहेगे दर्दों ग़म से वाजिब तक ll
२८-४-२०२३
नजरे नाज़ से दर्द पिघल गया l
प्यारे स्पर्श से बर्फ़ पिघल गया ll
एक दिन दूसरे दिन पर भारी पड़ा l
आज संग यारों के सभल गया ll
हुश्न की महफ़िल जमी हुई थी तब l
पर्दा खिसका तो दिल मचल गया ll
जानेमन को पिघलता हुआ देखकर l
सखी आंखों से जाम छलक गया ll
गुलशन में बाहर क्या आई दिलकश l
महकती कलियों से बाग महक गया ll
२९-४-२०२३
यूँही गुज़र जाएगीं जिंदगी वो वहम था l
और लोग साथ देगे ताउम्र वो भरम था ll
जूठा ही सही दिल रखने की ख़ातिर आज l
क़दम दो क़दम साथ चले वो मरहम था ll
सुबह, शाम और वहीं रातें कट रहीं हैं l
एक पल भी जी न पायेगे वो अहम था ll
ग़म के बादल हटाने के लिए वक्त दिया l
फर्ज समझकर निभाया वो करम था ll
दर्द बढ़ा तो आंसूं जाम समझकर पीये l
दिल बहलाने को पहला वो क़दम था ll
३०-४-२०२३