विश्वास (भाग -37)
टीना, भुवन से बात करके उठ गयी।
सब बच्चों से मिलने के बाद टीना ने गिफ्ट में मिली झुमकी दिखाई।
टीना की दादी ने बताया कि उन्होने
जो मीनल और सबको भी शगुन और गिफ्टस दिए हैं।
समय अपने हिसाब से बीत ही रहा था। नरेन और राजेश सो एक बार बात हुई थी।
भुवन और संध्या भी वापिस आए तो टीना ड्राईवर के साथ एयरपोर्ट लेने चली गई।
एयरपोर्ट से सीधा भुवन के घर छोड दिया था टीना ने।
दोनो को खुश देख कर टीना भी खुश थी कि उसका प्लान कामयाब हुआ।
संध्या और भुवन टीना के छोटे भाई बहनो के लिए बहुत सारी चॉकलेट्स लाए थे।
भुवन ने बताया कि वो संधु को कल गाँव छोडने जाएगा फिर कॉलेज जॉइन करना होगा छुट्टी खतम होने वाली हैं।
भुवन ने उसे भी चलने को कहा पर टीना का असाइनमेंट जमा होना था, उसने मना कर दिया।
वो उसके लिए हैंडबैग लाए थे ऑलिव ग्रीन कलर का, जो बहुत सुंदर था।
भुवन और संध्या एक दिन रूक कर गाँव चले गए।
भुवन ने डिसाइड किया था कि पहले की तरह वो हर शुक्रवार को गाँव जा कर संडे रात को वहाँ से चल कर सुबह कॉलेज के टाइम वापिस पहुँच जाया करेगा।
संध्या भी अच्छी तरह से यह बात समझती है कि स्कूल को देखना फिलहाल ज्यादा जरूरी है।
भुवन संध्या को छोड़ वापिस आ गया। काफी दिन कॉलेज से दूर रहा तो 1-2 दिन उसका पढ़ाने का मन नही किया।
टीना से बात करके उसे अच्छा लगा। फिर वही रोज की दिनचर्या की गाड़ी पटरी पर लानी ही थी।
समय अपनी रफ्तार से आगे बढ़ रहा था। रवि M.B.B.S करने के बाद आगे पढने के लिए चैन्नई चला गया।
नरेन ने दूसरी बार में U.P.S.C के सब चरण क्लियर कर लिए थे।
मोहन के बेटे राजेश की इंजीनियरिंग की पढाई कर रहा था और श्याम तो टीचर बन कर पढाना चाहता है तो उसने B.A. Maths (hons) कर रहा है।
भुवन और संध्या का बेटा एक साल का हो गया।
टीना को एक और मौका मिला गाँव जाने का।
बच्चे का नाम टीना ने संभव सुझाया जिसमें माँ - पापा दोनों के नाम के अक्षर हैं।
सब की सहमति इसी नाम पर बनी तो यही रख दिया गया।
टीना की M.A हो गयी थी , अब वो नेट के पेपर की तैयारी कर रही थी।
भुवन के कहने पर वो कुछ देर के लिए N.G.O भी जाने लगी और वहाँ मानसिक रोगियों की समस्या सुन कर सलाह देने लगी।
कुछ लोग ठीक हो रहे थे तो टीना में भी आत्म विश्वास आ गया कि वो ठीक से कर रही है।
दोनों की दोस्ती वैसे ही कायम है। स्कूल अच्छा चल रहा है।
नरेन और बाकी सब लोग टीना के साथ जुड़े हुए हैं।
नरेन की पोस्टिंग मध्य प्रदेश में हो गयी। रवि भी कुछ दिनों बाद हार्ट स्पेशलिस्ट बन कर आ गया।
रवि ने अपने लिए एक लड़की को पसंद कर लिया जो गॉयनक्लोजिस्ट है, और उसके साथ गाँव में प्रैक्टिस करने को तैयार है।
हास्पिटल तो उसके पापा पहले ही तैयार करवा चुके थे।
भुवन की तरह रवि ने भी सिंपल शादी करने की शर्त रखी। जो दोनो परिवारों ने मान ली।
रवि की पत्नी का नाम शालिनी है, बहुत ही सुंदर है। टीना ने देखा तो देखती रह गयी। चुपचाप रहने वाला रवि हीरो निकला, सब यही कह कर चिढा रहे थे।
रवि के लिए टीना बस भाई की दोस्त है, नही थी। वो टीना के व्यवहार से बहुत इंप्रेस रहा है। टीना का सबके लिए सोचना भा गया। वो हमेशा उससे एक साथ मिल कर कैसे रहते हैं टिप्स पूछता।
टीना कहती पहले सबको ऑब्जर्ब करो कि किसे क्या पसंद या नापसंद है। फिर उन बातों का ध्यान रखेंगे तो सब अपने बन जाते हैं। वो हमेशा शालिनी को कहता कि," बस घर में सब के साथ मिल कर खुश रहना"।
रवि ने जब टीना को शालिनी से मिलवाया तो उसने बताया कि "रवि उसकी बहुत बातें करता है"। टीना को शालिनी रवि जैसी कम बोलने वाली और समझदार लगी। टीना को उनकी जोड़ी परफेक्ट लगी।
भुवन ने टीना को बताया कि अब कॉलेज की नौकरी छोड़ कर स्कूल संभालने की सोच रहा है।
मास्टर जी अब बीमार रहने लगे हैं। टीना को भी भुवन का फैसला ठीक लगा।
रवि की शादी की रिसेप्शन में टीना अपने पापा के साथ शामिल हुई।
बातों ही बातों में महावीर जी ने उमेश जी को कहा, " उमेश भाई टीना बिटिया की शादी के बारे में हमें सोचना चाहिए"।
"हाँ जी भाई साहब, बस टीना की जिद है, पहले अपने पैरों पर खड़ी होना चाहती है। इसलिए मैं भी रूक गया"।
भुवन भी उनकी बातें सुन कर रूक गया, "अँकल जी टीना सही कह रही है, उसको नौकरी मिल जाए, फिर पूछ भी लेंगे कि उसे तो कोई पसंद नही है"।
भुवन मैं सोच रहा हूँ कि हम कुछ लोग मिल कर कॉलेज भी बना लें । कुछ समय में स्कूल 12 वी तक हो ही जाएगा तो एक कंप्यूटर इंस्टिटयूट और कॉलेज भी बन जाए तो बच्चों को आगे की पढाई के लिए बाहर न जाना पड़े। इससे आसपास के गाँवो के बच्चो को भी फायदा होगा।क्रमश: