The Author dinesh amrawanshi Follow Current Read जस्बात-ए-मोहब्बत - 7 By dinesh amrawanshi Hindi Love Stories Share Facebook Twitter Whatsapp Featured Books ભીતરમન - 55 હું દીપ્તિને મળ્યાં બાદ અમારા જમાઈ આશિષને પણ મળ્યો હતો. એકદમ... ભારતીય સિનેમાનાં અમૂલ્ય રત્ન - 2 આશાજી પાર્શ્વ ગાયનના ક્ષેત્રમાં ‘લિવિંગ લિજેન્ડ’ આશા ભોસલે જ... કંગુવા કંગુવા- રાકેશ ઠક્કર એમ કહેવાતું હતું કે ‘કંગુવા’ થી બ... નિયમિત મંદિર જવાના વૈજ્ઞાનિક ફાયદા નિયમિત મંદિર જવાના વૈજ્ઞાનિક ફાયદા કહેવાય છે કે ભગવાનની પૂજા... મારા અનુભવો - ભાગ 18 ધારાવાહિક:- મારા અનુભવોભાગ:- 18શિર્ષક:- ફરી ફોલ્લા પડ્યાંલેખ... Categories Short Stories Spiritual Stories Fiction Stories Motivational Stories Classic Stories Children Stories Comedy stories Magazine Poems Travel stories Women Focused Drama Love Stories Detective stories Moral Stories Adventure Stories Human Science Philosophy Health Biography Cooking Recipe Letter Horror Stories Film Reviews Mythological Stories Book Reviews Thriller Science-Fiction Business Sports Animals Astrology Science Anything Crime Stories Novel by dinesh amrawanshi in Hindi Love Stories Total Episodes : 16 Share जस्बात-ए-मोहब्बत - 7 (2) 1.5k 3k ठीक है चलो और चारो कैंटीन चले जाते है कैंटीन मे बैठ कर चारो मस्ती करते है एक दूसरे की टांग खिचते है नेहा कहती है रितु तेरा आकाश तो यहा है नहीं तो रितु कहती है तो क्या हुआ आ जाएगा कुछ दिन मे तो नयन्सी कहती है क्यू तुझे उसकी याद नहीं आ रही क्या,रितु कहती है चल न यार याद करके कोन सा मैंने देवदास बनना है फिर रितु कहती है नयन्सी तेरा वाला तो यही है न इसी कॉलेज मे,तो रिचा कहती है तुम यार एक दूसरे की टांगें खिचना बंद करों अब चलें हाल टिकिट लेना है तो फिर चारों ऑफिस की ओर जाती हैं ऑफिस पहुँच कर हाल टिकिट लेते है और क्लासेस तो होती नहीं है तो नेहा ओर रितु हॉस्टल चली जाती है नयन्सी ओर रिचा घर के लिए निकाल जाती है रास्ते मे नयन्सी रिचा से कहती है रिचा तू अवस्थी सर को बता क्यू नहीं देती की तू उन्हे पसंद करती है उनसे प्यार करती है रिचा कहती है नहीं यार नयन्सी अभी नहीं,अभी मैं सिर्फ पेपर्स मे ध्यान देना चाहती हूँ तो नयन्सी कहती है मुझे पता है कि तू पढ़ाई पे ध्यान देना चाहती है पर क्या तू खुद को कंट्रोल करके पेपर्स की तैयारी कर पाएगी रिचा कहती है यार नयन्सी करना तो पड़ेगा ओर फिर दोनों नयन्सी की कॉलोनी पहुँचते है रिचा नयन्सी को छोड़ कर घर चली जाती है रिचा घर पहुँचती है और माँ को आवाज लगाती है माँअअअअ तो अंदर से आवाज आती है हा रिचा आ गई तू रुक मैं कॉफी लाती हूँ पता है तू कॉफी ही मांगेगी रिचा कहती है ओ___मेरी प्यारी माँ,ये ले तेरी कॉफी,थैंक यू माँ,रिचा बेटा कॉफी पीले ओर फ़्रेश हो जा,जी माँ और रिचा कॉफी पीकर अपने रूम मे चली जाती है रिचा बाथरूम से फ़्रेश होकर निकलती है और अपनी बुक लेकर बैड पर लेट जाती है और पढ़ते पढ़ते प्रोफ़ेसर अवस्थी के ख़यालों मे खोई सी जाती है तभी रिचा सपने मे देखती है कि रिचा अवस्थी सर के साथ दोनों किसी गार्डन मे बैठे रिचा कहती है सर क्या आप जानते थे कि जब आप क्लास लेने आते थे तो मैं आपको देखा करती थी प्रोफ़ेसर अवस्थी कहते है रिचा तुम मुझे प्रतीक बुला सकती हो लेकिन सिर्फ तब जब हम अकेले हो और हा मैं जनता था कि तुम पढ़ाई पे कम मुझमे ज्यादा ध्यान देती हो पर इसका ये मतलब नहीं की तुम्हारा सारा ध्यान सिर्फ मुझ पर ही हो ओके,रिचा कहती है जब आप सामने होते हो तो मुझे आपके सिवा और कुछ दिखता ही नहीं किसने कहा था आपसे मेरे दिल मे इस तरह उतर जाने को कि मुझे आपके अलावा कुछ याद ही न रहे,प्रोफ़ेसर अवस्थी कहते है देखो रिचा मैं तुम्हारे साथ ही हूँ पर तुम्हें अपनी पढ़ाई पे ज्यादा ध्यान देना होगा जिस तरह से तुम्हारा सपना है एक अच्छी डॉक्टर बनने का मैं भी चाहता हु की तुम अच्छी डॉक्टर बनो तभी रिचा की माँ उसे जागती है रिचा,रिचा बेटा उठ खाना खाले रिचा नींद से जागती है क्या माँ सोने दो न तो माँ कहती है पहले खाना खाले बेटा फिर तुझे पढ़ाई भी तो करनी है तेरे पेपर चालू होने वाले है न तो रिचा उठती है, माँ आप चलो मैं मुह धोकर आती हूँ ‹ Previous Chapterजस्बात-ए-मोहब्बत - 6 › Next Chapter जस्बात-ए-मोहब्बत - 8 Download Our App