Agnija - 134 in Hindi Fiction Stories by Praful Shah books and stories PDF | अग्निजा - 134

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अग्निजा - 134

लेखक: प्रफुल शाह

प्रकरण-134

बार-बार पूछन पर अगले दिन अहमदाबाद पहुंचने पर प्रसन्न ने बताया कि केतकी के ऑडिशन राउंड पास होने की खबर मिलने के बाद कीर्ति सर ने उसकी मुंबई दर्शन टिकट रद्दर करके गाड़ी बुक करवा दी थी। यह सुनकर भावना केतकी की तरफ देख रही थी। उसे अपनी दीदी पर गर्व हुआ। उसकी दीदी मन की साफ, निर्मल होने कारण उसे अच्छे लोगों का साथ मिलता है। नहीं तो भला ऐसे कोई किसी की बिना कहे मदद कहां करता है?

उस दिन शाम को केतकी और भावना ने उपाध्याय मैडम, कीर्ति चंदाराणा और प्रसन्न को डिनर पार्टी दी। हाईवे के किनारे एक शांत इलाके के होटल में खाना खाने के बाद केतकी ने सभी को मन से धन्यवाद दिया। लेकिन उसी समय उसने घोषणा कर दी कि ऑडिशन तक ठीक था लेकिन इसके आगे वह नहीं जाने वाली।

सभी अवाक होकर उसकी तरफ देख रहे थे। आइसक्रीम का चम्मच मुंह तक आते-आते सभी के हाथ ठहर गये। कीर्ति सर ने चम्मच डिश में रखते हुए पूछा, ‘ लेकिन क्यों?’

‘सर, वहां पर एक से बढ़कर एक सुंदर, आधुनिक, उत्साही लड़कियां आई हैं। वे सभी मुझसे कई गुना लायक हैं इस प्रतियोगिता के लिए.. ’

उपाध्याय मैडम ने सवाल किया, ‘ऑडिशन राउंड में वहां कितनी लड़कियां थीं?’

‘करीब तीन सौ...’

‘तब? उन तीन सौ लड़कियों के बीच तुम्हारा चयन हुआ न आखिर, आगे भी प्रतियोगिता मे इन्हीं में से लड़कियां आगे आने वाली हैं न? जजेज के लिए तुम सभी एकसमान हो...समान ही रहने वाली हो। फिर पीछे क्यों हटा जाए?’

‘मैडम, यहां पर केवल रैम्प वॉक और इंटरव्यू ही था। लेकिन आगे बहुत कुछ करना पड़ेगा। वो मुझसे संभव नहीं।’

उपाध्याय मैडम बोलीं, ‘हां, रैम्प वॉक तो तुम बचपन से ही करती आ रही हो न..इस लिए वह तुम्हारे लिए आसान था...’

‘ऐसा नहीं है मैडम...वो तो उस दिन भावना ने मुझसे प्रैक्टिस करवा ली थी जबरदस्ती, वीडियो देखकर...इस लिए जैसे तैसे बन गया...’ बीच में ही प्रसन्न बोल पड़ा, ‘असंभव कुछ भी नहीं। तुम्हारे लिए तो बिलकुल भी नहीं। केवल मन से नकारात्मक विचार निकालने भर की देर है। ’

‘नकारात्मक विचार नहीं है...लेकिन आगे न जाने कितने अलग-अलग राउंड होंगे...आईक्यू राउंड, बॉवीलुड राउंड. बिकिनी राउंड, स्विम सूट राउंड...और बहुत कुछ...और हर बार ये ही जज तो रहेंगे नहीं। अलग-अलग होंगे। इन जजों ने मुझ पर दया दिखा दी या फिर उन्हें मैं हिम्मती लग रही थी, लेकिन आगे भी सभी को ऐसा ही लगेगा, ऐसा तो नहीं है।’

प्रसन्न नाराज होते हुए बोला, ‘मैं इस बात से सहमत नहीं हूं। तुम्हारा चयन तुम्हारी क्षणता के आधार पर हुआ है। दया या सहानुभूति के भरोसे नहीं। तुम इस अपराधबोध से बाहर निकलो।’ भावना ने कहा, ‘एक ही नहीं, सारे जज केतकी बहन की तारीफ करते थक नहीं रहे थे।’ केतकी ने उसकी तरफ गुस्से से देखा, तो वह बोली, ‘ऐसा मुझे केतकी बहन ने खुद ही बताया था। ’

कीर्ति सर छोटे चम्मच से मुंह में सुपारी डालते हुए बोले, ‘देखो, इस मामले में केतकी को ही निर्णय लेना है, और वह तुम सबको स्वीकार करना पड़ेगा। अब मैं उसको अधिक आग्रहनहीं करूंगा। मैं केवल उससे यही कहूंगा कि यदि वह अगले राउंड में जाएगी तो बाकी लोगों की तरह उन्हें भी खुशी होगी। उसकी सफलता से काफी लोगों को फायदा भी होगा। शांति से विचार करो। मुझे थोड़ी देर हो गयी है। आप सब आराम करें। मैं निकलता हूं। गुडनाइट...’

अगले दिन केतकी को ई-मेल मिला। ऑडिशन में चयनित होने के लिए बधाई और उसमें अगले कार्यक्रम की जानकारी दी गयी थी। इसके बाद दिल्ली में दो दिनों का परिचय और प्राथमिक राउंड था, उसके बाद दुबई में तीन दिनों की ग्रूमिंग और फिर से मुंबई में दो दिन और फिर फाइनलष फीस थी रुपए साठ हजार। चार दिनों के भीतर तय करके के बाद फीस भरनी थी।

भावना तो बौरा ही गयी यह पढ़कर, ‘वाह...केतकी बहन...दिल्ली, दुबई और मुंबई के फाइव स्टार होटल में रहने खाने की व्यवस्था...ब्यूटी पेजेन्ट की ट्रेनिंग,बड़े बड़े लोगों से भेंट मुलाकात, क्या-क्या देखने को मिलने वाला है...कितना कुछ सीख पाओगी...सात दिन फाइव स्टार होटल में रहना, मुंबई से मुंबई हवाई जहाज का टिकट और प्रतियोगिता में हिस्सा लेने का मौका...इट इज नथिंग, बट जस्ट अमेजिंग।’

केतकी ने भावना की तरफ देखते हुए कहा, ‘तुम्हारा उत्साह कम हो गया हो तो आगे की बात सुन लो। मुझे जाने की इच्छा नहीं है। किसी भी स्थिति में, इज दैट क्लीयर?’

‘अच्छा, ठीक है.... लेकिन यह मेल मुझे फॉरवर्ड तो कर दो। मेरे लिए यह एक अच्छी याद होगी। इसे मैं संभाल कर रखूंगी अपने पास। काश, ऐसा मौका मुझे मिल पाता तो... ’

तभी केतकी का मोबाइल बजा। नाम देखकर केतकी ने मोबाइल भावना के हाथ में देकर कहा, ‘उससे कहो मैं बाथरूम में हूं।’ भावना ने फोन लिया, ‘हैलो, मालती दीदी...हाऊ आर यू? केतकी बहन बाथरूम में है। कुछ काम था क्या? ’

‘हां...ब्यूटी पेजेन्ट वालों का कोई मैसेज आया क्या उसके पास?’

‘हां, केतकी बहन ऑडिशन में पास हो गयी है। आप भी सिलेक्ट हो गयीं हैं न?’

‘नहीं, अभी तो कोई मैसेज आया नहीं है, पर आ जाएगा। इतने सारे लोगों को बताने में समय तो लगेगा ही न उन बेचारों को? चल बाय...टेक केयर...’मालती ने फोन रख दिया।  भावना को आश्चर्य हुआ, ‘इसने केतकी को बधाई तक नहीं दी। हो सकता है मिलकर बात करने वाली होगी। ’

भावना ने मेल दोबारा पढ़ा। उसमें बधाई, अगला कार्यक्रम और चुने गये अन्य प्रतिभागियों के नाम दिए गये थे। लेकिन उसमें मालती का नाम कहीं भी नहीं था।

अगले दिन केतकी को प्रसन्न के साथ बहुत सारी बातें करनी थीं। अपने अनुभव बांटने थे और घटनाओं के बारे में बताना था। लेकिन प्रसन्न कहीं दिखायी नहीं दिया। उसका फोन भी बंद था। शाम को केतकी घर पहुंची तो भावना ने उसे मैसेज दिया कि वह रात को देर से आएगी। उपाध्याय मैडम से मिलने की इच्छा हुई तो उसने उन्हें फोन लगाया पर उनका फोन भी बंद था। केतकी ने अपने लिए चाय बनायी। चाय और दो खाखरे खाकर पुकु-निकी के साथ थोड़ी देर खेली। अचानक उसे याद आया कि पैसे खत्म हो गये हैं, इस लिए पुकु-निकी के साथ एटीएम जाने के लिए निकली। वॉचमैन निशांत पांडे ने गेट पर उसे हंसकर सलाम किया। केतकी उसकी तरफ देखकर मुस्कुरायी। पुकु-निकी को उसके पास देकर वह एटीएम में दाखिल हुई। केतकी को ध्यान में आया कि निशांत लगातार उसकी तरफ देख रहा था। जैसे ही वह उसके पास पहुंची, वह बोला, ‘मैडम, इजाजत हो तो आपसे पांच मिनट बात करनी है...’ केतकी ने हामी भरी। लेकिन इसे मुझसे क्या बात करनी होगी, ये विचार उसके मन में आ रहा था।

 

अनुवादक: यामिनी रामपल्लीवार

© प्रफुल शाह