Jog likhi - 3 in Hindi Love Stories by Sunita Bishnolia books and stories PDF | जोग लिखी - 3

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जोग लिखी - 3

बुआ से मजाक करते हुए शगुन ने दादी की तरफ मुँह करके कहा - "दादी अभी हम पुतुल से बात कर रहे थे वो बता रही थी कि बुआ, फूफा जी को डाँट-फटकार कर आई है यहाँ पर ।’’
‘‘तो क्या हम उनकी डाँट सुने....’’ मुँह फुलाकर बोलती हुई लाली बुआ के दिमाग की बत्ती अचानक जली और वो बोली- ‘‘तो तू पुतुलिया से बतिया रही थी।’’
‘‘तो क्या?, आप क्या समझी?, आपके दामाद से बतिया रहे थे! अभी मिले नहीं, मिलते ही करवाते हैं आपसे बात ।’’ कहती हुई शगुन छत पर जाने के लिए सीढ़ियाँ चढ़ गई और उसकी खिलखिलाहट गूंज उठी पूरे मौहल्ले में।
‘‘मैं बताती हूँ तो को’’ - कहती हुई बुआ भी धीरे-धीरे चल पड़ी उसके पीछे।
दूसरी तरफ..... सागर को मन ही मन मुस्कुराता देखकर- छोटा भाई शंभू बोला- ‘‘क्या बात है भईया जब से हम आए हैं तब से हम देख रहे हैं या तो आप बहुत खोए रहते हो या मुस्कुराते रहते हो। हमारे लिए भाभी पसंद कर ली है क्या ?’’
सागर पर तो शंभू की बातों का जैसे असर ही नहीं हुआ, वो अभी भी गुम है किसी के ख़्यालों में।’’ उसने भाई की तंद्रा भंग करते हुए कान में कहा-
‘‘ साधु तो कई देखे पर तपस्या में लीन साधु को इस तरह मुस्कुराते हुए हमने पहली बार देखा है।’’
शंभू के अचानक कान में बोलने पर सागर सपनों की दुनिया से बाहर आ गया और उसने हाथ के नीचे रखी किताब को तकिए के नीचे छिपाते हुए कहा- ‘‘क्या मतलब है तुम्हारा, कौन साधु कैसा साधु ?’’
सागर के इसतरह किताब छिपाने पर शंभू को शरारत सूझी और उसने झट तकिए के नीचे से किताब निकाल ली। किताब में लड़की की तस्वीर देखकर उसकी आँखें फटी की फटी रह गई। उसे विश्वास नहीं हुआ ये वही सागर भैया हैं जो लड़कियों से बात करना तो दूर उनके नाम से ही घबराते हैं।भैया इतने अंतर्मुखी हैं कि जब तक बहुत जरूरी ना हो किसी से बोलते भी नहीं..यही सोचते हुए शंभू बोला -
‘‘अहा! तो ये बात है, इनके खयालों में डूबे रहते हैं हमारे भाई साहब.. क्यों भैया? "

शंभू बोलता जा रहा है और सागर चुपचाप उसकी बातें सुन रहा है,आखिर मामा-मामी के बाद छोटा भाई शंभू ही तो है जिसके साथ वो अपनी हर बात साझा कर सकता है।बहुत कुछ कहना चाहता था वो पर चाहकर भी कुछ नहीं बोल पाता।
शंभू है कि चुप होने का नाम ही नहीं ले रहा वो तो बस बोले जा रहा है -
"जब ही हम कहें रात को जल्दी सोने वाले हमारे भईया देर रात तक क्यों जाग रहे हैं।"
सागर उसके हाथ से फोटो लेने की कोशिश करता है पर शंभू अपना हाथ ऊपर कर फोटो की तरफ देखते हुए कहता है - "
"तो क्या आप ही हैं वो जिसने हमारे भोले-भाले और शर्मीले भाईसाहब की रातों की नींद खराब कर दी । ’’
" शश्श.... चुप कर शंभू, जो तू सोच रहा है वैसा बिल्कुल नहीं है।
"अच्छा! तो फिर ये फोटो इस किताब में…! "
" गोर से देखो, पासपोर्ट साइज फोटो है।"
"हाँ तो.. "
क्रमशः..
सुनीता बिश्नोलिया