Wo Nigahen - 8 in Hindi Fiction Stories by Madhu books and stories PDF | वो निगाहे.....!! - 8

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वो निगाहे.....!! - 8

जिन निगाहो ने कभी सोचा ना था
उनके दीदारे करम होगे.....
आज उनकी एक निगाह कि तलब सी बढ़ गई है...!!


चट मंगनी पट ब्याह दोनों के परिवारो ने सोचा था मंगनी तो हो गई शादी कि अभी डेट रखी नहीं गई थी जो कि कुछ समय बाद रखी जानी है.......!!

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श्री सुबह उठकर धरती माँ के पैर छूती है आभार प्रकट करती है l अपना फोन उठाकर देखा किसी अननोन नम्बर से मेसेज सुबह हि सुबह आया था वो सोच में पड गई किसका है ! वो सोच हि रही थी कि उसी वक़्त काल भी आने लगी अननोन नम्बर से ....कुछ सेकेण्ड तक सोचती रही तब तक काल उठाय उठाय काल कट गई! जाने लगी हि थी कि फिर से काल आने लगी कुछ सोचते हुये आखिर उठा हि लि,,,,


"हैलो कौन "श्री पूछी!

"हम तेज बोल रहे है" तेज बोला!
कुछ देर तक तो खमोशी छाई रही....
ये सुनते श्री कि धडकने तेज हो गई... खुद पर संयत बरतते हुये....!!

"अननोन नम्बर था इसलिए आपकी काल और मेसेज का जवाब नहीं दिया माफ़ किजियेगा हमे " श्री ने कहा l

"अरे अरे आप तो माफ़ी हि मांगने लगी माफ़ी मांगने कि कोई जरुरत नहीं वो तो मैने मायूर से आपका नम्बर मागा था, फिर कुछ रुककर..... आपसे कहते तो शायद देती हि नहीं ना" , कहकर तेज मुस्कुरा दिया!


"नहीं नहीं ऐसा नहीं आप कहते तो क्या हम
देते नहीं ना " श्री कुछ हडबडा सी गई थी!
"हम्म जे बात है अगली बार सीधे आप से हि कहुगा" कहकर इस बार तेज खुलकर मुस्कुरा दिया!

"हम्म! " कहकर इस बार श्री भी मुस्कुरा दी!

फिर थोडी देर आपस में दोनों ने बात कि l बात करके रख दिया l

आज दोनों के चेहरे असीम सुकून पसरा हुआ था l

तेज अपने कमरे अपने आप से हाय कितना खूबसूरत अहसास है ! कहकर हाथ बालो में फेरा और मुछो में ताव देने लगा,, आज उसकी सुबह इतनी हसीन बन गई थी उसके चेहरे से मुस्कुराहट जा हि नहीं रही थी!



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हाय हाय कोई बडा आज मुस्कुरा रहा है क्या बात है !
धानी श्री को छेडते हुये,,,,,,

श्री मन में हाय राम हमने ध्यान क्यों नहीं दिया ये यही तो थी ये अब हमे चिढाईयेगी! ओये पागल ऐसा कुछ नहीं है हम तो रोज हि मुस्कुराते है!

धानी चल झूठी हमे मत बता मै तुझे कब से देख रही हूँ मन्द मन्द मुस्कुराय जा रही हो वैसे का कह रहे थे हमाय जीजा जीईईईईइ,,, कहकर जोरो से हसने लगी!

श्री जल्दि से उसके मुह पर हाथ धर देती है, पागल हो क्या सुबह सुबह दौरे पड रहे हैं जो इतनी जोरो से हस रही हो,,, माँ पापा बाहर हि होंगे क्या सोचेगे पागल औरतत इस बार हसी थप्पडिया देगे समझ ला! झूठमूठ गुस्सा करते हुये!


धानी अरे मेरी झासी कि रानी मै तो थोडा सा छेड रही थी तुझे, तू तो सीरियस हि हो गई ! परेशानी से बोली!


श्री अरे धानी हम तो मजाक कर रहे थे तू तो परेशान हि हो गई!

धानी ; सच्ची ना!
श्री ; मुच्ची मेरी माँ !

दोनों एक दूसरे के गले लगते हुये खिलखिला कर हस पड़ी!
धानी श्री से वैसे सच्ची बता का कह रहे थे जीजा जी!

दोनों कि खिलखिलाहट सुनकर श्री कि माँ भगवान को बहुत बहुत आभार करती है ऐसे हि मुस्कुराहट बनाय रखना मेरे राम!


श्री, अब तू सच में पिट जायेगी ,चल उठ बिस्तर रख दू मुझे देर हो जायेगी काम पर जाने में और तुझे भी तो जाना होगा ना कोलेज!

धानी,, अरे हा अच्छा याद दिलाया आज मुझे बहुत जरूरी काम भी है!
श्री कि माँ बाहर से आवाज देती तुम दोनों उठना नहीं है क्या जल्दि आ जाओ तुम लोगों के पसन्दीदा आलू पराठे बनाय है!

दोनों हि एक साथ आते हैं माता श्रीईईईई!

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"और बरखुरदार क्या सोचा है क्या करोगे नहीं अभी कुछ समझ आ रहा है तो श्री के साथ काम सीख लो " प्रकाश जी (श्री के पापा जो कि रिटायर थे नगर निगम में माली रह चुके हैं )

"जी जी पापा कुछ ना तो कुछ करेगे हि नहीं तो श्री दिदि के साथ काम सीखुगा "मायूर अपने पापा सम्मान वाला डरता था!!

हम्म!! प्रकाश जी

श्री कि शादी हो जाय फिर तुम्हारा नम्बर आयेगा किसी को पसंद वसन्द तो नहीं किये हो l

नहीं पापा ऐसा कुछ नहीं है (अब मायूर क्या हि बताता पापा को अभी कुछ धाम भी नहीं करता था सोचा था काम मिल जायगा तब अपने पापा से बात करुगा पापा तो आज हि बात कर रहे है,,, मन मे सोचने लगा आज इन्हें हुआ क्या बडा हि दोस्ताना अन्दाज में बतिया रहे हैं l


"क्या हुआ बरखुरदार क्या सोचने लगे"प्रकाश जी l


"कुछ नहीं पापा मुझे कुछ काम है फिर आता हूँ " मायूर l

उठकर चला गया वही प्रकाश जी कुछ सोचने लगे l

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जारी है...!!
जय सियाराम
स्वस्थ रहिये खुश रहिये 🙏