Jasbat-e-Mohabbat - 5 in Hindi Love Stories by dinesh amrawanshi books and stories PDF | जस्बात-ए-मोहब्बत - 5

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जस्बात-ए-मोहब्बत - 5

कहते है दिल पे किसी का एख्तियार होता कहा है,करने से दुनिया मे प्यार होता कहा है,रिचा दिल ही दिल प्रोफ़ेसर अवस्थी को पसंद करने लगती है ये बात रिचा मानती ही नहीं है और प्रोफ़ेसर अवस्थी कि क्लास शुरू हो जाती है प्रोफ़ेसर बोर्ड पर स्टूडेंट्स को पढ़ाते है रिचा थेओरी समझ तो रही होती है पर साथ ही साथ रिचा का ध्यान प्रोफ़ेसर कि ओर भी जाता है ये देख कर नयन्सी रिचा को छेड़ती है,हा,हा देखले अच्छे से, देख तू मान या न मान पर तू प्रोफ़ेसर अवस्थी को चाहने लगी है तो रिचा कहती है तू मेरी टांग खिचना बंद कर और पढ़ाई मे ध्यान, दे अच्छा बच्ची तू क्लास के बाद मिल तो रिचा कहती है अच्छा मेरी माँ मिल लेना अभी पढ़ाई कर लें और इतने मे क्लास खत्म हो जाती है रिचा बाकी क्लासेस अटेण्ड करती है और फिर नेहा,रितु को बाए कह कर नयन्सी और रिचा घर की ओर निकल जाती है रास्ते मे नयन्सी रिचा से उसके प्यार के बारे मे बात करती है नयन्सी कहती है रिचा एक बात पुछू तो रिचा कहती है हा पूछ,तो नयन्सी कहती है रिचा सच सच बताना तू अवस्थी सर से प्यार करती है न तो रिचा कहती है पता नहीं यार ये प्यार है या कुछ और पर पता नहीं क्यू जब भी मैं अवस्थी सर को देखती हूँ मेरी नज़रे उन पर से हटती ही नहीं उन्हे देख कर एक अलग ही ख़ुशी का एहसास होता है ऐसा लगता है मानो बस मैं उन्हे देखती ही रहूँ तो नयन्सी कहती है तू इतना सब कुछ महसूस करती है पर तुझे नहीं पता कि इसे क्या कहते है अरे मेरी जान इसे प्यार कहते है तू कब इस बात को मानेगी कि तू अवस्थी सर से प्यार करती है रिचा कहती है यार नयन्सी शायद तेरा कहना सही है पर ये भी सच है कि एक अच्छी डॉक्टर बनना भी मेरा सपना है जो हर हाल मे मुझे पूरा करना है और हो सकता है कि मेरा यही प्यार मुझे मेरी राह से भटका दे और मैं ऐसा होने नहीं देना चाहती यार,ओके चल घर आ गया कल मिलते है और रिचा नयन्सी को बाए कहती है तो नयन्सी कहती है यार रिचा एक बार मेरी बातों पर गौर जरूर करना,अच्छा बाबा चल अब बाए रिचा नयन्सी से कहती है ꠰

रिचा घर के अंदर जाती है और शोफ़े पे धड़ाम से बैठती है और चिल्लाती है मम्मीईईईईईई कॉफी प्लीज तो अंदर से आवाज आती है लाती हु मेरी शेरनी, आ गई तू और थोड़ी देर मे मम्मी कॉफी लेकर आती है ये ले तेरी कॉफी फिर माँ कहती है क्या हुआ आज बहुत थकी थकी सी लग रही है सब ठीक है न रिचा कहती हाँ मम्मी सब ठीक है ओर रिचा अपनी कॉफी खत्म करके अपने रूम मे चली जाती है ओर फ्रेश होने जाती है ओर बाथरूम मे ही नहाते नहाते नयन्सी की बातों को याद करती है फिर रिचा बाथरूम से बाहर आती है और आईने के सामने बैठ कर अपने बाल सवार रही होती है आईने मे खुद की स्माइल देख कर प्रोफ़ेसर अवस्थी के ख़यालों मे खो जाती है