हास्य सरिता
फोटोग्राफी के बड़े झमेले
अपनी यादों को स्थाई बनाने के लिए फोटोग्राफी एक महत्वपूर्ण माध्यम है। आजकल मोबाइल के दौर ने भारी स्टिल कैमरों को पीछे छोड़ दिया है।अब लाइटवेट कैमरे कहीं नजर भी आते हैं तो केवल व्यावसायिक फोटोग्राफरों के पास अन्यथा मोबाइल पर ही अत्याधुनिक कैमरों की ऐसी सुविधा है कि अब हर व्यक्ति फोटोग्राफर बन गया है।मौजी मामा कहा करते हैं कि फोटोग्राफी एक बहुत बड़ी कला है लेकिन जैसे कुछ लोग अपनी लापरवाही और चलताऊपन के कारण कभी-कभी इस कला का मजाक बना देते हैं।
पिछले दिनों मौजी मामा को उनके काव्य संग्रह के लिए एक पुरस्कार मिला। अब कुछ लोगों की आदत है कि वैसे भले वे कोई काम काज न करते हों लेकिन फोटोग्राफी के अवसर पर सार्वजनिक समारोह में फ्लैशलाइट और मुख्य फ्रेम की परिधि में अवश्य पहुंच जाते हैं। कवि मौजी अभी मंच से उतरे नहीं थे कि अनेक लोगों ने सेल्फी के लिए उन्हें घेर लिया। हद तो तब हो गई जब सेल्फी लेने वाले लोग उन्हें डायरेक्शन देने लगे कि उन्हें किस तरह खड़ा होना है और सिर को कितने डिग्री के कोण में झुकाना है।जब सेल्फी फ्रेम में एडजस्ट होते- होते कवि महोदय एक किनारे पहुंच गए तो वे प्रशंसकों पर झल्ला उठे।
"अब तुम लोगों ने मुझे धकियाते -धकियाते किनारे कर दिया है तो मैं वैसे भी फ्रेम से बाहर हो गया हूं। अब तुम्हारे फोन की भी एक कैपेसिटी होगी।यह एक साथ 25 लोगों की सेल्फी तो नहीं ले सकता होगा।"
उनके एक प्रशंसक ने कहा,"अरे इन मूर्खों ने आपको ही साइड कर दिया।आपको बीच में खड़े रहना है।आपको हिलना ही नहीं है यहां से।"
ऐसा कहते हुए वह कवि महोदय को खींचते हुए मंच के बीच में ले आया और उनके चारों तरफ प्रशंसक इकट्ठे हो गए।मुख्य प्रशंसक ने कई पोज से ढेरों सेल्फियां लीं।मौजी मामा के अंदर सेलिब्रिटी वाली फीलिंग आ गई।मामा हवा में उड़ने ही वाले थे कि तभी पीछे से श्रीमती जी की आवाज आई,
"अब बस भी करिए आप लोग! इन्हें कब तक घेरे रहोगे?"
"आपकी तारीफ!"
मंच के एक तरफ खड़ी मामी से एक प्रशंसक ने पूछा।
"मैं हूं इनकी श्रीमती जी! जिन्हें ये अपनी हर काव्य रचना का श्रेय दिया करते हैं और प्रेरणा बताया करते हैं।"
मामा समेत मंच पर खड़े सभी लोग हंस पड़े और सेल्फी लेने वालों की भीड़ छंटने लगी। तभी स्थानीय शांतिपुर टीवी चैनल की संवाददाता सुप्रिया वहां पहुंची।लाइव रिपोर्टिंग के लिए साक्षात्कार शुरू करने से पहले उसने कवि महोदय से सेल्फी खिंचवाने का अनुरोध किया और कवि मौजी राम इसे भला कैसे टाल सकते थे?सुप्रिया ने अपने फोन से कवि महोदय के साथ एक स्माइल वाली सेल्फी ली।कुछ ही क्षणों में कवि मौजीराम की श्रीमती जी भी उस फ्रेम में जबरदस्ती आ गईं और कहा- मैं भी शामिल हो जाती हूं आप लोगों के साथ!अब इन तीनों ने सेल्फी खिंचवाई।
सुप्रिया कैमरामैन को निर्देश देने के लिए उसके पास चली गई ताकि साक्षात्कार का एंगल ठीक रहे। इधर मामा के पास खड़ी मामी ने भी उनसे थोड़ा दूर होते हुए कहा, "अजी अब आप भी साक्षात्कार देने को तैयार हो जाओ, लेकिन मुझे लगता है कि सरकार को यह सुझाव भेजना पड़ेगा कि सेल्फी लेने के दौरान दो व्यक्तियों के बीच कुछ न्यूनतम दूरी का भी नियम होना चाहिए।"मामा ने सुप्रिया को लेकर अपनी श्रीमती जी द्वारा किए गए इस व्यंग्य को फिलहाल मुस्कुराते हुए नजरअंदाज किया, क्योंकि सुप्रिया रिपोर्टर माइक्रोफोन लेकर पास आ रही थी।
डॉ. योगेंद्र कुमार पांडेय