Arranged Marriage - 3 - Final Part in Hindi Adventure Stories by Miss Chhoti books and stories PDF | अरेंज मैरेज - 3 - अंतिम भाग

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अरेंज मैरेज - 3 - अंतिम भाग

सबसे पहले मे मेरे सभी दोस्तों से माफी चाहती हु। क्योंकि मेने ये स्टोरी पूरी करने मे बहोत वक्त लगा दिया। इस स्टोरी का आखरी पार्ट शेयर कर रही हूं। उम्मींद है आपको ये स्टोरी अच्छी लगे।

शादी के बाद ...
मानव के परिवार मे मम्मी - पापा और दादा - दादी के बाद मानव का एक छोटा भाई भी था। और सीमा का छोटा देवर...... परिवार मे सब साथ रहते।

सीमा नई जगह नये लोगों के साथ सबसे अंजान थी। सीमा की ये बेचेनी मानव बहोत अच्छी तरह समझ गया था। मानव ने सीमा को ये भरोसा दिलाया की "मे तुम्हारे साथ हूँ" वो सीमा के साथ हर वक्त रहता। अपनी तरफ से पुरी कोशिश करता की सीमा के साथ रह सके। मानव अपने काम के साथ साथ सीमा को पुरा वक्त देता। धीरे धीरे सीमा ने अपने ससुराल की हर जिमेदारी अपने उपर लेली।

मानव के साथ साथ उसका छोटा भाई भी सीमा की मदद करता। उसके लिए सीमा माँ की तरह थी। दोनों का रिश्ता तो भाभी और देवर का था। पर सीमा उसे अपने छोटे भाई की तरह रखती। खाने से लेकर सभी चीजों का ख्याल रखती।

शादी के बाद पहले त्यौहार पर रीति रिवाजो के अनुसार लड़की त्योहार मनाने अपने मायके जाती है। इसलिए.....

सीमा कुछ दिन पहले ही अपने मायके चली गई। तीन चार दिन वहाँ रुकी फिर मानव उसे लेने आया। पर सीमा के पापा ने उसे एक दिन ज्यादा रुकने को बोला, जब ये बात मानव को बताई तब उसने गुस्से मे सीमा को मना कर दिया। सीमा दुखी हो गई, उसे समझ नहीं आया, आखिर क्या करु?, किसकी बात का मान रखे किसका नहीं, तब उसकी आँखों मे आँसू आये। मानव को पता था। सीमा परेसान है, फिर भी उसे मनाने नहीं गया। फिर सीमा बिना कुछ बोले अपने पापा से ससुराल जाने की अनुमति लेकर अपने घर चले गई।

मानव थोड़ा परेसान था। वो जानता था की उसने सीमा को दुःखी किया है। घर जाके सीमा अपने कामो मे लग गई। मानव सीमा से बात करना चाहता था। पर सीमा घर के कामो से व्यस्त थी। इंतजार करने के बाद वो खुद सीमा का हाथ पकड़कर अपने रूम मे ले आया।

फिर मानव ने सीमा को अपने पास बिठाया। आराम से सीमा को अपनी परेसानी और ना रुकने की वजह बताई। सीमा तुरंत मानव की बात समझ गई। बिना कोई सवाल किये, मानव को गले लगाकर सीमा प्यार से उसे बोली। "मे हमेंशा आपके साथ हूँ" दोनों अच्छी तरह जानते थे की उनको ये रिश्ता निभाना है। छोटी - बड़ी लडाई के बाद भी वो साथ रहते।

भले ही दोनों की अरेंज मैरज हुई थी। पर समझदारी और भरोसा वो एक दूसरे पर कायम रखा था।

दोनों के रिश्तों की सुरुवात भरोसे से हुई थी। इस भरोसे के साथ दोनों साथ मे आगे बड़े। घर मे कभी कभी सीमा और उसके सासु माँ के बीच नोक जोक होती। पर सीमा ने उस बात का असर अपने और मानव के रिश्ते पर कभी नही होने दिया।

दो साल के बाद......
दो साल बाद सीमा ने एक नन्हे राजकुमार को जन्म दिया। अब मानव पापा बन गया था। सब बहोत खुश थे। सबके चेहरे पर अलग ही रोनक थी। कोई दादा - दादी तो कोई नाना - नानी, कोई मामा तो कोई चाचा और मासी, सबकी लॉटरी लग गई थी। उस नन्हे से राजकुमार ने पूरे घर मे चार चाँद लगा दिये।

राजकुमार के जन्म के बाद हॉस्पिटल से सब सीमा के मायके गये। पांच दिन के बाद नामकरण की विधि हो गई। रिवाजो के अनुसार सीमा कुछ महीनों अपने मम्मी के पास रुकने वाली थी।

दूसरी तरफ मानव सीमा और अपने राजकुमार को बहोत याद करता।महीने मे एक बार सीमा से मिलने जाता पर उतना काफी नहीं था। क्योंकि मानव को अपने राजकुमार के साथ सारे पल जीने थे। पर.....

मानव ज्यादा महेनत करने लगा, सीमा और अपने राजकुमार के अच्छे भविष्य के लिए। पुरा परिवार साथ मे रहता फिर भी मानव अपनी तरफ से किसी भी चीज की कमी नही रखना चाहता था।

तीन महीने के बाद सीमा अपने ससुराल चली आई। सीमा और राजकुमार के घर आने से मानव की खुशी का कोई ठिकाना नहीं था। नये महेमान ने मानव और सीमा का जीवन खूबसूरत बना दिया था। फिर वो दोनों खुशी खुशी अपना जीवन जीने लगे।

रिश्तों मे सबसे ज्यादा जरूरी है "भरोसा" रिश्ते की नीव भरोसे पर टिकी होती है। मे तो ये मानती हू.....
"किसी भी रिश्ते मे प्यार से ज्यादा भरोसे की किंमत होती। प्यार थोड़ा कम होगा तब भी चलेगा, पर भरोसा कभी कम नहीं होना चाहिए"

रिश्तें निभाने के लिए भरोसा होना जरूरी है प्यार नहीं..... क्योंकि जहाँ भरोसा होगा वहा प्यार अपने आप हो जायेगा।
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मेरी ये स्टोरी पसंद आये तो रेटिंग और कॉमेंट करना भूलियेगा मत।

में Miss Chhotti आप लोगों से ऐसे ही जुड़ी रहूगी। कहानीयो का ये सफर यू ही चलता रहेगा। फिर मिलुगी नहीं कहानी के साथ, तब तक खुश रहिये और पढ़ते रहिये।