Aansu Pashyataap ke - 12 in Hindi Moral Stories by Deepak Singh books and stories PDF | आंसु पश्चाताप के - भाग 12

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आंसु पश्चाताप के - भाग 12

इधर ज्योती उस दिन घटित घटना के बाद बहुत परेशान थी , ज्योती की परेशानी का कारण था उसका व्यर्थ का सोचना ।
ड्राइंग रूम में बैठे-बैठे ज्योती की जेहन में सवाल उठने लगा राहुल निकी से प्रेम करता है अगर राहुल निकी को अपना बनाकर इस घर में ले आया तो ठीक नहीं होगा , क्योंकि निकी उस कल्पना की बेटी है ,
मैं कल्पना को कभी नहीं भूल सकती क्योंकि उस चरित्रहीन स्त्री ने मेरा जीवन दुश्वार कर दिया और आज उस नागिन की बच्ची मेरे पुत्र को अपने प्रेम जाल में फंसाकर इस घर में आना चाहती है मैं ऐसा नहीं होने दूंगी अगर निकी इस घर में बहू बनकर आएगी तो उससे मिलने के लिए अक्सर प्रकाश भी यहां आएगा अगर प्रकाश नहीं भी आएगा तो क्या हुआ शायद प्रकाश निकी के माध्यम उससे राहुल के करीब हो जाये और यह घनिष्ठता बढ़ गई तो बहुत बुरा होगा . . . क्योंकि कहावत है "हंसिया हमेशा अपने तरफ खींचता है , कहीं राहुल के दिल में प्रकाश के प्रति सहानुभूति और सांत्वना की आग का अंकुर उत्पन्न हो गया तो...
नहीं नहीं ऐसा नहीं होगा मैं कभी भी राहुल को प्रकाश से नजदीकियां नहीं बनने दूंगी , हम लोग प्रकाश से नफरत करते हैं और मरते दम तक करेंगे . . .
इसी सोच के साथ वह राहुल को फोन की ,
" हेलो राहुल ,
मम्मी प्रणाम ,
खुश रहो बेटा , कैसे हो ?
मैं तो ठीक हूँ , मम्मी आप कैसी हो ?
मैं भी ठीक हूँ बेटा तुम इस बार मन लगाकर पढ़ना क्योंकि आपके नाना कर रहे हैं कि राहुल को इस बार कॉलेज में टॉप करना है . . .
ठीक है माँ , मेरी हमेशा मेरी यही कोशिश रहती है कि ज्यादा से ज्यादा मार्क्स लानेकी . . .
राहुल एक बात पर विशेष ध्यान देना तुम उस नागिन की बच्ची से दूरी बना लेना , क्योंकि तुम अच्छी तरह जानते हो कि इस प्रेम का कोई आधार नहीं है , कभी भी उस नागिन की बच्ची इस घर की बहू नहीं बन सकती . . .
लेकिन राहुल प्रति उत्तर में खामोश रहा ,
सुनो राहुल तुम बहुत ही स्मार्ट हैंडसम और परफेक्ट हो तुम्हारी पर्सनालिटी के बहुत ही कम लड़के दिखते हैं तुमको देखकर तो कोई भी लड़की आकर्षित हो सकती है , समय से पता चल गया अभी कुछ नहीं बिगड़ा है तुम उसकी तरफ मुड़ कर भी मत देखना समझे . . . सिर्फ और सिर्फ पढ़ाई पर ध्यान दो ठीक है ,
मैं पढ़ाई पर ध्यान दे रहा हूं ,
ठीक है राहुल अब मैं फोन रख रही हूं ,
ओके वाय - ओके वाय माँ
ज्योती के जीवन में तरह-तरह का ख्याल आ रहा था , इतने में ज्योती की माँ आवाज आई बेटी,
हा माँ बोलो ,
बेटी एक कप चाय बनाना ,
ठीक है माँ अभी बना रही हूँ . . .


इधर राहुल अपनी माँ से फोन पर बात करने के बाद उदासीन हो गया।
क्या करें क्या ना करें उसके सामने एक बहुत बड़ी समस्या खड़ी हो गई क्योंकि राहुल निकी से प्रेम करता था और राहुल की माँ निकी की माँ के साथ साथ निकी से भी नफरत करने लगी . . .

निकी भी राहुल से बहुत प्रेम करती थी और जीवन की डोर बांधकर राहुल के साथ बिताना चाहती थी , "किसी की प्यार भरी बातों में नहीं उसकी यादों में अच्छा लगता है , वह इसी सोच में खो गई , क्योंकि प्रेम करने वालों की बेपनाह मोहब्बत ही नहीं उसकी एक प्यार भरी नजर भी अच्छी लगती है क्या हुआ अगर राहुल से थोड़ी दूरी बन गई तो क्या हुआ उसकी दूरी में भी नज़दीकियां नजर आने लगी , निकी के दिल में राहुल के प्रति कितनी शिकायतें थी जो राहुल से करना चाहती थी लेकिन जब भी राहुल के बारे में सोचती तो उसकी आंखों में आँसु के सिवा कुछ नहीं मिलता . . .
निकी से ज्यादा इस बात को कोई महसूस नहीं कर सकता है क्योंकि बचपन में पिता का प्यार से मरहूम रही . . . कुछ वर्षों बाद माँ का प्रेम मिला तो भगवान वह भी छीन लिये, वह माँ और पिता दोनों के प्यार से मरहूम हो गई . . .
जब भी वह किसी माँ बाप के प्यार को देखती उसके बच्चे के प्रति उसकी आंखों में आँसु आ जाता ...
जब उसे राहुल का प्रेम मिला तो वह भी शायद उससे रूठने लगा ,
निकी की आंखें आँसु से भर गई इतने में अपनी सहेली की आवाज सुनकर अपनी आंखें रुमाल से पोछने लगी ,
क्या हुआ निकी तुम इतनी उदास मत हो सब कुछ ठीक हो जायेगा , तुम्हें तुम्हारा प्रेम अवश्य मिलेगा . . . निकी हमेशा गुमशुम और उदास रहने लगी . . .


इधर प्रकाश निकी के बारे में सोचने लगा . . . बचपन में राणा की मृत्यु के बाद अपने पिता के प्रेम से मरहूम रही उसके सर से पिता का साया उठने के बाद कल्पना उसे माँ की ममता के साथ-साथ पिता के दायित्व का भी बखूबी निर्वहन कर रही थी लेकिन कुछ दिनों बाद कल्पना भी इस बेरहम दुनिया में अपनी पुत्री को अकेले छोड़कर चल बसी . . . यह सोचकर प्रकाश की आंखें नम हो गई ,
नहीं नहीं मैं यह नहीं होने दूंगा पहले ही भगवान इस बच्ची को इतना दुख दे चुके हैं , माँ -बाप के प्यार से मरहूम रही अब यह मेरे बेटे राहुल से प्रेम करती है तो ज्योती इनके बीच में रोड़े बनकर खड़ी हो गई है लेकिन मैं ऐसा नहीं होने दूंगा मैं राहुल और निकी के प्रेम को शादी के दांपत्य सूत्र में जोड़ कर दोनों को एक करूंगा . . .
अब मैं ज्योती का एक नहीं चलने दूंगा , क्योंकि राहुल पर सिर्फ उसका ही अधिकार नहीं है , राहुल मेरा भी बेटा है अगर ज्योती नहीं समझी तो मैं सीधे सीधे अपने बेटे राहुल को समझा लूंगा चाहे हमें उसके मुंह से कुछ भी सुनना पड़े . . .
इसी सोच के साथ तो ज्योती से बात करने के लिए ज्योती के घर चल दिया ।

जब प्रकाश ज्योती के घर पहुंचा तो मेन गेट अंदर से बंद था वह गेट पर लगे डोर वेल को बजाया ,
डोर बेल की आवाज सुनकर वाचमैन आया ,
हाँ सर बोलिए क्या बात है ?
गेट खोलो मुझे अंदर आना है ,
सर मैं गेट नहीं खोल सकता आप अपना नाम बताइए आपको किससे मिलना है , मैं अंदर बात करके खोलूंगा ।
मेरा नाम प्रकाश है मैं ज्योती का पति हूं मुझे अन्दर आना है कुछ जरूरी बात करने के लिए ,
प्रकाश के मुंह से यह सुनकर वॉचमैन हकपरस्त रह गया ...
यह ज्योती मैम के पति हैं अगर ज्योती मैम के पति जिंदा है तो ज्योती मैम सिन्दूर क्यों नहीं लगाती वह तो एक विधवा औरतों की तरह रहती है ,
क्या सोच रहे हो जाओ अन्दर बात करो और गेट खोलो ,
ओके सर मैं बात करके आ रहा हूँ
वाचमैन अन्दर आया और ज्योती से बोला ,
मैम गेट पर एक प्रकाश करके आदमी आए हैं जो अन्दर आना चाहते हैं आप लोगों से बात करने के लिए ,
अभी ज्योती कुछ बोलती उससे पहले ही सेठ धर्मदास बोले जाओ गेट खोल दो और उनको अपने साथ अन्दर लेकर आओ,
सेठ धर्मदास की बात सुनकर वाचमैन गया और गेट खोल दिया ।
प्रकाश को देखकर ज्योती की आंखें पथरा गई ,
वॉचमैन प्रकाश को अपने साथ अन्दर ड्राइंग रूम तक छोड़ने आया, प्रकाश के आने से पहले ही ज्योती वहां से चली गई ,
प्रकाश अपने ससुर सेट धर्मदास के पैरों को स्पर्श किया फिर अपनी सास ज्योती के माँ के पैरों का स्पर्श किया . . .
वर्षो बाद अपने दामाद को इस तरह अपने घर आए देखकर सेठ धर्मदास आश्चर्य हुवे . . .
बैठो प्रकाश अपने ससुर के संकेत पर प्रकाश सोफे पर बैठ गया पानी पीयो प्रकाश - ठीक है पापा,
प्रकाश आज अचानक इस तरह तुम्हें यहां आने की वजह जान सकते हैं ,
हाँ पापा आज अचानक हमें यहां आने की वजह है इसलिए मैं यहां आया हूँ ,
कहो क्या बात है पापा आप जानते हैं कि राहुल मेरा बेटा है और ज्योती मेरी पत्नी है शायद यह भी एक वजह हो सकती है लेकिन ऐसा नहीं है ,
फिर ऐसी कौन सी वजह है जो तुम्हें यहां आने पर को मजबूर किया ,
निकी मेरी भांजी है , कल्पना मेरे दोस्त राणा की पत्नी और मेरी धर्म से बहन थी और मैं इसका धर्म से मामा हूं और मैं चाहता हूं कि निकी की शादी राहुल से हो जाये दोनों एक दूसरे से प्रेम भी करते हैं . . .
प्रकाश के मुंह से यह सुनकर ज्योती गुस्से में फिफरने लगी और वह ड्राइंग में पहुंची ,
नहीं प्रकाश नहीं ऐसा कभी नहीं होगा तुम यहां से चले जाओ . . .
ज्योती तुम मुझे यहां देखकर आश्चर्य में होगी लेकिन यहां तुमसे आज इसी बारे में मैं बात करने आया हूँ ,
तुमने मुझसे बात करने के लिए छोड़ा ही क्या है जो आज कहना चाहते हो ?
आपका बेटा राहुल और निकी दोनों एक दूसरे से प्रेम करते हैं ,
देखो प्रकाश तुम मेरे जख्मों को कुरेद रहे हो,
जी नहीं मैं निकी का हाथ राहुल के हाथ में देना चाहता हूँ ,
ऐसा कभी नहीं होगा वह कल्पना की बेटी है मैं अपने बेटे की शादी कभी उसकी बेटी के साथ नहीं होने दूंगी ,
देखो राहुल मेरा भी बेटा है सिर्फ आपका नहीं उसपर मेरा भी उतना ही अधिकार है जितना आपका , आप वर्षों से तन्हा रखी मुझे अपने पुत्र के प्रेम से लेकिन मैंने कुछ नहीं कहाँ . . .
तुम भी मुझे पूरी जिंदगी जलाते रहें और आज चले आए हो मेरी जख्मों को कुरेद कर नमक लगाने के लिए तुम यहाँ से चले जाओ , मुझे घीन्न आती है तुम्हें देखकर तुम्हारे जैसा बेशर्म आने मैं कभी नहीं देखी , मैं अपने बेटे की शादी अपनी मर्जी से करूंगी उस बेश्या के बच्ची के साथ नहीं समझे . . .
प्रकाश चिल्ला कर बोला तुम कुछ नहीं कर सकती दोनों की शादी होगी और तुम कुछ नहीं कर पाओगी देखते रहना इतना कहने के बाद प्रकाश तेज कदमों से घर से बाहर निकला और चल दिया ।

वर्षों बाद प्रकाश का आना और झगड़ कर चले जाना ज्योती के साथ साथ धर्मदास और उनकी पत्नी को सोचने पर विवश कर दिया । क्योंकि वर्षो पहले रिश्तो में लगी लगाई आग ने इनके दांपत्य जीवन को जलाकर राख कर दिया छिन्न भिन्न कर दिया . . .
अब वर्षों बाद ज्योती राहुल का जिन्दगी सुचारू रूप से चल रहा था कि अचानक फिर से उनके रिश्तो में भूचाल आ गया किसी अनहोनी के डर से सब चिंतित हो गए , क्योंकि वर्षो पहले लगी आग ज्योती और प्रकाश की जिंदगी दुश्वार कर दी कहीं ऐसा ना हो राहुल के जीवन पर भी ग्रहण लग जाए . . .