Teri Chahat Main - 47 in Hindi Love Stories by Devika Singh books and stories PDF | तेरी चाहत मैं - 47

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तेरी चाहत मैं - 47


दुसरे दिन ऑफिस मैं अजय के चेहरे की खरोचे देख कर राज ने कहा "ये क्या हुआ तुमको!"
जवाब मैं जब अजय ने बताया तो वो कहने लगा "अभी से इतनी मोहब्बत हो गई है, आगे पता नहीं क्या गजब ढाओगे।


"ये मोहब्बत भरी खरोचे”


"अछा ऐसी मोहब्बत का मजा कहो तो मैं भी तुमको दे दूं जानेमन, मैंने इसमे स्पेशल हूं, कहो तो नमूना अभी दिखा देता हूं।" सिमरन को राज की बात पसंद नहीं आई।
"सॉरी यार, गलती हो गई, मुझे ऐसा नहीं करना चाहिए था। पर यार ये गलत बात हुई है। तुमको सर को बताना चाहिए ये सब।”

"नहीं यार, ये गलत होगा, अगर सर को ये पता चलेगा तो वो रिया से नराज होंगे इस्से बात सुधारेगी नहीं और बिगड़ जाएगी।" अजय ने कहां


“कुछ सीखो अजय से, और एक तुम हो जो मेरी शिकायत करती रहती हो पापा से, और वो रोज मुझे डाट लगाते हैं। कभी मेरी गलतीयो को भी इग्नोर कर दिया करो।” राज ने सिमरन को समाधान वाले लेहजे मैं कहा तो सिमरन और अजय हसने लगे।

तभी रिया ऑफिस मैं दखिल हुई, वो लंगड़ाते हुवे चल रही थी। सिमरन ने पुछा तो कहा लिफ्ट नहीं आ रही थी सीढ़ियों से आते हुए पैर स्लिप कर गया। ये कह के वो अपने क्यूबिकल मैं चली गई।

उसके बाद सब कामों मैं मसरूफ हो गए। शाम को सब लोग एक - एक कर चले गए। सिर्फ अजय और रिया बैठे थे। पर दोनो को पता नहीं था की वही दोनो ऑफिस मैं रह गए हैं। रात कोई दस बजे काम से फरिग हो कर अजय ने जैसे ही लाइट ऑफ की, रिया बोली "किस बेवकुफ ने लाइट्स बंद की है, हम अभी यहीं हैं।"

"सॉरी मैने करी थी, मुझे लगा की कोई है नहीं इसी लिए। पर आप अभी तक क्या कर रही हैं, आपने तो आज का सारे काम की अपडेट मेल भी कर दी है।” अजय रिया के क्यूबिकल पर आ गया।

"ये हमारा ऑफिस है, हमारी मर्जी की हम यहां कितना भी चाहे वक्त गुजारे।" रिया ने गुस्से से जवाब दिया।

अजय को गुस्सा तो आया लेकिन वो सिर्फ यही बोला "ओह .. आई एम सॉरी रिया, मुझे गलती हो गई। मैं चलता हूं।" अजय जैसे ही थोड़ा आगे बढ़ा, रिया के चीख की आवाज से पलट गया। उसे देखा की वो अपने क्यूबिकल के सहारे से खड़ी थी। और उसके चेहरे पे दर्द की झलक साफ थी। अजय फिर उसके पास पाहुचा और पुछा, "क्या हुआ है रिया तुम्हारी तबीयत तो ठीक है!"
रिया ने कहा "मेरे जोड़ो मैं बहुत दर्द हो रहा है। दर्द की वजह से मैं उसे जमीन पर रख भी नहीं पा रही हूं।"
"ओह जरा मुझे दिखाओ अपना पैर " कहते हुए अजय ने देखा की रिया का पैर सूजा हुआ था, इसी वजह से दर्द हो रहा था।
“रिया सुबह की चोटों से तुम्हारे जोड़ो मैं सुजन आ गई है। डॉक्टर को दिखाना पड़ेगा, पर रात मे डॉक्टर मुश्किल है। चलो फिर भी देखते हैं। तुम मुझे पकड़ के चलने की कोशिश करो।” अजय ने रिया को सहारा देते हुए कहा। रिया ने अजय को हिकारत भरी नज़र से देखा पर उसे भी पता था की और कोई रास्ता नहीं है। पर जैसे ही उसे सहारा ले कर चलने की कोशिश की वो फिर लड़खड़ा गई और दर्द से चीख पड़ी।
"नहीं चला जा रहा है हमसे एक दम भी।" रिया ने दर्द से रोते हुए कहा।
अजय बोला "रिया अब एक ही रास्ता है, पर प्लीज गुस्सा मत होना। मुझे तुमको उठा कर ले जाना होगा।"
ये कह कर अजय ने रिया को मजबूत हाथो मैं उठाया और उसे ले कर लिफ्ट की तरफ बढ़ा गया।

"हमारे इतने बुरे दिन आ गए हैं जो हमको तुमसे मदद लेनी पड़ रही है।" रिया ने फिर ज़हर उगला।
"मेरी भी कोई बहुत अच्छी किस्मत नहीं है। तुमको उठा के मुझे कसरत करनी पड़ रही है। वैसे कहो तो यही उतार देता हूं, मुझे कोई मजा नहीं आ रहा तुमको ले के घुमने का।” अजय ने भी गुस्से से कहा।
“खबर दार अगर हमको गिराया तुमने। बोटियां नोच लेंगे तुम्हारी।" रिया फिर गुस्से से बोली।
अजय लिफ्ट से बहार आया, सामने पार्किंग में रिया की कार खड़ी थी, उसे कार अनलॉक की रिया को कार में बिठाया और दरवाजा बंद करके वहां से चलने लगा।

“तुम हमको ऐसे छोड़ कर कैसे जा सकते हो। हम इस हालत मैं कैसे ड्राइव करेंगे।" रिया ने चीखते हुए कहा।
“वो आपका मसला है, आप जानिये। मैं और आपकी किस्मत खराब नहीं कर सकता।” अजय ने जाते हुए कहा।
"खबर दार अगर तुम हमको यहां छोड़ कर गए अजय..." रिया ने कई बार उसे धमकी दी पर अजय नहीं रुका। जब वो चला गया तो रिया को कुछ समझ नहीं आया। दर्द की शिद्दत से वो रोने लगी। तभी उसने देखा की अजय ने कार का दरवाजा खोला और कार स्टार्ट कर के आगे बड़ाई। उसने रिया की तरफ देखा तक नहीं। कुछ देर बाद अजय बोला "मैं तुमको वही छोड़ देता, पर अभी मेरी इंसानियत मरी नहीं है। जो मैं किसी दुसरे इंसान को दर्द मैं बिलखता हुआ छोड़ जाता।"

रिया खामोश रही, उसे पता था की कोई भी गलती उसके खिलाफ जा सकती है। कुछ देर बाद अजय ने कार एक नर्सिंग होम में रिया के साथ था। डॉक्टर ने रिया के जोड़ों को चेक लिया और कुछ मेडिसिन दे दी। फिर डॉक्टर बोले "असल मैं मोच की वजह से सूजन है। मैंने दर्द की टेबलेट दे दी है। आराम आ जाएगा, पर बेहतर होगा की आप इनके जोड़ो की सेकाई गरम पानी में नमक डाल के करे, फिर ये मरहम लगा दे, इससे सूजन जल्दी खतम हो जाएगी।"

कुछ देर बाद अजय रिया को ले कर उसके बंगले मैं दाखिल हुआ। उसने रिया को सहारा दिया और रिया लड़खडाते हुए घर मैं दखिल हुई।
"तुम्हारा कमरा कहाँ हैं।" अजय ने रिया से पुछा तो रिया ने इशारो से सीढ़ियों की तरफ इशारा किया। अजय ने फिर रिया को उठाया और सीढ़ियां चढ़ने लगा। रिया को ले कर रूम का दरवाजा खोला और उसे उसके बिस्तर पे बैठा दिया।
"मेड से कह के पानी गरम करवा के सिकाई करो। फिर वो ऑइंटमेंट लगा लेना।” अजय चलने को हुआ तो रिया बोली, “सब नौकर छुटटी पे गए है। दिवाली है दो दिन बाद। रहने दिजिये जब दर्द कम होगा तो हम कर लेंगे।”
अजय बोला "हां और कुछ और कर बैठना तुम। रुको मैं कुछ करता हूं।" ये कह के अजय रूम से चला गया। फिर कुछ देर बाद वो एक छोटे टब मैं गरम पानी और एक तौलिया लाया।

"अपना पैरो पानी मैं डालो है।" अजय बोला तो रिया बोली "पर ये तो जल रहा है।"
अजय बोला "थोड़ा सहेन करना होगा, और इतना भी गरम नहीं है।"
रिया ने डरते हुए पैरों डाला और फिर झट से निकल लिया और बोली "नहीं हम नहीं सही कर सकते।"
अजय ने कहा "ठीक है तो तौलिया को सॉक करके ट्राई करो।"
रिया ने कोशिश करी पर उससे ठीक से हुआ नहीं तो फिर अजय ने तौलिया उससे ले कर उसके जोड़ों को सेकना शुरू किया। पानी की गरमाहट ने रिया के जोड़ो के दर्द को काफ़ी आराम दिया। अजय ने फिर उसके जोड़े पे मरहम लगाया और उसे सहारा दे कर बिस्तर पे लेटा दिया। उसके जोड़ी एक हल्की चादर से ढक के उसे कहा "अब मैं चलता हूं, पैरो ज्यादा हिलाना मत। सुबह तक दर्द मैं काफ़ी कमी आ जाएगी। "
अजय जाने को हुआ तो रिया बोली "अजय, हमको भूख लगी है। हमने सुबह से कुछ नहीं खाया हुआ हैं।” अजय को गुस्सा तो आया पर वो कंट्रोल करते हुए बोला। "सुबह से क्यूं नहीं कुछ खाया तुमने।"
"ऑफिस के लिए लेट हो रहा था, और बाद में दर्द की वजह से.." रिया बोली।
"रस्ते में मैंने तुम्हें बताया क्यों नहीं, अब मैं क्या करूं, मुझे घर भी जाना है।" अजय ने कहा।

"ठीक है जाओ, हम भूखे सो जाते हैं। दवा बता दो जो खानी है, जब दर्द कम होगा तो हम कुछ बना लेंगे।" रिया ने रुआसी होते हुए कहा।
“रहने दो, खाली पेट दावा खाओगी तो पेट मैं दर्द होने लगेगा। और कुछ भी हो सकता है। मैं किचन मैं जा के देखता हूं, शायद कुछ हो फ्रिज में।" अजय ने कहा। कुछ देर बाद वो किचन मैं सैंडविच बना रहा था। और सोच रहा था की अब रिया कोई और गड़बड़ ना करे। कुछ देर बाद, रिया सैंडविच खा रही थी। उसके बाद अजय ने उसे दवा दी।
"रिया अब मैं चलता हूं, अब सोने की कोशिश करो।" अजय ने रिया से कहा।
"अजय, रात काफ़ी हो चुकी है, तुम काफ़ी थके हुए हो, नीचे गेस्ट रूम है वहा रुक जाओ।" रिया ने अजय से कहा तो अजय ने कहा "नीचे रूम होते हुए भी तुमने मुझे ऊपर सीढ़ियां क्यूं चढवे। तुम वहा भी आराम कर सकती थी।”
“हमको अपने रूम में सोने की आदत है, हमको कहीं और नींद नहीं आती। अब तुम चाहो तो गेस्ट रूम मैं सो जाओ, गुड नाइट।" रिया ने करवते लेते हुए कहा।

अजय ने अपना सर पीटा और दरवाजा बंद कर के वो गेस्ट रूम की तरफ बढ़ गया क्योंकि इतनी इतनी मेहनत के बाद, उसमे हिम्मत नहीं बची थी।



To be continued
in 48th Part