हास्य सरिता
होली त्योहार की धूम
आज होली की धूम मची हुई है । शहर का हर कोना रंग से सराबोर है । शहर ही क्यों हर गांव, गली- मोहल्ले से लेकर महानगरों तक हर कहीं रंगों की छटा है । होली के दिन आज रंग जैसे हवाओं में घुल गए हैं।इससे वातावरण में मस्ती और उल्लास है । मौजी मामा की गली में भी होली का कार्यक्रम है। जमकर होली खेली जा रही है । लोगों के चेहरे पहचान में नहीं आ रहे हैं । इसकी शुरुआत एक दिन पहले होलिका दहन की सामग्रियों के लिए चंदा एकत्र करने से हुई।
मामा के द्वार पर बच्चों की टोली एकत्र हो गई। "अंकल- अंकल होली का चंदा चाहिए।"
"आता हूं बच्चों।"
बाहर आते हुए मामा ने प्रश्न दागा,"कहां से आ रहे हो बच्चों?किस मोहल्ले के हो?"
अचानक मामा का ध्यान बच्चा टोली में शामिल चुन्नू और मुनिया की ओर गया।
"ओ… हो… हो…ये तो अपने ही चुन्नू मुनिया हैं और साथ में सोनू, छोटा, गोल्डी, परी ये सब अपनी ही गली के बच्चे हैं।"
बच्चे उत्साह में थे और उन्होंने फटाफट होली के कार्यक्रम की रूपरेखा प्रस्तुत कर दी जिसमें लकड़ियों के प्रबंध से लेकर, रंग- गुलाल, पूजा सामग्रियों की व्यवस्था थी । मामा प्रसन्न हो गए। बच्चों का प्रेजेंटेशन भी कमाल का था। भला हो मीडिया के दौर का, जहां बच्चे भी अब इंटरव्यू देने की भाषा में बात करते है।
उदाहरण के लिए मामा ने पूछा होली का त्यौहार क्यों मनाया जाता है?
जवाब में चुन्नू ने कहा,"हंसी- खुशी, मेल मिलाप और रंग खेलने के लिए।"
"इसके पीछे की कहानी पता है?"
मुनिया ने कहा,"हां, जैसा कि आपको पता है कि होलिका और प्रहलाद की कहानी है।जब प्रहलाद को जलाने का प्रयास करने वाली होलिका स्वयं अग्नि में जलकर भस्म हो गई।"
मामा ने अगला सवाल दागा,"तो चंदा इकट्ठा क्यों कर रहे हो?"
छोटा ने कहा,"ताकि सभी लोगों की सहभागिता सुनिश्चित हो सके।"
तभी श्रीमती जी ने बाहर निकल कर बच्चों की गतिविधि पर प्रश्नचिन्ह लगाते हुए कहा, "और अगर किसी ने देने से मना किया तो?"
गोल्डी बोला,"तो उसे समझाने की कोशिश करेंगे।"
मामा ने कहा,"वेरी गुड, बच्चे छोटे हैं लेकिन उनका उत्साह नियंत्रण में है।"
बच्चों का नेतृत्व कर रहे चुन्नू ने कहा," हमें विश्वास है कि हम सभी लोगों को समझाने में सफल हो जाएंगे ताकि यह कार्य अच्छी तरह से संपन्न हो जाए।"
मामी ने हंसते हुए कहा,"वाह चुन्नू!अभी से नेतृत्व करने का गुण आ गया है तुममें? जो तुम अगले इलेक्शन की तैयारी कर रहे हो?"
मौजी मामा ने हंसते हुए कहा,"अभी से इतनी तारीफ मत कीजिए। फूल कर कुप्पा हो जाएगा और यह खतरनाक बात होगी।"
शाम को शुभ मुहूर्त में होलिका दहन का कार्यक्रम संपन्न हुआ। लोगों ने एक दूसरे को गुलाल लगाए और रंगों का प्रयोग किया । बच्चे धमाचौकड़ी मचा रहे थे। बच्चों ने ही फाग गाने से लेकर नगाड़े बजाने तक का कार्य संभाल रखा था।
सुप्रिया स्थानीय टीवी चैनल की पत्रकार है और मामा की हास्य कविताओं की बड़ी प्रशंसक भी है । अचानक वह प्रकट हुई और उसने इस कार्यक्रम को कवर किया….."अभी आप देख रहे थे शांतिपुर मोहल्ले से होलिका दहन का सीधा प्रसारण…कार्यक्रम के मुख्य अतिथि थे, नगर के प्रख्यात हास्य कवि श्री मौजी राम…."
इधर सीधा प्रसारण बंद होने के बाद रिपोर्टर सुप्रिया मौजी मामा को रंग लगाने के लिए उनकी और आगे बढ़ी।उसने माथे पर लाल गुलाल लगाने के साथ ही मौजी जी के गालों पर भी थोड़े गुलाल मल दिए…इधर मामी चौकन्नी थीं, उनका ध्यान मामा और सुप्रिया की ओर ही बना हुआ था।मौजी जी को लगा कि श्रीमती जी की ओर से सुप्रिया के गुलाल लगाने पर तगड़ा रिएक्शन आएगा लेकिन ऐसा कुछ नहीं हुआ और वे भी मुस्कुरा रही थीं। होली का त्यौहार है ही ऐसा कि इस दिन सभी तरह के भेदभाव भुलाकर लोग एक ही रंग में रंग जाते हैं।मामी से अनापत्ति प्रमाण पत्र मिलने के बाद मामा ने भी गुलाल के पैकेट की ओर हाथ बढ़ाया और चुटकी भर गुलाल अपनी अंगुलियों पर ले लिया।
डॉ. योगेंद्र कुमार पांडेय