Ek Dua - 21 in Hindi Love Stories by Seema Saxena books and stories PDF | एक दुआ - 21

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एक दुआ - 21

21

वो खाने की टेबल पर आई तो देखा सभी समान बड़े सलीके से सजा हुआ रखा था । एक केतली में चाय और एक में गरम दूध, हाट केस में ब्रेड, एक डिब्बे में कॉर्न फ़्लेक्स, साथ ही बट्टर और जैम का डिब्बा । साफ की हुई प्लेट, बाउल और चम्मच कप भी । उसकी आँखें भर आई । यह सारे काम हमेशा भैया उसके उठने से पहले कर देते हैं और एक वो है जिसे किसी तरह की कोई फिक्र ही नहीं । अपना ऑफिस, अपना काम, अपना प्ले और पढ़ना लिखना बस । अब मुझे अपनी आदतें बदलनी होगी,। उसने मन ही मन यह निर्णय लिया । वैसे यह बात तो वो हमेशा ही सोचती है लेकिन भैया उसे कोई काम करने ही कब देते हैं, उनके लिए अभी भी जैसे छोटी बच्ची ही हूँ, मम्मी को भी कहाँ कुछ करने देते हैं, मानों घर का पूरा जिम्मा उनके ही ऊपर है । समझ ही नहीं आता कि वे क्यों यह सब करते हैं ? क्यों खुद ही ही काम कर लेते हैं उसने मन में सोचा मम्मी से जरूर पूछूँगी कि भैया शुरू से ही इतना काम करते थे अपनी पूरी ज़िम्मेदारी के साथ ।

विशी ने बाउल में थोड़ा दूध लिया और कॉर्न फ़्लेक्स डाल कर खाये और एक ब्रेड में जैम लगाया और खाते हुए मम्मी के पास पहुँच गयी वे अभी सुखासन में बैठी माला जप रही थी । अभी इनसे कुछ कहूँगी तो यह सुनेगी नहीं और अगर सुन लिया तो डांट पड़ेगी चलो भैया को ही बता कर चली जा रही हूँ वे ही मम्मी को बता देंगे । यह सोचते हुए वो जैसे ही वापस मुड़ी कि मम्मी कि आवाज कानों में पड़ी, “क्यों बेटा क्या हुआ ? इतनी जल्दी जल्दी दौड़ते भागते हुए खा रही हो ? क्या कहीं जाना है ?”

वो पलटी और बोली, “हाँ मम्मी आपको तो पता ही है कि आज मेरा प्ले है तो अभी से जाना होगा । सेट बगैरह और फाइनल रिहर्सल करनी पड़ेगी न ।”

“हाँ पता तो है लेकिन .... अब रात को ही आओगी ?”

“नहीं मम्मी मैं बीच में आ जाऊँगी, थोड़ी देर के लिए । अब मैं जाऊँ मैडम का सुबह से ही फोन आ रहा है ?”

“ठीक है जाओ भैया को बोल दो वो छोड़ आयेगा वरना तू पैदल ही जायेगी ।”

“नहीं मम्मी, भैया के साथ नहीं मुझे पैदल ही जाना है थोड़ा चलना भी हो जाएगा।”

“वहाँ जाकर कोई बैठे थोड़े ही न रहती होगी वहाँ भी तो चलना फिरना होता होगा, जाओ भैया को बोलो वो लेकर जाये तुझे वहाँ तक ।”

अब मम्मी के आदेश को कैसे टाला जाये, भैया के साथ बाइक पर ही जाना होगा । वैसे मम्मी सही ही कह रही हैं दिन भर दौड़ना ही पड़ता है रिहर्सल पर कभी मैडम कुछ काम कहेंगी कभी डाइरेक्टर ।

भैया पौधों में पानी लगाकर अब वहीं पर पड़ी कुर्सी पर अखबार लेकर पढ़ने बैठ गए थे ।

“भैया मैं जा रही हूँ लेकिन आपको मुझे छोडने के लिए मेरे साथ चलना पड़ेगा मम्मी का आदेश है मेरे लिए कि भैया के साथ जाओ ।” यह कहते हुए वो ज़ोर से हंसी ।

भैया भी हँसे और बिना कुछ बोले अपनी बाइक निकाल कर उसे छोड़ आए ।

हाल में सब लोग लगभग आ गए थे सिर्फ वो ही आज भी देर से पहुंची थी । मैडम को गुडमारनिग कहा और एक तरफ चुपचाप बैठ गयी जिससे वे उसे कुछ न कहें । मैडम भी अभी और सब लोगों के साथ बिजी थी इसलिए उसे कुछ नहीं कहा ।

आज बहुत काम थे पहले स्टेज पर रिहर्सल फिर सैट लगाना और अपनी ड्रेस व एसेसरीस आदि लेकर आना । करीब तीस लोगों का ग्रुप था सभी के लिए चाय बिस्किट आ गए थे कुछ लोग इस बात से नाराज भी हो गए कि आज बिस्किट की समोसे या फिर पेटीज़ होना चाहिए था । खैर मैं तो अच्छे से नाश्ता करके गयी थी तो मुझे खाने का कोई मतलब नहीं था कुछ भी हो क्या करना जैसी फीलिंग हो रही थी ।

“विशी आपको अभी रोहित के साथ जाकर ड्रेस और एसेसरीस दुकान से उठा कर लानी है और सुनो, मेरी लिस्ट के अनुसार वहाँ पर सिर्फ सामान चैक करना है । उसमें कुछ कम या ज्यादा नहीं करना है ठीक है न ।” तभी मैडम की चेतावनी भरी आवाज उसके कानों में पड़ी।

“जी ठीक है मैडम ।” यह कहते हुए उसने जाने की हामी भरी क्योंकि न करने का तो कोई सवाल ही नहीं था ।

इसी तरह सबको उनके हिस्से के काम सौंप कर डाइरेक्टर साहब ने नाटक की रिहर्सल तैयार करानी शुरू कर दी ।

करीब दो घंटे रिहर्सल हुई उसके बाद स्टेज को तैयार करने के लिए सभी कलाकारों को लगा दिया । अब सभी को ज़ोरों की भूख लगने लगी थी और सुबह से काम में लगे होने से थक भी गए थे इसलिए वे सब हाल में पड़ी कुर्सियों पर सबसे पीछे जाकर बैठ गए थे। पहले लंच कराओ तब आगे का कुछ काम करेंगे । उन सब की बात सुनकर मैडम बोली, “हमारे पास इतना बजट नहीं है, हमने चाय बिस्किट सुबह खिला दिये थे अगर कहो तो एक बार चाय और मंगा सकती हूँ ?”

“नहीं मैडम चाय से क्या होगा, हम लोग सुबह से आए हुए हैं हमें तो खाना ही चाहिए ।” वे सब अपनी बात पर अड़ से गये ।

“आप लोगों को पता था इतनी देर लगेगी तो घर से खाना पैक कराकर लाना चाहिए था, अब इस तरह की बातें करके हमें परेशान मत करो पूरा सैट लगाने को पड़ा है और आप सब ऐसे कर रहे हो । तुम ही बताओ हम तीस लोगों के खाने का इंतजाम कहाँ से करें ?” यह कहते हुए वे रूआंसी हो गयी ।

इन मैडम का कुछ नहीं हो सकता है अपना काम रो धो कर निकलवा लेंगी और हमारा कोई ख्याल नहीं है । क्या हम भूखे पेट काम कर पायेंगे ? कृष्ना बोली वो हमारे ग्रुप की सबसे तेज लड़की थी ।

“ठीक है मैडम हम लोग अपने खाने का इंतजाम खुद कर रहे हैं लेकिन बाकी काम अब खाना खाने के बाद ही होगा ।” उसने सबसे पुंछ कर, थोड़े थोड़े पैसे इकक्ठे कर के जुमेटो से छोले भटूरे और समोसों का ऑर्डर कर दिया ।

मैडम उनकी यह हरकत देखकर एक तरफ को सर के ऊपर हाथ रखकर बैठ गयी, आप सब को आज यह सब करना ही था क्योंकि आज पता है न कि आप लोगों के बिना हमारा कोई काम नहीं चलेगा अगर यह सब पहले किया होता तो उसी समय हम दूसरे कलाकारों को ले लेते क्योंकि शहर में कलाकारों की कोई कमी नहीं है एक ढूंढो अनेक मिल जाते हैं । वे बडबड़ाती भी जा रही थी ।

खाना आ गया था सबने खाया और मैडम को भी एक प्लेट में लगाकर दे दिया था । इस समय तक उनका गुस्सा शांत हो गया था, वे बोली बेटा, “आप सब लोगों के पैसे वापस मिल जाएँगे ।”

“नहीं मैडम, कोई बात नहीं, हमें आज खाने की और माँ बाप की कीमत पता चल गयी की माँ बाप के सिवा कोई भी खाना नहीं खिला सकता, वे तो काम न करने पर भी खिलाते हैं और पराए काम कराकर भी नहीं ।” कृष्णा उसी रौले में बोली ।

वाकई उसकी बात में दम तो है माँ पापा जैसा दुनिया में कोई भी नहीं होता ।

काफी समय हो गया था और मिलन अभी तक नहीं आए थे जबकि वे एक चक्कर तो जरूर लगाकर चले जाते थे । क्यों नहीं आए ? क्या हुआ होगा ? सोचा एक बार फोन लगाकर पूछ लूँ फिर हिम्मत नहीं हुई । विशी सुबह से ही बार बार हाल के गेट की तरफ देख रही थी कि मिलन अब आ रहे होंगे, सुबह से दोपहर हो गयी लेकिन वे नहीं आये । मन में सिर्फ उनका ही इंतजार था । वे हमेशा चाय के समय पर आते थे । क्या हुआ होगा ? विशी का मन बेचैनी से भर गया ।

“विशी क्या सोच रही है, चलो सामान लेने जाना है न ?” रोहित ने उसे कहा तो वो खुद के अंदर से बाहर आ गयी ।

“थोड़ी देर को घर पर भी हो आऊँगी ! मम्मी, भाई को फिक्र हो रही होगी । उसने मन में सोचा ।

“हाँ चल भाई ।” कहते हुए वो उठ गयी ।

मैडम से कहकर वो दोनों बाहर आ गये, वहाँ भी विशी की नजरें मिलन को तलाशती रही कि शायद उनकी गाड़ी कहीं दिख जाये या वे ही किधर से आते दिख जाएँ लेकिन वे नहीं थे कहीं नहीं थे फिर भी वे वहीं थे उसके पास बिलकुल आसपास । कहाँ हो तुम मिलन आज आए क्यों नहीं वैसे तो हमेशा चाय के समय पर ही आ जाते हैं और वो उन्हें जब चाय देने जाती है तो कितने प्यार से उसे देखते हैं और मज़ाकिया लहजे में उसे कहते हैं मैं चाय नहीं पीता हूँ लेकिन तुम इतने प्यार से पिला रही हो तो मैं जरूर पीऊँगा पर तुम्हारे यह बिस्किट नहीं खाऊँगा ।

वो भी उनके इस मज़ाकिया लहजे पर मुस्कुरा देती है और साथ ही पास में बैठे लोग भी । उफ़्फ़ यह मिलन मेरे ख्यालों से जा क्यों नहीं रहे ? मैं याद नहीं करना चाहती हूँ न ही सोचना फिर क्यों ख्यालों और सोच में चले आ रहे हो ?

“विशी यार क्या सोच रही है उधर खड़े होकर आओ चलो जल्दी से बैठ जाओ देर हो रही है।” रोहित मैडम की कार में बैठा हुआ उसे आवाज देते हुए बोला ।

“अरे हाँ आती हूँ ।” वो अपनी सोच से बाहर निकल आई थी ।

उसने कार में आगे का गेट खोला और रोहित के साथ बैठ गयी । “तू सोचती बहुत है विशी, हमेशा किन ख्यालों में खोई रहती है ?”

“वो मैं कभी कुछ देखती हूँ तो अपने लेखकीय नजरिए से उन चीजों को देखने लगती हूँ और फिर कहीं खो जाती हूँ ।” विशी बोली ।

“यार तू टेलेंट की खान है तभी मिलन सर भी तुझे बहुत पसंद करते हैं ।” रोहित उसकी तरफ देखते हुए बोला ।

“अच्छा तुझे किसने बताया कि वे मुझे पसंद करते हैं ?” विशी उसकी बात सुनकर थोड़ा चौंकी हालांकि मन में कहीं खुशी का संचार भी हुआ था ।

“इसमें किसी को बताने की क्या बात है क्या उनके हाव भाव से नहीं लगता है । तू कभी उनकी नजरों में अपने लिए भाव देखना।”

क्या वे सचमुच उसे प्यार करते हैं या उसके काम को पसंद करके उसे आदर मान देते हैं ? विशी के मन में सवाल पैदा हुआ ।

“चल छोड़ उनकी बात । यह बताओ पहले कहाँ जाना है ?” विशी ने बात को पलटते हुए कहा ।

“वहीं चल रहे हैं जहां मैडम ने कहा है, आज मिलन सर नहीं आए हैं तो मैं तुझे मिलन सर के पास तो ले नहीं जा सकता क्योंकि वे तो आज शहर से बाहर गये हुए हैं ।”

 

क्रमशः