प्रकाश के चले जाने के बाद सेठ धर्मदास अपनी बेटी ज्योती से पहल किये . . .
ज्योती आज जो भी हुआ अच्छा नहीं हुआ . . . अब तुम्हारा झगड़ा सीर्फ तुम दोनों तक ही सीमित नहीं है , क्योंकि इस झगड़े का मुल वजह राहुल और कल्पना की बेटी निकी का है वे दोनों प्रेम करते हैं , मैं यही सोचकर चिन्तित हूँ , वर्षों वाद आज फिर से रिश्ते में भूचाल आया है , इसका प्रभाव राहुल के जिन्दगी पर पड़ेगा ...
हाँ पापा आप ठीक कह रहे हैं उस दिन जो भी हुआ बीत गया और सब कुछ अब सामान्य हो रहा था ।
हाँ पापा मैं आपकी बातों से पूर्णतः सहमत हूँ , और राहुल को भी हमने सतर्क कर दिया कि देखो राहुल तुम कल्पना की बच्ची से दूर रहना , क्योंकि वह तुम्हें अपने प्रेम जाल में फंसाकर अपना बना लेगी , वर्षों पहले उसकी माँ ने हमारे साथ वही किया जो आज वह कर रही हैं . . .
मैं क्या कहूँ क्या नहीं कहूँ मेरे समझ से परे है ।
पता नहीं कहाँ से अचानक यह सुबह-सुबह टपक गया , उसका माता तो पहले से ही खराब है , साथ ही साथ हम लोगों को भी उलझन में डाल दिया . . .
घंटो तक इसी बात पर उनकी चर्चा चलती रही , घंटों बाद जब खाना खाने के बाद दोपहर में ज्योती अपने रूम में आराम करने आई तो उसके दिमाग में प्रकाश के द्वारा कही बातों का सरगम चलने लगा ।
देखो ज्योती राहुल सिर्फ तुम्हारा बेटा नहीं है उस पर हमारा भी उतना ही अधिकार है जितना तुम्हारा है , क्योंकि अगर तुम राहुल की माँ हो तो मैं भी राहुल का पिता हूँ , वर्षों तुमने हमें पुत्र प्रेम से अनभिग्य रखी लेकिन अब मैं ऐसा नहीं होने दूंगा . . .
राहुल और निकी दोनों एक दूसरे से प्रेम करते हैं , और प्रेम में बहुत शक्ति होती है लाख बंधन लगाने के बाद भी दोनों एक हो जाएंगे और अगर कुछ कमी रहीं तो मैं उन दोनों को एक करके रहूंगा . . . कहीं ऐसा ना हो कि तुम देखती रह जाओगी और दोनों आपस में शादी के बन्धन में बधाई जाये . . .
प्रकाश की कही बातें ज्योती के दिमाग में चलचित्र की तरह चलने लगी . . .
राहुल निकी को अपना बना कर इस घर में लेकर चला आया तो . . .
नहीं नहीं ऐसा नहीं होगा मुझे राहुल पर विश्वास है और मैंने तो राहुल को साफ साफ समझा दी हूँ कि तुम चाह कर भी उससे शादी नहीं कर सकते क्योंकि इस प्रेम का कोई आधार नहीं है . . . मेरा राहुल समझदार है ऐसा कभी नहीं करेगा वह व्यर्थ की बातें सोचने लगी ।
इधर प्रकाश ज्योती से झगड़ा करके अपने घर वापस आ गया , प्रकाश दोपहर का खाना नहीं खाया क्योंकि वह काफी परेशान था ।
दोपहर की चिलचिलाती धूप धीरे-धीरे कम होने लगी और शाम होने लगी . . .
वह अपना मन बहलाने के लिए बाबा मिश्री दास के आश्रम बनारस सागर घूमने चला आया ।
बनारस सागर के किनारे पर स्थीत बाबा मिस्त्री दास महाराज का रमणीक मटिया है , जहाँ हनुमान मंदिर के साथ-साथ शिव मंदिर और राम लक्ष्मण जानकी और हनुमानजी की मूर्ति स्थापित है , यहां बाबा मिश्री दास जी महाराज के साथ साथ हमेशा कोई न कोई साधु संत रहते हैं , अक्सर वहाँ संतों का सत्संग होता रहता है . . .
इस बार सत्संग में प्रसिद्ध संत त्यागी जी महाराज का गीता वाणी पर प्रवचन था , वहाँ एक बड़े से पंडाल में त्यागी जी को बैठकर प्रवचन बोलने के लिए एक छोटा सा स्टेज भी बना था और नीचे फर्श पर लंबा चौड़ा लाल रंग का कारपेट बीछा था , एक तरफ पुरुषों को बैठने के लिए तथा दूसरी तरफ महिलाओं और बच्चों के बैठने का बंदोबस्त था ।
आज प्रकाश भी वहाँ संयोग से पहुंच गया और त्यागी जी के सत्संग में बैठने का उसे सौभाग्य प्राप्त हुआ . . .
चंद समय बाद त्यागी जी प्रवचन देने के लिए अपने पंडाल के अंदर आकर अपने आसन पर विराजमान हुवें , सावला रंग , लंम्बी दाढ़ी और सिर पर जटा , उनके माथे पर स्पष्ट तेज झलक दिख रहा था और भागवती गीता के अच्छे जानकार भी हैं , वहाँ पर मौजूद सबकी निगाहें उनके तरफ उनके मुखारविन्द से गीता की वाणी सुनने के लिए उत्सुक होने लगे और उत्सुक मन से उनकी तरफ देख रहे थे , तभी उनके मुख से आवाज निकली ,
यहाँ उपस्थित माताओं , बहनों ,भाईयों और बच्चों आप लोग आदर श्रद्धा और विश्वास के साथ आज इस पंडाल में गीता का प्रवचन सुनने के लिए उपस्थित हुए हैं , यह आपका सौभाग्य है और साथ ही साथ हमारा भी सौभाग्य है कि मैं आप लोगों को गीता के कुछ उपदेशों को आज पढ़कर बताऊंगा , मैं आप सबका अभिनंदन करता हूँ ,
गीता कर्म ज्ञान की कुंडली है गीता का एक-एक शब्द भगवान श्री कृष्ण के द्वारा स्वयंम् कहे हुवे हैं , यह शब्द अमृत तुल्य है अगर गीता के बताये हुए एक भी उपदेश को व्यक्ति अपने जीवन में अपनाये तो उसको बहुत बड़ा लाभ होगा अगर गीता में बताये गए मार्ग का अनुसरण करे तो उसको परमानंद की प्राप्ति होगी , वह जीते जी सुख-दुख के बंधनों से मुक्त हो जायेगा और अंत में परमानंद की प्राप्ति कर मोक्ष को प्राप्त होगा , क्योंकि भगवान श्री कृष्ण ने गीता में कहा है कर्म को भगवान ने प्रधान माना है , जो जिसका कर्म बनता है उसे वह अपना कर्म समझकर सत्य इमानदारी और निष्ठा से करना चाहिए उसको उत्तम फल की प्राप्ति होती है परन्तु याद रहे कर्म शुकर्म और मानव जाती के कल्याण का होना चाहिए कुकर्म नहीं होना चाहिएं , ऊंचे विचार रखकर अपना कार्य करें . . . परमात्मा एक है लेकिन उनके मानने वाले अनेक मत से मानते हैं धर्म हमेशा सदाचार की प्रेरणा देता है हित की प्रेरणा देता है , सज्जनों हम सब एक ही ईश्वर के संतान हैं इसलिये हमें इस संसार में मिलजुल कर एक दूसरे से स्नेह रखकर जीना चाहिए अपने धर्म में रहते हुए सभी धर्मों का आदर और सम्मान करना चाहिए ,
हमारा भारतवर्ष धर्मनिरपेक्ष राष्ट्र है सबका भारत एक है अपने देश की रक्षा करना हमारा पहला धर्म है भारत अनेकता में एकता का प्रतीक है यह देश संत और सुर वीरों का देश है हमें इसकी कण-कण से प्यार होना चाहिए ,
घंटो उपदेश देने के बाद उनका प्रवचन समाप्त हुआ और प्रवचन समाप्त होने पर श्रोतां अपने-अपने घर को प्रस्थान किये ।
त्यागी जी का प्रवचन सुनने के बाद प्रकाश आत्म विभोर हो गया , प्रसाद ग्रहण कर अमृत पान करने के बाद प्रकाश वहाँ बैठा रहा धीरे-धीरे शाम हो गई . . .
नित्य की तरह बाबा मिश्री दास पूजा अर्चना करने के बाद आरती करने लगे और घंटी डमरू और शंख की आवाज समूचे वातावरण को भक्तिमय बनाने लगी ।
उस दिन काफी कई संत और महात्मा वहां पर मौजूद थे जब आरती समाप्त होने के बाद , बाबा मिस्त्री दास जी महाराज ने प्रकाश को फिर से प्रसाद दिये वह प्रसाद ग्रहण किया तत्पश्चात बाबा मिस्त्री दास जी प्रकाश से बोले प्रकाश आज भंडारा है और तुम भंडारा खाने के बाद जाओगे ,
बाबा की आज्ञा मानकर प्रकाश बैठा रहा और भंडारे में भोजन किया ।
भारत के मंदिरों में अक्सर भंडारे होते है भारत में मंदिरों के भंडारा का भोजन एक तरह का प्रसाद होता है जो उस क्षेत्र के कुछ सीमित जरूरतमंदों के साथ-साथ साधु महात्माओं का खाने का बंदोबस्त हो जाता है ।
भंडारे में भोजन करने के बाद प्रकाश वापस अपने घर आया और कुछ देर निकी से फोन पर बात करने के बाद वह सो गया ।
इधर राहुल और निकी दोनों एक दूसरे से बेपनाह मोहब्बत करते थे लेकिन दोनों के प्रेम में किसी प्रकार का खटास नहीं होते हुए भी राहुल की माँ ज्योती उनके प्रेम में रोड़ा बन गई दोनों एक दूसरे को चाहकर भी एक दूसरे से अच्छे से बातें भी नहीं कर पाते दोनों में थोड़ी थोड़ी बातें होती उनकी नजदीकियां दूरियों में तो तब्दील नहीं हुई पर शायद कुछ उदासियां जरूर थी , लेकिन राहुल को यह लगता था कि सब कुछ ठीक हो जायेगा ।
लेकिन निकी का सोचने का तरीका बिल्कुल अलग था क्योंकि निकी को कहीं न कहीं अन्दर यह डर हमेशा रहता था , क्या पता राहुल की माँ ज्योती कभी उसे स्वीकार नहीं करेगी . . .
क्योंकि निकी को ज्योती के गुस्से के बारे में अच्छी तरह पता था शायद उसे इसी की सबसे ज्यादा चिंता थी ।
अगले दिन नृत्य क्रिया से निवृत्त होकर प्रकाश अपने रोज के दिनचर्या में लग गया ।
इधर निकी भी अपने रोज की दिनचर्या में लग गई , इतने में निकी का फोन घन घनने लगा ,
वह अपने कानों से स्पर्श करके बोली , हैलो
हाँ निकी कैसी हो ?
प्रणाम मामा मैं ठीक हूँ आप कैसे हो ,
मैं भी ठीक हूँ तुम इतनी उदास होकर क्यो बोल रही हो ?
नही मामा नही ऐसी कोई बात नहीं है ,
निकी मुझे लग रहा है तुम बहुत उदास हो , देखो निकी तुम व्यर्थ की चिंता मत करना तुम राहुल से सच्चा प्रेम करती हो और मैं राहुल से स्वयंम् बात करूंगा क्योंकि ज्योती से बात करने का कोई फायदा नहीं है , कल मैं आ रहा हूँ और राहुल को मैं खुद समझा दूंगा कि राहुल से तुम सच्चा प्रेम करती हो और वह तुम्हें अपना ले . . .
नहीं मामा नही आप समझते नहीं है आप ऐसा कुछ मत करना ठीक है ,
निकी मेरा कहने का मतलब यह है कि मैं चाहता हूँ कि तुम खुश रहो , जो बीत गया बीते हुए कल को क्यो सोचना हमें आज को देखना है और आज के बारे में सोचना है और जो भी करना है सोच समझ कर करना है ,
अच्छा ठीक है निकी अब मैं जा रहा हूं क्योंकि आज शाम को मेरा प्रोग्राम है,
ठीक है मामा ,
अब मैं फोन रख रहाँ हूँ ।
शाम को जहाँ प्रकाश का प्रोग्राम था वहां पर एक बहुत बड़ा पंडाल बना था पंडाल में एक बहुत बड़ा स्टेज भी बना था प्रकाश समय से वहाँ पहुंच गया ।
प्रकाश के साथ ही साथ वहां पर परफॉर्म करने के लिए कई एक सिंगर मौजूद थे क्योंकि यह काफी बड़ा प्रोग्राम था और बहुत ही शहर के नामचीन और प्रदेश के बड़े-बड़े वी.आई.पी उस प्रोग्राम को देखने के लिए आ रहे थे ।
प्रोग्राम स्टार्ट हो गया बारी-बारी से सिंगर स्टेज पर आने लगे और अपना परफार्मेंस दिखाने लगे लोग उनके परफार्मेंस देखकर आनंद विभोर होने लगे , इसी बीच स्टेज से आवाज आई इस शहर के सबसे जाने-माने फनकार मिस्टर प्रकाश अब आप लोगों के सामने एक दर्द भरा शानदार गजल पेश करने आ रहे है ।
प्रकाश की स्टेज पर पहुंचते ही तालियों की गड़गड़ाहट से पूरा पंडाल गूंज गया ।
प्रकाश अपने सम्मान में तालियों की गड़गड़ाहट सुनकर काफी खुश था लेकिन खुश होने के बावजूद भी उसके मुंह से सैर के साथ ही साथ एक सानदर गीत निकला ।।
शेर - चमन मेरा उजड़ गया खो गई बहार , जल रही है आत्मा रो रहा है ।।
प्यार भरें इस शानदार शेर को सुनकर फिर एक बार तालियों की गड़गड़ाहट से पंडाल घुस गया ।
गीत
शाम ढलने के बाद - दीप जलने के बाद ,
दिल मचलता है यारों - जाम चलने के बाद ।
जब याद किसी की आती है ,
दिल को मेरे तड़पाती है ,
हाथों से जाम उठाता हूँ ,
होठों पर अपनी लगाता हूं ।
लोग कहते हैं यारों यह शराबी हो गये ,
देखो पीकर कहाँ मदहोश सो गये ,
अपने आपको मैं देखा आंख खुलने के बाद ,
दिल मचलता है यारों जाम चलने के बाद ,
मैंने कहा दिल से तू यूं ना तड़पाया कर ,
रो रो के बोलूं यू मुझे तू लगाया न कर ।
दर्द सीने का सीने में सिमट कर रह गया ,
बंद रही जुवा मेरा होंठ ना खुला ।
असुवन में भर आई पलकें मेरी ,
नजरों के सामने तस्वीर थी तेरी,
याद आया सब कुछ किसी के छलने के बाद , दिल मचलता है यारों जाम चलने के बाद ।
सोचा न था कोई यु मेरे साथ करेगा , मेरे प्यार का इतना बड़ा उपहास करेगा ।
बेवफा हो गया जो मेरा प्यार था ,
नफरत बन गया जो मेरा प्यार था ।
याद आया घर अपना घर जलने के बाद ,
दिल मचलता है यारों जाम चलने के बाद ....
शाम ढलने के बाद दीप जलने के बाद .....
गीत समाप्त
गीत सुनकर लोग आपस में जाम से जाम टकराने लगे और पार्टी में उपस्थित सारे लोग झूमने लगे ....