Ek Dua - 23 in Hindi Love Stories by Seema Saxena books and stories PDF | एक दुआ - 23

Featured Books
Categories
Share

एक दुआ - 23

23

घर का गेट उसके इंतजार में खुला हुआ पड़ा था । सच में जब हम घर में नहीं होते तो घर वालों के साथ घर भी इंतजार करता रहता है । भाई अभी तक खाने की मेज पर बैठे उसका इंतजार कर रहे थे, मम्मी शायद अपने कमरे में सोने चली गयी थी । सोर्री भैया ।

“सॉरी क्यों ?”

“वो देर हो गयी न ?”

“कोई नहीं, ऐसा ही होता है ।”

“माँ ने खाना खा लिया ?”

“नहीं, अभी नहीं।”

“ओहह! अभी मैं सबके लिए खाना लगती हूँ ।”विशी ने खाने का पैकेट मेज पर रखा और हाथ मुंह धोने चली गयी।

फ्रेश होकर उसने माँ को बुलाया और पैकेट खोलकर उसमे से खाना निकालने लगी।

“यह सब क्या ले आई बेटा ?” माँ ने पूछा ।

“मम्मी मैडम ने खाना पैक कर दिया था ।”

“लेकिन खाना तो घर में बना है ।"

“घर वाला खाना सुबह खा लेंगे मम्मी, वैसे क्या बना है ?”

“आज मैंने खिचड़ी बना दी थी ।”

“चलो फिर ठीक है और अब तक तो वो ठंडी भी हो गयी होगी ?” विशी ने फटाफट पूड़ी, पनीर, रायता और सुखी गोभी आलू की सब्जी प्लेटों में लगाकर भैया और मम्मी के सामने रख दी ।

“छुटकी तू नहीं खाएगी?” भाई ने उसे टोंका ।

“नहीं भैया मैं खा कर आई हूँ ।"

“अच्छा, चेहरे से तो नहीं लग रहा है, चल आ जा मेरी प्लेट में ही खा ले।” भाई ने बड़े प्यार से उससे कहा।

“हाँ यह ठीक है ।”

माँ उन दोनों की बातें सुनकर हल्के से मुस्कुरा दी और चुपचाप खाना खाने लगी।

सब्जी में ऑइल बहुत ज्यादा था इसलिए मम्मी ने थोड़ी सी ही सब्जी खाई।

“बेटा यह खाना कल सुबह बाई को दे देना इसमें बहुत ज्यादा ऑइल है और हम सब कोलेस्ट्रॉल के मरीज हैं ।”

“हाँ ठीक है माँ ।”

भाई और मम्मी अपने अपने कमरे में सोने चले गए । वे दोनों तो विशी की वजह से ही इतनी देर तक जग रहे थे नहीं तो अभी तक सो गए होते । विशी ने खाना समेट कर फ्रिज में रखा और मेज व गैस साफ की फिर अपने कमरे में आ गयी अभी भी उसके दिमाग में मिलन ही घूम रहे थे । वे आज क्यों नहीं आए? या आज ही क्यों चले गए ? चलो चले भी गए तो क्या फोन नहीं कर सकते थे बस एक बार जरा सी बात कह कर रख देते, कौन सा ज्यादा देर लगती । उसे मिलन पर बहुत गुस्सा आ रहा था सब दिखावा है दुनिया में सच्चाई कुछ है ही नहीं । उफ़्फ़ क्या हो रहा है उसके दिल को मानों कोई खींचे लिए जा रहा हो । वो अपने सीने को अपने हाथ से सहलाती हुई पेट के बल बिस्तर पर लेट गयी और अपने मुंह को तकिये में छुपा लिया आँखों से अपने आप आँसू बहने लगे थे । किसी तरह अपने आप को संभाला और मुँह धोकर आँखों में पानी के खूब छींटे मारे । कपड़े बदलने की इच्छा ही नहीं हो रही थी पर इन कपड़ों में नींद ही नहीं आयेगी यह सोच कर उसने नाइट सूट निकाला और पहनने लगी तभी उसके मोबाइल पर व्हात्सप मेसेज की टोन बाजी और लाइट जल गयी । इतनी रात को जरूर दीदी का ही मेसेज होगा वे उसके प्ले के बारे में पुछने को मेसेज कर रही होंगी । आज तो दीदी से भी बात नहीं हुई चलो पहले कपड़े बदल लूँ फिर दीदी से बात कर लेती हूँ । जल्दी से उसने लोअर और टीशर्ट डाली और मोबाइल लेकर बेड पर लेट गयी । जैसे ही उसने मेसेज देखा तो वो एकदम से खुशी से उछल पड़ी अरे मिलन का मेसेज ।

सॉरी नहीं आ सका और रोता हुआ इमोजी।

उसकी आँखें भर आई जैसे वो यहाँ उन्हें याद कर रही थी वैसे ही वे भी उसे वहाँ पर याद करते रहे होंगे क्योंकि हम जिसके बारे में जैसा सोचते हैं न ठीक वैसा ही वो भी हमारे बारे में सोचता है। क्योंकि हवाएँ सारे संदेश एक दूसरे के दिल को पहुंचा देती हैं ।

नाराज हो बोलोगी नहीं ? फिर मिलन का एक और मेसेज ।

हम क्यों किसी को प्रेम करने लगते हैं ? क्यों खुद से ज्यादा उसे याद करते रहते हैं ? कैसे हम सब कुछ बिना कहे जान लेते हैं ?

बोलो न विशी, कान पकड़ कर माफी । अब तो कहो कुछ ? मिलन का एक और मेसेज ।

क्या कहे वो ? कैसे अपनी भावनाओं को शब्दों में पिरोये ? कविता लिखना अलग बात है पर किसी को दिल की बात लिखना अलग बात ।

आप सॉरी न कहें प्लीज । बस आप बता देते क्योंकि हम सभी ने आपका बहुत इंतजार किया था ।

ओहह ! दरअसल आज ही यहाँ आकर जॉइन करना पड़ा और पूरा दिन मीटिंग में ऐसा गुजरा कि हम मोबाइल को हाथ में उठा भी न सके । बस बिलकुल अभी कमरे में आकर बैठा हूँ तो सबसे पहला मेसेज तुम्हें ही कर दिया ।

क्या कहा आपने जॉइन ? आपका यहाँ से ट्रांसफर हो गया ? आप चले गए ? ओहह ! मिस यू मिलन ।

उधर से मिलन के खूब सारे प्यार भरे इमोजी आ गए ।

उसने उन इमोजी को अपनी उँगलियों से प्यार से सहलाया और होंठों से अपनी उँगलियों को चूम लिया ।

जैसा हम सोचते हैं वैसा आजतक कब कहाँ हुआ है ? क्या पता था जिसके लिए मन में इतने ख्वाब पाल लिए हैं वो यूं सिर्फ ख्वाब ही बनकर रह जाएँगे । हे ईश्वर वे कौन से ख्वाब होते हैं जो सच हो जाते हैं । आँखों की नमी बेताहाशा बहने लगी थी, हम खुश होते हैं तो हमें किसी की बुरी नजर जरूर लग जाती है जो हम दुखी हो जाते हैं । अगर हमारा प्यार सच्चा होगा तो हम जरूर मिलेंगे उसने मन में सोचा और किसी तरह से खुद को बहलाने की कोशिश की।

अब वो यह थियेटर करना बिलकुल छोड़ देगी। वैसे भी घर में सब मना करते हैं और अब तो उसका भी दिल हट गया है । क्यों हम किसी से इतना जुड़ जाते हैं कि उसके बिना सब बेकार नजर आने लगता है । एक से मोह जुडने के बाद पूरी दुनिया से मोह छुट जाता है । उसे भी तो सिर्फ मिलन ही मिलन याद रह गया है बाकी सबको भूल सा गयी है।कितनी रात यूं ही सोचते सोचते गुजर गयी, कितनी बार मिलन के भेजे हुए मेसेज पढ़ डाले लेकिन मन को सकूँ न आना था और न आया। सुबह के समय पर जरा देर को नींद आ गयी होगी उसी समय मम्मी की पूजा करने की आवाजें और घंटी बजाने से आँख खुल गयी । पूरा शरीर दर्द से टूट रहा था, उसने अपने मुंह को तकिये में छुपाया और सोने की नाकाम कोशिश करने लगी । भैया वॉक पर गए होंगे वे तो सुबह साढ़े चार या पाँच बजे तक निकल जाते हैं और मम्मी नहा धोकर पूजा पाठ में लग जाती हैं एक बस वही है जो सुबह आठ बजे तक शनिचर की तरह बिस्तर पर पड़ी रहती है। आज तो लग रहा पूरा दिन ही बिस्तर में जायेगा क्योंकि शरीर दर्द ही इतना कर रहा है । मैं जॉब भी छोड़ दूँगी, नहीं करनी मुझे कोई नौकरी, थियेटर कुछ भी नहीं।

ऐसे ही लेटे लेटे नौ बज गए ।

छुटकी उठ जा, आज तुझे ऑफिस नहीं जाना है ? या फिर ऐसा कर आज की छुट्टी ले ले कल थक भी तो बहुत गयी होगी न ?

नहीं भैया, छुट्टी नहीं अब जॉब ही नहीं करना, आज से ऑफिस जाना बंद कौन से ज्यादा पैसे मिल जाते हैं इस पार्ट टाइम जॉब में और मेहनत पूरी करनी पड़ती है ।

हाँ यह तो सही है, मैं तो पहले ही मना करता था लेकिन तेरा मन था तू करती रही । अब तू कोचिंग कर और कंपटीशन की तैयारी करके कोई बढ़िया जॉब निकाल।

हाँ भैया । उसने संक्षिप्त सा उत्तर दिया ।

क्या आज तुम दोनों भाई बहन यूं ही बैठे बातें करते रहोगे या चाय नाश्ता भी करोगे ?

आती हूँ मम्मी।

तू अभी आराम कर मैं तुझे यही पर चाय लाकर देता हूँ । यह कहकर भैया चले गए ।

कहते हैं इस दुनिया में मोहब्बत बहुत मुश्किल से मिलती है, अगर मिल जाए तो लोग उसकी कदर नहीं समझते हैं इसलिए कोशिश करनी चाहिए मोहब्बत को कभी ज्यादा जोर से मत पकड़ो और ज्यादा ढील भी मत दो क्योंकि ढील देने से वह बिछड़ जाती है और कस के पकड़ने से घायल हो जाती है तो प्रेम को बस प्रेम से सहेजे रखो।

लेकिन उसने तो ढील भी नहीं दी और कस कर भी नहीं पकड़ा फिर ऐसा क्या हुआ कि उसका प्यार दूर चला गया और फिर एक बार जो बिछड़ जाए या दूर चला जाए फिर उसका मिलना मुश्किल होता है लेकिन प्यार कितना भी दूर चला जाये या बिछड़ जाये पर वो मन से कभी दूर नहीं होता सदा दिल में बसा रहता है और किसी फूल की मानिंद महकता रहता है । साथ ही प्रकृति भी इस सुख और दुख का अनुभव करा देती है । तभी तो उसके जाते ही मौसम बहुत खराब हो गया था।

वे मुझसे मिलने के लिए भी आये लेकिन मौसम को शायद मंजूर नहीं था और उसका मिलन से मिलना संभव नहीं हो पाया। अब बस एक कसक सी मन में बनी रहती। शायद वो भी यूं ही उसे याद करते होंगे तभी तो यहाँ पर वो उसे इतना याद करती है।

अब सिर्फ भगवान का ही सहारा था, अगर उसे मिलन से मिलना होगा तो वो मिल जायेगी नहीं तो हमारी कोई भी कोशिश काम नहीं आने वाली क्योंकि मोहब्बत इश्क और प्यार किस्मत से ही मिलते हैं यह सब किस्मत के खेल होते हैं।

कितने ही दिन गुजर गए ना तो उसमें जॉब पर जाना शुरू किया और ना ही उसने थिएटर ज्वाइन किया, हां बस उसने कोचिंग क्लास जरूर शुरू कर दिए थे। अब बस एक यही ख्वाब रह गया था कि किसी तरीके से कंपटीशन निकालना है और किसी डिपार्टमेंट में सरकारी ऑफिसर की जॉब करनी है । प्राइवेट जॉब के लिए शहर से दूर जाना पड़ता और कौन जाना चाहता था अपनों से दूर । भाई और मम्मी भी तो उसी के सहारे हैं या यूं कहूँ कि उसकी दुनिया यही दोनों थे । जीजू दीदी कभी आ गए तो ठीक, नहीं तो उन लोगों को भी कहाँ फुरसत थी । उनकी अपनी दुनिया अपनी परेशानियाँ हैं । कितने महीने गुजर गए वे लोग नहीं आए थे । दीदी और जीजू के आने का वादा था, भाई की शादी करानी थी पर दीदी को आने का समय ही नहीं मिला । जीजू बिजनेस के सिलसिले में बाहर चले गए और यहाँ का सारा काम दीदी को देखना पड रहा था । वैसे जो भी होता है अच्छे के लिए ही होता है । अगर हम हर बात में ऐसी सकारात्मक सोच पैदा कर ले तो शायद सब सही ही हो जाता है लेकिन किस्मत को जो मंजूर है उसे कोई कैसे बदल सकता है । लाख कोशिश करो होनी तो होकर ही रहती है ।

 

क्रमशः