me and sneha in English Short Stories by Nikita books and stories PDF | मैं और स्नेहा।

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मैं और स्नेहा।

मैं नमन , मैं एक छोटे से शहर पटना का रहना वाला हूं , एक मध्यम वर्ग का लड़का जिसे घर वालो ने बड़े लाड़ प्यार से पाला है।
मेरी बचपन की दोस्त है स्नेहा ।
हमदोनो बचपन से साथ एक स्कूल में पढ़े , साथ लॉन्च किया , साथ बदमाशियां की, और टीचर्स से साथ मार भी खाया है। हमारी दोस्ती इतनी गहरी थी कि अगर किसी दिन वो स्कूल ना जाए तो मैं भी नही जाता था ।
हम दोनो स्कूल के बाद पार्क जाया करते थे और साथ खेला करते थे।
मैं उसे झूला झुलाया करता था और वो खुशी खुशी झूला झूलती थी।
हमारे बीच झगड़े भी बहुत भयानक हुआ करते थे ।
एक दिन वो ऐसा हुआ गलती स्नेहा की थी , हमारा झगड़ा भी हुआ लेकिन वो महारानी मुंह फूला कर बैठ गई थी अंत में मुझे ही उससे माफी मांगनी परी थी तब कहीं हमारा झगड़ा खत्म हुआ था। लेकिन उससे झगड़ा करने में भी अलग ही सुकून मिलता था ।
बचपन से ही मुझे उसकी आदत सी हो गई थी और ये आदत कक्षा 9 में प्यार में बदल गई थी। मैं उसे बेहद चाहने लगा था, हालाकि मुझे पता था स्नेहा मेरे बारे में ऐसा कुछ महसूस नहीं करती , लेकिन उससे एक तरफा प्यार करने का भी सुकून अलग सा था।
10 बोर्ड के बाद हमदोनो अलग हो गए थे।वो पढ़ाई में अच्छी थी तो
उसने science लिया और मेडिकल की तयारी करने के लिए कोटा चली गई
और मेरे marks कम थे तो मैने arts लिया और पटना में ही रह गया।
स्कूल non attending थी इसलिए बस coaching class जाता था और class से वापिस घर । किसी से ना उतना मिलना , ना बातें करने को जी करता था स्नेहा के जाने के बाद मानो सब थम सा गया था।
Calls पे हमारी बातें हो जाती थी तब भी खैर....

कल स्नेहा छुट्टियों में घर आने वाली है ।
हमारा कल मिलने का plan भी है , कल ही उसे अपने दिल का बात बता दूंगा कि कितना चाहता हूं मैं उसे।

Next morning.
नमन (मन में):- जल्दी से फ्रेश हो जाता हूं स्नेहा से मिलने भी जाना है।
नमन फ्रेश होने के बाद अपनी मां को आवाज लगता है, मां मुझे नाश्ता दे दो मुझे अपने दोस्त से मिलने जाना है इतना कहकर वो dining table पर बैठ गया ।
उधर से उसकी मां उसके लिए नाश्ता लेकर आई और वो भी dining table पर बैठ गई ।
नमन की मां :- कोन सा ऐसा तेरा दोस्त बन गया जिससे मिलने के लिए तू इतना सवेरे उठ गया है।
नमन :- मां आपको स्नेहा याद है।
नमन की मां :- हां तेरे बचपन की दोस्त।
नमन:- वो पूरे एक साल बाद घर आई है इसलिए उससे ही मिलने जा रहा हूं, आप कहो तो आपको भी साथ लेकर चलूं।
नमन की मां:- अरे नहीं बेटा तेरे दोस्त है तू जा वहां मेरा क्या काम होगा।
नमन( खुश होते हुए) :- ठीक है मां मैं अकेले ही चला जाता हूं।
नमन cafe के पास स्नेहा का इंतजार करता है।
नमन( मन में) :- कहां रह गई ये देर करने की आदत गई नही इसकी कब आयेगी। आकर तो सबसे पहले मुझे मारेगी क्योंकि मुझे मारने की उकसी आदत बहुत पुरानी है ( नमन मुस्काते हुए सोचता है)।
नमन ( मन में):- ऐसा करता हूं कॉल कर लेता हूं।
जैसे ही नमन कॉल करने के लिए फोन कान के पास लगता है वैसे ही स्नेहा आ जाती है ।
स्नेहा:-. ओ मोटू किसे कॉल लगा रहा मैं आ गई हूं।
नमन की नजर स्नेहा पर गई और वो फुले नही समा रहा था।
नमन:- ओ मोटी बहुत जल्दी नही आ गई तू।
स्नेहा ( नमन को मरते हुए ) :- तेरी तरह लेट लतीफ नही हूं मैं , में हर जगह समय से ही पहुंचती हूं।
नमन ( स्नेहा को चिढ़ाते हुए) :- हां लेट लतीफ तू है , बचपन से तू लेट करती है।
स्नेहा ने नमन को फिर सिर पर मारा और दोनो कैफे के अंदर चले गए।
नमन ने अपने हांतो से chair पीछे किया स्नेहा के लिए और फिर दोनो आराम से बैठ गए।
फिर उन्होंने खाने को ऑर्डर किया और खाकर वो दोनो उसी पार्क में चले गए जहां वो दोनो बचपन में जाया करते थे।
वो दोनो एक जगह पर अस्थिर होकर बैठ गए और बचपन की बातों को याद करने लगे।
नमन :- याद है स्नेहा हम दोनो बचपन में यही पार्क में आया करते थे और साथ खेला करते थे।
स्नेहा:- है यार वो पल को कैसे भुल सकती हूं , बहुत की ख़ास है मेरे लिए वो पल।
नमन : और मैं नही हूं तुम्हारे लिए ख़ास।
स्नेहा ( मजाक में) :- नही।
नमन:- हां अब तो मैडम को कोई पसंद आ गया होगा अब तो वो तुम्हारे लिए ख़ास होगा , मैं क्यों होऊंगा तुम्हारे लिए ख़ास।
स्नेहा :- ओहो अब जलन हो रही है तुझे के मुझे कोई पसंद आ गया है।
नमन :- मुझे क्यों जलन होगी ।
वैसे एक बात पूछूं बताएगी?
स्नेहा:- पूछ।
नमन:- तू किसी को पसंद तो नही करती न?
स्नेहा:- मतलब।
नमन:- मतलब तेरा कोई boyfriend ।
स्नेहा:- तू ऐसा क्यों पूछ रहा है।
नमन: क्यों नही पूछ सकता , दोस्त हूं तेरा हक है मुझे।
स्नेहा: boyfriend तो नही है क्यूंकि मैंने ये सब का अभी सोचा नहीं है
जब सोचूंगी तब बता दूंगी।
नमन: एक बात पूछूं बताएगी।
स्नेहा: पूछ
नमन : तुझे मैं कैसा लगता हूं।
स्नेहा( हंसते हुए) : chutiya लगता है।
नमन : मैं मजाक के मूड में नहीं हूं मुझे बता मैं तुझे कैसा लगता हूं।
स्नेहा : क्या हो गया है तुझे तूने आज से पहले मुझे ऐसे बात कभी नही करी।
नमन : पता नही यार अब बस तेरा दोस्त बनकर नही रहना ।
तुझे बहुत चाहता हूं और अपना बनाना चाहता हूं
तू समझ मैं नही रह सकता तेरे बगैर।
स्नेहा : नमन हम बचपन से साथ है , मुझे तेरा साथ पसंद है , as a friend i like you, लेकिन मैंने तेरे लिए कभी ऐसा महसूस नहीं करती।
तू मेरा best friend है मैं तुझे खोना नहीं चाहती और न ही मैं तेरे साथ relationship में आना चाहती हूं।
थोड़े देर के लिए मान भी लिया , आ गई मैं तेरे साथ relationship में
लेकिन इसकी क्या guarantee है की ये relation चलेगी।
अगर relationship टूटा तो दोस्ती भी टूट जायेगी और मैं तुझ जैसा दोस्त
हरगिज नही खोना चाहती ( स्नेहा रोते हुए)।
मैंने पहली बार स्नेहा को हमारी दोस्ती के लिए रोते देखा था।
स्नेहा : कुछ बोल।
नमन : क्या बोलूं यार, सोचा था तेरे साथ ज़िंदगी बेहतर हो जायेगी
लेकिन यहां तू ही माना कर रही है लेकिन तू ही माना कर रही है ।
लेकिन कोई न तूने उन typical ladkiyon जैसे तो वर्ताब नही किया ना।
स्नेहा : typical ladkiyan मतलब।
नमन : वही जो कहती है , मैने सोचा नही था तुम मेरे बारे में ऐसा सोचते हो।
अब हम दोस्त भी नही रह सकते वगैरा वगैरा।
स्नेहा ने फिर मुझे मारा।
नमन : क्या यार तू हर वक्त मुझे मारते ही रहती है।
स्नेहा : ये तो मेरा हक है और ये हक मुझसे कोई नही छीन सकता।
नमन : और अगर मेरी होने वाली ने छीना तो।
स्नेहा : फिर मैं उसे भी मरूंगी।
और फिर हम दोनो हसने लगे।

हां तकलीफ हुई लेकिन इस बात की खुशी थी के मेरी best friend मेरे साथ थी। मिलने को तो कोई और भी मिल जायेगी लेकिन ऐसी झल्ली दोस्त और कहीं नहीं मिलने वाली।