Shivaji Maharaj the Greatest - 18 in Hindi Biography by Praveen kumrawat books and stories PDF | शिवाजी महाराज द ग्रेटेस्ट - 18

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शिवाजी महाराज द ग्रेटेस्ट - 18

[ शिवाजी महाराज और मराठी भाषा ]

"राज्य का कामकाज उसी भाषा में होना चाहिए, जो भाषा वहाँ की जनता रोजाना इस्तेमाल करती है। शिवाजी इस संकल्पना को स्वीकार करते हुए चलें। आम आदमी की भाषा और राजभाषा में अंतर होने पर थोड़े ही लोगों को लाभ होता है। प्रशासन की व्यवस्थाएँ कुछ थोड़े ही लोगों के हाथ में रहती हैं, जिससे आम आदमी का शोषण शुरू हो जाता है। शिवाजी इस तथ्य को अच्छी तरह समझ चुके थे। उन्होंने जानबूझकर अपने राज्य का कामकाज स्थानीय भाषा में ही करने की परंपरा बनाई।
'माझा मराठी ची बोलु कौतुके परि अमृतात ही पैज जिंके' एवं ‘भाषे चा केलास गौरव भवार्णवी नाव उभारीली’ मराठी भाषा के महत्त्व के संदर्भ में संत ज्ञानेश्वर ने कहा है। शिवाजी महाराज ने भाषा महत्त्व को समझ-बूझकर मराठी भाषा को ऐसा मान-सम्मान दिया, जिसकी वह हकदार थी।
छत्रपति शिवाजी महाराज ने रघुनाथपंत से एक अत्यंत महत्त्वपूर्ण कार्य करवाया और वह था, ‘राज-व्यवहार कोश' का निर्माण। ‘स्वराज्य का कारोबार स्वभाषा में ही चलना चाहिए, क्योंकि स्वभाषा स्वराज्य का एक महत्त्वपूर्ण अंग है।’ ऐसा स्वाभिमानी उद्देश्य लेकर श्री शिव छत्रपति ने ‘राज-व्यवहार कोश’ संपादित करने का कार्य रघुनाथपंत को सौंपा। छह भाषाओं को परिमार्जित करने वाले बहुभाषा धुरंधर रघुनाथपंत ने यह कार्य आनंद से पूरा किया। यवन शब्दों के बदले संस्कृत शब्दों के प्रति अहोभाव रखते हुए इस कार्य को इस प्रकार संपन्न किया गया कि स्वभाषा मराठी की समृद्धि और बढ़ गई। अपने कार्य का वर्णन करते हुए वे लिखते हैं—
कृते म्लेच्छोच्छदे भुवि निरवशेषं रविकुलावंतसेनात्यर्थ यवन चलेः लुप्त सरणिम् ।
नृपव्याहारार्थ सतु विबुधंभांषा वितानीतुम् नियुक्तोऽभुद् विद्वान् नृपवर शिव छत्रपतिना ॥
सोऽयं शिवछत्रपतेरनुज्ञां मूर्धानिषिक्तस्य निधाय मूर्ध्नि आमात्यवर्यो रघुनाथ नामा करोति राजव्यवहार कोशम् ॥
विपश्चित संमत स्यास्य किं स्वादज्ञविडम्बनै ।
रोचते किं क्रमेलाय मधुरं कदलीफलम् ॥

शिवाजी महाराज ने विभिन्न विद्वानों से निम्न ग्रंथ लिखवाए, जिनके विषय इस प्रकार हैं—
★.. लेखा प्रशस्ति (लेखन कैसे करना चाहिए) / बालाजी आवजी।
★.. अफजल खान वध पोवाडा / शाहिर अज्ञान दास
★.. राज-व्यवहार कोश / रघुनाथ पंडित व धोंडीराज व्यास
★.. कर्ण कौस्तुभ (कालगणना विषयक ग्रंथ) / बाल संगमेश्वरकर
★.. गनीमी कावा (सकलकले युद्धरीति व नीति विषयक ग्रंथ) / पंडित संकर्ष
★.. शिव कार्योदय (सकलकले अद्वैत तत्त्वाचे दर्शन) / गागा भट्ट
★.. शेणवी आणि कायस्थ प्रभु-धर्म निर्णय/गागा भट्ट

पत्र-व्यवहार का वर्ष —(1628)
उपयोग में लाए गए पर्शियन शब्दों की संख्या — 202
कुल संख्या मराठी शब्दों का प्रतिशत — 34
कुल संख्या — 236
मराठी शब्दों का प्रतिशत — 14.4

पत्र-व्यवहार का वर्ष — (1677)
उपयोग में लाए गए पर्शियन शब्दों की संख्या — 51
उपयोग में लाए गए मराठी शब्दों की संख्या — 84
कुल संख्या — 135
मराठी शब्दों का प्रतिशत— 62.5

पत्र-व्यवहार का वर्ष — (1728)
उपयोग में लाए गए पर्शियन शब्दों की संख्या — 8
उपयोग में लाए गए मराठी शब्दों की संख्या — 119
कुल संख्या — 127
मराठी शब्दों का प्रतिशत — 93.7


संदर्भ—
1. शिवराय / प्रा. नामदेवराव जाधव
2. Shivaji : His Life and Times / Gajanan

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