एक सेठ जिन्होंने अपनी ज़िंदगी में बड़ा ही संघर्ष किया.सेठ को तीन बेटे थे. व्यापारी ने तीनों को पढ़ाया लिखाया. सेठ को अपने बड़े बेटे से बहुत लगाव था और माँ को छोटे बेटे से, और बड़े भाई को अपने बीच वाले भाई से. सेठ का सबसे छोटा बेटा थोड़ा बिगड़ा हुआ था. सेठ अपने बड़े बेटे से कई बार कह चुके थे अपने सबसे छोटे भाई का ध्यान रखना कही कुछ गड़बड़ ना कर दें.बड़ा बेटा सेठ के व्यापार में हाथ बटाता था. बीच वाले भाई ने अपना अलग काम कर लिया था और अपनी मेहनत से बहुत कामयाब हो गया. छोटा भाई अभी पढ़ाई कर रहा हैं .सेठ का व्यापार बहुत अच्छा चल रहा था और अपने बड़े बेटे की शादी बहुत धूमधाम से की और शादी होते ही अपने बड़े बेटे को एक नया मकान भी दिया.मकान देने का मतलब ये नहीं की प्यार कम हो गया, अलग-अलग ज़रूर हो गये लेकिन पूरे परिवार में प्यार भी खूब था.कोई भी नया निर्णय आपस में मिलकर ही लेते थे.बीच वाले बेटे की भी शादी बड़े ही धूमधाम से हुई और सेठ ने उसे भी एक नया मकान दिया.अब सबसे छोटे बेटे की शादी का समय आ गया, शादी हो गई,लेकिन इस बेटे को शादी के बाद नया मकान नहीं मिला,उसी मकान में अपने माता पिता के साथ रहने लगा,इस बात को सोच कर बड़ा भाई सोचने लगा कही छोटा भाई ये ना कहने लगे मुझे तो मकान नहीं मिला.बड़ा भाई बड़ा ही समझदार था एक दिन अपने सबसे छोटे भाई को बुलाकर बोला तू एक काम कर एक महीने के लिए तुम मेरे मकान में रहने चले जाओ,तेरी भाभी को पूजा पाठ करनी हैं और माता पिता जी के साथ और इसी मकान में होनी हैं.बड़े भाई की बात मान कर छोटा भाई मकान में चला गया,लेकिन भाई की मंशा न जान पाया. रोज़ाना पूजा होती रही सभी लोग पूजा में आते रहे,महीना पूरा हो गया,बड़ा भाई अपने माँ बाप के साथ व बच्चों के साथ रह रहा था.महीना बीतने के बाद छोटा भाई अपने बड़े भाई से बोला, भैया महीना बीत गया, आप आ जाओ….बड़ा भाई अपने छोटे भाई से बोला, देखो तुम अभी वही रहों, पिताजी की तबियत ठीक नहीं चल रही हैं,और अभी- अभी तेरी शादी हुई हैं, तू अभी वहीं रह, एक दिन अचानक पिता जी ने अपने तीनों बेटों को अलग-अलग बुलाया और एक-एक पर्ची दी और कहाँ इन पर्चियों को मेरे मरने के बाद ही पढ़ना. समय बीतता रहा एक दिन पिताजी स्वर्ग सिधार गये.सारा काम पूरा होने के बाद तीनों बेटों ने अलग अलग पर्चियां पढ़ी. बड़े बेटे की पर्ची में लिखा था, बेटे तू मेरा सबसे बड़ा बेटा हैं और तुनें मेरे साथ व्यापार में खूब हाथ बटाया और हाँ मेरा मन हमेशा तेरे में ही रहता था, और तू भी जानता हैं तेरी माँ का मन तेरे सबसे छोटे भाई में था,और तुनें कितनी समझदारी से अपना मकान छोटे भाई को दे दिया.हाँ एक ओर बात तूँ अपनी माँ का ख़्याल और अपने दोनों छोटें भाइयों का भी ध्यान रखना दोनों दिल के बहुत अच्छे हैं. बेटा पढ़ कर बहुत रोया.बीच वाले बेटे ने भी पिता जी की दी हुई पर्ची पढ़ी, उसमें लिखा था तुनें बहुत तरक़्क़ी की हैं.अपनी माँ का ध्यान रखना अपने बड़े भाई का सम्मान करना और छोटे का ध्यान रखना वो थोड़ा चंचल हैं.बेटा भी बहुत रोया.छोटे बेटे ने भी पर्ची पढ़ी उसमें सिर्फ़ दो ही बात लिखी थी, अपनी माँ का ख़्याल रखना और दोनों भाइयों की बातों का सम्मान करना दोनों तेरे से बहुत प्यार करते हैं.तीनों भाई अपनी माँ के चरणों में बैठ कर बहुत रोये…….( इस कहानी को जब मैं लिख रहा था मेरी आँखों में भी आंसू थे).