आपने मुझे ट्रेन में देख लिया और सब भेद खुल गया ..केतकी यह कहकर रूक गयी ।
केतकी के पापा कहने लगे ..हमें केतकी ने फोन कर दिया था कि आपने उसे देख लिया है , तो हमने नयी कहानी घड़ली कि केतकी की एक जुड़वा बहिन भी है .. लेकिन दामिनी खुद यहां चलकर आगयी .. तो ' यह कहानी भी बेकार हो गयी ..यह सब केतकी की जान बचाने के लिए किया ..
अभय ने कहा .. आपको जिंदा क्यों छोड़ दिया ? केतकी तो उनकी नजर में मर गयी थी ।
केतकी के पापा ने कहा ..दामाद जी हम सबको इस कदर फंसा दिया कि हमे उनका साथ देना पड़ रहा है । अभय ने पूछा किस तरह का साथ ? केतकी के पापा ने कहा ..हमें कोई आदमी किसी भी बहाने से एक चिट्ठी देकर चला जाता है .. उसे कहां पहुंचाना है बता जाता है ..बस उसे वहां पहुंचा देते हैं ..इसके बदले में 10 - 15 हजार रूपये मिल जाते हैं । चिट्ठी में क्या होता है ..यह हमें पता नही है ।
यह सुन अभय के कान खड़े हो गये ..उसे अब उनका कहा सच लगने लगा ।
अभय ने कहा ..आप चिट्ठी कहां कहां देकर आये बता सकते हैं .. दामाद जी चिट्ठी किसी के घर नही देते हैं ..बस एक बैग मे रख लेते हैं और पार्क में चले जाते है ..वहां पर कोई उनका आदमी आता है और चिट्ठी मांगकर ले जाता है .. अभय ने कहा ..आप उन्हें पहचानते हैं ? केतकी के पापा ने कहा ..नही ..उसके चेहरे पर हेल्मेट लगा होता है ..तो उसकी शक्ल देख नही पाता ..
अभय ने केतकी की ओर देखते हुए कहा यह सब पहले भी बता सकती थी तुम ! अब क्यों बता रही हो ? क्या अब मौत का डर नहीं लगता । केतकी ने कहा ..हां अब मौत का डर खत्म हो गया ..इतने सालो से तिल तिल करके मर रही थी .. अभय ने कहा देखो हम आर्मी वालों की सिखलाई ऐसी होती है ..हम आर्मी की कोई बात अपनी पत्नी को भी नही बताते। यहां तक की युनिट कौनसे लोकेशन में है .. हां पत्नी जब साथ रहे तो वह रेजीडेंस जरूर देख लेती है ..फारवर्ड एरिया में तो पत्नी भी नही जा सकती । दामिनी ने मुझसे जरूर कई बार यह जानना चाहा कि मेरी पोस्टिंग पाकिस्तान की किस सीमा पर है ? वहां से कौनसा पाकिस्तान का गांव नजदीक है ? हमारी पेट्रोलिंग पार्टी कब कब जाती है ? तारबंदी कहां कमजोर है ? ज्यादा चांस किस तरफ से गुसपैठ होती है ? लेकिन हम यह सब अपनी पत्नियों को इस लिए नही बताते कि वह किसी से चर्चा कर सकती है .. जैसे दूध वाले से कह दिया ..भैया दूध कम देना .. आज युनिट की बीपीटी है । या साहब एक्सरसाइज में गये हैं ।
थोड़ा सोचते हुए अभय ने कहा ..मैं कैसे मान लूं कि दामिनी आईएसआई की एजेंट है ?
केतकी ने कहा आप उसकी ड्रेस चेक करो..उसके सैंडल चैक करो .. उसका वह सामान चैक करो जो कभी आपने देखा ही नही .. केतकी के पापा ने अपने हाथ जोड़कर कहा..दामाद जी हमें इस मुस्किल हालात से आप कैसे भी निकालो ..अभय ने अपनी गर्दन हां मे हिलाते हुए कहा ..मै वादा तो नही करता ..लेकिन कोशिश करूंगा ..आप कोई नयी सिम ले लीजिए और उसके नंबर मुझे दीजिएगा ..मै खुद ही आपसे नये फोन नंबर से बात करूंगा ..ठीक है अभी मैं चलता हूँ .. यह कहकर अभय वहां से निकल जाता है ..