Dastak Dil Par - 10 in Hindi Love Stories by Sanjay Nayak Shilp books and stories PDF | दस्तक दिल पर - भाग 10

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दस्तक दिल पर - भाग 10

"दस्तक दिल पर" किश्त-10

बहुत बार हममें बात नहीं होती थी, उस बार कोई दस दिन बीत गए थे, मैंने अपना प्रोफाइल पिक चेंज किया था। उसका मैसेज आया “Nice Dp Good Looking” “😊😊🙏🙏"

मैंने रिप्लाई किया। “आप की तो हमेशा ही सुंदर रहती है, और आप बदलती रहती हैं।”

“अच्छा वो....? वो हम सब महिलाओं का एक ग्रुप है, जिसमें हर दसवें दिन प्रोफाइल पिक बदलनी होती है, बेस्ट तीन प्रोफाइल पिक चुनी जाती हैं, वैसे ही, फ़ॉर फन।”

“जी, परिवार में कौन कौन है आपके।”

“मैं, पति और बेटी, पति का ट्यूरिंग जॉब है, मैं LIC में मैनेजर हूँ। बेटी CA कर रही है, और आपके यहाँ?”

“मैं, पत्नी, दो बेटे एक बेटी, एक बेटा IIT की कोचिंग कर रहा है, एक दसवीं में है और बेटी सातवीं में पढ़ रही है।”

“गुड.... हैप्पी फैमिली, बाय।”

अगले दिन मैंने गुड मॉर्निंग मैसेज किया, उसका मैसेज आया कि बिज़ी हूँ, बाद में बात करूंगी। कुछ देर में उसका मैसेज आया। “आपका एक्सीडेंट हुआ था क्या? ये माथे पर कट का निशान है, और टाँके से दिखाई देते हैं।”

“जी सच बताऊँ या झूठ....”

“जहाँ तक जानती हूं आप झूठ नहीं बोलते, फिर भी मैं सच ही जानना चाहती हूं।”

“बीवी ने फूल दे मारा।”

“हा हा, आप भी....अब ये मत कहना कि फूल गमले में था।”

“गमले में नहीं, लकड़ी के गुलदस्ते में था।”

“व्हाट….?, आर यू श्योर....आप मज़ाक़ तो नहीं कर रहे हैं? ”

“जी मैं सच कह रहा हूँ।”

“ओह, लेकिन क्यों?”

“मैं भाई के साथ मजाक कर रहा था, पीड़ित पतियों को लेकर... कि बीवियाँ पतियों को पीटती हैं, भाई भी बोला बचकर रहना भाभी का भी मिजाज़ गर्म है। उसे बुरा लगा, उसने सोचा कि जान बूझकर हम लोग उसकी बुराई कर रहे हैं। उसने कहा कि दुनिया में बदनाम तो कर ही दिया है। आज करके दिखा देती हूं, उसने गुलदस्ता सर पर मार दिया, आठ टाँके आये।”

“ओह, वो पागल हैं क्या।”

“पागल नहीं है, ग़ुस्सैल है।”

“सॉरी हमें नहीं पूछना चाहिए था।”

“नहीं इट्स ओके, वो तो दिखता है सर पर इतना बड़ा कट....तो आपने पूछ लिया होगा। अच्छा एक बात पूछुं आपसे? मुझे शुरू से ही एक बात अजीब लग रही है, आपकी हर फ़ोटो में आप चश्मा लगाकर रखती हैं, ऐसा क्यों ?क्या आपको चश्मा लगाना बहुत पसंद है? एक्चुली आपकी आँखें नहीं दिखतीं।”

“सच बताऊँ कि झूठ? ”

“आपको पता है मुझे सच ही पसन्द है, बोलना भी , सुनना भी....”

“जी ये समझ लीजिए, मैं एक नज़र से दुनिया को देखती हूँ, मेरी एक आँख में डिफेक्ट आ गया है।”

“ओह, कैसे? अगर आप बताना चाहो तो।”

“जी, वो हम अपनी ननद के यहाँ गये थे, उसको बच्चा हुआ था। सब ने जिद करके हमें नचवा दिया.... घर पर पति ने झगड़ा किया इस बात को लेकर, और सीढ़ियों से धक्का दे दिया, हमें एक आँख पर रैलिंग चुभ गई, और आँख में डिफेक्ट आ गया, हमें स्टोन की आँख लगवानी पड़ी।”

“अरे, इतनी सी बात पर….., सॉरी नहीं पूछना चाहिए था, और केवल नाचने पर ही ऐसा व्यवहार?”

“जी, वो वास्तव में हुआ ये कि , मैं जब शादी होकर आई थी जॉब में ही थी, और सब कहते हैं कि खूबसूरत हूँ। इनका जॉब सेट नहीं हो पाया था, ये स्ट्रगल कर रहे थे। सभी इनको कहते किस्मत वाला है, कितनी सुंदर और कमाने वाली बीवी मिली है, तो इन्हें उस बात से चिढ़ होने लगी। ये मुझसे जलन रखने लगे, और हर जगह अपमान करते हाथपाई करते थे, उस दिन नाचने के कारण गुस्सा हुए और शराब के नशे में…….।”

मुझे बहुत ख़राब लगा , उस दिन से मेरे मन मे उसके लिए इज़्ज़त और बढ़ गई थी। मुझे दुख हुआ एक इतनी सुंदर और सुलझी हुई औरत के साथ ज़ुल्म हुआ।

एक दिन उसने बातों बातों में बताया कि मेरी फैमिली उसे कम्प्लीट फैमिली लगती है, मुझे दामाद और बहू दोनों रिश्ते मिलेंगे। पर उसे बहू नहीं मिलेगी, उसका मन था कि उसे भी बहू आती तो उसे बहुत अच्छा लगता ।

मैंने पूछा कि आपने दूसरा बच्चा प्लान क्यों नहीं किया? हो सकता है आपको लड़का हो जाता, उसने जो बताया उससे मुझे बहुत गुस्सा भी आया और उस पर प्यार भी। उसने बताया उसका पति पड़ोस की भाभी से बहुत अटैच था, शादी से पहले से ही। वो भाभी स्कूल में पढ़ाने जाती थी, ये आगे गली के मोड़ पर उसे स्कूटर पर बैठाकर स्कूल छोड़कर आते थे। वो स्कूटर मेरे पापा ने दहेज में दिया था, मैंने उससे साफ कह दिया था, आगे से स्कूटर को हाथ मत लगाना, अगर उस भाभी का ड्राइवर बनकर रहना है तो..... वो भुनभुनाकर रह गये।

मैं तब प्रेग्नेंट थी दूसरा बच्चा होने वाला था, तब तक वो भी एक कम्पनी में सेल्समैन हो गये थे, उनका ट्यूरिंग जॉब था। उन दिनों मेरा आठवां महीना चल रहा था। धनतेरस थी उस दिन, मैं अपनी ननद के साथ बाज़ार गई थी। वहाँ हम कुछ ज्वेलरी ले रही थीं , तभी पास वाली ज्वैलरी शॉप से वो और पड़ोस वाली भाभी निकली, उन्होंने उसे नैकलेस दिलवाया था।

ननद ने वहीं उन दोनों को बहुत सुनाया, घर आने पर वो शराब के नशे में धुत्त थे, उन्होंने मुझे पीटा, और पेट पर लात लग गई। मेरा अबॉर्शन हो गया , मेरा बेटा बिना जन्म लिए ही मर गया। डॉक्टर ने बताया आगे बच्चा प्लान किया तो माँ या बच्चे में से एक बचेगा, मैंने सोचा जान है तो जहान है, इसलिए अपनी बेटी में ही दुनिया ढूंढ ली।

उसका सुनकर बहुत दुख हुआ था मुझे, पर मैं उसके लिए दुख के सिवा क्या कर सकता था। एक रोज़ उसने पूछ लिया आपकी पत्नी ने आपको गोल्ड लोन के लिए ज्वैलरी क्यों नहीं दी?

मैंने बताया एक पुरुष की वैल्यू इतनी होती है, पत्नी के लिये की अच्छा कमा रहा हो, बच्चे बड़े हो जाएं तो फिर उसकी ज़रूरत कम हो जाती है। वो केवल कमाने वाला, ज़रूरतें पूरी करने वाला ही होता है। उसकी समस्याओं से परिवार के लोगों को कुछ लेना देना नहीं होता है। बस यही मेरे साथ हुआ, मेरी आवश्यकता महसूस नहीं होती पत्नी को।

उसने पूछा कि आपका रिश्ता शुरू से ही ऐसा है या बाद में जाकर ऐसा हुआ। मैंने उसे सच ही बताया, मेरी पत्नी की पहले एक सगाई हो चुकी थी। शादी भी होती, पर उनके परिवार वालों में तनातनी हुई, सगाई टूट गई। मुझसे रिश्ता हुआ, पर दिल नहीं मिल पाए, वो हमेशा से उग्र रही हावी रही। पर मैं उसे बहुत चाहता हूं, मेरी जिंदगी, मेरा पहला प्यार वही है।

उसके अलावा किसी औरत को सोचा तक नहीं। उसे अच्छा नहीं लगता कि मैं किसी औरत से बात करूँ । इसलिये उस रोज़ आपको बोला था, घर में फ़ोन नहीं करना। आज भी आपसे यही कहना है, जब तक मेरा मैसेज नहीं आये, आप मुझे मैसेज नहीं करें, ना ही कॉल।

“ओह .....आप तो प्रोटोकाल में बाँध रहे हैं।”

“जी आपको प्रोटोकाल में ही बंधना पड़ेगा, मैं नहीं चाहता जिंदगी में बेवजह की दिक्कत पैदा हो, वैसे ही बहुत हैं।”

हम दोनों एक दूसरे से बहुत खुल गए थे और नज़दीक आ गए थे, रोज़ एक दूजे से मैसेज में बात होने लगी थी, कॉल पर बात नहीं होती थी।

मैंने बैचेनी से घड़ी देखी 9.53 हो गए थे, मैंने मोबाइल चेक किया दस मिनट पहले का उसका लास्ट सीन दिख रहा था, मैंने मैसेज किया “.........”

“जा रहे हैं, गेट पर ही है, आप पन्द्रह मिनट बाद आ जाना।”

मेरे मुरझा आये चेहरे पर मुस्कुराहट खिल गई , मैंने एक दुकान से डेयरी मिल्क सिल्क खरीदी और धीरे धीरे उसके घर की ओर पैदल ही बढ़ गया।

संजय नायक 'शिल्प'
क्रमशः