Ek Dua - 24 in Hindi Love Stories by Seema Saxena books and stories PDF | एक दुआ - 24

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एक दुआ - 24

24

भाई का ठेकेदारी का काम अच्छा चल रहा था लेकिन अचानक से क्या हुआ कि उनको हर काम में घाटा होने लगा। बैंक के सारे पैसे खत्म हो गये, मम्मी के कुछ जेबर बिक गए लेकिन लोन खत्म नहीं हो रहा था आखिर पापा का बनाया हुआ घर बेचना पड गया, इस घर से सबके सपने जुड़े हुए थे । मम्मी ने खड़े होकर एक एक ईंट लगवाई थी । इतना कुछ हुआ फिर भी भाई ने उसकी कोचिंग क्लास नहीं छुड़ाई और न ही उसे सब कुछ बताया। वो थोड़ा समझ तो रही थी लेकिन लगातार अपनी पढ़ाई पर ध्यान देती रही आखिर उसने यूपीएससी का एकजाम पास कर लिया बस अब इंटरव्यू और निकल जाये । अब घर बिक गया था तो किराये के घर में आकर रहने लगे थे । दीदी को भी कुछ पता नहीं चला ।

उस रात अचानक जब भाई की तबीयत खारब हुई तो विशी घबरा गयी और दीदी को फोन किया आप फौरन आ जाओ दीदी, जीजू को भी साथ लेकर आना, मैं अकेले कुछ नहीं कर पा रही हूँ मम्मी का बीपी हाई हो गया है और वे बेहोश सी हो रही हैं ।

अरे यह सब अचानक से क्या हुआ ? तुम ठहरो विशी हम लोग अभी यहाँ से निकल रहे हैं और मैं यहीं से डॉ को फोन करके घर भेजती हूँ ।

ठीक है दी, लेकिन दी हम लोगों ने अपना घर चेंज कर लिया है ।

ओहह कैसे क्यों क्या हुआ ? दीदी ने कई सवाल कर डाले । खैर छोड़ो और जल्दी से पहले घर का एड्रेस भेजो ।

विशी ने दी को मेसेज से एड्रेस भेज दिया । थोड़ी ही देर में डॉ साहब आ गए । भाई और मम्मी दोनों का चेकअप किया और भाई को एड्मिट करने की सलाह दे दी । जी सर क्या हम सुबह एड्मिट करा सकते हैं ?

वैसे अभी इसी वक्त करना होगा । मैं सब इंतजाम कर देता हूँ तुम परेशान मत होना । डॉ ने उसे समझाया । दीदी और जीजू बराबर फोन पर डॉ से बात करने में लगे हुए थे । भाई ने मम्मी को आवाज लगाई, न जाने उस बेहोशी की हालत में भी माँ ने उनकी आवाज सुन ली और अपने बिस्तर से ही हल्के से बोली हाँ बेटा ।

मम्मी मुझे पानी चाहिए ।

अच्छा अभी देती हूँ उन्होने उठने का उपक्रम किया पर डॉ साहब ने उनसे उठने को मना करते हुए विशी से कहा तुम भाई को पानी लाकर दे दो ।

विशी दौड़कर पानी ले आई थी, पानी पीकर भाई की तबीयत में कुछ सुधार अनुभव हुआ तो डॉ ने कहा अब इन लोगों को सुबह चेकअप के बाद एड्मिट करने का देखते हैं ।

डॉक्टर साहब चले गए थे वे काफी देर तक रुके रहे थे । भाई मम्मी की देखभाल करते रहे।

दीदी जी समय से ही घर पहुंच गए थे आज हाजी जुने शायद कार हवा में उड़ा कर चलाइए तभी तो इतनी जल्दी पहुंच गए थे वह भी घबरा गए होंगे ना कि यहां पर कोई नहीं है भाई इतना बीमार हो गया क्या हो जा है भाई को क्यों बीमार पड़ जाता है बार-बार अनेक सवालों से घिरी मानसिक अपना सर पकड़ के एक तरफ को बैठ गई थी इस दुनिया में सारा झंझट प्रेम का ही है अगर यह प्रेम ना होता तो ना कोई झंझट होता ना कोई दुनियादारी होती है ना कोई इस दुनिया होती ना कुछ नहीं होता सब सुकून से रहते और चलो अगर होता भी प्रेम तो समझदारी होती लोग समझते लोग बात को समझते अपने बच्चों के सम्मान के प्रेम का आदर करते लेकिन नहीं करते हैं लोग को अपनी हद में आ जाते हैं और फिर बाद में उन्हें परिणाम देखना पड़ता है मम्मी को देखो वह खुद बीमार है और भाई इधर बीमार पड़ा हुआ है

अगर मम्मी उस समय थोड़ा सा झुकी होती थोड़ा सा समझ गई होती बात को तो भाई हूं परेशान नहीं होता सब कुछ अच्छा हो रहा होता मम्मी भी को तो कोई तकलीफ नहीं होती फिर भी तो परेशान ही है कौन मां परेशान नहीं होगी कि उसका बेटा जवान बीमार पड़ रहे शादी ना करें हर बात से मोह माया हटा ले और जब उसका मन परेशान था इसी वजह से ही तो एक हारा हुआ ठेकेदारी में कभी ऐसा होता ही नहीं था

खैर होनी को कौन टाल सकता था या कौन टाल पाया है आज तक जो होना है वह तो होना ही है हे ईश्वर आप सब अच्छा करना सब अच्छा हो जाए सब खुशहाली आ जाए लौट के बार-बार वहां जो करने से ही प्रार्थना कर रही थी मम्मी और भाई को सुबह डॉक्टर ने कहा था सुबह आप एडमिट करा देना अभी तो रहने ही दो मैं देखकर वह अच्छे से दवाई देकर गए थे दीदी जीजा जी दोनों लोग भी घर पर ही थे तो अब कोई तनाव या चिंता की बात कही थी मानसी थोड़ा सुकून से जी

दीदी और जीजाजी वक्त पड़ने पर हमेशा ही साथ देते हैं लेकिन जब उन्हें कुछ पता ही नहीं चलेगा तो वह कहां से कुछ कर पाएंगे, कैसे कर लेंगे, कैसे सब देख लेंगे ? अब जब उन्हें पता चलता है या उन्हें पता होता है तो वह सबसे आगे खड़े होते हैं आपके सबसे पहले बात को सुनते हैं आज भी तो यही हुआ था । उसके एक फोन कॉल से जीजाजी और दीदी ने इतनी हेल्प की कि वह सब तरफ से परेशानी से मुक्त हो गई वरना वो अकेले कैसे संभालती, मां अलग बीमार पड़ी भाई बेहोश पड़ा? कैसे अकेले देखती? वह कैसे सब कुछ मैनेज करती?

भाई की तबीयत में थोड़ा सुधार सा लग रहा था। उन्होंने आंखें खोली और उठकर कमरे से बाहर तक चल कर आए, खुद ही फ्रिज से पानी निकाला और गिलास में डाल कर पिया । दीदी जीजाजी से नमस्ते की । दीदी एकदम से पूछ बैठी, “भाई तू कैसा है?”

“मैं ठीक हूं, आप लोग परेशान मत हो चलो मैं सोने जा रहा हूं और यह कहकर वह कमरे में सोने के लिए चले गए मां की तबीयत भी अब ठीक लग रही थी तो दीदी जीजाजी भी चैन से सो गए थे । सुबह करीब 7:00 बजे उसकी आंख खुली उसने देखा दीदी सोफे पर लेटी सो रही हैं और जीजाजी कार में जाकर सो गए थे भाई फोल्डिंग पर और विशी अपनी मां के साथ बेड पर लेटी हुई थी । रात को कोई सोया ही कब था सुबह के समय सब की आंख लग गई है । विशी पहले उठकर चाय बनाने के लिए पुछने को मम्मी को उठाने का मन किया लेकिन वे अभी नींद में थी । पता नहीं क्यों भाई की ज्यादा फिक्र लगी हुई थी दीदी के चेहरे पर हल्की हल्की धूप की किरण पढ़ रही थी लेकिन वे भी बहुत गहरी नींद में थी । चलो सबको थोड़ी देर सोने दो विशी ने सोचा और वह भी आंख बंद करके लेट गई । मम्मी की तबीयत तो भाई को देखकर ही खराब हो जाती है । भाई की जरा सी भी तबीयत कभी खराब होती है तो मां पहले बीमार पड़ कर बिस्तर में लेट जाती है आज भी यही हुआ था। अब भाई को सही देख लिया तो वे भी बेफिक सी हो गयी थी ।

सभी की समझ में आ गया था कि भाई को कोई बिमारी नहीं है बल्कि शादी न करने की समस्या है इसलिए जब भी कभी उनकी शादी की बात चलती है वे फौरन बीमार हो जाते हैं । उसकी शादी की अब कभी कोई भी घर में बात नहीं करेगा जीजू ने बहुत अच्छी तरह से सबको समझा दिया था । सब ठीक हो गया भाई की तबीयत माँ की तबीयत सब कुछ सही । दीदी जीजू चले गए । कहाँ तो डॉ एड्मिट करने को कह रहे थे और कहाँ भाई को देख कर ऐसा लग रहा था मानों उन्हें कुछ हुआ ही नहीं था।

ज़िंदगी ढर्रे पर चलने लगी थी । एक दिन विशी को उसकी कविताओं के ब्लॉग के लिए सम्मान देने को दूसरे शहर में बुलाया गया । उसकी खुशी का तो कोई ठिकाना ही नहीं था वो तो यूं ही कभी कभार कुछ लिख लेती थी लेकिन यह कवितायें उसे सम्मान भी दिला सकती हैं उसे इस बात का जरा भी अहसास नहीं था । माँ क्या मैं जा सकती हूँ सम्मान लेने के लिए ?

अरे इसमें पुछने वाली क्या बात है बल्कि यह तो खुशी की बात है तुम्हें जाना ही चाहिए ।

माँ मैं भाई को लेकर जाऊँगी अकेले जाने का बिलकुल मन नहीं है ।

ठीक है पूछ लेना उससे अगर वो जाये तो क्या ही बात है ।

माँ को खुश देख कर उसका उत्साह दोगुना हो गया था । अब तो वो जरूर ही जाएगी । मिलन का जॉब भी तो उसी शहर के आसपास है । एक साथ दो काम हो जाएँगे, मिलन से मुलाक़ात और सम्मान भी । शाम को भाई के आते ही जब विशी ने उनसे कहा तो वह बोले मुझे तो पहले ही पता था कि तू ही हम सब का नाम रोशन करेगी और तूने मेंहनत की है। तुझे जरूर जाना चाहिए ।

भाई तुम भी साथ में चलोगे न ?

नहीं विशी मैं नहीं जा सकता बहुत सारा काम आ गया है फिर मम्मी को भी अकेले नहीं छोडने का । तू जा न अकेले कोई डर थोड़े ही न है ? जा और मजे कर ।

भाई तुम चलते तो ज्यादा मजे आते । माँ की वजह से भाई कहीं नहीं जा सकते । वो माँ को इतना प्यार क्यों करते हैं ? विशी सोच में पड़ गयी ।

क्या सोचने लगी विशी तू ? वैसे तुझे जाना कब है ?

आठ दिन के बाद जाना है ।

ठीक है तू जा, मैं अपने आफिस के ड्राइवर से बात करके आता हूँ शायद उसे भी उधर जाना है, वो तुझे छोड़ देगा ।

ठीक है भैया लेकिन आप फोन क्यों नहीं कर लेते जाना कोई जरूरी है अभी तो आकर ही बैठे हैं ।

उधर और भी काम है थोड़ा तो उससे भी बात कर लूँगा ।

पर भैया चाय तो पीते जाओ । उसे पता चल गया था कि भैया उस ड्राईवर को पैसे देकर उसे छोड़ आने के लिए अभी से बुक कर आएंगे कि उस दिन कहीं और न चला जाये ? उफ़्फ़ यह मेरे भाई हम सबको कितना प्यार करते हैं और खुद को जरा भी ध्यान नहीं देते ।

तू चाय बना मैं अभी आया । वे बिना देर किए फौरन ही चले गए थे ।

विशी मन ही मन सोच रही थी मुझे जरा भी तकलीफ न हो इसके लिए भाई कितना कुछ करते हैं और अपनी हर तकलीफ और परेशानी हम सभी से बड़ी आसानी से छुपा लेते हैं । वो बस से भी तो जा सकती थी क्योंकि वो शहर ज्यादा दूर तो नहीं है पर नहीं भैया को यह कहाँ मंजूर होगा कि उनकी बहन बस में जाये ।

भाई चले गए थे, विशी ने गैस जला कर उसपर चाय का पानी रखा और दूध पत्ती चीनी सब एकसाथ ही दाल दिया, थोडा सा इलायची पाउडर भी डाला और गैस को सिम कर दिया । अब भाई जल्दी तो नहीं आएंगे लेकिन क्या पता पास में ही उसका घर हो और वे जल्दी लौट आए तो कम से कम चाय तो तैयार मिल जायेगी वरना वे फिर कहीं किसी काम से निकल गए तो चाय क्या ही पिएंगे ?

वाकई थोड़ी ही देर में लौट आए थे। विशी क्या चाय बन गयी ? भाई बाहर से ही आवाज लगाते हुए चले आए उनकी आवाज में उत्साह और खुशी दोनों ही झलक रही थी ।

जी भैया बन गयी अभी लेकर आती हूँ । यह कहते हुए विशी ने गैस को तेज करके चाय को एक बार और उबाल दिया फिर छननी से छान कर कप में दाल कर ले आई । साथ में बनाना चिप्स भी ले आई ।

ले विशी तेरा काम तो हो गया ।

अच्छा ।

हाँ, मैंने कहा था न कि उसे वहाँ काम से जाना ही है । तू वाकई लकी है अब आराम से बेफिक्र होकर कार से जा और वापस भी उसी के साथ आ जाना ।

ठीक है भैया । पर ड्राइवर भैया कहाँ रहेंगे ? मैं तो वहाँ पर सबके साथ में बीसी हो जाऊँगी ।

वो अपना काम निपटाएगा न । भाई हँसे । माँ किधर हैं वो दिख नहीं रही हैं ?

वे कमरे में ही हैं ।

क्यों क्या हुआ तबीयत तो ठीक है न ?

क्रमशः