Dard e Ishq - 41 in Hindi Love Stories by Heena katariya books and stories PDF | दर्द ए इश्क - 41

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दर्द ए इश्क - 41

विकी शाम को डिजाइनर के साथ शादी के लिए ड्रेस और बाकी सारी तैयारियां को बारे में बात कर रहा था । सूझी भी कई ड्रेस देख चुकी थी लेकिन उसे अभी तक समझ नहीं आ रहा था की कौन सी डिजाइन को पसंद करें। विकी कुछ बातो में व्यस्त था की तभी विकी के डेड चिंतित होते हुए! घर में दाखिल होते है । विकी उनके डेड को देखकर कुछ बोलने ही वाला था की धर्मानंद उसकी बात काटते हुए कहता है।

धर्मानंद: विक्रम मेरे साथ आओ! कुछ बात करनी है! ।
विकी: ( सिर को हां में हिलाते हुए ) जी डेड! ।
सैलेश: आप जाइए तब तक न्यू डिजाइन असिस्टेंट के साथ मंगवा लेता हूं ।
विकी: ओके! मैं अभी आया ।
सैलश: जी! ।

विकी खड़े होते हुए अपने डेड के पीछे जाते हुए, कमरे का दरवाजा बंद कर देता है । कुछ कदम चलते हुए कहता है ।

विकी: क्या हुआ डेड! सब कुछ ठीक तो है! ? ।
धर्मानंद: ( तस्वीरे टेबल पर फेकते हुए ) क्या है! ये सब!? ।
विकी: ( तस्वीर को उठाते हुए ) क्या है!? तस्वीर है! और क्या!? ।
धर्मानंद: ( चिल्लाते हुए ) मुझे भी दिख रहा है! लेकिन शादी के दो दिन पहले ऐसे कांड करने की क्या जरूरत थी! ।
विकी: क्या मैने कुछ नहीं किया! ( जूठ बोलते हुए ) ।
धर्मानंद: ( गुस्से में ) तस्वीर अभी की है! विक्रम तो ये मुझे *** बनाना बंध करो! और तुम्हे ऐसी हरकत करने को किसने बोला था!? ।
विकी: ( अनजान बनते हुए ) डैड आई एम सीरियस! मैने कुछ नहीं किया!। और कब किसने ये तस्वीर ली मुझे तो पता भी नहीं! ।
धर्मानंद: ( चिल्लाते हुए ) अच्छा जब तुम ये कांड कर रहे थे! और तुम्हे पता ही नहीं चला की कोई तुम्हारी तस्वीर खींच रहा है! ( तस्वीर की ओर देखते हुए ) मुझे तो ऐसा नहीं लगता! ।
विकी: डैड! अब कीस करते वक्त मैं थोड़े ही आसपास देखूंगा! की क्या हो रहा है क्या नहीं!? ओबवियस है मैं नजदीक ... ।
धर्मानंद: मैने तुम्हे यहां तुम्हारी रासलीला सुना ने के लिए नहीं बुलाया! । मुझे सिर्फ इतना जवाब चाहिए की तुमने एसा क्यों किया!? और तुम्हे अपनी रेप्यूटेशन दाव पर लगाने की क्या जरूरत थी!? ।
विकी: मैं फिर से वहीं बात दोहराऊंगा ना ही मैने कुछ किया है! ना ही मुझे कुछ पता है ।

धर्मानंद गुस्से में आग बबूला होते हुए विकी की ओर देख रहे थे। उसे समझ नहीं आ रहा था की इस लड़के का क्या करे!? जब देखो तब ऐसी गलतियां करता रहता है जो उसके करियर के लिए नुकसान दायक है । पहले उस लड़की के चक्कर में खुद को गधा बनाना और अब विवाह रुकवाने के लिए ये सब! ।

धर्मानंद: एक बात ध्यान से सुन लो! तुम चाहे जो भी कर लो! लेकिन ये शादी होकर ही रहेगी! ।
विकी: ( मुस्कुराते हुए ) डोंट वरी डैड! मेरा ये शादी रुकवाने का कोई इरादा नहीं है! ।
धर्मानंद: जाओ! और कोई भी ऐसी वैसी हरकत की आई स्वेयर..! मैं तुम्हे भी माफ नहीं करुंगा ।
विकी: व्हाट एवर! ( दरवाजा खोलते हुए ) मुझे अभी काफी ड्रेस देखने है! । ( विकी कमरे से बाहर चला जाता है । ) ।


विकी हॉल में पहुंचता है तो सूझी! कमरे की ओर जा ही रही थी की विकी कहता है ।

विकी: सूझी! ।
सूझी: ( विकी की ओर देखते हुए ) हां!? ।
विकी: ( कुछ कदम बढ़ाते हुए ) सभी लोग चले गए!? ।
सूझी: अरे! नहीं... मैने डिजाइन सिलेक्ट कर ली है! तो कलेक्शन लेने गए है।
विकी: ओह! ।
सूझी: तुमने कर ली सिलेक्ट!? ।
विकी: हां! ऑलमोस्ट... शैलेश लेकर आता ही होगा ।
सूझी: ओके .... मुझे अभी लास्ट ड्रेस टाई करनी है तो!।
विकी: ( सिर को हां में हिलाते हुए ) नो प्रॉब्लम ।


तान्या और रेहान! भेष बदलकर डिजाइनर के संग आए थे। वह दोनो ही छुप के विकी और सूझी की बाते सुन रहे थे। दोनो मानो आग से बबूला हो रहे थे । रेहान सूझी के खिलखिला कर बात करने से और तान्या विकी के इस शांति भरा लहजा खल रहा था । रेहान कहता है ।
" मैं उन लोगो के साथ जा रहा हूं! तुम यहां विकी पर नज़र रखो! तुम उसे अच्छी तरह जानती हो! तो तुम ही बता सकती हो! की क्या सोच रहा है वह आगे! । "
तान्या सिर को हां में हिलाते हुए! रेहान की बात से सहमति जताती है । रेहान फिर भागते हुए... बाकी लोगो के साथ चलने लगता है । थोड़ी देर बाद वह उन लोगो के साथ कमरे में दाखिल होता हैं । वह लोग ड्रेस को रखते हुए कहते है! । " मैम आपका कलेक्शन आ गया है। एक बार देख लीजिए! । " तभी बाथरूम से आवाज आती हैं " "ओके" । बाकी सभी लोग बाहर की ओर कदम बढ़ाते है । रेहान भी उनके पीछे चलने लगता है । जैसे ही वह लोग बाहर जाने लगते है । रेहान साईड होते हुए...! ड्रेस के पीछे छुप जाता है । जब दरवाजा बंद होने की आवाज आती हैं तो वह थोड़ी देर ठहरता है । फिर बाहर निकलते हुए वह दरवाजा लॉक कर रहा था की तभी आवाज आती है ।

सूझी: यू केन गो! अगर कोई काम होगा तो मैं बुला लूंगी!। और किसी फीमेल एसिस्टेट को भेज देना । ( आईने में देखते हुए चैन बंध करने की कोशिश कर रही थी । ) ।
रेहान: ( पीछे मुड़ कर देखता है! तो सूझी दुल्हन के जोड़े में थी। और चोली की चैन बंध करने की कोशिश कर रही थी । कुछ पल के लिए तो रेहान अपनी नजर हटा ही नहीं पाया । क्योंकि सूझी अभी सबसे ज्यादा खूबसूरत लग रही थी । मानो कोई अप्सरा हो । लेकिन फिर उसे शादी की बात भी याद आती है तो फिर होश आ जाता है की यह तैयारी किसी और के साथ शादी करने के लिए है। रेहान दांत भींचते हुए सूझी के नजदीक कदम बढ़ाता हैं। उसके पीछे खड़े होते हुए... चैन को बंध करने लगता है । जिस वजह से उसके हाथ सूझी की पीठ को भी छू रहे थे क्योंकि बैकलेस डिजाईन थी । मानो जैसे करंट सा लग रहा था उसे । वह गला साफ करते हुए जल्दी से चैन को बंध कर देता है ! । और कुछ दूरियां बना लेता है । तभी सूझी कहती है ।

सूझी: थैंक यूं! ( आगे पीछे होते हुए ड्रेस को देखती हैं। ) काफी प्यारी ड्रेस है! शादी के लिए इसे फाइनल रखो! मुझे जैसी चाहिए थी बिल्कुल वैसी ही है ।
रेहान: जी! ।
सूझी: और हां विकी आई मीन विक्रम को भेजना! ( तभी नोक की आवाज आती हैं। )
विकी: सूझी तुमने चेंज कर लिया क्या!? मैंने एक फाइनल ड्रेस सिलेक्ट कर ली है । देख लो अगर तुम्हे पसंद आती है तो! ।
सूझी: हां ( दरवाजा खोलने के लिए आगे बढ़ती है । ) मैने भी! ।
रेहान: ( सूझी का हाथ पकड़कर अपनी ओर घुमाता है । दरवाजा के सहारे सूझी खड़ी थी और सामने रेहान खड़ा था । )
सूझी: क्या बदतमीजी है ये!? ।
रेहान: ( वयंग्य के साथ! ) बदतमीजी!? मैने की ही कहां है!? ।
सूझी: ( गुस्से में ) हाथ छोड़ो मेरा वर्ना!? ।
रेहान: ( सूझी के बेहद करीब जाते हुए ) वर्ना क्या!? ।
सूझी: ( लात मारने ही वाली थी लेकिन लहंगा हेवी होने की वजह से वह इतनी तेज नहीं मार पाई । )
रेहान: ( हंसते हुए) तुम्हे लगता है! तुम मुझे ऐसे कपड़े पहनकर टेकल कर पाओगी!? ।
विकी: सूझी! क्या हुआ सब कुछ ठीक तो है ना!? ।
सूझी: ( जवाब देने ही वाली थी की रेहान ने अपने कमर पकड़ते हुए अपनी ओर खींच लिया था । मानो जैसे सूझी के शरीर में एक सिरहन दौड़ ने लगी थी। ) ।
रेहान: एक भी शब्द नहीं! ( विकी की ओर इशारा करते हुए ) वर्ना बहुत कुछ होगा ।
सूझी: ( उसका तो दिमाग ही काम करना बंध हो गया था एसे अचानक वह जिस स्थिति में एक अनजान आदमी के साथ खड़ी हैं । और उसका दिल अभी ट्रेन की रफ्तार से दौड़ रहा है । फिर उसका दिमाग उसे संकेत देता है । वह खुद को संभालते हुए रेहान के हाथ को की उसकी कमर पर था पकड़ते हुए मोड़ती है । जिस वजह से रेहान कराह उठता है । क्योंकि वह भूल ही गया था की लहंगे की वजह से भले ही पांव का उपयोग ना कर पाए लेकिन हाथ से भी तो वह रेहान को टेकल कर सकतीं हैं । सूझी को कराटे में हराना यानी खुद के हाथ पैर तुड़वाना ।
रेहान: ( दर्द से कराह रहा था । लेकिन वह जानता था की अगर ऐसा रहा तो सूझी दरवाजा खोल देगी । वह जल्दी से दिमाग को दौड़ते हुए सोचने लगता हैं । ) सुजैन.. । ( जिस भाव से रेहान ने बोला था वह जानता था सूझी का दिमाग कुछ सेकंड के लिए बंद हो जाएगा क्योंकि रेहान ही इस तरह से बुलाया करता था । वह जल्दी से सूझी के हाथ को मोड़ते हुए.. पीठ के पीछे मोड़ देता हैं और वह उसके सामने खड़े होते हुए सूझी की ओर देखता है तो वह अभी उसी की ओर देख रही थीं। )
सूझी: कौन! कौन हो तुम!? । ( तभी दरवाजा खटखटाने की आवाज आती है! सूझी पीछे मुड़कर देखती है! उसके दिमाग में चल ही रहा था की विकी को आवाज दे! तभी..! ) ।
रेहान: ( सूझी की गर्दन को पकड़ते हुए उसके सिर को अपनी ओर मोड़ता हैं । बिना सोचे समझे उसके होठ को चूम लेता हैं। जब तक उसे भान होता उसे पहले वह भावनाओ मे बह चुका था । और किस्स के साथ यादों में विलुप्त होने लगा था । )


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