Chep 2
नमस्ते दोस्तो केसे है आप , तो मे आपसे फिर से मिल रही हूं क्या आज कल मा बाप पढ़ पाते है अपने बच्चो का मन? का part 2 के साथ।
तो चलिए आज भी में आपको ले चलती हु मेरे मन की बातो से आपके बच्चे के मन की ओर , तो अपना चाई या फिर कोफी का कप हाथ मे लीजिए ओर मेरी बाते पढ़ना चालू कीजिए ..... तो हाल ही ने १२ ओर १० के बोर्ड एग्जाम खतम हुए है , मे आशा करती हूं आप सब के बच्चो के एग्जाम अच्छे गए होंगे , तो इस परीक्षा मे कुछ parents ने अपने बच्चो को केसे treat किया होगा चलिए देखते है,
जिनके बच्चो ने इस बार बोर्ड की परीक्षा दी है उनमें से कुछ कुछ मा बाप ने अपने बच्चो से कहा होगा इस बार मुझे किसी भी हालत में 90% चाहिए ही चाहिए , अगर तुम्हारे 90% मार्क्स नहीं आए ना तो तभी से तुम्हारा खेलना कूदना , फोन चलाना सब बंध , बस इस जगह , यही से इसी point पर आपके प्यारे बच्चे की depression मे जाने की शरुआत हो जाती है , यह बात बोलके आपने बच्चो के मन में एक tension का बीज बो दिया है , अब आपके बच्चे दिन रात यही सोचते रहेंगे की अगर मम्मी पापा ने कहे उतने पर्सेंट नहीं ला पाए तो क्या होगा?
माता पिता अपने बच्चो पर highest marks लाने का इतना ज्यादा प्रेसर बना देते है कि बच्चे हसना बोलना , मुस्कुराना, खेला कूदना , मस्ती करना सब भूल जाते है माता पिता चौबीसों घंटे उन पर नजर रखना चालू कर देते है कहीं बच्चा फोन तो नहीं चला रहा , कही दोस्तो से बाते तो नहीं कर रहा , वह उन्हे सिर्फ पढ़ाई करने का प्रेसर देते रहते है , उन पर चिल्लाते रहते है कि बस पढ़ो ,कुछ माता पिता अपने बच्चों के मार्क्स कि तुलना दूसरे के बच्चो के साथ करते है कि उसे 95% आए है ओर तुम्हे सिर्फ 70 या 60% । बच्चा अगर कुछ मांग ले तो माता पिता कहते है अगर तुम्हारे इतने पर्सेंट आए तो ही मिलेगा हर बात वह पढ़ाई से जोड़ देते है।
बस यही माता पिता गलती करते है ओर इसका परिणाम होता है कि बच्चे का depression मे चले जाना , बच्चो का suiside कर लेना, बच्चो का स्वभाव चिड़चिड़ा रहने लगना , बच्चो का हसना खेलना मुस्कुराना बंध हो जाना। आप ऐसे माता पिता मेहरबानी करके मत बनना , ऐसे समय पर बच्चो के दोस्त बनना नाकी उनके साथ दुश्मन जेसे बर्ताव करना , जब बच्चा बहुत देर से पढ़ रहा हो तो उनके पास जाइए उनसे थोड़ी बाते कीजिए उनके साथ हसिए , मस्ती कीजिए थोड़ी ताकि उनका दिमाग पढ़ाई के साथ fresh भी रहे ।
जब वह २ घंटे पढ़ले तो उनको कहिए की थोड़ा फोन चला लो बेटा या फिर दोस्तो से बाते कर लो या फिर मिल लो जा कर। ये सारी छोटी छोटी चीजों से बच्चो का मन अच्छा रहेगा उन पर पढ़ाई का प्रेसर नहीं बनेगा ओर ना ही उनके मन में कोई बुरे विचार आयेंगे , ओर एक बहुत महत्व की बात बच्चो से बोलिए की बेटा तुम पढ़ो लिखो मेहनत करो ओर फिर जितने पर्सेंट मार्क्स आयेंगे चलेगा ऐसा नहीं है कि 90% ही चाहिए।
बस इतना बोलिएगा आपका बच्चा stress free पढ़ाई करके अच्छे मार्क्स लाएगा उसके मन पर 90% का कोई बोझ नहीं रहेगा ।
ओर दूसरे के बच्चो से कभी तुलना मत कीजिए। हर बच्चे के अंदर अलग अलग अपनी एक खासियत होती है कोई पढ़ाई मे अच्छा है तो कोई चित्रकारी में कोई खेल कूद मे तो कोई दूसरी प्रवृत्ति मे ऐसा नहीं है कि सिर्फ बच्चा पढ़ाई मे अव्वल आना चाहिए । अगर एक दोस्त के तरह बच्चो के साथ रहेंगे ना तो देखना आपके बच्चे के अंदर अपने माता पिता की रिस्पेक्ट ओर बढ़ेगी उसे भी लगेगा नहीं मेरे माता पिता मुझे समझते है , मेरी बातो को समझते है।
तो चलिए आपने अपनी चाई खत्म करली होगी मे भी आपसे विदा लेती हु , तो मेरी इस बात को ओर अच्छे से समजनें के लिए में लेकर आने वाली हु एक कहानी अगले भाग में तब तक आप अपने बच्चो से वो बोल दीजिए जो मेने कहा है।😊