Firozpur, 13 September,2007
[ घड़ी में समय करीब रात के 10:00 बजे हो रहा था। सुनीता घबराई हुई थी कि कहीं कोई अनहोनी न हो जाए।
राजेश भी बेचैन सा नजर आ रहा था, इसकी बेचैनी का कारण था सुनीता के गर्भ से होने वाला शिशु। रात के 11:00 बजते बजते उसने आखिरकार जन्म लिया, राजेश के घर एक लड़की का जन्म हुआ, नाम पड़ा Ballu। ये Ballu आगे किस तरह राजेश को प्रभावित करने वाली थी, इसका अंदाजा अभी किसी को न था। सबको समय का इंतजार था। ]
Bhiwani, 29 December 2007
[ राजेश - अरे,अरे,अरे, मेरी बल्लू बेटी, कैसी है तू। पापा के शहर कैसा लग रहा है। अब से तू दादी के पास ही रहेगी, मेरी रानी बेटी, पापा छुट्टियां लेकर तुझसे मिलने आता रहेंगे। इतने में सुनीता चिल्लाई, "हम यहां नहीं रहेंगे राजेश, हम तुम्हारे साथ चलेंगे, हम अकेले यहां रह कर क्या करेंगे, और दिव्या का स्कूल में दाखिला भी तो करवाना है"।
राजेश ऊंचे स्वर में दहाड़ा, "सुनीता, तुम्हें यही रहना पड़ेगा, यहां बल्लू की दादी उसकी अच्छी देखभाल कर पाएगी और दिव्या का दाखिला तो यही Bhiwani में करवा दूंगा, तुम बस बहाने मत बनाओ please'। ]
Firozpur, 10 March 2008
[ "बबीता - क्या कर रहे हो राजेश, बस भी करो अब ना, 3 घंटे से Sex किए जा रहे हो, कब तक ऐसे रात को चुपके-चुपके करते रहोगे, सुनीता को तलाक देकर मुझसे शादी क्यों नहीं कर लेते तुम", राजेश, " अरे बबीता, मेरी जान, शादी के बाद भी करना तो यही सब है ना, फिर भी एक बार उस मेरी गले की हड्डी बल्लू को निपटा दूं, फिर सुनीता पर आरोप लगाके उससे तलाक ले लुंगा। "
बबीता - राजेश, अगर मैं pregnant हो गई तो, तुम मेरे बच्चे को भी बल्लू की तरह मारने का Plan बनाओगे।'
बबीता, कैसी बात कर रही हो , तुम्हारा बच्चा तो मेरा अपना होगा ना, वो हरामजादी सुनीता पता नही किसके साथ सोई थी, जो ये बल्लु पैदा हुई।" ]
Bhiwani, 10 March 2008
[ सुनीता - मेरी रानी बेटी बल्लू, देख तेल मसाज कर रही तेरे पैरों को, आगे चलकर तुझे Wrestler बनना है। दिव्या पढ़ने में होशियार है, तो वह डॉक्टर बनेगी' ]
[ राजेश की मां - ओ बल्लू की माताजी, छोरियों के पढ़ाई लिखाई में कुछ ना रखा, अरे इन्हें गृह-गृहस्ती के संस्कार देना, राजेश की बहन को मैंने यही संस्कार दिए थे।' ]
[ दिव्या- मम्मा,मम्मा, पापा को मैं Miss कर रही हूं , पापा से बात कराओ ना। ' ठीक है दिव्या, मेरा फोन लेकर आओ। ]
Firozpur, 10 March 2008
[ राजेश-'हां बोलो सुनीता, क्या काम है जो कॉल किया, मैं खुद कर लेता हूं ना फोन जब मेरा फोन करने का मन होता है।' ]
[ सुनीता- राजेश, बल्लू और दिव्या तुम्हें miss कर रही है। छुट्टी आ जाओ ना प्लीज,हम वहां आ जाएं क्या'। ]
[ राजेश- यहां आकर तुम क्या करोगी, एक नाजायज बल्लू तो यहीं पैदा कर गई थी, अब तुझे यहां भी आना है । ]
[ सुनीता- राजेश बकवास मत करो, बल्लू तुम्हारी ही बेटी है। ]
[ राजेश- नहीं है वह मेरी बेटी और सुनो, यहां वो आई, तो जिंदा न रहेगी समझी, को जिंदा रखना चाहती है, तो वहीं रह। ]
Bhiwani, 20 August 2008
[ राजेश- दिव्या, तुमने पापा को miss किया और पापा चले आए। देखो पापा तुम्हारे लिए इतने सारे खिलौने लाए हैं। देखो देखो व जाकर खूब खेलो । ]
[ सुनीता- राजेश, तुम आ गए, आने की खबर तो दी होती। ]
[ राजेश- क्यों ताकि तुम बल्लू को उसके मामा के घर भेज देती इसलिए, देख सुनीता, इस लड़की अमिला राजेशको मरना ही होगा। ]
[ राजेश की मां- देख राजेश, अगर तुम्हें लगता है कि ये बल्लू तुम्हारा अपना खून नहीं, तो उसे आज अमावस्या की रात ही निपटा दो,ये घुट्टी है, जहर है इसमें, इसे उस बल्लू को चटा देना, निपट जाएगी साली हरामी की औलाद।]
[ सुनीता(मन में)- यह घुट्टी कैसी रखी है, पीली क्यों है ये, कुछ गड़बड़ की है इन मां बेटो ने, कहीं मेरी बल्लू के लिए तो नहीं, हाय राम, बदल देती हूं। ]
[ राजेश (बल्लू को गोद में लेते हुए)- ले ले मेरी बल्लू, देख चीज खाएगी, ये ले मुंह खोल। चलो उसका भी निपटा काम। ]
[ सुनीता- राजेश, कल बल्लू का आधार कार्ड बनवाने जाना है। Ok । ]
[ राजेश- ये जिंदा कैसे हैं,बल्लू अभी जिंदा है।']