The Author dinesh amrawanshi Follow Current Read जस्बात-ऐ-मोहब्बत - 11 By dinesh amrawanshi Hindi Love Stories Share Facebook Twitter Whatsapp Featured Books ભીતરમન - 55 હું દીપ્તિને મળ્યાં બાદ અમારા જમાઈ આશિષને પણ મળ્યો હતો. એકદમ... ભારતીય સિનેમાનાં અમૂલ્ય રત્ન - 2 આશાજી પાર્શ્વ ગાયનના ક્ષેત્રમાં ‘લિવિંગ લિજેન્ડ’ આશા ભોસલે જ... કંગુવા કંગુવા- રાકેશ ઠક્કર એમ કહેવાતું હતું કે ‘કંગુવા’ થી બ... નિયમિત મંદિર જવાના વૈજ્ઞાનિક ફાયદા નિયમિત મંદિર જવાના વૈજ્ઞાનિક ફાયદા કહેવાય છે કે ભગવાનની પૂજા... મારા અનુભવો - ભાગ 18 ધારાવાહિક:- મારા અનુભવોભાગ:- 18શિર્ષક:- ફરી ફોલ્લા પડ્યાંલેખ... Categories Short Stories Spiritual Stories Fiction Stories Motivational Stories Classic Stories Children Stories Comedy stories Magazine Poems Travel stories Women Focused Drama Love Stories Detective stories Moral Stories Adventure Stories Human Science Philosophy Health Biography Cooking Recipe Letter Horror Stories Film Reviews Mythological Stories Book Reviews Thriller Science-Fiction Business Sports Animals Astrology Science Anything Crime Stories Novel by dinesh amrawanshi in Hindi Love Stories Total Episodes : 16 Share जस्बात-ऐ-मोहब्बत - 11 1.4k 2.6k तो रिचा कही खोई खोई सी लगती है रिचा की माँ ये देख कर कहती है रिचा बेटा तू कुछ दिनों के लिए ऋषिकेश क्यूँ नहीं चली जाती अपनी बुआ के घर तुझे अच्छा भी लगेगा और घूमना भी जाएगा रिचा कहती है नहीं माँ मेरा कही जाने का मन नहीं है माँ कहती है लेकिन बेटा तू घर ही घर मे उदास सी बाठी रहती है घूम कर आएगी तो तेरा दिल भी बेहेल जाएगा रिचा कहती है ठीक है माँ मैं कल चली जाऊँगी ꠰ अगले दिन रिचा ऋषिकेश जाने की तैयारी करती है और माँ से कहती है माँ पापा तैयार हो गए तो पीछे से आवाज आती है हा मेरी मैं भी तैयार हु चले, तो रिचा कहती है जी पापा चलिये और रिचा अपने पापा के साथ ऋषिकेश के लिए निकल जाती है रिचा के पापा उसे ऋषिकेश छोडने खुद जाते अपनी कार से, लगभग डेढ़ घंटे का सफर करके रिचा ओर उसके पापा ऋषिकेश सुमन बिहार पहुँच जाते है रिचा की बुआ के घर रिचा की बुआ उसे देख कर बहुत खुश होती है ओर कहती है रिचा आ गई तू इतने दिन बाद तुझे अपनी बुआ की याद आई रिचा कहती है नहीं बुआ ऐसी बात नहीं है अच्छा चल अंदर भैया चलिए अंदर सब अंदर जाते ओर रिचा की बुआ उन्हे बैठा कर पानी लाती ओर कहती है भैया आपको भी अपनी बहन की याद नहीं आती ना इनते दिनों आ रहे है तो रिचा के पापा कहते है नहीं सुनीता ऐसी बात नहीं है मुझे ऑफिस से छुट्टी नहीं मिलती जल्दी से इसी वजह से मैं कही भी नहीं जा पता वो तो आज संडे है तो मैंने सोचा रिचा को छोड़ भी दूंगा ओर मिलना भी हो जाएगा तो खुद छोडने चला आया सुनीता(रिचा की बुआ) कहती है अच्छा किया भैया जो आप खुद ही रिचा के साथ आ गए मुझे भी अच्छा लगा आपको देख कर,भैया आप बैठिए मैं चाय बनाती हु तो रिचा कहती है बुआ मैं आती हूँ आपके साथ किचेन मे तो रिचा की बुआ कहती है रिचा तुम चाय बनाओ मैं नास्ते की तैयारी करती हूँ ओके बुआ रिचा चाय बना कर अपने पापा को देती है ओर वापस किचेन मे जा कर बुआ के साथ पकोड़े बना कर ले आती है रिचा कहती है बुआ आप भी आ जाइए बुआ कहती है हा तू अपने पापा को नसता दे मैं पानी लेकर आती हूँ ओर रिचा पापा को नास्ता देती है अपने लिए भी निकालती है ओर बुआ को भी नास्ता देती है रिचा अपनी बुआ से पुछती है बुआ आरूशी और तनु कहा है बुआ कहती है बेटा आरूशी तो अपनी किसी फ्रेंड के यहाँ गई है कुछ काम है कह कर ओर तनु स्कूल गई है रिचा उसकी बुआ ओर पापा अपना चाय नास्ता फीनिस करते हैं रिचा ओर उसके पापा हाल मे बैठ कर दोनों फॅमिली की बाते कर रहे होते रिचा भी वही बैठी होती हैं कि तभी आवाज आती है रिचा तू रिचा जैसे ही पीछे मुड़ती है आरुशी ओर रिचा दौड़ कर आरूशी को हग करती है आरूशी कैसी है तू आरूशी कहती है ‹ Previous Chapterजस्बात-ऐ-मोहब्बत - 10 › Next Chapter जस्बात-ऐ-मोहब्बत - 12 Download Our App