1. योजनाएँ तैयार करना
सून त्जु के अनुसार युद्ध कौशल किसी भी राष्ट्र की सुरक्षा के लिए अत्यंत महत्त्वपूर्ण है। यह जीवन और मृत्यु का प्रश्न है क्योंकि या तो यह सुरक्षा प्रदान करता है या फिर विनाश की ओर ले जाता है इसलिए किसी भी कीमत पर इसे अनदेखा नहीं किया जा सकता।
युद्ध कला पांच स्थाई तत्त्वों पर आधारित होती है तथा युद्ध कला की अवस्थाओं को निर्धारित करने के लिए इन पांच तत्त्वों को ध्यान में रखा जाना अति आवश्यक है। ये तत्त्व हैं— नैतिक नियम, प्रकृति, पृथ्वी, सेनापति तथा प्रणाली एवं अनुशासन।
नैतिक नियम: ये नियम शासक तथा जनता के बीच तालमेल बनाए रखने के लिए जरूरी होते हैं। इनके चलते प्रजा निर्भय होकर राजा पर विश्वास करते हुए उसके आदेशों का पालन करती है।
प्रकृति : यह रात-दिन, सर्दी गर्मी, काल एवं ऋतुओं को इंगित करता है।
पृथ्वी: इसमें छोटी और बड़ी दूरियाँ, खतरे एवं सुरक्षा, खुले मैदान तथा संकरे रास्ते, जीवन एवं मृत्यु के अवसर शामिल हैं।
सेनाध्यक्ष : एक अच्छे कमांडर में विवेकपूर्ण निर्णय लेने की क्षमता, ईमानदारी, करुणा एवं साहस जैसे गुणों के साथ-साथ नियम एवं कानूनों की कठोरता से पालन करने की क्षमता भी होनी चाहिए।
प्रणाली एवं अनुशासन: प्रणाली एवं अनुशासन का अर्थ है— सेना को उचित टुकड़ियों में बांटकर संगठित करना, सक्षम अधिकारियों को उनकी योग्यता के आधार पर उचित पदों पर नियुक्त करना, रास्तों को उत्तम अवस्था में बनाए रखना ताकि सेना के लिए जरूरी सामग्री आसानी से आ जा सके तथा सेना के खर्च पर नियंत्रण रखना।
सेना के प्रत्येक जनरल को इन पांच तत्त्वों की जानकारी होनी जरूरी है। जो इनसे परिचित है वह विजयी होगा तथा कभी पराजित नहीं होगा।
सैन्य अवस्थाओं का मूल्यांकन अथवा परख करते समय निम्न तथ्यों को अपने तुलनात्मक अध्ययन का आधार बनाया जाना चाहिए।
(1) दोनों राष्ट्रों में से कौन सा राष्ट्र नैतिक नियमों से प्रेरित है?
(2) दोनों राष्ट्रों में से कौन से राष्ट्र का सेनाध्यक्ष अधिक योग्य है?
(3) कौन से राष्ट्र को प्रकृति एवं पृथ्वी के लाभ अधिक प्राप्त हैं?
(4) किस राष्ट्र की सेना में अनुशासन का कठोरता पूर्वक पालन किया जाता है?
तू मू, साओ साओ (155-220 ई.) की एक प्रशंसनीय कथा का ज़िक्र करता है। साओ-साओ इतना अधिक कठोर एवं अनुशासन प्रिय था कि एक बार खड़ी फसलों की रक्षा के लिए बनाए हुए उसके कठोर नियमों के चलते उसने स्वयं को ही मृत्यु की सजा सुना दी, क्योंकि उसने अपने घोड़े को अनाज के एक खेत में खड़े होने दिया था। परंतु उसके अनुयायियों ने न्याय प्रक्रिया को क्षतिग्रस्त होने से बचाने के लिए, समझा-बुझाकर उसे ऐसा न करने के लिए राजी कर लिया।
अतः जब आप कानून बनाते हैं तो इस बात को सुनिश्चित करें कि उसकी अवमानना न हो और अगर कोई ऐसा करता है तो उसे मृत्यु दण्ड दिया जाना चाहिए।
(5) दोनों देशों में से किसकी सेना अधिक शक्तिशाली है?
(6) कौन सी सेना के अधिकारी एवं सैनिक अधिक प्रशिक्षित हैं? क्योंकि निरंतर अभ्यास के अभाव में सैनिक युद्ध के नाम से भयभीत होंगे तथा आवश्यक प्रशिक्षण के अभाव में सेनाधिकारी आपातकाल में अनिश्चय एवं दुविधा की स्थिति में होंगे। परिणाम स्वरूप वे उचित निर्णय लेने में असमर्थ होंगे।
(7) किस देश की सेना में पुरस्कार एवं दण्ड देने के निर्णय का अधिक कठोरता के साथ पालन किया जाता है?
अर्थात् किस सेना में यह पूर्ण रूप से सुनिश्चित होता है कि कार्य कुशलता के आधार पर पदोन्नति होगी, तथा गलत कदम उठाने वालों को दंडित किया जाएगा।
उपरोक्त सात बातों के आधार पर मैं विजय अथवा पराजय की भविष्यवाणी कर सकता हूँ। जो सेनाध्यक्ष मेरे द्वारा बताए गए तरीकों पर अमल करेगा, विजयी होगा। ऐसे अधिकारी के हाथों में सेना का नियंत्रण दिया जाए, और जो ऐसा नहीं करेगा उसे पराजय का सामना करना पड़ेगा एवं उसे अविलम्ब निष्कासित किया जाए।
मेरे द्वारा बताए गए तरीकों का भरपूर फायदा उठाएं। इसके अतिरिक्त यदि किसी भी प्रकार का लाभ मिले तो उसे अवश्य लें तथा कार्य योजना में उसी के अनुसार संशोधन करें।
यहां सून त्जु हमें वैचारिक सिद्धांतों पर अपना पूरा विश्वास जमाए रखने के लिए प्रेरित करता है क्योंकि चेंग यू के अनुसार युद्ध के सभी नियम यद्यपि सभी के लाभ के लिए लिपिबद्ध किए जा सकते हैं, परंतु वास्तविक युद्ध में लाभ प्राप्त करने के प्रयास शत्रु के क्रियाकलापों के आधार पर बदले एवं निर्धारित किए जाने चाहिए।
वाटरलू के युद्ध की पूर्व संध्या पर लॉर्ड उक्सब्रिज (जो एक घुड़सवार सेना का कमांडर था) वेलिंगटन के शासक (ड्यूक) के पास उसकी अगले दिन की योजनाओं की जानकारी हासिल करने पहुँचा क्योंकि प्रधान सेनापति होने के नाते जानकारी के अभाव में आपातकालीन स्थिति में वह उचित योजनाएं तैयार करने में असमर्थ महसूस कर रहा था। ड्यूक ने उसकी बातों को शांतिपूर्वक सुना और पूछा कल कौन पहले आक्रमण करेगा– मैं या बोनापार्ट? उक्सब्रिज ने उत्तर दिया— बोनापार्ट। ड्यूक का प्रत्युत्तर था बोनापार्ट ने मुझे अपनी योजनाओं के बारे में कुछ भी नहीं बताया है और क्योंकि मेरी योजनाएं उसकी योजनाओं पर निर्भर होती हैं, अतः सही जानकारी के अभाव में मैं तुम्हें कोई भी सलाह नहीं दे सकता।
संपूर्ण युद्ध प्रणाली छल पर आधारित है। अतः हमला करने पर लगना चाहिए कि हम आक्रमण करने की स्थिति में नहीं हैं। जब हम अपनी ताकतों का प्रयोग कर रहे हों तो स्वयं को निष्क्रिय दिखाएं। जब हम निकट हों तो दुश्मन को लगना चाहिए कि हम उनसे बहुत दूर हैं और जब दूर हों तो उन्हें लगना चाहिए कि हम उनके अत्यंत करीब हैं। दुश्मन को फंसाने के लिए उसे प्रलोभन दें। दुश्मन के इलाके में अफवाहों के द्वारा अव्यवस्था फैलाएं। यदि वह सभी मोर्चों पर मजबूत है तो उसका सामना करने के लिए तैयार रहें। और यदि वह आपसे अधिक ताकतवर है तो उसका सामना करने से बचें।
अत्यधिक सैनिक गुणों से परिपूर्ण होने की वजह से महान माना जाने वाला वेलिंगटन अपनी छल प्रणाली के चलते अपने मित्र एवं शत्रु दोनों को ठग लेता था।
यदि दुश्मन गुस्सेवाला है तो परेशान करके उसे तंग करें। उसके सामने स्वयं को दुर्बल जाहिर करें ताकि वह घमण्डी बन जाए।
रण कौशल में निपुण व्यक्ति अपने दुश्मन के साथ ऐसे खेल खेलता है जैसे बिल्ली चूहे के साथ खेलती है। पहले वह कमजोर बनने का नाटक करते हुए दुबक कर बैठ जाती है और समय आने पर अचानक आक्रमण कर देती है।
यदि दुश्मन आराम से बैठा हो तो उसे आराम न करने दें। यदि उसकी सेना में एकजुटता है तो उसमें फूट डालें।
शत्रु पर वहां आक्रमण करें जहां वह तैयार न हो तथा वहां प्रकट हो जाएं जहां आपके होने की कोई अपेक्षा न हो । युद्ध के इन मूलमंत्रों (जो विजय प्राप्ति में सहायक होते हैं) को गुप्त रखना चाहिए। इनका भेद खुलने पर आप मुसीबत में पड़ सकते हैं।
जीतने वाला सेनापति युद्ध प्रारंभ होने से पूर्व अनेक प्रकार की गणना करता है। हारने वाला सेनाध्यक्ष भी अनुमान लगाता है परंतु जीतने वाले की तुलना में कम। युद्ध जीतने के लिए विजय एवं पराजय दोनों विषयों पर अवलोकन करना जरूरी होता है। तथा इसी आधार पर मैं यह भविष्यवाणी कर सकता हूँ कि कौन जीतेगा और कौन नहीं।