(कहानी को समझने के लिए आगे के भाग जरूर पढ़े 🙏🙏)
सूर्यांश झेप जाता है और जत से हाथ छोड़ देता है. जिससे वीर अपना हाथ आगे बढ़ :- हाय मिस नंदिनी.. वैसे u aare looking so beutiful..!!
नंदिनी :- जी..!!थैंक यू.!!
सब बाते कर ही रहे थे. की नंदिनी सबकी नज़र बचाकर अपना हाथ अपने पैर पर रखती है जिससे हल्की टोशनी निकलने के साथ ही उसका थोड़ा दर्द भी गायब हो जाता है.।
बाकी सब बाते कर रहे थे की विसंभर जी(दादू ), "चलो नंदू आज तो कुछ गा ही दो.!!"
दादी :- हा जरूर.!!चलो गुड़िया सुन्दर सा गाना गाओ.!!
वीर :- हें..., आप गाती भी है... वेट..कही आज मंदिर मे आप तो नहीं गा रही थी।
नंदिनी :- हा वो आज तो मे ही..
दादी :- अच्छा चलो गा दो.!!
नंदिनी :- नहीं दादी.. वो..अभी..!!
सब नंदिनी को रिक्वेस्ट कर रहे थे वही सूर्यांश एकटक उसे देखे जा रहा था.. वो मन मे, "प्लीज गा दो.!!"
एक हवा के जोके से नंदिनी को ऐसा लगता है की सूर्यांश ने उसे गाने के लिए कहा.. वो उसकी तरफ देख मन मे, "क्या तुम चाहते हो. मे गाउ.!!"
सूर्यांश मुस्कुरा के नज़र घुमा देता है तो नंदिनी भी मान जाती है तो वीर उसे माइक लाके दे देता है.. वो गाने लगती है..
जब कोई बात बिगड़ जाये
जब कोई मुश्किल पड़ जाये
तुम देना साथ मेरा, ओ हमनवाज़
ना कोई है, ना कोई था
ज़िन्दगी में तुम्हारे सिवा
तुम देना साथ मेरा...
दादू और दादी साथ मे डांस कर रहे थे वही बाकि सब लोग भी.. वीर भी नंदिनी को अपने साथ डांस करने ले जाता है.. पर नंदिनी की नज़रे सूर्यांश पर थी.सूर्यांश की नंदिनी पर...
हो चांदनी जब तक रात
देता है हर कोई साथ
तुम मगर अंधेरों में
ना छोड़ना मेरा हाथ
जब कोई बात बिगड़ जाये...
वफादारी की वो रस्में
निभायेंगे हम तुम कस्में
एक भी सांस ज़िन्दगी की
जब तक हो अपने बस में
जब कोई बात बिगड़ जाये...
सूर्यांश आके वीर के पास से नंदिनी का हाथ ले लेता है.. और उसे अपने करीब कर डांस करने लगता है.. नदिनी भी उसकी आँखों मे देख उसके कदम से कदम मिला के डांस कर रही थी उन्हें देख बाकि सब साइड हो जाते है.. सब उन्हें ही देख रहे थे.. दादी नज़र उतारते हुए, "आपने देखा जो मे देख रही हु. नंदिनी बिलकुल सही है हमारे सूर्या के लिए.!!"
दिल को मेरे हुआ यकीं
हम पहले भी मिले कहीं
सिलसिला ये सदियों का
कोई आज की बात नहीं
जब कोई बात बिगड़ जाये...
दोनों का डांस कोई और भी देख रहा था.. वो साया गाना खत्म होते ही वहा से चला गया.. कुछ देर बाद वो एक घने जंगल मे एक जादुई दिवर के पास अंदर गुफा मे चला गया जहाँ एक बड़ी उम्र के दिव्य मनुष्य थे जिनके चेहरे पर सामान्य से ज्यादा तेज़ था।.. सफ़ेद व्रर्त्र.. माथे पे तिलक, सफ़ेद पेट तक की दाढ़ी, और कमर तक सफ़ेद बाल थे....
वो साया अपने ऊपर साल हटा देता है जो बहुत ही प्यारी लड़की थी वो चहकते हुए.. सारी दीवारों पर अपने जादू से दीये जलाते हुए :- वो मिले महागुरु.,वो मिले..इस जन्म मे भी उनके एहसास वेई है. वो अपने एहसास को जानते है..आपको पता है उनके नाम.!!
"सूर्यांश और नंदीनी है. यही ना.!!"महागुरु मुस्कुराते हुए बोले।
लड़की :- आप जनते है महागुरु.!!!
महागुरु :- हा जनता हु की वरदान और अयंशिका का फिर से जन्म हो चूका है होना ही था अपने प्यार को पूरा करने.. कुछ अधूरे काम पुरे करने उन्हें वापस आना था..
लड़की :- हम्म. अब वो मिल जायेंगे ना महागुरु...!!
महागुरु :- नहीं.. यस्वी, अभी उन्हें अपना पिछला जन्म याद करना है.. याद करना है अपनी शक्तियों को पहचान ना है.!!और क्रूर सिंह उसने भी दोबारा जन्म लिया है.
यशवी :- कही वो फिर से.!!
महागुरु गुस्से से 😠:- ना वो तब उनके प्यार को हरा पाया था ना इस जन्म मे हरा पायेगा वो सिर्फ एक बदलाव के लिए आया है..तुम उसे छोड़ो तुम बस ये कोशिश करो की सूर्यांश और नंदिनी ज्यादा से ज्यादा एकसाथ रहे.. ताकि अपनी शक्तियों और पिछले जन्म को याद कर सके.!!( वो आसमान को देख )बहुत कुछ बदलेगा. बहुत कुछ होगा ज़ब दोनों मिलेंगे अपने आप को जानेंगे.. मिलेंगे खुद से इस जन्म के उस पार...!!!!
इधर पार्टी मे सब खत्म होने के बाद सब सोने चले जाते है पर सूर्यांश को नींद नहीं आ रही थी.
वीर उसकी खिचाई कर 😄:- वो एक गाना था जो तेरे पर फिट बैठता.. हा.. आँखों मे नींद ना दिल मे करार महोब्बत भी क्या चीज होती है यार.!!
सूर्यांश उसे घूर :- क्या मतलब तेरा.?
वीर कूदके खड़ा हो :- मतलब यही की तुझे नंदिनी से प्यार तो नहीं हो गया.. वो क्या कहते है.. हा love एट फर्स्ट साइट.!!!
सूर्यांश के चेहरे पर नंदिनी का नाम सुन मुस्कान आ जाती है. सारे पल उसके साथ के उसे याद आने लगते है..
वीर :- अरे सच मे.. वरना अब तक तो तू मुझे पिट चूका होता.!!
सूर्यांश :- नंदिनी.!!वो मुझे ऐसा लगता है की मे उसे पहले से जनता हु.!!
वीर :- ओह..!!और क्या लगता है.?
सूर्यांश :- बस एक एहसास जो बहुत अच्छा है. उसपे जैसे मेरा हक है.. और उसकी आंखे जैसे मुझे मना नहीं कर पाती.कुछ तो है हमारे बीच एक डोर जो हमें बांध रही है.!!
सूर्यांश बात कर रहा था की वीर की नज़र खिड़की से निचे गार्डन मे जाती है जहाँ उसे नंदिनी दिख जाती है.. वो कहता है, "शायद उसका भी यही हाल है.. तभी तो महोतरमा निचे है.!"
सूर्यांश जट से खिड़की पर जाके देख के वीर को आंख😉 मार निचे चला जाता है.. और वीर हाथ बांध, "लगता है मेरा दोस्त तो गया और मुझे भाभी मिल गई.!!"🙂
सूर्यांश निचे आ गया.नंदिनी उसे देख मुस्कुरा दी. सूर्यांश उसकी मुस्कुराहट को देख ही ख़ुश हो गया...फिर बात की शुरुआत करते हुए,"वो अब आपका पैर केसा है.?"
नंदिनी :- अब सही है..तुम.. मेरा मतलब था की आपने अच्छे से वक़्त रहते स्प्रे जो कर दिया था।
सूर्यांश :- आप से ज्यादा तुम ही बेहतर है..!!
नंदिनी :- एक बात कहु सच मे तुम्हे तुम कहने को दिल किया.. पता नहीं क्यों मुझे ऐसा लगा ही...!!
"नहीं की हम पहलिबार मिल रहे है.!!"सूर्यांश ने तपाक से बोल दिया.!
नंदिनी उसे देख रही थी की उसकी जुल्फे बार बार उसके चेहरे पर आके उलझ रही थी..नंदिनी हाथ बढ़ाया ही था की सूर्यांश के हाथ वहा पहले पहुंच गया उसने सलीके से नंदिनी की लट को उसके कान के पीछे कर लिया.. उसकी छूअन नंदिनी के दिल को सुकून पहुंचा रही थी.उसकी आँखों मे ना जाने क्यों आंसू आ गए जिसे देख सूर्यांश ने उसे अपनी बाहो मे खींच लिया.!!दोनों को नहीं पता था की क्या हो रहा है..!!
वही यशवी मुस्कुराते हुए उन्हें देख बोली,"आज भी राजकुमार वरदान अपनी राजकुमारी अयंशिका के आँखों मे आंसू नहीं देख सकते.!!"
वही वीर वहा आ गया जिसे देख यशवी ने अपना सर पिट लिया 🤦♀️, "ये कबाब मे हड्डी क्यों बन रहा है.!!"कुछ करना पड़ेगा ये सोच वो वीर की तरफ बढ़ के उससे टकरा गई.!!
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