Sweet - an attachment in Hindi Spiritual Stories by Dikshadixit books and stories PDF | मीठी –एक लगाव

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मीठी –एक लगाव

हम अक्सर किसी ऐसे व्यक्ति से मिल जाते हैं, जिससे ना चाह कर भी एक अजीब सा रिश्ता बन जाता है। उससे दूर रहना बहुत मुस्किल सा लगने लगता है, एक लगाव सा होने लगता है और बही लगाव एक आदत बन जाती है।
ऐसा ही हुआ मेरे साथ मैं करीब सोलह साल की थी, घर में सिर्फ बड़े भाई साहब और भाभी थी, मैं अपने कमरे की खिड़की के पास बैठी अपनी किताब पढ़ रही थआई तभी अचानक से भआई साहब आते है, बह हमेशा ऑफिस से आते वक्त मेरे लिए कुछ ना कुछ लाया करते थे, मगर आज बह कुछ चीज या सामान नही लाए हैं, उन्होंने गेट पर खड़े हो कर ही मुझे और भाभी को आवाज़ दी भाई साहब की आवाज सुनते ही मैं और भाभी घबरा गए और भाग कर नीचे की तरफ आए,
भाई साहब एक हाथ में एक बड़ा सा बैग लिए खड़े हैं और एक तरफ उनकी गोद में एक छोटी सी लड़की है। जो करीब दो से ढाई साल की होगी, बह बहुत गोरी और सुंदर है उसके बाल भी बहुत बड़े हैं, और उसकी आंखे भी बहुत बड़ी,बड़ी हैं बह बहुत सहमी सी और डरी सी है, उसको देख कर मैं और भाभी देखते रह गए, मानो उसके अलावा हमे कुछ भी नजर नही आता हो, तभी भाई साहब की एक आवाज की अब देखते रहोगे या बैग भी पकड़ लो, मैं जल्दी से बैग हाथ में ले लेती हूं, भाई साहब के हाथो से भाभी उस लड़की को लेने वाली होती हैं, पर बह अपना मुंह फेर कर भाई साहब से चिपक जाती है।
भाई साहब बोलते है नहीं –नही इसको कोई नही लेगा ये मेरी है और आज से हमारे साथ ही रहेगी, ये सुन कर हम चकित हो जाते हैं, की भाई साहब ये किसको ले आए हैं वो हमारे साथ कियू रहेगी इसका घर कहां है, बह अचानक हमारे घर क्यों आई है,कोन है ये ऐसे कई सारे सबाल भाभी के मन में भी थे पर भाई साहब कुछ नही बोले बस उसके साथ खेलने लगे, थोड़ी देर बाद बह छोटी लड़की सो जाती है, तब भाई साहब फिर से हमे बुला कर कहते हैं, कि उनको पता है कि हमारे मन में बहुत से सवाल हैं उस लड़की के लिए भाई साहब कहते है कि वो लड़की मेरे एक दोस्त आई बेटी हैं उसके घर में कुछ परेशानी हैं तो बह अब जब तक नौ साल की भी हो जाती यहीं रहेगी, उसका नाम मीठी है।
मैं तो फिर भी भाई साहब की बात भी समझी, तब मुझे भाभी ने बताया कि बह अपने पापा के साथ भारत से दूर ही रहती थी,आज उसके पापा की जॉब थी इंडिया में लगी है पर उनके साथ एक परेशानी है की उनके साथ आज तक उनकी कोई भी बेटी इंडिया आई है बह जीवित नहीं रहती और उनको तो हर बार इंडिया आना पड़ता है उनके माता पिता जो यहां रहते है, और मीठी के पिता अपनी ओर बेटियों की तरह मीठी को नही खोना चाहते इसी लिए उनके घर जाने से पहले भाई साहब इसको अपने घर ले आए हैं जब तक मीठी के पिता यहां हैं तब तक मीठी हमारे साथ ही रहेगी मीठी के पिता साम को घर आयेंगे अभी बह अपने मां बाप से मिलने गए हैं, अब मुझे कुछ– कुछ समझ आया, मैं उसको देखने उसके कमरे में गई उसको देख कर लगता था कि मानो एक परी आई हो हमारे घर मैं उसको देख कर देखती ही रह गई, मीठी हमारे साथ ही लगी ।बह कब हमारे घर में सबकी लाडली बन गई किसी को पता ही नही चला।जब मैं अपने स्कूल से घर आती उसके लिए कुछ न कुछ लेके आया करती थी बह मुझे देख कर बहुत खुश हो जाया करती मुझे अपने छोटे छोटे हाथों से ऐसे इशारे करती की लगता बह कह रही है की मैं उसको अपनी गोद में उठा लूं,
मैं उसके साथ पूरा दिन पूरी रात खेला करती पर एक अजीब सा भय था की मीठी कभी हमारे घर से चली जायेगी। मैं उसके बगैर केसे रहूंगी,किया बह मेरे बगैर रह पाएगी,
और बह मनहूस समय आ ही गया मीठी के पिता जी जिस काम के लिए आए थे बह पूरा हुआ उसके जाने का वक्त आ गया, जाने की तैयारी होने लगी मैं उसको जाने नही देना चाहती थी, पर उसको कोई रोक भी नही सकता था उसके जाने से मैं और भाभी बहुत उदास रहने लगे,एक मैं स्कूल से घर आ ते ही उसको खोजने लगती आंखे अपने आप उसकलगती कि बह कही से आए और मुझे अपनी तुतलाती बोली से बुआ की जगह ऊआ कहेगी मैं उसके जाने के बाद एक अजीब सी टेंशन में आ गई थी भाई साहब य देख नही पाए उन्होंने मुझे घर से बाहर एक हॉस्टल में भेज दिया। पर मीठी की यादों ने मेरा वहां भी पीछा नही छोड़ा, क्यों की किसी इंसान से दूर जा सकते है उसकी यादों से नही मैं उसके बिना नही रह पा रही थी बहुत बीमार रहने लगी, मुझे दर सा था की कहीं मीठी भी मेरी तरह बीमार न हो गई हो, मैं कुछ समय के लिए घर चली गई, जब वापस अपने हॉस्टल आई तो मेरी कुछ दोस्त बोले की यार तनु तुमने बहुत कुछ मिस कर दिया पता है हॉस्टल में एक नमूना आया है बह कुछ ही समय में सबका चहेता बन गया है, सब उसे बहुत प्यार करने लगे है पता नही उसकी आंखो में उसकी बोली में ऐसा किया है जो सबको मोह लेती है, मैं उसको देखना चाहती थी, दोस्त बोली बह सुबह मिलेगी। मैं रात भर भी नहीं सोई सुबह हुई, करीब सात बजे उसने अपने रूम का दरवाजा खोला, और एक बहुत जोर की आवाज आई राधे राधे सब उसकी आवाज की तरफ देखते ही हमारे कॉलेज में सब एक ही सुर ए बोल उठे राधे राधे मीठी सुबह हो गई।
मैं उसको देखते ही पहचान गई और उसके कमरे की तरफ गई पर बह मुझे नही पहचान पाई, मुझे लगा बह मुझे पहचान लेगी,बह मुझे देख कर भी अनजान बनने लगी एक दिन बह रुकी और बोली ऊआ कैसी है आप मैं आपको बहुत पहले ही पहचान गई थी आपको परेशान कर रही थी, ऐसा सुन कर मेरे आंखों से आंसू नहीं रुके मेने दौड़ कर उसको गले लगा लिया ।
उसका बह लगाव ही उसे मेरे पास फिर ले आया।