The Author dinesh amrawanshi Follow Current Read जस्बात-ए-मोहब्बत - 9 By dinesh amrawanshi Hindi Love Stories Share Facebook Twitter Whatsapp Featured Books ભીતરમન - 55 હું દીપ્તિને મળ્યાં બાદ અમારા જમાઈ આશિષને પણ મળ્યો હતો. એકદમ... ભારતીય સિનેમાનાં અમૂલ્ય રત્ન - 2 આશાજી પાર્શ્વ ગાયનના ક્ષેત્રમાં ‘લિવિંગ લિજેન્ડ’ આશા ભોસલે જ... કંગુવા કંગુવા- રાકેશ ઠક્કર એમ કહેવાતું હતું કે ‘કંગુવા’ થી બ... નિયમિત મંદિર જવાના વૈજ્ઞાનિક ફાયદા નિયમિત મંદિર જવાના વૈજ્ઞાનિક ફાયદા કહેવાય છે કે ભગવાનની પૂજા... મારા અનુભવો - ભાગ 18 ધારાવાહિક:- મારા અનુભવોભાગ:- 18શિર્ષક:- ફરી ફોલ્લા પડ્યાંલેખ... Categories Short Stories Spiritual Stories Fiction Stories Motivational Stories Classic Stories Children Stories Comedy stories Magazine Poems Travel stories Women Focused Drama Love Stories Detective stories Moral Stories Adventure Stories Human Science Philosophy Health Biography Cooking Recipe Letter Horror Stories Film Reviews Mythological Stories Book Reviews Thriller Science-Fiction Business Sports Animals Astrology Science Anything Crime Stories Novel by dinesh amrawanshi in Hindi Love Stories Total Episodes : 16 Share जस्बात-ए-मोहब्बत - 9 1.4k 2.9k हैलो नयन्सी हो गई तू तैयार नयन्सी कहती है रिचा यार तू भी न मैं जानती हु तू बेचैन है पर अभी बहुत टाइम है मेरी जान अच्छा मैं तैयार होके तुझे कॉल करती हूँ और नयन्सी कॉल काट देती है पर रिचा की बेचैनी इतनी बढ़ जाती है कि रिचा खुद को रोक नहीं पाती ओर घर से कॉलेज के लिए निकलती है माँ मैं जा रही हूँ, माँ कहती है बेटा इतनी जल्दी रिचा कहती है हा माँ वो मैं पहले नयन्सी के घर जा रही हूँ वही से दोनों साथ मे कॉलेज चले जाएंगे ये कह कर रिचा निकल जाती है रिचा नयन्सी के घर पहुँचती है और डोर बेल बजाती है नयन्सी कि माँ दरवाजा खोलती है अरे रिचा बेटा तुम आओ अंदर आओ नयन्सी रिचा आई है तो नयन्सी कि आवाज आती है हा माँ अंदर भेज दो और रिचा नयन्सी के रूम मे जाती है हाये नयन्सी, नयन्सी कहती है हाये और नयन्सी रिचा को छेड्ने लगती है ओहो महारानी के चेहरे कि चमक तो देखो वैसे ये चमक पेपर कि है या अवस्थी सर के प्यार की रिचा कहती है यार नयन्सी मुझे पहले ही बहुत घबराहट हो रही है तू ओर मत डरा नयन्सी कहती है किस बात की घबराहट यार हमारे पेपर अच्छे ही जाएंगे रिचा कहती है नहीं यार ये घबराहट पेपर की नहीं अवस्थी सर के लिए हो रही है अरे उन्हे तो अभी पता भी नहीं है की तू (प्रोफ़ेसर अवस्थी) उनसे प्यार करती है रिचा कहती है यार फिर भी मुझे टेंशन हो रही है नयन्सी कहती है तू टेंशन मत ले सब ठीक होगा चल अब चलते है दस बजने वाला है और दोनों कॉलेज निकल जाती है कॉलेज ज्यादा दूर नहीं है तो दोनों जल्दी ही कॉलेज पहुँच जाती है कॉलेज पहुँच कर दोनों पूरा कॉलेज घूमती है पर प्रोफ़ेसर अवस्थी कहीं दिखाई नहीं देते जिससे रिचा के चेहरे पर उदासी छलकने लगती है नयन्सी कहती है यार तू उदास मत हो रिचा कहती है यार नयन्सी तुझे पता है न मैं अपने पेपर की शुरुवात अवस्थी सर को देख कर ही करना चाहती हूँ और पेपर का टाइम भी होने वाला है तो नयन्सी कहती है चल एक बार डीन ऑफिस साइड घूम कर आते हैं शायद अवस्थी सर डीन के ऑफिस मे हो,रिचा कहती है ठीक है चल पर मुझे नहीं लगता की अवस्थी सर आज कॉलेज आए भी होंगे नयन्सी कहती है अरे बाबा तू चल भी तो एक बार देखने मे क्या है,इतने मे प्रोफ़ेसर अवस्थी डीन ऑफिस से निकल कर क्लास की तरफ आ रहे होते है तभी नयन्सी कहती है रिचा वो देख तेरी खुशी खुद सामने से चल कर आ रही है रिचा इधर उधर देख कर कहती है कहा नयन्सी कहती है वो देख डीन ऑफिस की ओर से,जैसे ही रिचा अवस्थी सर को देखती है रिचा का चेहरा लाल गुलाब की तरह खिल उठता है रिचा उन्हे तब तक देखती रही जब तक प्रोफ़ेसर अवस्थी दोनों के बाजू से गुजर नहीं गए, रिचा का उन्हे इस तरह से देखना कही न कही प्रोफ़ेसर अवस्थी ने भी नोटिस किया पर बिना कुछ कहे वह सीधे चले जाते है इसके बाद रिचा और नयन्सी भी अपनी क्लास मे चली गई रिचा ओर नयन्सी के रोल नंबर एक ही रूम मे होते है,नेहा ओर रितु के दूसरे रूम मे पेपर शुरू हो जाते है ꠰ ‹ Previous Chapterजस्बात-ए-मोहब्बत - 8 › Next Chapter जस्बात-ऐ-मोहब्बत - 10 Download Our App