बदरंग जीवन के उजले rang in Hindi Philosophy by bhagirath books and stories PDF | बदरंग जीवन के उजले रंग

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बदरंग जीवन के उजले रंग

वह अक्सर उन लोगों की रिक्वेस्ट मंजूर करता है जो पत्रकार हो, साहित्य से जुड़े कवि, कथाकार या व्यंग्यकार हो। कलाकार हो तो उनकी रिक्वेस्ट भी स्वीकार कर लेता था। इसी तरह के लोगों को वह फ्रेंड रिक्वेस्ट भी भेजता है। कुल मिलाकार  कंटेंट क्रिएट करने वाले लोग उसे प्रिय है।  कुछ लोकप्रिय धर्म के पार रूह की बात करनेवाले रूहानी लोग भी उसे प्रिय है।     

उसके फेस बुक पेज पर फ्रेंड रिक्वेस्ट चमक रही थी। रिक्वेस्ट भेजनेवाली महिला थी। डी.पी. में फोटो भी आकर्षक थी। हमारे बीच एक कॉमन मित्र भी थी । जिज्ञासावश उसका प्रोफाइल खोला फ्रेंड्स देखे उसमें कोई महिला उसकी मित्र नहीं थी सभी पुरुष मित्र जिसमें अधिकतर अधेड़ उम्र के या बूढ़े। उसका माथा ठनका कि फेक आई. डी. नहीं हो, फिर उसकी पोस्ट पर गया ज्यादातर में उसके प्रोफाइल फोटो थे किसी किसी में कविता और शायरी भी थी। यह देखकर उसने फ्रेंड रिक्वेस्ट स्वीकार कर ली।  

तुरंत ही मेस्सेंजर से सन्देश आया ‘आपका व्हाट्स अप नम्बर’ उसने अपना व्हाट्स अप नम्बर बता दिया।

यह तो हुई कहानी की भूमिका। अब कहानी चलती है आगे।  व्हाट्स अप मैसेज आया ‘वेलकम’ उसने पूछा ‘दीपिका ही हो।’ 

 ‘हाँ डियर’!  उम्र का फासला होते हुए भी डिअर शब्द ने उसे चौंकाया। 

  ‘कैसे हैं?’         

  ‘ठीक हूँ, आप बताइये कैसी हो?’     

  ‘बिलकुल चंगी क्या आपकी सेक्स में रूचि है।’   

  ‘लगता है आप सेक्स में काफी रूचि रखती हैं।’ 

  ‘सेक्स में तो सबकी रूचि होती है संत महात्मा भी इससे दूर नही रह पाते....क्या अभी तुम अकेले हो?’ 

  ‘हाँ बिलकुल अकेला हूँ।’ 

  ‘तो फिर मैं विडिओ कॉल करती हूँ।’ इतने में विडिओ कॉल आ ही गया।                                                                                                                      

  ‘ईट इज डिनर टाइम’ कहकर उसने विडिओ कॉल बंद कर दिया।    

सोचा लोग सोशल मिडिया के सहारे लोगों को फंसाते है, मीठी मीठी बातें करके ब्लैकमेल कर देते हैं। आपके व्हाट्स अप मैसेज का स्क्रीन शॉट लेकर पोस्ट करने की धमकी देंगे। आप अपमान से बचने के लिए उसे आश्वस्त करेंगे कि वह जो चाहती हैं वही करने को तैयार हूँ।  अच्छा है, अच्छे बच्चे की तरह जल्दी मान गए। पहले कुछ छोटी फरमाइशें पेश करेगी जब आप उन्हें पूरा कर देंगे तो फिर बड़ी फरमायशों की ओर अग्रसर होने लगेगी। तब आपका जीवन संकट में फंस जायगा। इस स्टेज पर भी निकल गए तो तुम्हारा नुकसान कम से कम होगा।  नहीं तो आगे गड्ढे में गिरने के लिए तैयार हो जाय, ऐसा सोचते वह सिहर उठा।

हो सकता है मौज मस्ती के लिए महिलाऐं लॉन्ग डिस्टेंस कॉल कर सेक्सुअल टॉक का मजा लेती हो या दो सहेलियां मिलकर आपका पप्पू बना रही हों। हो सकता है, उधर महिला न होकर महिला वेश में पुरुष हों, संभावनाएं अनंत है।

 अब उसे  निर्णय लेना है कि इसे ब्लॉक करना है या बातचीत जारी रखनी है। वस्तुतः वह  घबरा गया था और उसने उसे ब्लॉक कर दिया। बड़ी राहत मिली जैसे पैर का कांटा निकल गया हो। वह तसल्ली से लेटने की तैयारी में था कि किसी और मोबाइल से व्हाट्स अप मैसेज चमका।

यह वही महिला थी ‘नो सेक्सुअल टॉक, ओनली लव एंड नथिंग अदर देन लव।’                                                                                                                            ‘ठीक है’ उसने रिप्लाई किया ‘स्टिक तो योर प्रॉमिस।’                                                                                                                                                      उधर से रिप्लाई आया ‘प्रॉमिस, बाय गॉड प्रॉमिस’.                                                                                                                                                          यानी अब वे एक मुकाम पर आकर ठहर गए थे और उन्होंने  बातचीत को व्हाट्स अप और फोन से जारी रखा।  

उसकी विभिन्न मुद्राओं में आकर्षक तस्वीरें मन मोह लेती थी। सौन्दर्य भला किसे अच्छा नहीं लगता! और उसकी प्रशंसा करने में संतोष मिलता है प्रशंसा करने वाले को और जिसकी प्रशंसा की जा रही है उसे।  आदमी एक एकदम से नहीं खुलता उसे समय लगता है लेकिन स्त्री पहल करे तो वह जरा निश्चिन्त हो जाता है। रोज का क्रम हो गया था आधा घंटा यूँ ही बीत जाता।  गुड फील होने लगता, उसने धीरे-धीरे उसे विश्वास में ले ही लिया और बेधक होकर बातें होने लगी। तय की लक्ष्मण रेखा के पार जाकर एक दूसरे को फ्लर्ट भी करने लगे, रसीली बातों का क्या है करते जाओ!

इन सब बातों का उसके जीवन पर भी प्रभाव पड़ने लगा।  पत्नी के साथ ज्यादा प्यार भरा व्यवहार और उनकी सेक्सुअल लाइफ ज्यादा प्लेजेंट होने लगी।  

पत्नी ने कहा, ‘तुम्हें हो क्या गया है?’ 

‘क्यों तुम्हें अच्छा नहीं लगा?’                                                                                                                                                                                

‘प्यार तो अच्छा लगना ही है लेकिन तुममें यह परिवर्तन आया कैसे ?’                                                       

‘जानना चाहोगी ?’   

 ‘हाँ अवश्य! बताओ भी। ’     

 ‘आज रात मैं तुझे उससे मिलवाऊंगा जिसने यह परिवर्तन ला दिया है।’

रात दस बजे विडिओ कॉल लगाया और उसने पत्नी को पास में बैठा दिया ताकि वह भी देख सके।                                                                                                          ‘आपके पास कौन बैठा है ?’ उधर से आवाज आई।                                                                                                                                                        ‘यह मेरी पत्नी है इनसे मिलिए’ उसने नमस्ते की तो पत्नी ने भी नमस्ते का जबाब दिया।                                                                                                                        नाइटी पहने उसकी पत्नी काफी आकर्षक लग रही थी।                                                                                                                                                        ‘पत्नी तो आपकी सुन्दर है फिर इधर-उधर क्यों भटकते हो?’                                                                                                                                                  ‘तुम्हारे पास ही तो आया हूँ। तुमने प्यारी-प्यारी बातें कर हमारे जीवन में भी प्यार घोल दिया है।’ मैंने उसकी प्रशंसा की।                                                                                  ‘देखो देखो आपके सामने मुझ से प्यार जता रहा है।’ पत्नी चुप रही वह समझ नहीं पा रही थी कि इनके बीच चल क्या रहा है?                                                                           ‘मैं इतनी दूर कलकत्ता में बैठी हूँ तुमसे प्यार नहीं कर सकती लेकिन तुम तो अपनी पत्नी से कर सकते हो जरा करके बताओ मैं भी देखूँ तुम कैसे प्यार करते हो।’  उसने पत्नी की तरफ झुक कर उसे चूम लिया।                                                                                                                                                                                              ‘नहीं, मजा नहीं आया जरा जोर से एक लम्बा किस।’ उधर से आवाज आई।                                                                                                                              उसने पत्नी के होठों को पेसेनेट तरीके से लम्बा किस किया। पत्नी सकपका गई, लजा भी गई, ‘क्या करते हो सबके सामने!’                                                                                 ‘यह हुआ न प्यार! उसने हथेली से एक लम्बा किस उसकी ओर उछाला।                                                                                                                              ‘आओ, तुम दोनों कलकत्ता घूमने आओ बड़ा मजा आएगा।’                                                                                                                                                  ‘जरुर, मौका मिलते ही आएंगे ।’  

स्लीवलेस लो कट टॉप से स्तन झांक रहे थे ‘ये आधे-अधूरे क्या दिखा रही हो पूरे ही दिखा दो।’ उसने टॉप को नीचे खींचा और कहा, ‘लो कर लो दर्शन।’ पूरे के पूरे   दो सॉलिड उरोजों के दर्शन हो गए। पत्नी यह दृश्य देखकर अचंभित हो गई। वह वहां से उठ खड़ी हुई शायद उसका मूड ऑफ़ हो गया था। ‘ऐसी भी स्त्रियाँ होती है जो अपने वक्ष को सबके सामने खोल देती है, कोई वैश्या ही ऐसा कर सकती है वो भी पैसे के लोभ में उसने सोचा।’    

‘नाराज हो गई लगता है।’                                                                        

 ‘हाँ, इस तरह के सीन इसने देखे कहाँ है! मुझे ही आज तक नहीं दिखाए मुझे ही खोलना पड़ता है वह भी नीम अंधेरे में उसे इस तरह पति को आकर्षित करना कहाँ आता है?’                                                               

‘फोटो ही तो देख रहे थे कहीं कोई वास्तविकता तो है नहीं।‘                

‘लेकिन वह तो इसे वास्तविकता ही मानती है।’                                 

 ‘अब जाओ उसे प्यार से बाहुपाश भर कर मनाओ।’                                                                               

 कॉल बंद कर वह अपनी पत्नी की तरफ लपका और उसे बाँहों में भर लिया। उसने बिना कुछ उसकी सुने उसने उसे बेड पर लिटा कर भरपूर प्यार किया। पहले तो कोई रेस्पोंस नहीं था लेकिन बाद में पूरे फोर्स से वह प्यार की प्रक्रिया में लिप्त हो गई।   

वर्चुअल वर्ड में इन महिलाओं ने चैटिंग को टाइम पास का माध्यम बना रखा है। ऐसा वे क्यों करती हैं? हो सकता है वे अकेलापन महसूस करती हो और कुछ रसीली बातों से लोगों को दोस्त बनाकर अपना अकेलापन दूर करती हो। दोस्त भले ही वर्चुअल हो लेकिन किसी स्टेज पर वास्तविक भी हो सकते हैं। उनकी मुलाकात भी हो सकती है। हो सकता है वे दूसरों को उल्लू बनाकर भी मजा लेती हो। उसकी फ्रेंड लिस्ट में जितने अधेड़ लोग थे, जरुर उनका पप्पू बनाया होगा और अब नए शिकार की तलाश में है।        

इस तरह के लोगों का मनोविज्ञान कैसा होगा? जब अधेड़ लोग प्यार जताएं तो कहे यह मुंह और मसूर की दाल, वह कितना लैट डाउन महसूस करेगा और बस इसी में उसका मजा है।  उसे इनके मनोविज्ञान से क्या लेना! कम से कम उनकी लाइफ बना दी। पति-पत्नी को फिर से लगा कि नया विवाह हुआ हो। उसे धन्यवाद करना तो बनता है सो विडिओ कॉल कर धन्यवाद दिया।               ‘तुम्हारी तरह बिंदास और सेक्सुअली खुली हुई नहीं है फिर भी कुछ फर्क तो पड़ा है इसके लिए आपका बहुत-बहुत धन्यवाद।’

‘अरे धन्यवाद तो आप लोगों का जो हमें मजा लेने का अवसर दिया। ये सब शुद्ध मजे के लिए है। निर्मल आनंद !’  

‘तो तुम यह सब मजे के लिए करती हो। 

‘और नहीं तो क्या कौन से हमें इसके पैसे मिलते हैं?  

‘कभी अपनी सहेलियों से भी बात करवाओ।’

‘क्यूँ क्या मेरे से दिल भर गया?’ 

‘अरे वो बात नहीं है जब निर्मल आनंद लेना ही है तो और साथियों को यह आनंद दिलाओ।’ 

‘खूब समझती हूँ तुम मर्दों की जात को तुमको तो हरम चाहिए। है न?‘

‘नहीं तुम गलत समझ रही हो।‘            

‘लालच और लार टपकाना कुत्तों का काम है, समझे।’  

जैसे एक थप्पड़ कसकर मारा हो और फिर निकल गई पतली गली से हमेशा के लिए। आखिर उस औरत ने मुझ मर्द को हाँफता लार टपकाता कुत्ता साबित कर ही दिया। बुरी तरह अपमानित हुआ और निर्णय किया कि इन जैसे टुच्चे लोगों को कभी मुंह नहीं लगाना चाहिए।