Wo Nigahen - 9 in Hindi Fiction Stories by Madhu books and stories PDF | वो निगाहे.....!! - 9

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वो निगाहे.....!! - 9

उनकी निगाह कुछ इस कदर पडी
बेजान शरीर में जिन्दा होने की हरकत हुई...!!


तेज कुछ काम कर रहा था अपने ढाबे पर उसे किसी कि झलक दिखी फिर उस इंसान कि आवाजे आने लगी l

आवाज सुनकर शायद वो किसी से कुछ मगवा रहा था, तेज.सारे काम अपने वर्कर को समझा कर बाहर को ओर भागा देखा एक खाट पर एक लडका तेज कि उम्र का बहुत प्रेम पूर्वक खाने का लुफ़्त उठा रहा था और आस पास कि उसे कोई लेना देना लग नहीं रहा था बस वो पूरी तरह से खाने में मग्न था!!उसके खाने के तरिके लग रहा था जैसा जन्मो से ना खाया हो l
 
तेज को समझते देर ना लगी वो लडका कोई और नहीं वेद है सीधे जाकर उसकी पीठ पर कसके धौल जमा दी l
 
साले कुत्ते कमिने जनवर कही का गालिया उसे देते हुये बता कर नहीं आ सकता था ,ना कोई काल ना कोई मेसेज आया भी तो आया सीधे ढाबे पर वो भी यहा बैठ कर खाना खा रहा है फिर एक धौल जमा दि कहकर!!
 
साले तू थोड़ी देर चुप नहीं रह सकता कम से कम खा तो लेने दे खा लू पहले फिर बात करता हूँ l वेद तेज को देखे बगैर कहकर खाने में मग्न हो गया l
 
उन दोनों कि बहसबाजी को देखकर वहा के काम करने वाले मन्द मन्द मुस्कुराने लगे और जो लोग खाने में व्यस्त थे वो अचम्भे हो कर मजे ले रहे थे!!
 
तेज भी उसके खाट पर बैठ गया उसे खाते हुये देखने लगा l
 
अब क्या खाने पर नजर लगायेगा पेट में कुछ गड़बड़ हो गई तो आश्चर्य से उसे देखना लगा वेद l
 
चुप कर साले खा अब तू नहीं तो एक पडेगा सारी पंचायती पना निकल जायगा तुझे देखकर कोई कहेगा तू एक काबिल IPS ओफ़िसर है l भौवे उचकाते हुये तेज कहता l
 
 
 
अब यार मेरे खाने और ओफ़िसर से क्या लेना देना जब मै तुम सब के साथ होता हूँ तो मै बच्चा बन जाना पसंद करता हूँ ना कोई रोक टोक समझा तू,,, जानता तू सबकुछ है पर फिर भी पूछ रहा है l गुस्सा करते हुये कहता वेद अब तू शान्ति से बैठ जा मुझे खाने दे हाथ जोडता हूँ तेरे l
 
"हम्म खा तू " तेज
 
हा बोल क्या है मेरे यारे वेद सीधे तेज के जाकर गले लग जाता है उसके गले लगते ही तेज सम्भल नहीं पाता वेद को लेकर उसी खाट पर पसर जाते दोनों तेज नीचे वेद ऊपर अब नजारा कुछ अटपटा सा हो गया था कोई भी दूर से देखता गलत हि समझता (अब भला सभी लोग पढ़ लिख गये हो फिर गे लेस्बियन रिश्तो को आज भी सही नजरो से नहीं देखते बहुत बड़ा तबका आज भी इन रिश्तो को अपना ना पाई है)
वहा पर आस पास के लोग जो ढाबे पर थे उन्हे देखकर खुल कर हसने लगे l
 
वेद तेज से तू बडा हैडसम लग रहा है इतना चेहरे पर ग्लो किस बात का मेरा तू जी चाह रहा तुझसे ब्याह रचा लू,, शरारत भरी मुस्कान से कहने लगा l
 
 
इतना सुनते हि तेज चल हट बे मेरा टेस्ट इतना बुरा नहीं है अब हटो नहीं तो तुझे पिटुगा समझा l
 
वेद तुरन्त हट गया l
 
तेज तू ऐसा कर घर जा माँ पापा किसी फ़न्शन में गये घर पर वामा होगी तू जाकर नहा धो ले कपडे तेरे मेरे कबड मे होगे वामा से कह देना सही से निकाल देगी तू मत निकालना समझे निकालोगे कम उलझा कर रख दोगे l
अब जा तू l
 
हा तू सही कह रहा है मन में जियो मेरे यार तुने तो मेरे मन कि बात कह दि!! वेद कहता
 
वेद तेज के गले मिलकर चल जल्दी आना इंतजार करुगा तेरा घर पर!
 
 
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वामा घर में अकेली होती है,,, वामा अपने कमरे में बड़ी बेचैनी से इधर से उधर चक्कर पर चक्कर लगाय जा रही थी l उसे लग रहा था जैसॆ कोई बेहद अपना उसके आस पास हो l
 
 
 
वामा खुद पर झुलझुलाते जाकर बेड पर लेट गई,,,, वही तकरीबन आधा घण्टा बीत गया उसके कमरे में किसी कि आहट हुयी l
 
वो जाकर सीधे वामा के बेड के पास आ गया उसे दूर से हि निहारता रहा ऐसा लग रहा था कि इतने दिनो बाद उस शख्स के चेहरे पर सुकूनियत हुई हो l
 
कितनी मासूम और प्यारी लग रही थी वामा उसे अभी कही जग रही होती तो झाँसी कि रानी कि तरह दहाड रही होती l
 
सोती हुई वामा को लग रहा था जैसे उसके कमरे में बेहद उसके करीब हो l वो झटके से उठी किसी को अपने कमरे में देख कर जो कि पीठ करके खडा था, जैसी हि चिल्लाने को हुई वामा तुरन्त कि वेद कि नजर पडी तेजी से उसके मुहँ पर हाथ धर दिया (जबकी मालूम था उसे वामा के अलावा कोई घर पर नहीं है) l
 
"मै हूँ मै" वेद कहता l
 
वामा उसे आश्चर्य और गुस्से के भाव से उसे बस घूरती रही!!
कुछ कहा नहीं अरे भई कहती कैसे मुहँ पर वेद हाथ धरे जो था!!
 
 
 
जारी. है!!
 
जय सियाराम
स्वस्थ रहिये खुश रहिये 🙏