Agnija - 132 in Hindi Fiction Stories by Praful Shah books and stories PDF | अग्निजा - 132

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अग्निजा - 132

लेखक: प्रफुल शाह

प्रकरण-132

‘कम इन..’ केतकी ने दरवाजे पर हल्की सी थाप दी तो भीतर से आवाज आयी। उसने धीमे से दरवाजा बंद किया और अंदर गयी। प्रतिभागियों को निर्देश देने के लिए दरवाजे के पास खड़ी लड़की उसकी तरफ देखती ही रही, फिर एकदम सुध लेते हुए कहा, ‘प्लीज, डू रैम्प वॉक अप टू जजेस एंड कम बैक इन सेम स्टाइल.’ केतकी को भावना याद आ गयी। पिछले कई  दिनों से उसने इंटरनेट पर कई तरह के वीडियो दिखाकर रैम्प वॉक की प्रैक्टिस करवा ली थी। केतकी सबकुछ भूलकर, भावना की मेहनत का मान रखने के सतर्क हो गयी। उस कमरे में दो जज, दो ऑर्गनाइजर, एक ब्यूटीशियन, दो स्पॉंसर, एक फैशन फोटोग्राफर और एक कोरियोग्राफर उपस्थित थे। उन सभी की उपस्थिति को नजरंदाज करते हुए केतकी ने कहा, ‘नो म्यूजिक प्लीज..’ और फिर उत्तर या प्रतिक्रिया का इंतजार किए बिना रैम्प वॉक शुरू कर दिया। उसकी चाल में सिंहनी का रौब, हिरणी की चपलता, हवा की बेपरवाही और पहली बारिश सी लय थी। किसी की ओर देखे बिना ही वह उन सात जजों के सामने से गुजरी और उसी गति से वापस भी आयी। दरवाजे के पास जाकर उसने पीछे मुड़कर सभी की ओर देखा। किसी ने भी उसे थैंक्यू या फिर यू कैन गो नाउ...नहीं कहा। फैशन फोटोग्राफर ने ‘प्लीज बी सीटेड’ कहते हुए सामने रखी हुई कुर्सी की ओर इशारा किया। वह जब पास आ रही थी तब कोरियोग्राफर वहां से उठा और खिड़की के पास जाकर खड़ा हो गया। उसने अपने लंबे बालों को ठीक किया। अपनी फ्रेंच कट दाढ़ी को हल्के से खुजाते बहुए केतकी की ओर देखता रहा। केतकी को लगा कि उसे उसमें रुचि नहीं है। वह पसंद नहीं आयी इसी लिए वह दूर जाकर खड़ा हो गया होगा।

मुख्य आयोजकों ने उसकी फाइल खोलकर देखी, गला खखारा और बोले, ‘नाऊ, टेल मी...’ ‘सॉरी, मैं अहमदाबाद से आयी हूं। इंग्लिश के बजाय हिंदी में बातचीत करना पसंद करूंगी...’ खिड़की के पास खड़े फ्रेंचकट दाढ़ी वाले की आंखों में शरारत चमकने लगी। ब्यूटीशियन ने अपनी बायीं कलाई में बंधे भारी भरकम ब्रेसलेट को ठीक करते हुए पूछा, ‘आप यहां क्यों आयी हैं?’

ये आघात कड़ा था, पर केतकी ने जवाब दिया, ‘क्यों नहीं आना चाहिए? औरतों के लिए ही है न ये प्रतियोगिता? ’

फैशन फोटोग्राफर अपनी आंखें छोटी करते हुए कहा, ‘इस कॉम्पीटिशन में आने के पीछे आपका मकसद क्या है?’

‘मकसद? सच बोलूं तो ऐसा कुछ सोचा नहीं था. मस्ती में फॉर्म भर दिया था मैंने। बाल का कलर कौन सा है, इस सवाल में मैंने साफ लिखा था कि बाल ही नहीं हैं। यह लिखते वक्त ही लगा कि मुझे ऑडिशन में नहीं बुलाया जाएगा। मगर बाद में मकसद मिल गया. बहुत बडा मकसद।’
‘अच्छा? वो क्या है?’

‘मुझे दुनिया को बताना है, के खूबसूरती सिर्फ बालों से नहीं. बाहरी सुंदरता के अलावा इन्सान में अंदरूनी खूबसूरती भी होती है। मगर उस की कॉम्पिटीशन ही नहीं होती.’

आयोजक, केतकी के विचार शांति से सुन रहे थे। उन्होंने पूछा, ‘यहां से जाते समय आपके मन में क्या सवाल होंगे?’

‘मैं ऑडिशन में चुनी गयी और आप सबके सामने बैठकर बातें कर रही हूं। इसे मैं अपनी जीत समझती हूं। यहां से बाहर निकलते ही परिणाम की फिक्र यहीं छोड़कर अपनी दुनिया में चली जाऊंगी। अपनी नजर में मै जीत गयी हूं. मुझे खुद पर गर्व है। शुक्रिया इस मौके के लिए।’

कुछ देर के लिए शांति पसर गयी। केतकी को लगा कि यह उसे उठकर जाने का इशारा है। वह उठी, तभी फ्रेंच कट दाढ़ी वाला उसके पास आया, ‘वेट...लिसन..सुनो... मैंने कितने ही नेशनल और इन्टरनेशनल ब्यूटी पेजेन्ट देखे हैं, कुछ जज किए हैं... मगर आप जैसा कॉन्टेस्टन्ट कभी नहीं देखा.. मैं जानता हूं, इन्डिया में इस तरह जीना कितना मुश्किल है.. बिलीव मी..आप इन्टरनेशनल पर्सनैलिटी लेकर चल रही है.. सब को रिजल्ट दो दिन बाद बताएंगे... मगर आप सिलेक्ट हो चुकी हैं.. कॉंग्रेचुलेशन्स..’

केतकी को अपने कानों पर भरोसा ही नहीं हो रहा था। वह क्या सुन रही है? उसका दिमाग ही काम नहीं कर रहा था। सांस जैसे रुक गयी हो। उस अनुभवी कोरियोग्राफर के फैसले का सभी लोगों ने तालियां बजाकर स्वागत किया। केतकी तो खड़े होना भी भूल गयी। फैशन डिजाइनर ने उसे सजग किया, ‘अगला सफर बहुत कठिन होगा, पर हमें भरोसा है कि आप उसे जीत लेंगी।’

एक आयोजक ने कहा, ‘आपका चयन हो गया है, यह बात फिलहाल बाहर किसी को समझने न पाए। बाहर किसी को भी कोई संदेह न हो, इसका ध्यान रखें।’

कोरियोग्राफर ने केतकी से हाथ मिलाया और उसके सिर पर बने टैटू को देखने लगा। ‘आई एम प्राउड ऑफ यू। मुझे अब तक अपनी आंखों पर विश्वास नहीं हो रहा है।’ केकती उठी, उसकी आंखों में पानी था। कोरियोग्राफर ने कहा, ‘नो, नो माई ब्रेव गर्ल कैन नॉट क्राय.’ केतकी ने सभी की तरफ देखकर मुस्कुराने का प्रयत्न किया। वह जैसे-तैसे बोल पायी, ‘थैँक यू ऑल ऑफ यू.’

कोरियोग्राफर ने केतकी का हाथ अपने हाथों में लेते हुए कहा, ‘शायद हम फिर न मिलें, इस लिए दरवाजे तक आपके साथ चलना चाहूंगा।’

बिना कुछ कहे दोनों हल्के कदमों से दरवाजे तक पहुंचे। केतकी दरवाजा खोलकर बाहर निकल गयी तब उसे पीछे से कोरियोग्राफर की आवाज सुनाई दी, ‘कुछ देर तक किसी को अंदर मत भेजना।’

केतकी को बाहर निकलता देखकर एक भी प्रतियोगी उसके पास नहीं गयी। उससे क्या पूछा गया, उसका क्या अनुभव रहा, यह जानने में किसी की रुचि नहीं दिख रही थी। सभी को मानो भरोसा ही था कि जजेज़ ने चिढ़कर उसे बाहर निकाल दिया होगा। एक ने तो उसकी तरफ देखते हुए कहा, ‘मूर्खों की तरह चली आयी है, तो रोने की नौबत तो आयेगी ही न?’ सभी का ध्यान दरवाजे की तरफ था, उनकी बारी कब आएगी? केतकी जैसे हवा में उड़ रही हो, दरवाजे की तरफ धीरे से निकल गयी। पीछे मुड़क हॉल की तरफ नजर दौड़ायी। ऑडिशन रूम की तरफ देखकर फ्लाइंग किस दिया और किसी विजेता की तरह बाहर निकल गयी।

 

अनुवादक: यामिनी रामपल्लीवार

© प्रफुल शाह

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