शाम का वक़्त हो गया था आयशा अपनी दोस्त सकीना के साथ छत पर बाते कर रही थी तभी अज़ान होने लगती है दोनों सर पे दुपट्टा लेती है फिर आयशा बोलती है अच्छा सकीना अब मैं नीचे जा रही हूँ नमाज़ पढ़ने तुम भी जाओ अपने घर और हाँ तुम भी नमाज़ पढ़ना सुरू कर दो इतना ख़ाली समय रहता है सिर्फ़ 5 मिनट तो लगते है नमाज़ पढ़ने में क्यों नहीं पढ़ती हो सकीना बोली हाँ बाबा कल से पढ़ूँगी पक्का ये बोल कर सकीना अपने घर चली गयी और आयशा वजू करके नमाज़ पढ़ना सुरू कर देती है , नमाज़ पढ़ने के बाद आयशा आँगन में आती है और अपनी अम्मी से पूछती है अम्मी आज खाने में क्या बनाऊ उसकी अम्मी बोलती है एक काम कर तेरे अब्बा आज दावत पे जाएँगे पास वाले गाव में आज बारात आने वाली है तो उनका ख़ाना तो बनाना नहीं है तो रोटी बना लो और साथ में आलू मटर की सब्ज़ी बना लो , जी अम्मी बोल के आयशा चूल्हे के पास बैठ जाती है और रोटी बनाने लगती है ।
आयशा के अब्बा ( अमीर साहेब )और मौलवी साहेब नमाज़ पढ़ कर आ रहे थे तभी उन्होंने देखा गाव के चबूतरे पर गाँव के 8 , 10 लड़के बैठ कर बाते कर रहे थे तभी अमीर साहेब ने कहा अरे नालायकों दिन भर आवारा गर्दी करते हो थोड़ा समय निकाल के नमाज़ भी पढ़ लिया करो , सभी लड़के नजरे नीची करके बोले जी चाचा कल से नमाज़ पढ़ने आयेंगे इंशाल्लाह , फिर मौलवी साहेब ने कहा अल्लाह तुम लोगो को हिदायत दे और यह कह कर अमीर साहेब और मौलवी साहेब वहाँ से चले गए ।
फिर उन लड़कों में से एक ( दानिश ) ने बोला यार अमीर चाचा हर वक्त घर पे शिकायत लगाते रहते है की मैं दिन भर आवारा गर्दी करता रहता हूँ और कल तो अब्बा ने अच्छी क्लास ली है मेरी जीना हराम कर दिया है आमिर चाचा ने अल्लाह करे इनका दूसरे शहर में नौकरी लग जाये ताकी इनसे पीछा छूटे , तभी दूसरा ( साहिल ) ने बोला अरे क्या बात कर रहे हो यार अमीर चाचा कौन सा हमारा बुरा चाहते है वो ये सब तो हमारे भलाई के लिए ही ना कहते है ।
सबने कहा हाँ ठीक कहरहे हो मगर इतना भी नही बोलना चाहिए की इंसान का ज़िना हराम कर दे फिर दानिश ने बोला अरे यार चलो अब घर चलते है रात होने वाली है अम्मी ने बोला है रात होने से पहले घर चले आना नहीं तो तेरी ख़ैर नहीं फिर सबने बोला हाँ चलो रात होने वाली है चलते है ।
आयशा के अब्बा घर पहुँच कर बोलते है अरे सुनती हो कहा हो आयशा बोलती है अम्मी पड़ोस में गई है आपको कुछ चाहिए तो बता दीजिए मैं ला देती हूँ .
अमीर साहेब : अरे नहीं नहीं कोई ज़रूरी काम नहीं है बस एक बात थी वो करनी थी तुम्हारे अम्मी से वो आयेंगी तो कर लूँगा ।
आयशा : अब्बा आपको दावत पर जाना था ना आज कब जाएँगे .
अमीर साहेब : अरे हाँ मैं तो भूल ही गया था अच्छा हुआ तुमने याद दिला दिया
तब तक आयशा की अम्मी आती है और कहती है हाँ आपको कौन सी बात याद रहती है सब कुछ तो भूल ही जाते है अब बताइए कब तक निकलना है आपको .
अमीर साहेब : बस मेरा जूता ला दो मैं हाथ पैर धो के आता हूँ .मैं ला देती हूँ आयशा बोल कर जूता लाने चली जाती है ,
अमीर साहेब बोलते है मांशाल्लाह अल्लाह ने हमे कितनी नेक और फ़र्माबरदार औलाद दिया है ना ।
आयशा की अम्मी : अल्लाह का लाख लाख सुकर है