Ek Dua - 14 in Hindi Love Stories by Seema Saxena books and stories PDF | एक दुआ - 14

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एक दुआ - 14

14

हाल के अंदर एकदम से शांति छा गयी ! मानों कोई सुई भी गिरेगी तो तेज आवाज होगी ! सतीश सर आ गये थे और वे सबको रिहर्सल के लिए हाल के पीछे खुले में लेकर चले गये ।

हर एक को उसके रोल के हिसाब से डायरेक्ट करते हैं न जाने इतना हुनर इनके अंदर आया कहाँ से ? बच्चे, बड़े, बूढ़े सभी की एक्टिंग परफेक्ट करते हैं। कभी थकते नहीं, बराबर खड़े रहते हैं । चाहें कितनी भी देर रिहर्सल चले, वे कभी कुर्सी पर नहीं बैठते हैं ।

आज विशी भी बड़ा मन लगाकर काम कर रही थी ! घर में भैया का सपोर्ट मिलने से कोई फिक्र या चिंता नहीं रह गयी थी ! थोड़ी देर में गार्ड चाय और बिस्कुट ले कर आ गये ! चाय के साथ बिस्किट खाने का मजा तो सिर्फ रिहर्सल में ही आता है वैसे चाय में डिप करके बिस्कुट कौन खाता है?

अभी हम सब चाय पीने ही जा रहे थे तभी मिलन जी आ गये। उनके साथ में दो तीन लोग और भी थे ।

मैडम ने उन लोगों के लिए कुर्सीयां डलवाई और विशी को आवाज लगते हुए कहा, “विशी आप इन लोगों को चाय पिला दो !”

“जी मैडम !” कहकर वो उन लोगों के पास चाय और बिस्कुट लेकर पहुँच गयी, “सुनो विशी, तुम इतने दिन नहीं आई थी न, तो मेरा चाय पीने का मन ही नहीं हुआ !”

“अच्छा, वो क्यों ?”

“क्योंकि तुम्हारी तरह इतने प्यार से किसी ने भी नहीं पिलाई न !”

“ओहह! तो यह बात है !” कहते हुए विशी ज़ोर से हँस दी। फिर उसे ख्याल आया अरे इस तरह हँसना ठीक नहीं है । सब लोग क्या सोचेंगे कि इसे जरा भी मैनर्स ही नहीं हैं।

“सुनो विशी, आप भी अपनी चाय पियो !” मिलन ने अपने उसी मज़ाकिया अंदाज में कहा ।

“हाँ मैं भी पियूँगी ! मुझे तो इस चाय का इंतजार रहता है !” विशी ने चाय का सिप लेते हुए कहा ।

“विशी बातें ही करती रहोगी या फिर जल्दी से चाय का काम निबटा कर अपनी रिहर्सल पर ध्यान दोगी बेटा ?” मैडम ने बेटा पर ज़ोर देते हुए कहा ।

“जी मैंम, बस अभी शुरू करती हूँ !” विशी ने बिस्किट का पैकेट नईम को देते हुए कहा ! “नईम भाई, यह आप सब लोगों को बाँट दो और सुनो कहीं आप अकेले ही सब फिनिश मत कर देना ! सभी को बराबर से दे देना !”

“हाँ भाई हाँ ! ऐसा ही करेंगे !”

विशी ने मिलन और उनके साथ आए लोगों को बिस्किट दिये और बोली, “आप लोग चाय पीजिए, मैडम फिर से डाँटना शुरू करें उससे पहले मुझे जाना चाहिए !”

“अरे आप थोड़ी देर बैठिए मैडम को मैं देख लूँगा !”

“नहीं रहने दीजिये।” विशी ने मुसकुराते हुए कहा और वो रिहर्सल के लिए वहाँ से चली गयी ।

करीब दो घंटे के बाद सबकी छुट्टी हुई और सब जाने लगे ।

“विशी अकेले जा रही हो न, आपको मिलन जी घर तक छोड़ देंगे !” मैडम ने कहा।

“नहीं मैंम, मैं चली जाऊँगी पास ही घर है या रिक्शा ले लूँगी !”

“नहीं नहीं आप अकेले नहीं जाना है, मैं छोड़ देती हूँ !”

मैडम की यही आदत विशी को बहुत पसंद है कि वे हर एक का ख्याल अपने बच्चों की तरह से करती हैं ! शायद इसलिए ही सभी को मैडम के साथ काम करने में मजा आता है हालांकि वे डाँटती भी हैं लेकिन सबके भले के लिए !

घर के बाहर तक छोड़ कर मैडम वापस चली गयी, विशी ने उनको अंदर आने को कहा भी पर वे आई नहीं ! कितने काम करने होते हैं मैडम को, खाने पीने का ध्यान तक नहीं रखती हैं ! समाज सेवा, योग सेवा, एक्टिंग सेवा और अपने ऑफिस का काम! इन सब काम को करने के बाद उनके पास अपने लिए समय ही कहाँ बचता है ।

बहुत अच्छे ओहदे पर सरकारी नौकरी है अच्छी तनख्वाह है, एक बेटा है जो परिवार सहित विदेश में शिफ्ट हो गया है, पति का रिटायरमेंट से कुछ समय पहले ही कार एक्सीडेंट में निधन हुआ तो उनकी पेंशन और फंड का बहुत पैसा मिला ! अपना घर है किसी बात की कमी नहीं लेकिन कोई भोगने वाला नहीं है खुद के ऊपर कितना खर्च कर सकती है इसलिए इन सब कार्यों में लगी रहती हैं मन भी लगता है और सबसे मिलने मिलाने को भी होता है ! यही सब सोचते हुए अपने घर के दरवाजे पर आकर उसने डोरवेल बजा दी ।

भैया ने दरवाजा खोला, उसे सामने देख एकदम से बोल पड़े, “तू आ गयी ? बताया क्यों नहीं मैं लेने आ जाता ।”

“मैडम छोडने आ गयी थी न, बस इसलिए कुछ नहीं बताया ! मम्मी कहाँ हैं ?”

“वे मंदिर गयी हुई हैं, तू तो जानती ही है कि आजकल उनका सारा समय पूजा पाठ करने में ही गुजर जाता है ! विशी आज मैं दम आलू बना रहा हूँ तू आटा गूँद दे मैं लच्छा पराठा बनाता हूँ !”

“भैया मैं आटा गूँदकर रोटियाँ सेक देती हूँ !”

“नहीं न, मैं आज लच्छा परांठा ही बनाऊँगा और हाँ सुनो तुम्हारा बनाना शेक फ्रिज में रखा है पहले उसे पी लो !”

“ओके भैया !” विशी ने कहा और हाथ मुँह धोकर फ्रिज से शेक का गिलास निकाल कर पीने के लिए डायनिग टेबल पर रख दिया !

ओह मेरे प्यारे भैया तुम इतने दिनों से कहाँ छिपा रखा था अपना प्यार ! आप पहले भी मुझे इतना ही प्यार करते थे लेकिन कह नहीं पाते थे विशी ने मन ही मन में कहा जबकि उसका मन कर रहा था कि उनके गले में अपनी बाहें डालकर यह सब कह दे ।

“छुटकी कैसा बना है बनाना शेक ?” भैया ने ज़ोर से आवाज लगाते हुए पूछा ।

“जी भैया, अभी पीकर बता रही हूँ !”

“अरे अभी तक पिया ही नहीं ? पहले पी लो फिर कोई और काम कर लेना !”

“हाँ पी रही हूँ !” भैया से इस तरह से बात करते हुए कितना अच्छा लग रहा था !हे ईश्वर मेरे भैया को हमेशा इतना ही खुश रखना और उनका जीवन खुशियों से भर देना ! विशी ने हाथ जोड़ कर प्रार्थना की । उसे पता था कि अगर सच्चे मन से प्रार्थना की जाये तो जरूर पूरी होती है ।

“भैया बहुत ही अच्छा शेक बना है ।“ विशी ने एक घूंट सिप करते हुए कहा ।

“ठीक है । पीने के बाद आटा गूँद देना । मम्मी भी आने वाली होंगी ।”

शेक लेकर वो अपने कमरे में आ गयी और कपड़े चेंज करने के लिए नाइट शूट निकाल लिया ! पिंक कलर का प्रिंटिड यह नाइट शूट उस पर कितना अच्छा लगता है। वैसे उसे नीला, पीला और सफ़ेद रंग भी बहुत पसंद हैं लेकिन पिंक सबसे ज्यादा अच्छा लगता है । पागल है तू भी न जाने क्या क्या सोचती रहती है उसने खुद को ही एक चपत लगाई । शेक वाकई बड़ा स्वाद था और भैया ने काजू बादाम पिस्ता तो जी भर कर डाले थे ।

बाहर से मम्मी की आवाज आ रही थी शायद मम्मी मंदिर से आ गयी थी । पहले आटा गूँद देती हूँ नहीं तो मम्मी काम करने लगेगी और भैया नाराज होंगे । पता नहीं भैया मम्मी को इतना क्यों प्यार करते हैं ? सबसे पहले मम्मी फिर बाकी सब कुछ बाद में ।

मम्मी ने सफ़ेद साड़ी पहनी हुई थी, उसपर फूलों का प्रिंट था इसे दीदी ने प्रिंट किया था जब वो प्रिंटिंग सीख रही थी तो इसी साड़ी को सबसे पहले कर दिया और मम्मी को यह साड़ी बेहद पसंद थी प्रिंट के बाद और भी ज्यादा ।

मैं भी मम्मी के लिए कुछ करूंगी दीदी और भैया दोनों मम्मी को कितना करते हैं । “मम्मी मैं आपके लिए चाय बना दूँ ?” विशी ने बाहर आकर कहा ।

“नहीं बेटा रहने दो । लो यह प्रसाद लो ।” मम्मी ने उसे एक बताशा देते हुए कहा । यह तो मम्मी का नियम है वे हमेशा मंदिर से प्रसाद लाती हैं और उसे दे देती हैं ।

“लीजिये मम्मी आपके लिए अदरक और इलायची वाली चाय ।” भैया चाय लेकर आ भी गए थे ।

“रोहण तुझे मना किया था न ?” तुझे कोई फर्क नहीं पड़ता मेरे हाँ या न करने से । हैं न ?” मम्मी ने प्यार से भैया को झिडका ।

“मुझे पता है कि आपको मंदिर से आकर चाय पीने की आदत है । भैया वहीं मम्मी के पास कुर्सी पर बैठ गए थे और विशी किचिन में आटा गूँदने चली गयी, नहीं तो भैया आटा भी गूँद लेंगे । न जाने वो कैसे घर बाहर के सारे काम अकेले कर लेते हैं और कभी थकान होने की शिकायत भी नहीं करते हैं । “भैया आज मुझे रोटियाँ बना लेने दो न, बहुत मन कर रहा है बनाने का ।” विशी ने गूँदें हुए आटे को एक बड़े बाउल में रखते हुए कहा ।

“अगर तेरा इतना मन है तो बना ले वैसे मुझे लच्छा परांठा बनाना था ।“ भैया ने कहा ।

मैं क्या करूँ मुझे समझ नहीं आ रहा अब मैं भैया की बात मान लूँ या उनके मन का करने दूँ । विशी सोच में डूब गयी ।

“भैया अब मम्मी का मन रोटी खाने का नहीं कर रहा है उनको परांठा ही खाना है।” विशी ने सारी बात मम्मी के ऊपर डाल दी ।

“मैं पहले ही कह रहा था ! तुम आटे को अभी फ्रिज में रख दो मैं एक घंटे के बाद तुम लोगों के लिए गरम गरम बनाऊँगा। तुम और मम्मी खा लेना और तब तक मैं अपने एकाउंट के काम निबटा लूँ ।”

“ठीक है भैया ।”

“विशी टी वी ऑन करके उसके सामने बैठ गयी तभी मम्मी ने उसको कहा, “बेटा थोड़ी देर के लिए योग वाला चेनल लगा दो बड़ा हाथ पैरों में दर्द है । मंदिर,में किसी ने बताया कि योग करो दर्द भी सही होगा और मन भी स्थिर होगा ।”

“आपके दर्द है और योग करोगी, दवाई लेनी चाहिए न, पहले डॉक्टर को दिखा कर उनकी राय तो ले लो फिर काही कोई बड़ी प्रॉबलम न हो जाये ।“

“इतना भी दर्द नहीं है और डॉक्टर को भैया के साथ दिखा आई हूँ तुम योग वाला चैनल लगा दो बस ।”

 

क्रमशः