Silent Love - 25 in Hindi Love Stories by prashant sharma ashk books and stories PDF | खामोश प्यार - भाग 25

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खामोश प्यार - भाग 25

कुछ ही देर बाद सभी अपने-अपने घर पहुंच गए थे। रात के समय स्नेहा और श्लोक तो फोन पर आपस में बात कर रहे थे, परंतु मानव और कायरा हमेशा की तरह ऑनलाइन रहकर एक-दूसरे के मैसेज का इंतजार कर रहे थे। दूसरी ओर बात करते हुए स्नेहा ने श्लोक से कहा- तुमने मानव से बात की थी ?

श्लोक ने कहा- हां मैंने उसे एक बार फिर समझाया था। वो कह रहा था कि उसे भी कायरा से एक बार बात तो करना ही होगी।

स्नेहा ने कहा- मैं भी कई बार कायरा से बात कर चुकी हूं, पर पता नहीं दोनों क्यों एक-दूसरे से अपने दिल की बात नहीं कहते हैं।

श्लोक ने भी स्नेहा की बात का समर्थन किया और कहा- हां दोनों एक-दूसरे से प्यार करते हैं और पर कहते नहीं है।

ऐसी कुछ बातों के बाद स्नेहा और श्लोक भी सो गए। वहीं कायरा और मानव देर रात तक ऑनलाइन रहने के बाद सो गए थे। अगले दिन सभी कॉलेज पहुंचे। मानव को देखते ही श्लोक उसके पास पहुंच गया और उससे प्रश्न किया-

कायरा से बात की ? श्लोक ने प्रश्न किया।

मानव कुछ देर खामोश रहा और फिर उसने कहा- कल की घटना के बाद तुझे लगता है कि मुझे उससे बात करना चाहिए। तू चाहता है कि कल जॉली को थप्पड़ पड़ा था और आज मुझे पड़े।

श्लोक ने चिढ़ते हुए कहा- अरे यार जॉली को थप्पड़ इसलिए पड़ा था क्योंकि कायरा तुझे पसंद करती है। वो तुझे पसंद करती है तो तुझे थप्पड़ क्यों मारेगी ?

मानव ने कहा- ये तो तू कह रहा है कि वो मुझे पसंद करती है, उसने तो नहीं कहा।

उसने मुझे नहीं कहा, पर वो स्नेहा को तो कह चुकी है। श्लोक ने फिर से कहा।

मैं नहीं मानता कि कायरा ने ऐसा किसी से भी कहा होगा। कल की घटना के बाद मुझे लगता है कि अच्छा ही हुआ जो मैंने उसे कुछ नहीं कहा, वरना वो थप्पड़ मेरे गाल पर पड़ चुका होगा।

मानव की बात सुनने के बाद श्लोक उसे कुछ देर देखता रहा और फिर उसने कहा- ठीक है जिस दिन उसे खो देगा ना उस दिन तुझे श्लोक और उसकी बातें याद आएंगी। इतना कहने के बाद श्लोक वहां से चला गया। मानव भी क्लास में जाकर बैठ गया था। कायरा उसे चोरी की नजरों से देख रही थी। ये बात जेनी नोटिस कर रही थी। वहीं आज जॉली क्लास में नहीं था।

दूसरी और विश्वास और शैलजा कायरा के घर पहुंच चुके थे। हैसियत के हिसाब से जॉली के पिता विश्वास कहीं बड़े थे। उन्होंने कायरा के पिता से बात करना शुरू की। कायरा के पिता भी बिजनेस मैन थे, परंतु विश्वास के मुकाबले उनका बिजनेस बहुत छोटा था। कायरा के पिता का नाम शरद था। मां दिशा थी, जो कि घर ही संभालती थी। कायरा उनकी इकलौती बेटी थी।

विश्वास ने शरद से कहा- शरद जी मेरा नाम विश्वास है और मैं आपके शहर का नहीं हूं।

शरद ने विश्वास को अपने घर पर देखा तो वौ चौंक गया था। शरद ने कहा- विश्वास जी आपको कौन नहीं जानता। बिजनेस के क्षेत्र में रहने वाला हर छोटे से छोटा और बड़े से बड़ा आदमी आपके नाम से परिचित है। आप तो यह बताइए कि इतने बड़े बिजनेसमैन को मेरे जैसे व्यक्ति से क्या काम आ पड़ा।

विश्वास ने फिर कहा- जी, मैं यहां एक बहुत ही खास काम से आया हूं। मेरा बेटा जॉली और आपकी बेटी कायरा एक ही कॉलेज और एक ही क्लास में पढ़ते हैं। दोनों का ही थर्ड ईयर चल रहा हैं। मैं सोच रहा हूं कि बिजनेस का एक हिस्सा अब जॉली के हवाले कर दिया जाए। उसकी पढ़ाई खत्म होते ही मैं उसे यह जिम्मेदारी दे दूंगा।

शरद ने कहा- यह तो बहुत अच्छी बात है। आपका बेटा आपके बिजनेस को संभाल लेगा।

विश्वास ने कहा- जी इसलिए ही मैंने यह निर्णय लिया है। वैसे मेरे यहां आने का कारण यह है कि मैं जॉली के लिए कायरा का हाथ मांगने आया हूं। उम्मीद करता हूं कि आप मना नहीं करेंगे।

शरद ने जैसे ही विश्वास के मुंह से यह बात सुनी वो चौंक गया था। उसने कहा- विश्वास जी कहां आप और कहां मैं? हमारी इतनी हैसियत नहीं है कि हम आपके साथ रिश्ता जोड़ सके।

विश्वास ने कहा- एक बेटी के पिता की हैसियत कितनी होती है, इसका अंदाजा आप इससे लगा लीजिए कि मैं आपके पास आपकी बेटी मांगने के लिए आया हूं। दौलत-शोहरत तो आती जाती रहती है शरद जी। पर बेटी किस्मत से मिलती है। मेरी भी एक बेटी है, इसलिए मुझे पता है कि एक बेटी का पिता होना क्या होता है। अगर आपको एतराज ना हो तो मैं चाहता हूं कि कॉलेज के बाद कायरा और जॉली की शादी कर दी जाए।

कायरा के पिता के पास कहने के लिए कुछ अल्फाज नहीं थे और उसने इस रिश्ते को स्वीकृति दे दी थी। विश्वास और शैलजा काफी खुश नजर आ रहे थे। वहीं शरद और दिशा को कायरा की किस्मत पर यकीन नहीं हो रहा था कि वो इतने बड़े परिवार की बहू बनने जा रही है। विश्वास और शरद गले मिले और जॉली और कायरा का रिश्ता पक्का कर दिया। विश्वास ने शरद के घर से निकलते ही जॉली को फोन लगाया और उसे घर आने के लिए कहा। कुछ ही देर में विश्वास और जॉली एक-दूसरे के सामने थे।

विश्वास ने जॉली को गले लगाया और कहा- मैंने आज तुम्हारे बारे में कुछ सोचा है और एक निर्णय लिया है।

जॉली ने कहा- क्या सोचा है डैड ?

विश्वास ने कहा- तुम्हारे कॉलेज खत्म होते ही तुम मेरे बिजनेस को संभालने के लिए ऑफिस ज्वॉइन करोगे। बिजनेस का एक हिस्सा अब तुम्हारे हवाले रहेगा।

जॉली ने इस बात पर यस डैड कहा। विश्वास ने शैलजा को देखा और मुस्कुरा दिया। फिर जॉली ने कहा- कोई और भी बात है क्या डैड ? आप दोनों ऐसे मुस्कुरा क्यों रहे हैं ?

शैलजा ने कहा- जॉली हमने एक और निर्णय लिया है। हमने तय किया है कि अब मैं इस घर में अकेली नहीं रहूंगी।

जॉली ने कहा- मतलब ? आप अकेली कहां हो मॉम ?

शैलजा ने कहा- तुम्हारे डैड बिजनेस के लिए बाहर रहते हैं। तुम और जेनी कॉलेज के लिए दूसरे शहर में हो। मैं तो घर पर अकेली ही रहती हूं ना।

जॉली ने कहा- ओह ऐसे। हां वो तो आपको अकेले रहना ही पड़ता है।

शैलजा ने कहा- इसलिए हमने तय किया है कि मेरे अकेलेपन को दूर करने के लिए मुझे एक बहू का साथ चाहिए। और वो बहू अगर कायरा हो तो मेरा दिन आराम से कट जाएगा।

जॉली कुछ शर्मा गया। फिर विश्वास ने कहा- हमने तेरा और कायरा का रिश्ता पक्का कर दिया है। अभी हम लोग कायरा के घर से ही आ रहे हैं।

विश्वास की यह बात सुनकर जॉली खुशी के कारण लगभग उछल ही गया था। उसने विश्वास को गले लगा लिया और कहा- डैड मुझे यकीन नहीं हो रहा है।