Jasbat-e-Mohabbat - in Hindi Love Stories by dinesh amrawanshi books and stories PDF | जस्बात-ऐ-मोहब्बत - 12

Featured Books
Categories
Share

जस्बात-ऐ-मोहब्बत - 12

मैं ठीक हूँ तू कैसी,मैं भी ठीक हूँ, मामा जी मामी जी नहीं आई,रिचा के पापा कहते हैं नहीं बेटा वो नहीं आई मैं तो रिचा को छोडने आया था और अब मैं भी वापस देहारादून निकल रहा हूँ आप नहीं रुक रह है क्या भैया रिचा कि बुआ ने पूछा,नहीं सुनीता कल फिर वही ऑफिस तो मुझे जाना होगा सुनीता कहती है थोड़ी देर ओर रुक जाइए न भैया तो रिचा के पापा कहते है नहीं बहन काफी वक़्त हो गया है ओर फिर शाम भी हो रही है मैं निकलता हूँ ये कह कर रिचा के पापा निकल जाते है रिचा और आरुशी,आरुषि के रूम मे बैठे एक दूसरे के बारे मे बात करते है आरूशी रिचा से पुछती है रिचा तेरी पढ़ाई कैसी चल रही है रिचा जवाब देती है यार आरूशी लास्ट वीक ही तो एग्ज़ाम खत्म हुये है अभी छूटियाँ चल रही है तो माँ ने बुआ के यहाँ चली जा तो मैं आ गई तभी रूम के बाहर से आवाज आती है रिचा दीदी और तनु भी रूम मे आती है ओर रिचा के गले से लग जाती है तनु कहती है रिचा दीदी आप कब आए आरूशी कहती है तनु दीदी दोपहर मे आई है पर तू ड्रेस तो चेंज करले दीदी तो वैसे भी कुछ दिन रुकने वाली है तनु काही है सच मे रिचा दीदी रिचा कहती है हा तनु कुछ दिन यहीं हूँ ओर तनु ड्रेस चेंज करने चली जाती है रिचा कहती है आरूशी तेरी पढ़ाई कैसी चल रही है आरूशी कहती है ठीक चल रही है रिचा कल ही तो मेरे फ़ोर्थ सेम के एग्ज़ाम खत्म हुये है बी.ई. कर रही है ना सी.एस. से हाँ ओर तू बता, यार मुझे तो रिज़ल्ट की टेंशन हो रही है आरुशी कहती है तू टेंशन क्यू ले रही है अच्छा ही होगा तेरा रिज़ल्ट पर तू ये बता तुझे मेडिकल कॉलेज मे कोई मिला या नहीं रिचा कहती है तुझे तो पता है न मैं इन सब से बहुत दूर रहती हूँ आरुशी कहती है चल झूठी अब इतना भी झूठ मत बोल,नहीं यार आरूशी सच में ऐसा कुछ नहीं है रिचा के चेहरे पर स्माइल आ जाती है ओर रिचा नज़रे चुरा कर बात को टालने की कोशिश करती है जो आरूशी नोटिस कर लेती है ओर कहती है अबे सच बता न देख हम बहन कम दोस्त ज्यादा है तो मुझे तो बता ही सकती है रिचा कहती है यार आरूशी कुछ हो तो मैं तुझे बताऊँ क्योंकि जो भी है वन साइड है मैं उन्हे चाहती हूँ अभी तक उन्हे भी नहीं बताया मैंने मेरी हिम्मत ही नहीं हुई कि मैं उनसे अपने प्यार का इज़हार कर पाती आरूशी कहती है अच्छा तो ये है चोर के मन की बात कोन है वो, रिचा कहती है वो कॉलेज के प्रोफ़ेसर हैं,ओओ मेडम तुझे ओर कोई नहीं मिला सीधा प्रोफ़ेसर को ही दिल दे बैठी और तूने अभी तक उन्हें अपने दिल की बात बताई भी नहीं ओर कब बताएगी तू उन्हे कि तू उन्हे पसंद करती है उनसे प्यार करती है ये क्या बात हुई कि, चाहत ना तुझको पाने की, ना ख़्वाहिश भूल जाने की,अब आदत हो गई है तेरी याद दिल को आने की,रिचा कहती है बता दूँगी पर एक बात बता तूने मेरे बारे मे तो सब पूछ लिया और अपने बारे मे कब बताएगी आरूशी रिचा को अपने प्यार के बारे मे बताती है कि उसका बॉयफ्रेंड भी उसी कॉलेज से बी.टेक कर रहा है तभी तनु भी रूम मे आती है और कहती है रिचा दीदी मम्मी आप दोनों को बुला रही है खाना खाने के लिए तो रिचा,आरूशी ओर तनु खाना खाने रूम से बाहर आ जाते है और सभी एक साथ बैठ कर खाना खाते है तो आरूशी के पापा रिचा से उसकी पढ़ाई के बारे मे पुछते है रिचा बेटा पढ़ाई कैसी चल रही है रिचा कहती है फुफ़ा जी लास्ट वीक ही मेरे पेपर हुये है छूटियाँ चल रही है नेक्स्ट मंथ से सेकंड इयर के क्लासेस शुरू हो जाएंगे,फिर रिचा ,आरूशी ओर तनु अपना खाना फीनिस करके आरूशी के रूम मे आ जाते हैं तभी रिचा के मोबाइल रिंग बजती है ये कॉल नयन्सी का होता है रिचा कॉल उठाती है हैलो रिचा कैसी है तू ,मैं ठीक हूँ तू सुना नयन्सी कहती है बस यार दिल किया तो तुझे कॉल कर लिया रिचा कहती है इतने दिन बाद याद आई तुझे मेरी नयन्सी कहती है नहीं यार घर पे कुछ रेलेटिव्स आए हुए थे तो टाइम नहीं पाया पर तूने भी तो मुझे कॉल नहीं किया अरे यार क्या बताऊँ तुझे मैं भी बुआ के घर आई हूँ ऋषिकेश मे हूँ अभी ओर तू तो जानती ही है मेरे दिल का हाल गहर पे मुझे कुछ अच्छा नहीं लग रहा था प्रतीक सर की याद मे मैं कुछ उदास रहने लगी थी यार उनकी यादों मे खोई खोई रहने लगी थी पर सच बताऊँ नयन्सी अब प्रतीक सर से दूर रहना मुस्किल हो गया है मेरे लिए कॉलेज शुरू होते ही मैं प्रतीक सर को बता दूँगी कि मैं उनसे प्यार करती हूँ फिर जो होगा देखा जाएगा नयन्सी कहती है यार तू बिलकुल सही सोच रही है चल ठीक है तू आजा वहाँ से फिर मिलते है ꠰