Aati Kya Ambala 3 - Last part in Hindi Adventure Stories by S Sinha books and stories PDF | आती क्या अम्बाला - 3 - अंतिम भाग

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आती क्या अम्बाला - 3 - अंतिम भाग

                                                   

                                                           कहानी  -  आती क्या अम्बाला  3  

 

अंतिम भाग 3  - पिछले भाग में आपने पढ़ा कि चेतन और शीला दो बचपन के दोस्त युगांडा से विस्थापित होने के काफी बाद गोवा में मिले थे  . दोनों ने अपनी अपनी कहानी सुनाई , अब आगे ….

 

 “ हाँ , तुम्हारा कहना भी कुछ हद तक ठीक है . वहां हजारों लोग जा रहे थे . सब को  नौकरी तो मिलती नहीं , कुछ सरकारी दान मिलता . जो पढ़े लिखे नहीं थे उन्हें  बाद में जैनिटर जैसी कोई नौकरी ही मिलती , वह भी काफी पापड़ बेलने के बाद  .  चलो जो भी होता है अच्छा ही होता है वरना तुम से कैसे मिलता . “

 डिनर के बाद मैंने उस से  कहा "चलो , आइसक्रीम पार्लर में आइसक्रीम खाते हैं और तुम्हें होटल तक छोड़ देते हैं."

 हम दोनों आइसक्रीम खाते हुए पैदल ही निकल पड़े .रास्ते में मैंने पूछा  " तो तुमने इस प्रोडक्ट के मॉडलिंग के बाद क्या सोचा है ? 


“ फ़िलहाल मॉडलिंग कर कुछ पैसे कमाऊँ और फिल्मों में किस्मत आजमाऊँ  .” 

 “ इसके अलावे अपने फ्यूचर के बारे में ? “ 

 
“ और  किस बारे में ?  वैसे मैंने अभी आगे के लिए और कुछ नहीं सोचा है  .“ 

 “ मेरा मतलब  तुम्हारी शादी के बारे में ? आखिर तुम्हारी मम्मी भी तुम्हें शादीशुदा और सेट्ल देखना पसंद करेंगी  न ."

 
शीला बोली  " अभी तो लगभग छः महीने तक मैं इसी प्रोडूसर के कॉन्ट्रैक्ट में बँधी  हूँ . इस प्रोजेक्ट की सफलता पर मेरा भविष्य निर्भर है . अगर नहीं चली तो ये खूसट निर्माता लात मार के निकाल भी सकता है क्योंकि मेरा उपयोग तो वह कर ही रहा है , मुझसे मोटी  कमीशन खा रहा है . मैंने और भी लड़कियों को इसके आगे पीछे दौड़ते देखा है  .और बुढ्ढे ने मुझे इंडायरेक्टली कहा है कि ये नयी लड़की उसकी सभी शर्तें मानने को तैयार हैं . मेरा मतलब समझ रहे हो न तुम ?  “

 
मैंने हाँ कहा  . कुछ देर तक दोनों खामोश रहे फिर मैंने ही कहा “ चलो अब छः महीने में तुम्हें उससे छुटकारा मिल जायेगा . “

 “  तुम्हारा कहना भी सही है चेतन , इधर घर पर माँ हाथ धो के मेरे पीछे पड़ी है , मेरे हाथ पीले करने के लिए . उनका कहना है  है कि बिना शादी किए और बिना माँ बने औरत का जीवन अधूरा है . “ 

 
“ माँ ने बिल्कुल सही कहा है  .” 

 मेरे इतना कहने पर वह बोली “ माँ का कहना है कि उसके जीते जी शादी कर लूँ वरना न तो वह चैन से जी सकेगी और न ही चैन से मर सकेगी .अब तुम्ही बोलो मुझे क्या करना चाहिए ?  "

 मैंने कहा "  अगर व्यवहारिक दृष्टि से देखो तो तुम्हारी माँ ने ठीक कहा है. पर व्यापारिक दृष्टि से अभी तो  तुम कॉन्ट्रैक्ट से बँधी हो .हाँ कॉन्ट्रैक्ट से मुक्ति के बाद तुम्हें गंभीरता से सोचना होगा अपने जीवन का  उद्देश्य . आखिर तुम्हारे लिए ज्यादा मायने क्या रखता है  . सफल मॉडल बनना चाहोगी या फिल्मों में चांस मिला तो वहां जाओगी या  फिर शादी कर के घर बसाओगी ."


शीला ने कहा " अगर कॉन्ट्रैक्ट से मुक्ति मिल भी जाए तो मैं जिस प्रोफेशन में हूँ, और मेरा पास्ट जानने के बाद जल्दी कोई अच्छा लड़का मिलना बहुत कठिन है . आमतौर पर सभी यही मानते हैं कि इस प्रोफेशन में सर्वाइव करने के लिए सभी लड़कियों को कम्प्रोमाइज करना पड़ता है  .  अगर कोई लड़का मुझे मिलेगा तो ज्यादतर चांस है कि वह भी इसी प्रोफेशन का ही  होगा  . बट सम हाउ मुझे खुद ऐसे लड़के पसंद नहीं हैं  . "
  मैंने पूछा " अगर तुम्हें इस लाइन से अलग कोई लड़का मिल जाए तो ? "

 
शीला बोली  " अभी कॉन्ट्रैक्ट तो ख़त्म हो . वैसे तुम्हारा मतलब क्या है ?. अभी तो कुछ ही घंटे हुए हमें मिले और तुम मेरी शादी के लिए क्यों चिंतित हो ?  . “ 

 
“ कभी कभी पल भर में कुछ ऐसा हो जाता है जिसकी हमें कल्पना भी नहीं होती  . “ 

  “ हाँ , जरूर होता है , जैसे हम दोनों का मिलना  . “   इतना बोल कर शीला मेरी तरफ देख मुस्कुरा रही थी 


“ क्या मुझसे मिलते ही प्यार हो गया है तुम्हें ? या स्कूल से ही  . कहीं स्कूल में जो तुमने जो लिखा था वो सच तो नहीं था ? “ 

 
“ उस समय तो बिना सोचे समझे लिखा था , नादानी कहो या शैतानी ? “ 

 
“ और अब अचानक ऐसा क्या हो गया है कि मुझ पर प्यार उमड़ आया है ? “ 

 
“ अक्सर लव एट फर्स्ट ग्लांस हो जाता है न , वही समझो  . “ 

 
“ अब तुम्हें फैसला करना है कि क्या तुम मुझे पसंद करती हो या नहीं  . तब समझ लो तुम्हारे लिए एक ऑप्शन मैं भी एवेलेबल है  . “  मैंने कहा 


“ क्या मतलब तुमने मेरे लिए कोई और भी लड़का  ढूँढा है , ऑप्शन से तुम्हारा  क्या मतलब है ? "

 
"सॉरी , बट मेरे लिए एकमात्र ऑप्शन तुम ही हो " मैंने मुस्कुरा कर कहा .

 
  " यू नॉटी ! फिर वही स्कूल वाली बात " उसने कहा .


  मैंने कहा " नो शीला , मैं  मजाक नहीं कर रहा हूँ  . मैं सीरियसली बोल रहा हूँ . हम दोनों की ज़िन्दगी शुरु से ही कठिन दौर से गुजरी है .अगर कभी मॉडलिंग की दुनिया से बाहर निकल कर तुम्हें जीवन साथी की जरुरत पड़े तो मेरा दर खुला है और खुला ही रहेगा तुम्हारे लिए  . “ 


“ अरे तुम तो बिल्कुल फ़िल्मी अंदाज़ में बोल रहे हो  . “  

. नो शीला , आई ऍम नॉट किडिंग  . बल्कि ऐसी हालत में मैं तो चाहूँगा तुम भी अपना दिल्ली वाला बिज़नेस अम्बाला शिफ्ट कर लो .हमलोग दोनों बिज़नेस को मिला कर एक नया आयाम दे सकते हैं . "

 
शीला का होटल आ गया था . उसकी दिल्ली की  फ्लाइट कल शाम की  थी और मुझे एक दिन और रुकना था . तो अगले दिन हमलोग लंच पर फिर मिले .मैंने अपना कार्ड उसको दिया और कहा  " आती क्या अम्बाला ? "
उसने भी अपना कार्ड मुझे दिया और कहा  " कम्पाला से अम्बाला इतनी जल्दी कैसे आऊँगी ? वेट एंड वाच . हमलोग संपर्क में रहेंगे ."


इस बीच हुम दोनो अक्सर फोन पर बातें करते रहे . अम्बाला से दिल्ली ज्यादा दूर भी नहीं तो  मैं दो तीन बार शीला के घर दिल्ली भी गया  . वहाँ शीला की मम्मी ने कहा “ तुम चेतन हो न ? वही जो शीला के साथ स्कूल में पढ़ते थे  . शीला ने गोवा से लौटने पर मुझसे तुम्हारे बारे में बताया था   . “ 


मैं कुछ नर्वस हो गया इस डर से कि कहीं स्कूल वाली बात से मम्मी अभी तक नाराज तो नहीं हैं  . तभी मम्मी ने कहा “ तुम तो यूगांडा वाली घटना से भली तरफ वाकिफ हो  . वहां मेरा क्या तमाशा बनाया था उन दरिंदों ने ? बेटा , दूध का जला मठ्ठा भी फूंक कर पीता है  . इसीलिए मैं अंदर ने नहीं चाहती हूँ कि शीला फिल्मों या मॉडलिंग में जाये  . कहीं कुछ ऊँचनीच हो जाये तब मैं तो मर जाऊँगी  . “ 

 
शीला भी वहीँ खड़ी थी , उसने कहा “ मम्मी मैंने तुम्हें भरोसा दिलाया था न कि मैं ऐसा वैसा कोई काम नहीं करूंगी , जरूरी हुआ तो यह प्रोफेशन छोड़ दूँगी  . तुम नाहक परेशान होती हो और मुझे भी परेशान करती हो  . “ 

 
लगभग दो  महीने ही बीते होंगे कि अचानक शीला का फोन आया उसने कहा " चेतन , मैं शीला बोल रही हूँ .  क्या हाल है  ?  “

 
“ अपना तो ठीक है , तुम बोलो  . क्या सोचा है मेरे प्रोपोजल पर . “

“ उस खूसट बुड्ढे ने मुझे कॉन्ट्रैक्ट से मुक्त कर दिया और कहा कि मैं मॉडलिंग या एक्टिंग के लिए नहीं बनी हूँ . उसने नयी लड़की को फंसा लिया है . "


मैंने फोन पर कहा " तो इसे मैं अपना सौभाग्य समझूँ ? " और फिर पूछा " आती क्या अम्बाला ? "

 
हम दोनों  फोन पर हँस पड़े थे .उधर से शीला ने कहा "  मैं कंपाला से आखिर अम्बाला आ ही गयी  हूँ  .  एयरपोर्ट से ही कॉल कर रही हूँ ."

 
“ क्या तुम्हारी मम्मी भी आयी हैं ? “

 
“ तुमने तो सिर्फ मुझे अम्बाला आने को कहा था . “

 
“ मैंने सिर्फ आने के लिए ही नहीं कहा था , मेरा मतलब है तुम लोग दिल्ली से यहीं शिफ्ट कर जाओ हमेशा के लिए और सभी यहीं साथ रहेंगे . “

 
“ तुमने ऐसा कभी नहीं कहा था .  “ 
“ अरे बाबा कुछ बातें बिट्वीन द लाइन्स पढ़नी पड़ती हैं  . मेरी समझ में तुम इतनी नादाँ नहीं हो और सब समझ रही होगी  .  “

 
शीला ने हँस कर कहा “ मैं बेवक़ूफ़ हूँ पर उतना नहीं जितना तुम समझते हो .  मैं सादे पेपर पर बिना लाइन के भी पढ़ लेती हूँ . मैं अपने सभी जरूरी सामान  के साथ आयी हूँ . अभी जस्ट प्लेन से उत्तरी हूँ  . मुझे हेल्प करने आ रहे हो या मैं अकेली खुद तुम्हारे घर आऊँ  ? “

 
“ मेरे आने में आधा घंटा लग जायेगा तब तुम अपने लगेज कलेक्ट करो . जरूरी हो तो पोर्टर ले लेना . “

 
मैं जब एयरपोर्ट पहुँचा उस समय शीला कार्ट में अपने सामान ले कर गेट से निकल ही रही थी . रास्ते में मैंने शीला से पूछा “मम्मी का क्या प्रोग्राम है ? “

 
“ मम्मी ने अपना सभी बिजनेस और थोड़ी बहुत प्रॉपर्टी जो थी उसे बेच दिया है . एक दो दिनों में वह भी कार से अम्बाला आ रही है . “

 
मैंने हँसते हुए कहा “ आखिर कम्पाला से अम्बाला आ ही गयी . “   

 
 समाप्त 

                    
नोट - कहानी पूर्णतः काल्पनिक है  .