Agnija - 122 in Hindi Fiction Stories by Praful Shah books and stories PDF | अग्निजा - 122

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अग्निजा - 122

लेखक: प्रफुल शाह

प्रकरण-122

सोने से पहले केतकी ने खुद से कहा, ‘गोआ में खूब मौज मस्ती करनी है...ये दिन अपने लिए और केवल अपने लिए जीना है। अपने लिए और अपने ऊपर प्रेम करने वालों की इच्छा का सम्मान करने के लिए।’ और फिर वह सपने में तुरंत गोआ पहुंच गयी। अस्पष्ट...धुंधले...अचानक पानी की एक बड़ी लहर आयी और उसे खींचने लगी। केतकी चौंककर जाग गयी। आंखों पर बंधी पट्टी खोलकर देखा तो सभी लोग गहरी नींद में सो रहे थे। लेकिन उसके साथ वाली लाइन में बैठी लड़की मोबाइल पर चैटिंग करती बैठी हुई थी। उस समय रात के तीन बज रहे थे। इस समय चैटिंग? बॉयफ्रेंड होगा। केतकी की नजरों के सामने प्रसन्न का चेहरा दिखायी देने लगा। उसके चेहरे पर हल्की सी मुस्कान तैर गयी। विचारों को दूर करने के लिए उसने अपने सिर को हल्का सा झटका दिया और आंखों पर फिर से पट्टी चढ़ा ली तो उसके सामने प्रसन्न के आज तक के अच्छे व्यवहार के चित्र उसके सामने से गुजरने लगे। देखते ही देखते उसे फिर से नींद आ गयी।

होटल में पहुंचने के बाद सभी लोगों ने दो-दो घंटे की नींद ली। जब सब लोग ब्रेकफास्ट के लिए इकट्ठा हुए तो अलका दिखाई नहीं दे रही थी। केतकी ने कहा कि उसकी राह देखी जाए, लेकिन बाकी सभी को भूख लगी थी। वे रुकने को तैयार नहीं थीं। जब सभी लोग नाश्ता कर रही थीं तब केतकी ने एक प्रस्ताव रखा, ‘इस ट्रिप के लिए हम एक नियम बना लें तो...?’ ब्रेड को चाय में डुबाते हुए गायत्री बोली, ‘अब यहां भी नियम? अच्छा बताओ...कौन सा नियम?’

केतकी हंसी, ‘यही नियम कि कोई भी नियम नहीं होगा...जिसे जो करना है, वह करेगा...जहां जाना हो जाए...कोई किसी को रोकेगा-टोकेगा नहीं। कोई बुरा नहीं मानेगा। ’

चंद्रिका खुश हो गयी, ‘ग्रेट नो रूल इज रूल।’  सभी सहमत हो गयीं। केतकी ने घोषणा की कि वह आज आसपास के इलाकों को देखने जाने का विचार बना रही है। सभी तैयार हो गयीं। और निकल पड़ी। लेकिन अलका उनके साथ नहीं थी। सभी खूब घूमी-फिरीं। केतकी ने तीन-चार बार नारियल पानी पीया। गायत्री-मालती दूसरी तरफ निकल गयी थीं। उन्होंने काजू की मिठाई खायी। केतकी के लिए पार्सल लिया। शाम को थक-हार कर जब वे होटल में लौटीं तो अलका वहीं थी। उससे किसी ने कुछ पूछा नहीं लेकिन उसी ने बताया ‘बस में बैठे-बैठे शरीर अकड़ गया था इसलिए मैंने आराम किया। अभी कुछ खा लिया है इसलिए रात का खाना खाने का इरादा नहीं है। मैं आराम करने जा रही हूं, प्लीज एन्जॉय ऑल ऑफ यू।’ किसी ने कुछ नहीं कहा लेकिन केतकी को आश्चर्य हुआ।

सभी ने रात का भोजन अपने कमरे में ही मंगवाया। साथ में बीअर की दो बोतलें भी आयीं। केतकी से भी आग्रह किया गया लेकिन वह हंसकर बोली, ‘कोई आग्रह नहीं ...आप लोग पीजिए...मैंने कभी पी नहीं...और कम से कम इस समय मुझे पीने की इच्छा नहीं है...’दोनों बोतले खत्म हो गयीं। और दो मंगवायी गयीं। बीअर पीकर मालती और चंद्रिकाह अपने रंग में आ गयीं। होश गंवाकर बड़बड़ाने लगीं। इस बोतल के द्रव में इतनी ताकत है? केतकी विचार करने लगी। इस पानी में ऐसा कौन सा जादू है कि आदमी को सबकुछ भुला देता है?

अगले दिन सुबह नियमो की ऐसी-तैसी करते हुए गायत्री ने सभी को सुबह सात ही बजे जगा दिया, ‘सोने वाली लड़कियों उठो...समुद्र किनारे नहीं जाना है क्या?’

सभी उठ गयीं लेकिन मालती और चंद्रिका हिली नहीं। अलका भी गायब थी। केतकी और गायत्री समुद्र किनारे पहुंच गयीं। गायत्री पानी के भीतर गयी लेकिन केतकी एक नारियल पेड़ से लगकर आराम से बैठ गयी। उसने स्कार्फ निकाल दिया। उसके सामने से गुजरने वाला हर व्यक्ति उसकी ओर देख रहा था। गायत्री लहरों के बीच खड़े होकर उसे आवाज दे रही थी। लेकिन लहरों के शोर के बीच उसकी आवाज केतकी तक पहुंच नहीं पा रही थी। आवाज सुनाई देती तो भी केतकी उठकर जाने वाली नहीं थी। केतकी बारीकी से चारों तरफ नजर दौड़ा रही थी। मानो वह किसी को खोज रही हो। कुछ देर बाद गायत्री आयी। अपने साथ लाई हुई बोतल का पानी पीया। केतकी को पानी में चलने के लिए बड़ा आग्रह किया लेकिन उसे एक ही उत्तर मिला, ‘अभी नहीं...’ जैसा कि तय था, गायत्री अधिक जिद न करते हुए फिर से लहरों से खेलने के लिए निकल गयी। और केतकी उठकर घूमने लगी। अचानक उसके ध्यान में आया कि एक विदेशी युगल उसकी फोटो खींच रहा है। केतकी उनकी तरफ देखकर मुस्कुरायी तो वे उसके पास आ गये। 22-23 साल की नवयुवती ने केतकी से पूछा, ‘यू आर फ्रॉम विच कंट्री?’ केतकी ने उत्तर दिया, ‘इंडिया।’ उन दोनों को विश्वास ही नहीं हुआ। कुछ और फोटो खींचने के बाद एक सेल्फी लेकर वह युगल बाय कहकर वहां से निकल गया।

अब केतकी को ध्यान में आया कि बहुत से पर्यटक उसको निहार रहे थे। कोई दूर से ही उसकी तरफ इशारा कर रहा था। उसे लगा कि ये सब मेरी तरफ क्यों देख रहे होंगे भला! दूर से ही एक हनीमून कपल केतकी की ओर बढ़ते चला आ रहा था। लड़की की सिंदूर भरी मांग देखकर वह जान गयी कि ये लोग उत्तरभारतीय हैं। लड़की ने केतकी के पास आकर स्माइल दी और कहा, ‘ माइसेल्फ प्रीति गुप्ता फ्रॉम लखनऊ...वन फोटो विद यू?’ केतकी ने हंसते हुए हामी भर दी। उस लड़की ने खुश होकर आवाज लगायी,‘ राजेश, जल्दी आओ...मैम के साथ हमारे दो-चार फोटो ले लो...’ राजेश ने फटाफट फोटो खींच लिये। केतकी से उस लड़की ने पूछा, ‘मैम, आर यू मॉडल?’

‘नो...नो...’

‘यू आर फ्रॉम विच कंट्री?’

‘इंडिया।’

‘रियली...आई कांट बिलीव...आई डोंट बिलीव...’

‘सचमुच हिंदुस्तानी हूं और गुजरात से आयी हूं...’

‘क्या कह रही हैं? गुजराती हैं?’ इतना कहकर उस लड़की ने खुश होकर केतकी को गले से लगा लिया। उसके बाद वह केतकी की तरफ देखती ही रही। उसका ध्यान चेहरे की बजाय उसके टैटू पर अधिक था। ‘मैं भी गुजराती हूं। बड़ोदा से। लव मैरिज  है मेरी। लखनऊ में ससुराल है। पांच दिन पहले ही हमने शादी की है। ’

‘बधाई...’ दोनों बात कर ही रही थीं कि राजेश उनके पास आ गया। उस लड़की ने गर्व से उसकी तरफ देखते हुए कहा, ‘नॉट फॉरेनर...यू सी ..हमारी गुजराती हैं...’

राजेश उसकी तरफ आनंद और गर्व से देखने लगा। ‘मैडम, मैं फोटोग्राफर हूं...आप फॉरेन मॉडल या सेलिब्रिटी होंगी यह सोचकर आपसे दूर रहा...मगर इसने जिद की...मैं कुछ फोटो क्लिक करूं? सिर्फ आपके?’ केतकी ने खुशी खुशी हां कर दी। राजेश करीब पौन घंटे तक उसकी फोटो खींचते रहा। केतकी को पहली बार ऐसा महसूस हुआ कि वह किसी को पसंद है। वह नकारा नहीं है।

थैंक्यू गोआ...थैंक्यू वेरी मच...

 

अनुवादक: यामिनी रामपल्लीवार

© प्रफुल शाह

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